व्यापार
लाल निशान में खुला शेयर बाजार, सेंसेक्स 140 अंक गिरा
30 Apr, 2025 10:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्लोबल मार्केट से मिले-जुले रुझानों के बीच भारतीय शेयर बाजार बुधवार (30 अप्रैल) को लाल निशान में ओपन हुए। बजाज फिनसर्व और बजाज फाइनेंस जैसे भारी भरकम शेयरों में बड़ी गिरावट ने बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स को नीचे खींचा।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज मामूली वृद्धि के साथ 80,370.80 अंक पर खुला। हालांकि, यह खुलते ही लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:25 बजे सेंसेक्स 73.76 अंक या 0.09% की गिरावट लेकर 80,214.62 पर था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) आज 24,342.05 अंक पर खुला। खुलते ही इंडेक्स गिरावट में चला गया। सुबह 9:26 बजे यह 48.65 अंक या 0.20% की गिरावट लेकर 24,287.30 पर था।
CCS की बैठक और यूएस ट्रेड डील फोकस में
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) और कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक पर आज निवेशकों का फोकस रहेगा। निवेशक यह बारीकी से देखेंगे कि भारत सरकार पाकिस्तान के खिलाफ क्या कदम उठाती है और उसका बाजार पर क्या असर होता है। इ
सके अलावा, Q4 रिजल्ट्स, प्राइमरी मार्केट की गतिविधियां, भारत-अमेरिका ट्रेड डील, निफ्टी का साप्ताहिक F&O एक्सपायरी और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयरों की खरीद भी बुधवार को बाजार की चाल तय करेंगे। गुरुवार 1 मई को महाराष्ट्र दिवस के कारण शेयर बाजार बंद रहेगा। ऐसे में निवेशक आज अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं।
बजाज फिनसर्व और बजाज फाइनेंस 5% टूट
बाजार खुलते ही हैवीवेट फाइनेंशियल स्टॉक्स बजाज फिनसर्व और बजाज फाइनेंस 5% से ज्यादा टूट गए। दोनों कंपनी के शेयरों में यह गिरावट जनवरी-मार्च तिमाही 2025 के नतीजे उम्मीद से कम रहने के चलते आई है।
ग्लोबल मार्केट की चाल पर एक नजर
कल रात अमेरिकी शेयर बाजार बढ़त के साथ बंद हुए। डाऊ जोंस 0.75% की तेजी के साथ 40,527.62 पर बंद हुआ जबकि S&P 500 0.58% बढ़कर 5,560.83 और नैस्डेक कंपोजिट 0.55% की बढ़त के साथ 17,461.32 के स्तर पर बंद हुआ।
बुधवार सुबह एशियाई बाजारों में मिलाजुला रुख देखने को मिला, क्योंकि निवेशक कई महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों और नीतिगत फैसलों का इंतजार कर रहे थे। इसमें चीन का अप्रैल का PMI डेटा शामिल है, जो दो महीने के निचले स्तर पर आ गया है। ऑस्ट्रेलिया की महंगाई दर के आंकड़े, और बैंक ऑफ जापान की ब्याज दर तय करने वाली बैठक की शुरुआत।
जापान का निक्की 225 0.22% चढ़ा, ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 0.34% ऊपर रहा, हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स और चीन का CSI 300 दोनों में 0.14% की बढ़त दर्ज हुई। वहीं, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.27% की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
मंगलवार को कैसी थी बाजार की चाल?
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 70.01 अंक या 0.09% की बढ़त लेकर 80,288.38 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 7.45 अंक या 0.03% की मामूली बढ़त लेकर 24,335.95 पर बंद हुआ।
Stock Market Today: रिलायंस की बढ़त से सेंसेक्स और निफ्टी में चमक
29 Apr, 2025 02:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एशियाई बाजारों में तेजी के बीच घरेलू शेयर बाजार सोमवार की बढ़त को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार (29 अप्रैल) को लगातार तीसरे ट्रेडिंग सेशन में बढ़त के साथ खुले। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में लगातार दूसरे दिन तेजी ने सेंसेक्स को हरे निशान में बनाये रखा हुआ है। इसके अलावा आईटी स्टॉक्स में बढ़त से भी बाजार को सपोर्ट मिला है।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 100 से ज्यादा अंक चढ़कर 80,396.92 पर खुला। कारोबार के दौरान यह 80,661.31 अंक तक चढ़ गया था। दोपहर 2 बजे यह 163.57 अंक या 0.20% चढ़कर 80,381.94 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 भी पॉजिटिव शुरुआत लेते हुए 24,370.70 अंक पर ओपन हुआ। दोपहर 2 बजे यह 27 अंक या 0.11% की मामूली बढ़त लेकर 24,355.50 पर था।
इससे पहले सोमवार को बाजार जोरदार तेजी के साथ बंद हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज के नेतृत्व में हैवी वेटेज रखने वाली कंपनियों के शेयर में खरीदारी से बाजार को बूस्ट मिला। इससे सेंसेक्स 1005.84 या 1.27% चढ़कर 80,218.37 पर बंद हुआ। निफ्टी-50 भी जोरदार तेजी के साथ 289 अंक या 1.20% बढ़कर 24,328.50 पर क्लोज हुआ।
वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता के बीच भारत सहित दुनिया भर के देश अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। जबकि निवेशक कंपनियों की आय पर टैरिफ के प्रभाव को समझने के लिए मार्च तिमाही के नतीजों का विश्लेषण कर रहे हैं।
