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कन्हैया कुमार 16 मार्च से करेंगे बिहार में ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा, सियासी पारा चढ़ा
10 Mar, 2025 05:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार अब बिहार में सक्रिय होंगे. विधानसभा चुनाव से पहले वो 16 मार्च को बिहार यात्रा पर निकलेंगे. उनकी इस यात्रा का नाम ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ होगा. इसकी शुरुआत वो चंपारण में भितिहरवा गांधी आश्रम से करेंगे. बताया जा रहा है कि यात्रा के फाइनल अप्रूवल को लेकर कन्हैया 12 मार्च को राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात भी कर सकते हैं.
इसी दिन दिल्ली में बिहार कांग्रेस नेताओं की चुनावी तैयारियों के लिए राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ बैठक भी हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि कन्हैया कुमार के राज्य में सक्रिय होने से लालू परिवार से गांधी परिवार के रिश्तों में खटास आ सकती है. इसकी वजह ये मानी जा रही है कि तेजस्वी यादव नहीं चाहते हैं कि कन्हैया बिहार में सक्रिय हों.
बिहार में सक्रिय होना चाहते हैं कन्हैया
उधर, कन्हैया कुमार के करीबी मानते हैं कि वो बिहार में सक्रिय होना चाहते हैं. इसके लिए विधानसभा चुनाव से पहले का वक्त बिल्कुल सही है. बता दें कि कन्हैया कुमार बिहार के रहने वाले हैं. 1987 में बिहार के बेगूसराय जिले के तेघरा विधानसभा क्षेत्र छोटे से गांव में उनका जन्म हुआ था.
कन्हैया के सियासी सफर की शुरुआत
कन्हैया की स्कूली शिक्षा बरौनी के आरकेसी हाई स्कूल से हुई है. स्कूल के दिनों में उनकी रुचि एक्टिंग में थी. वो इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन के सदस्य भी थे.साल 2002 में पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में एडमिशन लिया. यहीं से उनका राजनीतिक सफर भी शुरू हुआ. वो अखिल भारतीय छात्र फेडरेशन के सदस्य बने.
2021 में थामा था कांग्रेस का हाथ
इसके बाद दिल्ली का रुख किया और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है. यहां 2015 में छात्र संघ चुनाव जीता और अध्यक्ष बने. साल 2019 में कन्हैया कुमार ने सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि, बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह से हार गए थे. इसके बाद साल 2021 में कांग्रेस से जुड़ गए. कन्हैया अपने बेबाक बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं.
होली के त्योहार पर दुकानदारों की खासी कमाई, कारोबार 25,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान
10 Mar, 2025 01:58 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली की तैयारी गांव से लेकर शहरों तक दिखाई दे रही है। बाजार रंग, गुलाल, होली के कपड़े, मिठाइयां से लेकर तमाम तरह के समान से पटा है। बाजार में मांग भी अच्छी देखने को मिल रही है। भारत में ही निर्मित हर्बल रंग एवं गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे, चंदन , पूजा सामग्री, परिधान सहित अन्य सामानों की जमकर बिक्री हो रही है। वहीं मिठाइयां, ड्राई फ्रूट, गिफ्ट आइटम्स, फूल एवं फल, कपड़े, फर्निशिंग फैब्रिक, किराना, एफएमसीजी प्रोडक्ट, कंज्यूमर ड्युरेबल्स सहित अन्य अनेकों उत्पादों की भी जबरदस्त मांग बाजारों में दिखाई दे रही है। रंग-अबीर खेलने के लिए लोग सफेद टी-शर्ट और कुर्ता-पाजामा, सलवार सूट की मांग कर रहे हैं। हैप्पी होली लिखे टी-शर्ट की मांग भी बाजार में लगातार बनी हुई है। इससे दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के अनुसार, इस वर्ष होली का त्योहार व्यापारियों के लिए 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20% अधिक है। पिछले वर्ष यही कारोबार लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का था। एक अनुमान के अनुसार दिल्ली के बाजारों में ही लगभग 8 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार होने की संभावना है।
रिकॉर्ड संख्या में होली मिलन समारोह का आयोजन
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि इस वर्ष भी दिल्ली सहित देश भर में भर में बड़े पैमाने पर होली समारोहों का आयोजन हो रहा है जिसके चलते बैंक्वेट हाल, फार्म हाउस, होटलों ,रेस्टोरेंट एवं सार्वजनिक पार्कों में होली समारोहों आयोजनों का तांता लगा हुआ है| अकेले दिल्ली भर में छोटे बड़े मिलाकर 3 हजार से ज्यादा होली मिलन समारोह आयोजित हो रहे हैं और सभी कार्यक्रमों में शामिल लोगों को चेहरों पर एक नई ख़ुशी तथा उत्साह का वातावरण देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में व्यापारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक संगठन होली मिलन समारोह आयोजित कर रहे हैं।
बाजार में तेजी से बढ़ रही भीड़
बाजार में खरीददारी के लिए लोगों की भीड़ प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। फल और मिठाई के साथ में मेवे की माला ले जाने की परंपरा के चलते खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ दुकानों पर लगी रही। इसके चलते बाजार में चहल पहल बनी हुई है। बाजार में अलग-अलग तरह की पिचकारी गुब्बारे और अन्य आकर्षक आइटम आए हैं। प्रेशर वाली पिचकारी 100 रुपये से 350 रुपये तक की उपलब्ध है। टैंक के रूप में पिचकारी 100 रुपये से लेकर 400 रुपये तक में उपलब्ध है। इसके अलावा फैंसी पाइप की भी बाजार में धूम मची है। बच्चे स्पाइडर मैन, छोटा भीम आदि को बच्चे खूब पसंद कर रहे है। वहीं गुलाल के स्प्रे की मांग बेहद हो रही है।
पतंजलि का विदर्भ में नया कदम, किसानों को मिलेगा आर्थिक लाभ
10 Mar, 2025 01:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि नागपुर में नया पतंजलि फूड और हर्बल पार्क विदर्भ क्षेत्र के किसानों के लिए राहत लेकर आएगा. गौरतलब है कि इस क्षेत्र में किसान आत्महत्या की कई घटनाएं हुई हैं. गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नागपुर के मिहान में फूड पार्क का उद्घाटन किया. इस अवसर पर पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक रामदेव और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण मौजूद थे.