घरेलू मोर्चे पर बाजार बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस और ट्रेंट जैसी कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजों पर टिकी हुई है। साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से नए सिरे से खरीदारी की दिलचस्पी भी देखने को मिल सकती है। पिछले नौ कारोबारी सत्रों में उन्होंने ₹34,941 करोड़ मूल्य के घरेलू शेयर खरीदे हैं।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वॉल स्ट्रीट इंडेक्सिस ने उतार-चढ़ाव भरे सेशन को सकारात्मक नोट पर समाप्त किया। एसएंडपी 500 में 0.06 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 5,528.75 पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट में 0.1 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 17,366.13 पर बंद हुआ। डॉव जोन्स 0.28 प्रतिशत की बढ़त के साथ 40,227.59 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 से जुड़े फ्यूचर्स 0.08 प्रतिशत चढ़े। जबकि नैस्डैक 100 वायदा 0.11 प्रतिशत और डॉव जोन्स फ्यूचर्स 0.05 प्रतिशत चढ़ा।
एशियाई बाजारों में आज बढ़त देखने को मिल रही है। ऑस्ट्रेलिया के एसएंडपी/एएसएक्स 200 में 0.56 प्रतिशत की बढ़त रही तथा दक्षिण कोरिया के कोस्पी में 0.27 प्रतिशत की बढ़त रही। जापानी बाजार सार्वजनिक अवकाश के कारण बंद है।
इन कंपनियों के Q4 नतीजों पर आज रहेगा फोकस
ओबेरॉय रियल्टी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, गो डिजिट, अदानी टोटल गैस, एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस, अल्ट्राटेक सीमेंट, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, कैस्ट्रॉल इंडिया, निप्पॉन लाइफ एएमसी, आरपीजी लाइफ साइंसेज, फिनो पेमेंट्स बैंक, केफिन टेक्नोलॉजीज, फर्स्टसोर्स सॉल्यूशंस, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस और ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज।
Akshaya Tritiya 2025: 200% महंगे हुए सोने के बाद भी नहीं टूटा खरीदारों का जोश
29 Apr, 2025 02:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
निवेशकों के पोर्टफोलियो में सोना पिछले एक साल में खूब चमका है। 10 मई 2024 से अब तक सोने ने 30% से ज्यादा का रिटर्न दिया है। अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) नजदीक आने के साथ ही इस बेशकीमती पीली धातु का आकर्षण और भी मजबूत बना हुआ है। हालांकि ऊंची कीमतों के चलते ग्राहकों के रुझान में बदलाव देखा जा रहा है।
सोने के भाव ने बनाया रिकॉर्ड
22 अप्रैल 2025 को सोने की कीमत पहली बार 10 ग्राम के लिए ₹1 लाख के पार चली गई, जिसका मुख्य कारण वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और महंगाई का लगातार बना हुआ दबाव रहा। 24 अप्रैल 2025 तक प्रमुख रिटेलर्स पर 22 कैरेट सोने की कीमतें इस प्रकार रहीं:
मालाबार गोल्ड: ₹7,945 प्रति ग्राम
जोयालुक्कास: ₹7,945 प्रति ग्राम
कल्याण ज्वेलर्स: ₹7,945 प्रति ग्राम
तनिष्क: ₹7,990 प्रति ग्राम
इन्वेस्टमेंट प्लेटफॉर्म वेंचुरा (Ventura) के अनुसार, इस तेजी ने पिछले अक्षय तृतीया (2024) के मुकाबले सोने की कीमतों में 30% की वृद्धि दर्ज की है। पिछले अक्षय तृतीया पर सोने का भाव ₹73,240 प्रति 10 ग्राम था। वहीं, 2019 की तुलना में कीमतों में लगभग 200% की बढ़ोतरी हुई है। 2019 में सोना ₹31,729 प्रति 10 ग्राम पर उपलब्ध था।
सोने की बिक्री वॉल्यूम में गिरावट की आशंका
वेंचुरा की रिपोर्ट के अनुसार, “भौगोलिक रूप से देखा जाए तो अक्षय तृतीया पर भारत में सोने की खपत का सबसे बड़ा हिस्सा दक्षिण भारत से आता है, जो कुल मांग में 40% का योगदान देता है। इसके बाद पश्चिम भारत का 25%, पूर्व भारत का 20% और उत्तर भारत का 10% योगदान रहता है। उत्तर भारत के उपभोक्ता आमतौर पर धनतेरस के मौके पर सोने की खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सोने की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों के चलते इस अक्षय तृतीया पर सोने की बिक्री वॉल्यूम में गिरावट आ सकती है। हालांकि कुल रेवेन्यू पिछले साल के समान स्तर पर रहने की उम्मीद है।”
ग्राहकों का बदल रहा व्यवहार
सोने की ऊंची कीमतों का असर ग्राहकों की खरीदारी आदतों पर साफ दिख रहा है। मई, जून और जुलाई में होने वाली शादियों के लिए कई परिवार अब भारी गहनों की बजाय हल्के गहनों का विकल्प चुन रहे हैं। पहले जहां परंपरागत रूप से 2 सोवरन (सोने के सिक्के) खरीदे जाते थे, अब लोग 1 से 1.5 सोवरन तक की खरीदारी कर रहे हैं। इसके साथ ही 14 कैरेट और 18 कैरेट सोने की मांग भी बढ़ रही है, जो किफायती होने के साथ-साथ टिकाऊ भी माना जाता है।
बदलते रुझान को देखते हुए ज्वेलर्स भी नई रणनीति अपना रहे हैं। वे प्रमोशनल डील, एडवांस बुकिंग और एक्सचेंज स्कीम्स जैसी सुविधाएं पेश कर रहे हैं ताकि ऊंची कीमतों के बावजूद ग्राहकों को आकर्षित किया जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार, ” सोने की रिकॉर्ड हाई कीमतों के कारण अब शादी के मौके पर ग्राहक सोने की बजाय नकद को उपहार के रूप में देना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। साथ ही, वे ज्वेलर्स द्वारा पेश की गई मासिक किस्त योजनाओं के जरिए सोना खरीदने का विकल्प भी अपना रहे हैं। ज्वेलर्स के एक्सचेंज ऑफर्स के जरिए ग्राहक अपने पुराने सोने के गहनों को नए डिजाइन के गहनों में अपग्रेड कर पा रहे हैं। 14 कैरेट और 18 कैरेट शुद्धता के विकल्प अब ग्राहकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं, जो टिकाऊपन और स्टाइल के साथ किफायती भी हैं। इसलिए हल्के गहनों की ओर रुझान बढ़ रहा है। इसके अलावा, स्टडेड ज्वेलरी, नेचुरल डायमंड्स और जेमस्टोन ज्वेलरी में भी ग्राहकों की दिलचस्पी बढ़ती देखी जा रही है।”
इस बीच सोने में निवेश पर भी ग्राहकों का फोकस बढ़ा है। कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद लोग सुरक्षित लॉन्ग टर्म एसेट के रूप में सोने के बिस्किट और सिक्कों में निवेश करना जारी रखे हुए हैं। वहीं, गहनों की खरीदारी अब ज्यादातर जरूरत के आधार पर या त्योहारों पर ही की जा रही है।
अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी की परंपरा
इस साल अक्षय तृतीया 29 अप्रैल की शाम 5:31 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल दोपहर 2:12 बजे तक मनाई जाएगी। यह पर्व सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ा है और इसे अंतहीन समृद्धि और सफलता लाने वाला माना जाता है। अक्षय तृतीया को फाइनेंशियल निर्णय लेने, नए काम शुरू करने और खासतौर पर सोना खरीदने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। खरीदारी और पूजा के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त 30 अप्रैल को सुबह 5:40 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक रहेगा। परंपरागत रूप से, इस दिन सोना खरीदना केवल एक निवेश नहीं, बल्कि धन और सौभाग्य का स्वागत करने का प्रतीकात्मक कार्य माना जाता है।
सोने की ऊंची कीमतों से ब्रिकी घटेगी! रेवेन्यू नहीं
सोने पर शानदार रिटर्न के बावजूद, इस साल रिकॉर्ड हाई कीमतों के चलते सोने की बिक्री की मात्रा पर दबाव पड़ने की संभावना है। उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट्स
का मानना है कि खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के उपभोक्ताओं के बीच खरीदी गई कुल मात्रा में गिरावट देखी जा सकती है, जहां लोग या तो अपनी खरीदारी का आकार छोटा कर सकते हैं या हल्के गहनों और सिक्कों की ओर रुख कर सकते हैं। हालांकि, ज्वेलर्स अब भी आशावादी हैं। एक मुंबई स्थित बुलियन डीलर ने कहा, “भले ही वॉल्यूम थोड़ा घट जाए, लेकिन ऊंची कीमतों के चलते कुल रेवेन्यू पिछले साल के समान स्तर पर रह सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “कई ग्राहक परंपरा निभाने के लिए प्रतीकात्मक रूप से 1 या 2 ग्राम सोने की खरीदारी जरूर करेंगे।”
वैश्विक स्तर पर जारी आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच निवेशक भी अब एक बार फिर से सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिन्होंने पिछले अक्षय तृतीया या उससे पहले सोने में निवेश किया था, उनके लिए यह निवेश वाकई ‘गोल्डन रिटर्न’ लेकर आया है।
रिपोर्ट के अनुसार, “ग्राहक अब सोने की कीमतों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं और 5-8% के प्रीमियम में कमी आने की आशा कर रहे हैं। हालांकि इस त्योहारी मौके पर प्रतीकात्मक खरीदारी जरूर की जाएगी। अक्षय तृतीया के बाद अप्रैल से जुलाई के ऑफ-सीजन में, जब मांग कम होती है तब ज्वेलर्स ग्राहकों को आकर्षित करने और स्टॉक क्लियर करने के लिए डिस्काउंट ऑफर करते हैं। ऐसे में इस समय खरीदारी करने वाले ग्राहकों के लिए सौदेबाजी का अच्छा मौका रहता है, क्योंकि सीजनल डिमांड कम होने से कीमतें भी अपेक्षाकृत नीचे होती हैं।”
सोने में जारी रहेगी तेजी या आएगी गिरावट?
वेंचुरा का मानना है कि अगर भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता है या वैश्विक आर्थिक हालात बिगड़ते हैं, तो सोने की कीमतों में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती भी सोने की कीमतों में तेजी का एक प्रमुख ट्रिगर बन सकती है। वेंचुरा के मुताबिक, अगले अक्षय तृतीया (19 अप्रैल 2026) तक सोने की कीमतें $3,600–$3,700 प्रति औंस या ₹1,01,000–₹1,04,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती हैं। ये अनुमान इस बात को दर्शाते हैं कि अनिश्चितता के दौर में सोना सुरक्षित निवेश विकल्प बना रहता है।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि सोने की कीमतों के बढ़ने का रास्ता बिना जोखिम के नहीं है। अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती को टालता है, केंद्रीय बैंकों की खरीद में सुस्ती आती है या अमेरिका की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करती है, तो सोने की कीमतों में अस्थायी गिरावट आ सकती है। ऐसे हालात में सोना $3,000–$2,900 प्रति औंस या ₹90,000–₹87,000 प्रति 10 ग्राम तक फिसल सकता है।
वेंचुरा रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्तरों से दिसंबर 2025 तक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है और बाजार अस्थिर रहेगा। इस दौरान सोने की कीमतें $2,900 से $3,300 प्रति औंस या ₹86,000 से ₹96,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में रह सकती हैं।
ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स ने FMCG मार्केट को दी नई उड़ान
29 Apr, 2025 01:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एफएमसीजी कंपनियों को शहरी खपत में दबाव का सामना करना पड़ रहा है मगर इस क्षेत्र की कंपनियों की ई-कॉमर्स बिक्री में जोरदार इजाफा हुआ है। झटपट सामान पहुंचाने के कारण ग्राहक न केवल ई-कॉमर्स बल्कि क्विक कॉमर्स से भी रोजमर्रा का सामान ऑनलाइन खरीद रहे हैं।
देश की सबसे बड़ी उपभोक्ता कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में अपनी ई-कॉमर्स बिक्री को15 फीसदी तक पहुंचाना है, जो वर्तमान में कुल बिक्री की लगभग 7 से 8 फीसदी है। कंपनी प्रबंधन ने वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा था कि फिलहाल कंपनी की कुल बिक्री में क्विक कॉमर्स का योगदान एक अंक में है मगर यह तेजी से बढ़ रहा है।