संतरा किसानों को होगा फायदा
गडकरी ने विदर्भ में संतरा किसानों की भलाई के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी. उन्होंने क्षेत्र में फलों के उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार के साथ ही उपज की अच्छी कीमत सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों के बारे में भी बताया. नागपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले गडकरी ने कहा, नया पार्क विदर्भ क्षेत्र के किसानों के लिए राहत लेकर आएगा, जहां किसानों की आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं. फडणवीस ने कहा, मुझे लगता है कि यह केंद्र (पार्क) न केवल इस परियोजना के लिए, बल्कि संतरा उगाने वाले सभी किसानों के लिए वरदान साबित होगा. फडणवीस ने कहा कि संयंत्र में फलों की छंटाई, ग्रेडिंग और भंडारण का काम किया जाएगा. साथ ही फलों का छिलके और बीज सहित पूरी तरह प्रसंस्करण किया जाएगा.
पतंजलि ने तोड़ा कमाई का रिकॉर्ड
रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान बनाने वाली बाबा रामदेव की FMCG कंपनी पतंजलि फूड्स ने कमाई का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पतंजलि फूड्स का चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही मे नेट प्रॉफिट 71.29 प्रतिशत बढ़कर 370.93 करोड़ रुपये हो गया. कंपनी को पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 216.54 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था. चालू वित्त वर्ष अक्टूबर- दिसंबर तिमाही में कंपनी की कुल आय बढ़कर 9,103.13 करोड़ रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 7,910.70 करोड़ रुपये थी. उक्त अवधि में कंपनी का खर्च बढ़कर 8,652.53 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 7,651.51 करोड़ रुपये था.
NPS vs UPS: पेंशन के लिए निवेश की योजना, क्या है आपका सबसे अच्छा विकल्प?
10 Mar, 2025 01:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
NPS vs UPS: रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा सबसे अहम होती है और इसके लिए सही निवेश की योजना जरूरी है. अगर आपकी योजना रिटायरमेंट के बाद हर महीने 1 लाख रुपए की पेंशन पाने की है, तो इसके लिए आपको सही स्कीम में निवेश करना होगा. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) और यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (UPS) दो प्रमुख ऑप्शन हैं, जिनके जरिए आप यह टारगेट हासिल कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि किस स्कीम में कितना निवेश करना होगा और कौन-सा ऑप्शन बेहतर रहेगा.
अप्रैल 2025 से लागू होगी
1 अप्रैल, 2025 से सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को दो पेंशन योजनाओं में से चुनने का ऑप्शन मिलेगा. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ( एनपीएस ) और एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस). जनवरी 2004 में शुरू की गई एनपीएस ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की जगह ली और केंद्र सरकार के तहत सभी विभागों को कवर करती है.दूसरी ओर, यूपीएस हाल ही में सरकार द्वारा घोषित एक नई पेंशन योजना है, जो अप्रैल 2025 से लागू होगी.
NPS vs UPS
NPS भारत सरकार द्वारा संचालित एक रिटायरमेंट योजना है, जिसमें व्यक्ति को नियमित निवेश करना होता है. इसमें निवेशकों को 60 साल की उम्र के बाद एकमुश्त राशि और पेंशन दोनों मिलती है. इसमें रिटर्न बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है. वहीं, UPS एक प्राइवेट पेंशन स्कीम होती है, जिसमें व्यक्ति अपनी जरूरत के अनुसार इन्वेस्टमेंट प्लान चुन सकता है. इसमें अलग-अलग कंपनियों की योजनाएं होती हैं और निवेश पर मिलने वाला रिटर्न अलग-अलग हो सकता है. यूपीएस के तहत सरकार मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) के योग का 18.5% योगदान देगी, जबकि कर्मचारी का योगदान 10% होगा, जो एनपीएस के समान है.
पेंशन गारंटी
एनपीएस में कोई निश्चित पेंशन गारंटी नहीं है, जबकि यूपीएस औसत मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर पेंशन मिलता है. एनपीएस के तहत, इक्विटी, लोन और अन्य बाजार-लिंक्ड फंडों में निवेश करने का ऑप्शन मिलता है, जबकि यूपीएस मुख्य रूप से सरकारी बांड और सुरक्षित स्कीम में निवेश करता है. यूपीएस में सरकार का योगदान एनपीएस से अधिक है.
यूपीएस कम जोखिम वाली योजना
एनपीएस में निवेश बाजार से जुड़ा होता है, जिससे यह अधिक जोखिमपूर्ण हो जाता है, जबकि यूपीएस कम जोखिम वाली योजना है, क्योंकि इसमें निश्चित पेंशन मिलती है. अब सवाल यह है कि 1 लाख रुपए की मासिक पेंशन पाने के लिए दोनों योजनाओं में कितना निवेश करना होगा? आइए आपको इसे विस्तार से समझाते हैं.
यूपीएस: 35 साल की नौकरी के बाद 1 लाख रुपये पेंशन कैसे सुनिश्चित करें?
मान लीजिए कोई 1 अप्रैल 2025 को 25 वर्ष की आयु में सरकारी नौकरी में शामिल होता है और 60 वर्ष की आयु में रिटायर होता है, उसने 35 वर्ष तक नौकरी की है. अगर रिटायरमेंट से पहले आखिरी 12 महीनों का औसत मूल वेतन 2 लाख रुपए प्रति महीने है, तो यूपीएस के तहत 50% की दर से गारंटीड पेंशन मिलेगी, यानी 1 लाख रुपए प्रति महीने. इसके अलावा यूपीएस में हर साल महंगाई के हिसाब से पेंशन बढ़ाने का प्रावधान है. अगर सालाना 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी मान लें तो 61 साल की उम्र में पेंशन 1,04,500 रुपए होगी.
एनपीएस: 1 लाख रुपए पेंशन के लिए कितना निवेश जरूरी?
अगर कोई व्यक्ति 25 वर्ष की आयु में काम करना शुरू करता है और 60 वर्ष की आयु में रिटायर होता है, तो उसे हर महीने 16,800 रुपए (10% कर्मचारी योगदान और 14% सरकारी योगदान को मिलाकर) निवेश करने की आवश्यकता होगी. एनपीएस में शामिल होने की उम्र: 25 साल है. हर महीने की योगदान (कर्मचारी + सरकार) 16,800 रुपए है. अनुमानित रिटर्न इन्वेस्टमेंट पर 9 प्रतिशत है. कुल निवेश 70.6 लाख रुपए है तो कुल रिटर्न 4.27 करोड़ रुपए है. इसमें क्लोजिंग अमाउंट 4.98 करोड़ रुपए है. पेंशन के लिए 40% फंड आवंटित 1.99 करोड़ रुपए और पेंशन के लिए 40% फंड आवंटित 1.99 करोड़ रुपए है. अनुमानित रिटर्न इन्वेस्टमेंट 6 प्रतिशत है. एकमुश्त निकासी 60% 2.99 करोड़ रुपए है तो जिससे हर महीने आपकी पेंशन 1 लाख रुपए होगी.
भारत की टैरिफ नीति में बदलाव, अमेरिका से व्यापार बढ़ाने की दिशा में कदम
10 Mar, 2025 01:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की तरफ से अमेरिका के साथ व्यापार को और आगे बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इसी कड़ी में भारत ने कुछ कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क सहित अधिक टैरिफ कटौती करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके पीछे का मकसद दोनों देशों के बीच के व्यापार को साल 2030 तक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाना है।खबर के मुताबिक, यह लक्ष्य इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता के दौरान तय किया गया था।
संभावित ट्रेड वॉर को रोकने की कवायद तेज
खबर के मुताबिक, नाम न बताने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि संभावित ट्रेड वॉर को रोकने के लिए, भारतीय पक्ष ने अमेरिका के साथ बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार के लिए कारों, रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के आयात में बड़ी कटौती का संकेत दिया है। एक अधिकारी का कहना है कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में वाशिंगटन में एक टीम टैरिफ में कई बदलावों के ताजा उदाहरणों का हवाला देकर अमेरिकियों के बीच इस नकारात्मक धारणा का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है कि भारत एक हाई टैरिफ वाला देश है।
इन प्रोडक्ट्स को लेकर हो सकता है फैसला
भारत की तरफ से कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर लगाए जाने वाले हाई टैरिफ को लेकर भी फैसला हो सकता है। इनमें हाई-एंड मोटरसाइकिलों पर टैरिफ को 110% से घटाकर 100% करने और अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर टैरिफ को 50% से घटाकर 30% करना शामिल है। भारतीय पक्ष ने दाल और मटर की विशिष्ट मात्रा के आयात पर शून्य-शुल्क ढांचे की इच्छा का संकेत दिया है। भारतीय पक्ष ने अमेरिकी व्यापार डेटा का भी हवाला दिया है। यह दर्शाता है कि भारत अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली दो दर्जन से ज्यादा वस्तुओं पर औसतन सिर्फ 3% शुल्क लगाता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल फिलहाल व्यापार तनाव को कम करने के लिए एक समझौते पर बातचीत करने के लिए वाशिंगटन में हैं। बता दें, टम्प 2 अप्रैल से नए टैरिफ लागू करने जा रहे हैं।
भारत के कुल निर्यात में आ सकती है कमी!