एचयूएल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी रोहित जावा ने कहा, ‘कुल बिक्री में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी करीब 7 से 8 फीसदी है और अगले कुछ साल में यह बढ़कर 15 फीसदी तक हो जाएगा। मुझे लगता है कि केवल क्विक कॉमर्स से यह लक्ष्य हासिल नहीं होगा बल्कि सभी माध्यमों का इसमें योगदान होगा।’ उन्होंने कहा कि कंपनी की कुल आय में क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी 2 फीसदी या इसके ई-कॉमर्स कारोबार का करीब एक-तिहाई है। जावा ने कहा कि यह छोटा हिस्सा है मगर यह तेजी से बढ़ रहा है।
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी सुनील डिसूजा ने हाल ही में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में बिक्री माध्यमों में बदलाव की बात कही थी। उन्होंने कहा, ‘ई-कॉमर्स के साथ ही क्विक कॉमर्स भी है। क्विक कॉमर्स पूरी तरह शहरी है और मेरा मानना है कि ई-कॉमर्स में 50 फीसदी शहरी और 50 फीसदी ग्रामीण है, तो मेरी शहरी वृद्धि 14.5 फीसदी रही है।’ नतीजों के बाद विश्लेषकों से बातचीत में टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के प्रबंधन ने कहा कि उसकी कुल आय में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी 14 फीसदी है और ई-कॉमर्स में क्विक कॉमर्स की हिस्सेदारी करीब आधी है।
2016 में नेस्ले इंडिया की आय में ई-कॉमर्स का योगदान महज 1 फीसदी था जो पिछले साल जून तिमाही के अंत में बढ़कर 7.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 8.5 फीसदी हो गया।
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने कहा, ‘अपने ग्राहकों को सामान की आपूर्ति के लिए हमारे पास ओम्नी चैनल है और इसका मतलब है कि हमारे ब्रांड उन स्थानों और चैनल्स पर उपलब्ध हैं जो ग्राहकों के लिए सबसे सुविधाजनक हैं। ऐसा ही एक चैनल ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स है। वित्त वर्ष 2025 के अंत में घरेलू बिक्री में इस माध्यम का योगदान 8.5 फीसदी रहा।’
ई-कॉमर्स फर्मों का कहना है कि एफएमसीजी कंपनियां कुछ उत्पादों को पहले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ला रही हैं, उसके बाद उन्हें ऑफलाइन ले जा रही हैं। बिगबास्केट के हेड मर्केंडाइजिंग और कैटेगरी मैनेजमेंट सेषु कुमार का कहना है कि कुछ मामलों में एफएमसीजी कंपनियों ने पहले ई-कॉमर्स या क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर उत्पाद लॉन्च किए हैं और फिर उन्हें दूसरे चैनलों पर पेश किया है।
उन्होंने कहा, ‘विशिष्ट उत्पादों के मामले में एफएमसीजी कंपनियां कुछ खास क्षेत्रों को लक्षित करती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई उत्पाद शहर केंद्रित है या उच्च आय वर्ग के लिए है, तो वे उसे ई-कॉमर्स या क्विक कॉमर्स पर लॉन्च करती हैं और फिर वे अन्य श्रेणियों में विस्तार करती हैं।’
कुमार ने कहा कि जब नॉर ने कुछ अंतरराष्ट्रीय फ्लेवर लॉन्च किया था तो उसे पहले ई-कॉमर्स पर उतारा गया था और बाद में अन्य माध्यमों के जरिये उसकी बिक्री की गई थी।
Infosys में छंटनी का दौर जारी, युवा ट्रेनीज सबसे बड़ी चपेट में
29 Apr, 2025 01:43 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की दूसरी सबसे बड़ी IT सर्विस प्रोवाइडर फर्म इन्फोसिस (Infosys) ने आंतरिक मूल्यांकन (इंटरनल असेसमेंट) में विफल रहने वाले 195 और प्रशिक्षुओं को निकाल दिया। कंपनी की ओर से भेजे गए ईमेल में यह जानकारी सामने आई है।
प्रशिक्षुओं को निकालने का यह तीसरा दौर है, जिसमें कंपनी ने उन्हें निकाला है। पहला दौर फरवरी में हुआ था जब कंपनी ने इसी आधार पर 320 प्रशिक्षुओं को निकाल दिया था। दूसरा दौर इस महीने की शुरुआत में हुआ था, जिसमें 240 प्रशिक्षुओं को निकाला गया था।
इन्फोसिस ने चलाया ट्रेनिंग कोर्स
प्रशिक्षुओं को निकालने के दूसरे दौर के दौरान इन्फोसिस ने NIIT और UpGrad के साथ ट्रेनिंग कोर्सेस पेश किए, जिसका भुगतान कंपनी की ओर से किया जा रहा था। अब तक 250 ने UpGrad और NIIT से ट्रेनिंग हासिल किया है। और लगभग 150 ने आउटप्लेसमेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इस दौर से बाहर निकलने का कारण भी वही है, जहां प्रशिक्षु अपने असेसमेंट को पास करने में असमर्थ थे।
कंपनी ने ईमेल में कहा, “आपके फाइनल असेसमेंट अटैम्प्ट के नतीजों के मूल्यांकन के बाद आपको सूचित किया जाता है कि आपने तैयारी के समय, डाउट क्लियरिंग सेशन, कई मॉक आकलन और तीन प्रयासों के बावजूद ‘जेनेरिक फाउंडेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम’ में अर्हता हासिल करने के मानदंडों को पूरा नहीं किया है।”
कंपनी BPM इंडस्ट्री में संभावित रोल के लिए एक महीने का वेतन, आउटप्लेसमेंट सर्विसेज, 12 सप्ताह का ट्रेनिंग प्रोग्राम या IT करियर रूट के लिए आईटी बेसिक सिद्धांतों पर 24 सप्ताह का ट्रेनिंग प्रोग्राम ऑफर कर रही है।
FY2025 में कुल 15,000 ट्रेनीज की नियुक्ति
इन्फोसिस ने FY2025 में कुल 15,000 प्रशिक्षुओं को काम पर रखा। प्रभावित प्रशिक्षुओं को 2022 में काम पर रखा गया था, और अक्टूबर 2024 में उन्हें शामिल किया गया था।
इन्फोसिस की छंटनी ऐसे समय में हुई है जब कंपनी और उद्योग एक अनिश्चित मैक्रो माहौल से गुजर रहे हैं। कंपनी ने FY26 के लिए 0-3 फीसदी के दायरे में रेवेन्यू ग्रोथ का अनुमान लगाया है। कंपनी ने यह भी कहा कि वह FY26 के लिए लगभग 20,000 फ्रेशर्स को काम पर रखेगी।