जानकारों का कहना है कि अगर ट्रम्प टैरिफ को लेकर आगे बढ़ते हैं तो भारत की हाई टैरिफ दर और अमेरिका के साथ 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष इसे सबसे कमजोर देशों में से एक बनाता है। एसबीआई के एक नोट के मुताबिक, अमेरिका के टैरिफ में औसतन 15%-20% की बढ़ोतरी से भारत के कुल निर्यात में 3-3.5% की कमी आ सकती है। सरकार के सलाहकार प्रस्तावित कम भारतीय टैरिफ के परिणामस्वरूप चीनी सामानों के सस्ते फ्लो को रोकने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।
सेंसेक्स और निफ्टी में सकारात्मक शुरुआत, निवेशकों का आत्मविश्वास बरकरार
10 Mar, 2025 01:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू शेयर बाजार ने सप्ताह के पहले कारोबारी सत्र में सोमवार को सपाट शुरुआत की। सुबह 9 बजकर 16 मिनट पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क सेंसेक्स 40.67 अंक की बढ़त के साथ 74,373.25 के लेवल पर कारोबार करता दिखा। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 5.85 अंक की मामूली तेजी के साथ 22,558.35 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। सोमवार को इंडिया पेस्टिसाइड्स, एचएफसीएल, एनडीआर ऑटो कंपोनेंट्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स, बायोकॉन, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, थंगमायिल ज्वेलरी, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स और एस्ट्राजेनेका फार्मा जैसे स्टॉक्स फोकस में हैं।
टॉप गेनर और लूजर
निफ्टी पर आज कारोबार की शुरुआत में प्रमुख लाभ पाने वाले शेयरों में सन फार्मा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बजाज फाइनेंस, अडानी एंटरप्राइजेज, जेएसडब्ल्यू स्टील शामिल रहे। इसके विपरीत नुकसान उठाने वाले शेयरों में इंडसइंड बैंक, एमएंडएम, एलएंडटी, बजाज ऑटो, आईटीसी शामिल थे। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 34 पैसे गिरकर 87.29 पर आया।
चर्चा में हैं ये स्टॉक्स
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक ने सीईओ सुमंत कठपालिया को बोर्ड द्वारा अनुशंसित तीन वर्ष के कार्यकाल के बजाय एक वर्ष का विस्तार प्रदान किया। कारोबार की शुरुआत में इंडसइंड बैंक के शेयरों में 5% की गिरावट देखने को मिली। अमेरिका में रिवेरोक्साबैन टैबलेट यूएसपी के लॉन्च पर ल्यूपिन के शेयरों में उछाल देखा गया। कंपनी ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपनी रिवेरोक्साबैन टैबलेट यूएसपी, 2.5 मिलीग्राम, लॉन्च की है। टाटा पावर के शेयरों में 3% की तेजी देखने को मिली, सब्सिडियरी कंपनी ने आंध्र प्रदेश सरकार के साथ 5.6 अरब डॉलर के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
दुनिया के बाजारों में आज का रुझान
एशियाई शेयरों में सोमवार को गिरावट आई क्योंकि एसएंडपी 500 के लिए इक्विटी वायदा अनुबंधों में 0.4% की गिरावट आई और नैस्डैक 100 के लिए भी गिरावट आई। टोक्यो समयानुसार दोपहर 12:12 बजे तक S&P 500 वायदा 0.4% गिर गया। जापान के टॉपिक्स में 0.2% की वृद्धि हुई। ऑस्ट्रेलिया के S&P/ASX 200 में 0.2% की वृद्धि हुई। हांगकांग के हैंग सेंग में 1.6% की गिरावट आई। शंघाई कम्पोजिट में 0.5% की गिरावट आई। यूरो स्टॉक्स 50 वायदा में 0.7% की वृद्धि हुई।
स्टार्टअप दिगंतरा ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में झोंकी नई ऊर्जा
10 Mar, 2025 12:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया के पहले वाणिज्यिक अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह ने शनिवार को काम शुरू कर दिया। बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप दिगंतरा का यह उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली पांच सेंटीमीटर जितनी छोटी वस्तुओं की निगरानी कर सकता है। दिगंतरा ने बताया कि इस निगरानी उपग्रह ने शनिवार को दक्षिण अमेरिका की तस्वीरें लीं। स्टार्टअप ने 14 जनवरी को स्पेसएक्स के ट्रांसपोर्टर-12 रॉकेट पर अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह एससीओटी प्रक्षेपित किया था। उपग्रह ने शनिवार को परिचालन शुरू किया। दिगंतरा की इस उपलब्धि के साथ ही अमेरिका, चीन जैसे सरीखे देश पीछे छूट गए हैं।
छिपने के लिए जगह खत्म हो गई
दिगंतरा ने पोस्ट किया, ''अंतरिक्ष में छिपने के लिए जगह खत्म हो गई है।'' कंपनी ने एक बयान में कहा कि एससीओटी उपग्रह ने शनिवार को दक्षिण अमेरिका के ऊपर से गुजरते हुए अपनी पहली तस्वीर भेजी। दिगंतरा के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि एससीओटी की पहली तस्वीर तकनीकी रूप से एक बड़ी उपलब्धि है और यह कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
स्पेसएक्स को भी टक्कर
बेंगलुरु स्थित दिगंतरा अपने स्पेस मिशन एश्योरेंस प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतरिक्ष संचालन और अंतरिक्ष यातायात प्रबंधन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए एंड-टू-एंड इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है। जानकारों का कहना है कि दिगंतारा जिस तेजी से बढ़ा रहा है वह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में यह एलन मस्क के स्पेसएक्स को भी टक्कर दे सकता है।
शॉकवेव इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल लॉन्च
9 Mar, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नईदिल्ली । अल्ट्रावॉयलेट कंपनी ने टेसेरैक्ट इलेक्ट्रिक स्कूटर के साथ शॉकवेव इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल भी लॉन्च की है। मोटरसाइकिल की तरह, स्कूटर के लिए भी 999 रुपये में प्री-बुकिंग शुरू हो गई है और इसकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत में शुरू होगी। शॉकवेव की कीमत पहले 1,000 ग्राहकों के लिए 1.50 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। उसके बाद, कीमत बढ़कर 1.75 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) हो जाएगी। शॉकवेव अल्ट्रावॉयलेट के लाइट मोटरसाइकिल प्लेटफॉर्म में प्रवेश का प्रतीक है। कंपनी दो और इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल बेचती है - एफ77 सुपरस्ट्रीट और एफ77 मैक 2। शॉकवेव की 14.5बीएचपी मोटर 3.5केडब्ल्यूएच बैटरी से जुड़ी है।
इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के पिछले पहिये पर 505 एनएम का टॉर्क होने का दावा किया गया है। इसका वजन 120 किलोग्राम है। दावा किया जाता है कि शॉकवेव एक बार फुल चार्ज होने पर 165 किलोमीटर (आईडीसी) की रेंज देता है। यह महज 2.9 सेकंड में 0 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है, जबकि इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे बताई जाती है।
शॉकवेव में डुअल एलईडी हेडलैंप, चार ट्रैक्शन कंट्रोल मोड, स्विचेबल डुअल-चैनल एबीएस और रीजन के छह लेवल जैसे फीचर्स हैं। आगे (19-इंच) और पीछे (17-इंच) स्पोक व्हील हैं। इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल दो रंगों में उपलब्ध है - कॉस्मिक ब्लैक और फ्रॉस्ट व्हाइट। अल्ट्रावॉयलेट के अनुसार, शॉकवेव की बैटरी सुपरनोवा के साथ 30 मिनट से भी कम समय में और बूस्ट चार्जर के साथ 50 मिनट में 20-80 प्रतिशत तक चार्ज हो सकती है।
सेबी ने नेस्ले इंडिया को भेजा चेतावनी पत्र, कंपनी के अधिकारी पर लगा इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप
9 Mar, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। नेस्ले इंडिया के एक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि वह इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े हैं। इस मामले में सेबी ने नेस्ले इंडिया को चेतावनी भरा पत्र भेजा है। अभी तक कंपनी ने उस अधिकारी का नाम नहीं बताया है जिस पर आरोप है।
नेस्ले इंडिया ने बताया कि कंपनी के अनुपालन अधिकारी को सेबी का चेतावनी पत्र मिला है। यह पत्र कंपनी के एक नामित व्यक्ति द्वारा सेबी रेगुलेशंस, 2015 के उल्लंघन के लिए है। साधारण भाषा में कहे तो कंपनी के किसी आदमी ने शेयर बाजार के नियम तोड़े हैं। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इससे कंपनी के काम पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि इस जानकारी का कंपनी की वित्तीय और परिचालन क्षमताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह जानकारी सेबी लिस्टिंग विनियमों के विनियमन 30 के मुताबिक प्रदान की गई है।
इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार के लिए एक बड़ी समस्या है। इसमें कंपनी के अंदर के लोग जैसे कर्मचारी, डायरेक्टर, बड़े अधिकारी और प्रमोटर, शेयर और बॉन्ड जैसी चीजों की खरीद-बिक्री गैर-कानूनी तरीके से करते हैं। छोटे निवेशकों को बचाने और शेयर बाजार को साफ-सुथरा रखने के लिए सेबी ने नियम बनाए हैं। इन नियमों के तहत कंपनियां खुद अपने शेयर सेकेंडरी मार्केट से नहीं खरीद सकतीं। कोई कंपनी अपने ही शेयर खरीदने लगे तो शेयर का दाम बढ़ जाएगा। यह आम निवेशकों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए सेबी ने यह नियम बनाया है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड और सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 31 मार्च है खास
9 Mar, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवॉय), लोकप्रिय निवेश योजना हैं। इन दोनों योजनाओं में शानदार ब्याज मिलता ही है, साथ ही टैक्स छूट भी मिलती है। वर्तमान में पीपीएफ पर 7.1 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है। सुकन्या समृद्धि योजना का खाता केवल 10 साल से कम उम्र की लड़की के नाम पर माता-पिता या कानूनी अभिभावक द्वारा खोला जा सकता है। इन दोनों ही योजनाओं में वित्त वर्ष में न्यूनतम राशि जमा करानी जरूरी होती है। इसकारण अगर आप भी इन दोनों योजनाओं में 31 मार्च तक न्यूनतम निवेश नहीं करते हैं तब आपके खाते निष्किय (बंद) हो सकते हैं और इन्हें दोबारा शुरू करने के लिए जुर्माना देना पड़ सकता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड पीपीएफ अकाउंट रखने वालों के लिए मिनिमम डिपॉजिट 500 रुपए है, यानी आपको इसमें एक वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपए का निवेश करना होता है। ऐसा न करने पर आपका खाता बंद हो सकता है। अगर आप यह पैसा नहीं जमा करते हैं, तब आपको 50 रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। इसलिए खाता चालू रखने और पेनल्टी से बचना चाहते हैं, तब 31 मार्च 2025 से पहले न्यूनतम आवश्यक राशि जरूर जमा करें।