iPhone 17 पर मंडरा रहा देरी का खतरा, चीन से सप्लाई प्रभावित
29 Apr, 2025 12:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Apple के वेंडर समेत मोबाइल डिवाइस कंपनियों को इस समय चीन से एक गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चीन से iPhone बनाने के लिए आवश्यक मशीनरी के आयात की अनुमति में लगातार हो रही देरी ने चिंता बढ़ा दी है। अगर यह देरी जारी रहती है, तो न केवल अपकमिंग iPhone 17 के लॉन्च पर असर पड़ सकता है, बल्कि भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग को दोगुना करने की Apple की संभावित योजना भी प्रभावित हो सकती है। कंपनी का लक्ष्य था कि भारत से उत्पादन बढ़ाकर अमेरिका में iPhone की मांग को पूरा किया जाए, ताकि चीन पर लगाए गए भारी आयात शुल्क से बचा जा सके।
iPhone 17 के लॉन्च में हो सकती है देरी
चीन से आयात को लेकर मंजूरी में देरी केवल इलेक्ट्रॉनिक्स तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सुरंग निर्माण (tunnel construction) में इस्तेमाल होने वाली ड्रिलिंग मशीनों और सोलर एनर्जी से जुड़ी मशीनों सहित अन्य क्षेत्रों में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब सरकार देशभर में सुरंगों के निर्माण पर आक्रामक रूप से काम कर रही है।
एक बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के टॉप सूत्र ने बताया, “आम तौर पर Apple Inc हर साल एक नया मोबाइल फोन लॉन्च करता है, जबकि बाकी कंपनियां कम से कम दो मॉडल लॉन्च करती हैं। भारत में नए मॉडल असेंबल करने के लिए बड़ी मात्रा में नई आयातित मशीनों को रेट्रोफिट करना पड़ता है। लेकिन इस प्रक्रिया में अब लगातार देरी हो रही है, जो नए मॉडल के लॉन्च को प्रभावित कर सकती है। हमें यह भी आशंका है कि मोबाइल असेंबली के लिए चीन से सेकंडहैंड मशीनरी के आयात— जो कि वहां से भारत में उत्पादन क्षमता शिफ्ट करने का हिस्सा है— पर भी सख्ती बढ़ सकती है।”
भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग दोगुना करने की योजना
सूत्रों के अनुसार, एक प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है जिसके तहत Apple Inc भारत में iPhone उत्पादन क्षमता को दोगुने से भी ज्यादा बढ़ाने की योजना बना रहा है। सामान्य परिस्थितियों में यह उत्पादन 2025-26 तक 26–27 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन कंपनी इसे 12 से 24 महीने पहले ही हासिल करने पर विचार कर रही है।
इस रणनीति से Apple को अमेरिका की पूरी iPhone डिमांड ($40 अरब) की सप्लाई भारत से ही करने में मदद मिल सकती है। वर्तमान में यह सप्लाई चीन से होती है, लेकिन अमेरिका ने चीन से आयातित फोन पर 20% का भारी शुल्क लगाया है जबकि भारत से फिलहाल कोई शुल्क नहीं है। हालांकि, अगले तीन महीने के बाद भारत से निर्यात पर यह शुल्क बढ़कर 10% तक जा सकता है।
जल्द करना होगा मशीनों का आयात
2024-25 में Apple Inc ने भारत से अब तक लगभग ₹1.5 लाख करोड़ के iPhones का निर्यात किया है, जिनमें से करीब 20% अमेरिका को भेजा गया है। हालांकि, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए Apple के वेंडर्स को तेजी से नई उत्पादन क्षमता विकसित करनी होगी और चीन से पूंजीगत मशीनों का आयात करना पड़ेगा। यदि इस आयात में देरी होती है, तो पूरी योजना खतरे में पड़ सकती है। यह बदलाव iPhone के उत्पादन को चीन से भारत की ओर शिफ्ट करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। अनुमान है कि FY26 तक भारत iPhone के वैश्विक उत्पादन मूल्य का 25% हिस्सा अपने यहां तैयार करेगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस बदलाव का विरोध जरूर करेगा।
Apple वेंडर्स बढ़ा रहे उत्पादन क्षमता
इतना ही नहीं, मई का महीना करीब आने के साथ ही Apple के वेंडर्स को iPhone 17 के नए मॉडल के लिए पूंजीगत मशीनें आयात करनी होंगी ताकि उन्हें रेट्रोफिट किया जा सके। साथ ही, देश में तैयार हो रहे कुछ कंपोनेंट्स या मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस में बदलाव के चलते घरेलू सप्लाई चेन के लिए भी नई मशीनों की जरूरत होगी।
अच्छी खबर यह है कि टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स (Tata Electronics) और फॉक्सकॉन (Foxconn) पहले से ही भारत में iPhone निर्माण के लिए नई उत्पादन क्षमता स्थापित करने पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा, देश की घरेलू इंजीनियरिंग कंपनियां भी Apple और उसके वेंडर्स की जरूरतों के मुताबिक पूंजीगत मशीनें तैयार करने के लिए तेजी से काम कर रही हैं, ताकि लोकलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा सके।
सलमान खान ने शोक के समय में व्यक्तिगत शो स्थगित किया, देशवासियों के प्रति सम्मान
29 Apr, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अभिनेता सलमान खान ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए ‘‘दुखद’’ आतंकवादी हमले के बाद उन्होंने ब्रिटेन का अपना आगामी दौरा टाल दिया गया है। सलमान को चार और पांच मई को मैनचेस्टर और लंदन में ‘द बॉलीवुड बिग वन’ कार्यक्रम के तहत माधुरी दीक्षित नेने, टाइगर श्रॉफ, वरुण धवन, कृति सैनन, सारा अली खान, दिशा पटानी, सुनील ग्रोवर और मनीष पॉल के साथ प्रदर्शन करना था।