सुकन्या समृद्धि योजना में भी न्यूनतम जमा राशि 250 रुपये प्रति वित्त वर्ष है। वर्तमान में योजना में 8.2 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। वित्त वर्ष में राशि जमा न करने पर खाता बंद हो सकता है। एसएसवाई खाता 21 वर्षों के लिए वैध रहता है या जब लड़की की शादी 18 साल की उम्र के बाद हो जाती है, तब इस बंद किया जा सकता है। हालांकि, बेटी के 18 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है।
भारतीय शेयर बाजार को डुबाने में लगे विदेशी निवेशक...लेकिन घरेलू निवेशक बने तारणहार
9 Mar, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । पिछले कारोबार सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को उतार-चढ़ाव के बाद सेंसेक्स मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। ट्रंप के ट्रेड वार की आशंका के कारण निवेशक बैचेन दिखाई दिए। सेंसेक्स 7 अंक गिरकर 74,332 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी में 7 अंक की तेजी रही, ये 22,552 पर बंद हुआ। साल 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी पांच फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। बाजार में आई इस जोरदार गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली रही है। साल 2024 के अक्टूबर से शुरू हुई विदेशी निवेशकों की बिकवाली, अभी भी नहीं थमी है। बीते 5 महीनों में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से करीब 37 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
बाजार जानकारों के अनुसार बाजार में कोहराम मचाने को आमादा विदेशी निवेशकों की राह में घरेलू संस्थागत निवेशक रोड़ा बने हुए हैं। इस साल अब तक एफआईआई 1.61 लाख करोड़ रुपये के शेयरों के नेट सेलर रहे हैं, जबकि डीआईआई ने 1.72 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। सिर्फ फरवरी 2025 में एफआईआईएस ने 34,574 करोड़ के शेयर बेच दिए। घरेलू संस्थागत निवेशक अगर बाजार में खरीदार न बने रहते तब बाजार की और भी बुरी गत होती। पिछले कारोबारी सत्र यानी शुक्रवार को भी शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी रही।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का डेटा बताता हैं कि एफआईआईएस ने कैश में 2035.10 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वहीं, दूसरी डीआईआई यानी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2320.40 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। 07 मार्च के कारोबारी सत्र के दौरान, एफआईआई ने 8,635 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 10,670 करोड़ रुपये के शेयर ब्रिकी किए। डीआईआई ने 10,452 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 8,132 करोड़ रुपये के शेयर की ब्रिकी की। विदेशी निवेशको के लिए अब चीन का बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है। विदेशी निवेशक इस समय ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की नीति अपना रहे हैं।
RBI ने विजनरी फाइनेंसपीयर समेत 4 NBFCs पर लगाया जुर्माना
8 Mar, 2025 12:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने चार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर 76.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कर्जदाताओं और उधार लेने के इच्छुक लोगों को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म्स (पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म) पर लगाया गया है। आरबीआई के निर्देशों के कुछ प्रावधानों का पालन न करने पर यह जुर्माना लगाया गया है। 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2017' के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए फेयरएसेट्स टेक्नोलॉजीज इंडिया पर 40 लाख रुपये और ब्रिज फिनटेक सॉल्यूशंस तथा रंग दे पी2पी फाइनेंशियल सर्विसेज पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
विजनरी फाइनेंसपीयर पर भी लगाया जुर्माना
रिजर्व बैंक ने कहा कि विजनरी फाइनेंसपीयर पर 16.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रत्येक मामले में, जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला सुनाना नहीं है। केंद्रीय बैंक ने अलग-अलग विज्ञप्तियों के माध्यम से जुर्माने की जानकारी दी।
इन बैंकों पर भी लगाया था जुर्माना
भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे पहले नियामकीय अनुपालन में खामियों के लिए इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक पर जुर्माना लगाया था। आरबीआई ने एक बयान में कहा था कि उसने इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक पर 65 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, 'बैंकों में ग्राहक सेवा' पर कुछ निर्देशों का पालन न करने पर इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक लि. पर 26.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से संबंधित मानदंडों के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन के लिए एप्टस फाइनेंस इंडिया प्राइवेट लि. पर भी 3.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