‘इंस्टाग्राम’ (Instagram) पर एक बयान में, ‘टाइगर 3’ के अभिनेता ने कहा कि उन्होंने और उनकी टीम ने यह निर्णय लिया है कि ‘‘दुख की इस घड़ी में (ऐसे कार्यक्रमों से) कुछ समय का विराम सही है’’। बयान के अनुसार, ‘‘कश्मीर में हाल में हुई दुखद घटनाओं के मद्देनजर और गहरे दुख के साथ हमने कार्यक्रम के प्रमोटर से अनुरोध करने का कठिन निर्णय लिया कि वे मूल रूप से चार और पांच मई को मैनचेस्टर और लंदन में होने वाले ‘द बॉलीवुड बिग वन शो’ को स्थगित कर दें।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘हम समझते हैं कि हमारे प्रशंसक इन प्रदर्शनों का कितना इंतजार कर रहे थे, हमें लगता है कि दुख की इस घड़ी में कुछ समय रुकना ही सही है। इससे हमारे प्रशंसकों को होने वाली किसी भी तरह की निराशा या असुविधा के लिए हम ईमानदारी से खेद जताते हैं और हमारी बात को समझने तथा समर्थन देने की दिल से सराहना करते हैं।’’
बयान में कहा गया है कि कार्यक्रम की नयी तारीखों की घोषणा जल्द की जाएगी। सलमान उन कई फिल्मी हस्तियों में से एक हैं जिन्होंने पिछले सप्ताह पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की थी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे। उन्होंने कहा, ‘‘धरती का स्वर्ग कश्मीर नरक में बदल रहा है। निर्दोष लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। मेरी संवेदना उनके परिवारों के साथ है। एक भी निर्दोष को मारना पूरी कायनात को मारने के बराबर है।’’
इससे पहले, पुलवामा हमले के बाद भी सलमान ने शहीदों के परिवारों की मदद के लिए "भारत के वीर" फंड में योगदान दिया था। उन्होंने अपनी चैरिटी "Being Human Foundation" के माध्यम से शहीदों के परिवारों को 22 लाख रुपये की राशि दान की थी। यह कदम उनके सामाजिक उत्तरदायित्व और देश के प्रति उनके समर्पण को प्रदर्शित करता है।
पाक के प्रोपेगेंडा चैनलों पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक, शोएब अख्तर का यूट्यूब चैनल भी निशाने पर
28 Apr, 2025 06:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई और कई घायल हुए, भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तान के कई यूट्यूब चैनलों पर बैन लगा दिया है।
गृह मंत्रालय की सिफारिश पर की गई इस कार्रवाई में कहा गया है कि ये यूट्यूब चैनल “भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील कंटेंट” फैला रहे थे और “भारत, भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों को निशाना बनाते हुए भ्रामक नैरेटिव” चला रहे थे।
किन चैनलों पर लगा बैन?
बैन के तहत भारत में जिन पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों को ब्लॉक किया गया है, उनमें कई बड़े न्यूज चैनल और व्यक्तिगत क्रिएटर्स शामिल हैं। जिन चैनलों पर पाबंदी लगी है उनमें डॉन न्यूज (Dawn News), समा टीवी (Samaa TV), एआरवाई न्यूज (ARY News), बोल न्यूज (Bol News), रफ्तार (Raftar), जियो न्यूज (Geo News), सुनो न्यूज (Suno News) और द पाकिस्तान एक्सपीरियंस (The Pakistan Experience) शामिल हैं।
इसके अलावा, कई लोकप्रिय कंटेंट क्रिएटर्स के चैनल भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं। इनमें वसी हबीब, अरजू काज़मी, सैयद मुज़म्मिल शाह, पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर और पत्रकार इरशाद भट्टी, असमा शिराज़ी, उमर चीमा और मुनीब फारूक जैसे नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि इन चैनलों के दर्शकों में बड़ी संख्या भारतीय यूजर्स की थी।
अब जब भारतीय दर्शक इन चैनलों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं, तो यूट्यूब पर उन्हें एक संदेश दिखाई देता है:“यह सामग्री राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित सरकार के आदेश के कारण इस देश में उपलब्ध नहीं है। सरकार की ओर से हटाए गए कंटेंट के बारे में अधिक जानकारी के लिए गूगल ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट देखें।”
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपनी जांच तेज कर दी है। वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में एनआईए की टीमें 23 अप्रैल से घटनास्थल पर तैनात हैं और मौके पर मौजूद चश्मदीदों से पूछताछ कर महत्वपूर्ण सबूत जुटा रही हैं।
इस हमले के बाद भारतीय सेना ने भी सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है। घाटी में आतंकियों के खिलाफ कई तलाशी अभियानों को अंजाम दिया जा रहा है। इसके साथ ही आतंकियों से जुड़े कई ठिकानों और घरों को ध्वस्त किया गया है।
इस बीच, भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के मद्देनज़र कई यूट्यूब चैनलों को भारतीय दर्शकों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इनमें वसय हबीब, अरजू काज़मी, सैयद मुज़म्मिल शाह, क्रिकेटर शोएब अख्तर और पत्रकार इर्शाद भट्टी, असमा शिराज़ी, उमर चीमा और मुनीब फारूक जैसे लोकप्रिय कंटेंट क्रिएटर्स के चैनल शामिल हैं। इन चैनलों का बड़ा दर्शक वर्ग भारतीय था।
MSP से ऊपर पहुंचा चना, किसानों और व्यापारियों के चेहरे खिले
28 Apr, 2025 06:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चना की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है और इसके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के ऊपर कारोबार कर रहे हैं। चना के भाव बढ़ने की वजह निचले भाव पर इसकी खरीद बढ़ना है। सीजन की शुरुआत में चना का उत्पादन बढ़ने के अनुमान से इसके भाव तेजी से गिरकर एमएसपी से नीचे चले गए थे। बाजार जानकारों के अनुसार चना के भाव में आगे तेजी की संभावना है।
कितना महंगा हुआ चना?