भारत को अमेरिका से प्रस्तावित टैरिफ डील में मिलेगा बड़ा लाभ, विशेषज्ञों का दावा
8 Mar, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत चमड़ा, कपड़ा और आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में आयात शुल्क में रियायत से अमेरिका को निर्यात बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स ने यह उम्मीद जताते हुए कहा कि इसके बदले में अमेरिका पेट्रो रसायन उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरणों और बादाम तथा क्रैनबेरी जैसे कुछ कृषि वस्तुओं के लिए टैरिफ में कटौती की मांग कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सेब और सोया जैसी कृषि वस्तुओं की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए उनमें टैरिफ कटौती मुश्किल हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की वाशिंगटन यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने 2030 तक दोतरफा व्यापार को दोगुना करके 500 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचाने की घोषणा की थी। इस मौके पर 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई।
भारत को हो सकता है फायदा
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, ''यदि अमेरिका प्रस्तावित समझौते के तहत टैरिफ में कटौती करता है तो भारत को वाहन कलपुर्जा, परिधान, फुटवियर, आभूषण, प्लास्टिक और स्मार्टफोन जैसे सेक्टर्स में लाभ हो सकता है। इन सेक्टर्स में भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में चीन के साथ कंपटीशन कर सकते हैं, क्योंकि चीनी सामान अमेरिकी बाजार में उच्च टैरिफ का सामना कर रहे हैं।''
चीन के कई सामानों पर लगता है 45% टैरिफ
उन्होंने कहा कि चीन के कुछ सामान अमेरिकी बाजार में 45 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करते हैं और इन क्षेत्रों में भारत उत्पादन बढ़ा सकता है और अवसरों का लाभ उठा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने वाले देशों पर दो अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में तेजी आ सकती है। धर ने कहा कि दोनों देशों के अधिकारियों के लिए समझौते को अंतिम रूप देना बहुत कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका महंगी बाइक, यात्री कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ही सोया और मक्का जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाने की मांग कर सकता है।
भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना चाहता है अमेरिका
धर ने कहा, ''अमेरिका की मुख्य चिंता भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना है और इसके लिए वे भारतीय बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाना चाहते हैं।'' दवा क्षेत्र के निर्यातकों ने कहा कि भारतीय दवा निर्यात पर जवाबी टैरिफ लगाने के अमेरिका के फैसले से मुख्य रूप से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। हालांकि, घरेलू उद्योग सतर्क रूप से आशावादी बने हुए हैं। शोध संस्थान जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के प्रस्तावित जवाबी टैरिफ के जवाब में 'शून्य के लिए शून्य' शुल्क रणनीति की पेशकश करनी चाहिए। उसने कहा कि ऐसा करना पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने से कम नुकसानदायक होगा। जीटीआरआई ने सरकार को सुझाव दिया कि 'शून्य के लिए शून्य' रणनीति के तहत ऐसी उत्पाद श्रेणियों की पहचान करनी चाहिए, जहां घरेलू उद्योगों और कृषि को नुकसान पहुंचाए बिना अमेरिकी आयातों के लिए आयात शुल्क खत्म किया जा सकता है। इसके बदले में, अमेरिका को भी समान संख्या में वस्तुओं पर शुल्क हटा देना चाहिए।
पेट्रोलियम मंत्री का ऐलान, मुकेश अंबानी से 24,490 करोड़ की वसूली के लिए सरकार तैयार
8 Mar, 2025 12:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से भारत सरकार को 2.81 अरब डॉलर (करीब 24,490 करोड़ रुपये) वसूलने हैं. नेचुरल गैस एक्सट्रैशन से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सरकार के हक में सुनाया है. अब सरकार ने भी मुकेश अंबानी से पाई-पाई वसूलने की तैयारी कर ली है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से इस बारे में एक बड़ा बयान दिया गया है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि उनका मंत्रालय रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से 2.81 अरब डॉलर की डिमांड को हासिल करने की अंत तक कोशिश करेगा. उनके इस बयान को सरकार की ओर से इस मामले में इसे एक बड़ी प्रतिक्रिया माना जा रहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी पार्टनर फर्म्स के नेचुरल गैस एक्ट्रैक्शन से जुड़ा है. सरकार का दावा है कि रिलायंस और उसकी पार्टनर फर्म्स ने ऐसे गैस फील्ड से भी नेचुरल गैस निकाली, जिनके इस्तेमाल का उन्हें कोई अधिकार नहीं था. इस मामले में भारत सरकार ने रिलायंस से 1.55 अरब डॉलर की राशि चुकाने का दावा किया. रिलायंस इस मामले को एक इंटरनेशनल आर्बिटरी कोर्ट ले गई, जहां जुलाई 2018 में फैसला उसके पक्ष में आया. सरकार के 1.55 अरब डॉलर के दावे को खारिज कर दिया गया.
इसके बाद सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. पिछले महीने 14 तारीख को दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के हक में फैसला सुनाया. इसके बाद ही सरकार की ओर से 2.81 अरब डॉलर का डिमांड नोटिस निकाला गया है. रिलांयस की ओर से 3 मार्च 2025 को ये नोटिस मिलने की पुष्टि की गइ है.
क्या बोले पेट्रोलियम मंत्री?
खबर के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि ‘ गैस माइग्रेशन’ (एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने) से जुड़े इस विवाद पर अदालत का फैसला सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से साबित करता है.
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान जब हरदीप सिंह पुरी से 2.81 अरब डॉलर की वसूली को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अदालत का बिल्कुल स्पष्ट फैसला है. हमने पहले ही 2.81 अरब डॉलर की डिमांड का आवेदन कर दिया है. हम इस अधिकार को अंत तक पाने की कोशिश करेंगे. बेशक, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना हर किसी का अधिकार है.”
ये मामला कृष्णा-गोदावरी बेसिन में स्थित KG-D6 ब्लॉक से जुड़ा है. इस एरिया में रिलायंस के पास नेचुरल गैस एक्सट्रैक्शन का अधिकार है, हालांकि सरकार की कंपनी ओनएनजीसी का दावा है कि रिलायंस ने इसी एरिया में मौजूद KG-DWN-98/2 ब्लॉक से गैस को ट्रांसफर किया है. KG-DWN-98/2 ब्लॉक ओएनजीसी को अलॉट किया गया था.
मुकेश अंबानी की नई सफलता, 57,500 करोड़ का जैकपॉट पूरी दुनिया में छाया
8 Mar, 2025 12:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुकेश अंबानी ने बीते 48 घंटों में कुछ ऐसा किया है, जिसकी वजह से चीन से लेकर अमेरिका तक सब हैरान हो गए हैं. दुनिया की जुबां पर बस एक बात है कि ऐसा सिर्फ मुकेश अंबानी ही कर सकते हैं और कोई नहीं. वास्तव में गुरुवार और शुक्रवार को मुकेश अंबानी की दौलत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. दो दिनों में मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 6.6 बिलियन डॉलर यानी 57,500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई है. जिसके बाद उनकी कुल नेटवर्थ 88 अरब डॉलर के पार पहुंच गई है. शुक्रवार को भी उनकी नेथवर्थ में करीब 3 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स में मुकेश अंबानी की दौलत को लेकर किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफा
दुनिया के 17वें सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अबानी की दौलत में शुक्रवार को 2.92 अरब डॉलर यानी 25,400 करोड़ रुपए से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. जिसके बाद मुकेश अंबानी की कुल दौलत 88.1 अरब डॉलर हो गई है. 67 बरस के मुकेश अंबानी की मौजूदा साल में नेटवर्थ में 2.49 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वास्तव में मुकेश अंबानी की दौलत में बीते दो दिनों से इजाफा देखने को मिल रहा है. आंकड़ों को देखें तो मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 6.6 अरब डॉलर यानी 57,400 करोड़ रुपए का इजाफा देखने को मिल चुका है. गुरुवार को मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 3.7 अरब डॉलर का इजाफा देखने को मिला था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी
मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफे का प्रमुख कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी है. बीते दो दिनों से मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 6.24 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 5 मार्च को 1,175.75 रुपए पर थे. जो 7 मार्च को बढ़कर 1,249.10 रुपए पर पर आ गए. इसका मतलब है कि दो दिनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 73.35 रुपए का इजाफा देखने को मिल चुका है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में मुकेश अंबानी की कंपनी के शेयरों में और भी तेजी देखने को मिल सकती है.
चीन से लेकर अमेरिका तब सब हैरान
खास बात तो ये है मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफा देख चीन से लेकर अमेरिका तक के अरबपति हैरान रह गए हैं. गुरुवार को मुकेश अंबानी दौलत में इजाफे के मामले में तीसरे नंबर पर मौजूद हैं. शुक्रवार को भी दौलत में इजाफे मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर मौजूद हैं. जिसकी वजह से दुनिया के सभी अरबपति हैरान हैं. मुकेश अंबानी का एक बार फिर से फॉर्म में आना अमेरिकी अरबपतियों के लिए खतरे की घंटी है. वह एक बार फिर से 100 अरब डॉलर के एलीट ग्रुप में एंट्री मारने को तैयार हैं.