इस समय दिल्ली में चना के भाव 5,750 से 5,800 रुपये चल रहे हैं। महीने भर में इसके भाव में 150 रुपये की तेजी आ चुकी है। पिछले महीने इसके भाव गिरकर एमएसपी से नीचे 5,450-5,500 रुपये तक चले गए थे। चना का एमएसपी 5,650 रुपये प्रति क्विंटल है। महाराष्ट्र की अकोला मंडी चना की अहम मंडी है। इस मंडी में चना 6,025-6,050 रुपये बिक रहा है। महीने भर पहले यह 5,800-5,825 रुपये क्विंटल रहा था। इस तरह इस मंडी में चना के भाव 225 रुपये क्विंटल चढ़ चुके हैं।
चना क्यों हो रहा है महंगा?
कमोडिटी एक्सपर्ट और एग्रोकॉर्प इंटरनेशनल में रिसर्च हेड इंद्रजीत पॉल ने बताया कि नई फसल की आवक के समय चना के दाम काफी गिर गए थे। भाव एमएसपी से नीचे जाने के बाद इसकी मांग बढ़ने लगी। जिससे अब चना के भाव बढ़कर एमएसपी से ऊपर चल रहे हैं। सरकारी नीतियों से भी चना की कीमतों में तेजी को समर्थन मिला। केंद्र सरकार ने पिछले महीने चना के आयात पर 10 फीसदी शुल्क लगा दिया था। साथ ही शुल्क मुक्त पीली मटर के आयात की अवधि में समाप्त हो चुकी है। इन कारणों से भी चना की कीमतों में तेजी को बल मिला।
आगे क्या रहने वाले हैं चना के भाव?
बाजार जानकारों के अनुसार आगे चना की कीमतों में तेजी का रुख देखने को मिल सकता है। पॉल ने कहा कि अगले महीने तक चना के भाव 200 रुपये प्रति क्विंटल चढ़ सकते हैं क्योंकि चना का स्टॉक कम है। इसलिए स्टॉकिस्ट इसकी खरीद बढ़ा सकते हैं। India Pulses and Grains Association (IPGA) के मुताबिक महीने भर में चना महंगा हुआ है। हालांकि सप्ताह भर में चना की कीमतों में हल्की गिरावट देखने को मिली है। लेकिन आगे चना की कीमतों में तेजी आ सकती है क्योंकि किसानों ने अब चना की बिक्री धीमी कर दी है। इसके साथ ही मिलर भी आवश्यकता के अनुसार इसकी खरीद कर रहे हैं। हालांकि सस्ती पीली मटर की उपलब्धता के बीच चना की कीमतों में तेजी सीमित रह सकती है।
अमेरिका में उत्पादन बढ़ाएगी सिप्ला, ग्लेनमार्क – भारतीय फार्मा कंपनियों का वैश्विक विस्तार
28 Apr, 2025 06:19 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रमुख औषधि कंपनी सिप्ला लिमिटेड और ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स अमेरिका में अपना विनिर्माण दायरा बढ़ाने के लिए तैयार हैं। इससे उन्हें शुल्क व्यवस्था में बदलाव के कारण पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। दोनों कंपनियों की कुल आय में अमेरिकी बाजार का योगदान करीब एक चौथाई है।
सिप्ला अमेरिका में सक्रिय तौर पर अपने कारोबार का विस्तार कर रही है। अमेरिका विशेष रूप से श्वसन एवं कैंसर की जेनेरिक दवाओं का एक प्रमुख वैश्विक बाजार है। उन्होंने कहा कि फिलहाल अमेरिका में कंपनी मैसाचुसेट्स और न्यूयॉर्क में चार विनिर्माण कारखानों के साथ अपना परिचालन करती है। ये कारखाने श्वसन संबंधी उत्पादों, ओरल थेरेपी सैशे टैबलेट एवं कैप्सूल के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। कंपनी का मानना है कि जटिल जेनेरिक और पेप्टाइड आधारित दवा ऐसे दो क्षेत्र हैं जहां उसे लंबी अवधि की रणनीतिक वृद्धि हासिल हो सकती है।
इस बीच, ग्लेनमार्क ने उम्मीद जताई है कि नॉर्थ कैरोलाइना के मोनरो में उसकी इंजेक्टेबल्स इकाई का परिचालन वित्त वर्ष 2026 में सुचारु हो जाएगा। कंपनी उसमें विस्तार करने के लिए भी तैयार है। इस कारखाने को अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएएफडीए के निरीक्षण के बाद 2023 में एक चेतावनी पत्र मिला था।
ग्लेनमार्क के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सलदाना ने कहा कि कंपनी को मोनरो कारखाने से काफी फायदा हो रहा है। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हालांकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका में माहौल कैसा रहेगा, लेकिन हमें मोनरो कारखाने में और विस्तार करने से खुशी होगी।’मोनरो करखाने में इंजेक्टेबल दवाओं का उत्पादन होता है। इंजेक्टेबल श्रेणी में अमेरिका को दवाओं की किल्लत से जूझना पड़ता है। ऐसे में इस कारखाने से कंपनी की स्थिति मजबूत होती है। सलदान्हा ने कहा, ‘जाहिर तौर पर इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को मदद मिल सकती है और यह मेक इन अमेरिका की मौजूदा रणनीति के बिलकुल अनुरूप हो सकता है।’
भारत एवं अन्य जगहों से आयातित दवाओं पर शुल्क बढ़ने की आशंका के मद्देनजर स्थानीय स्तर पर दमदार मौजूदगी काफी महत्त्वपूर्ण हो गई है। सिप्ला की योजना से अवगत एक व्यक्ति ने कहा, ‘कंपनी की आय में अमेरिका का योगदान पहले से ही काफी है और हम उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ वर्षों में उसकी हिस्सेदारी लगातार बढ़ेगी।’
Ather Energy जल्द लाएगी IPO, निवेशकों की बढ़ी उत्सुकता
28 Apr, 2025 05:55 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोमवार को आवेदन के लिए तैयार इलेक्ट्रिक स्कूटर निर्माता एथर एनर्जी भारत के बेहद प्रतिस्पर्धी और कीमत-संवेदी इलेक्ट्रिक दोपहिया (ई2डब्ल्यू) बाजार में प्रतिस्पर्धियों से मुकाबला करने की रणनीति बना रही है। जब एथर के मुख्य व्यापार अधिकारी रवनीत फोकेला से यह पूछा गया कि ओला इलेक्ट्रिक, बजाज, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर जैसी प्रमुख कंपनियों से मुकाबला करने के लिए एथर की क्या योजना है तो उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में कंपनी के मजबूत प्रदर्शन से उसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता का पता चलता है।
उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘हम आश्वस्त हैं क्योंकि हमने साबित कर दिया है कि हम प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और नवाचार को बनाए रखते हुए कड़ा मुकाबला कर सकते हैं।’उन्होंने कहा कि बाजार में गंभीर चुनौतियां थीं जिनमें वितरण में तेजी, भारी छूट और प्रतिस्पर्धियों का आक्रामक मूल्य निर्धारण शामिल था।
वाहन के आंकड़ों से पता चलता है कि इन दबाव के बावजूद एथर एनर्जी ने पिछले 12 महीने में अपनी राष्ट्रीय बाजार भागीदारी 9 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर ली है। महाराष्ट्र और गुजरात में कंपनी तेजी से आगे बढ़ी है। दक्षिण भारत में एथर पहले से ही मजबूत स्थिति में थी। लेकिन अब उसकी मौजूदगी और बढ़ गई है। इससे इस क्षेत्र में वह बाजार दिग्गज बन गई है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के पूर्व छात्र तरुण मेहता और स्वप्निल जैन द्वारा वर्ष 2013 में स्थापित एथर ने हाल में कुल बिक्री में 200,000 वाहनों का आंकड़ा पार किया है। एथर एनर्जी ने अपने आईपीओ के लिए 304-321 रुपये प्रति शेयर का कीमत दायरा तय किया है।
कंपनी के आईपीओ का मूल्यांकन करीब 12,000 करोड़ रुपये है। यह पिछले 14,000 करोड़ रुपये के अनुमान से कम है। कंपनी ने शुक्रवार को एंकर निवेशकों से 1,340 करोड़ रुपये जुटाए। आईपीओ में 2,626 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू और मौजूदा निवेशकों द्वारा 1.1 करोड़ इक्विटी शेयरों का ओएफएस शामिल होगा।
लंगड़ा, चौसा और दशहरी आम होंगे इंटरनेशनल ब्रांड, यूपी सरकार की बड़ी पहल
28 Apr, 2025 05:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैश्विक उथल-पुथल, निर्यात की कठिनाइयों के बीच उत्तर प्रदेश का मशहूर दशहरी आम इस बार पहले से भी ज्यादा देशी-विदेशी शौकीन तक पहुंचने के लिए तैयार है। जहां इस बार बीते सालों के मुकाबले अच्छी फसल की उम्मीद की जा रही है वहीं दशहरी को बाजारों तक बेहतर हालात में पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का भी रंग दिखाई देगी।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार न केवल दशहरी बल्कि लंगड़ा और चौसा आमों की क्वालिटी को बेहतर बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करेगी। आमों को रोगरहित और प्राकृतिक रूप से आकर्षक बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़े पैमाने बागवानों को कागज के बैग बांटने शुरु किए हैं। पेपर बैगिंग से आम न केवल रोगों से बच सकेंगे बल्कि उनकी क्वालिटी भी बेहतर रहेगी। फल पट्टी क्षेत्र काकोरी-मलिहाबाद सहित प्रदेश के 13 जिलों में सरकार करीब 50 लाख से ज्यादा कागज के बैग बांटने जा रही है। उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पेपर बैगिंग से आमों को और आकर्षक बनाने में मदद मिलती है और उन पर मौसम की मार उस तरह से नहीं पड़ती है।
उद्यान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल प्रदेश से 567.62 टन आम का निर्यात किया गया था। इस बार 1,000 टन से अधिक निर्यात की उम्मीद है। पिछले साल प्रमुख रूप से नेपाल, यूएई, कतर एवं अन्य खाड़ी देशों के साथ रूस को आम भेजा गया था। इसके अलावा मुंबई व दिल्ली के कुछ एजेंटों के जरिये दशहरी आम अमेरिका व यूरोप में भी गया था। इस बार इन देशों के अतिरिक्त कोरिया, जापान और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से भी दशहरी के ऑर्डर मिले हैं। कारोबारियों का कहना है कि अमेरिका के साथ आयात शुल्क के संकट व कीमतों पर चली खींचतान के कारण वहां से सीधे बहुत कम ऑर्डर हैं। हालांकि इसके उलट यूरोप के कई नए देशों से ऑर्डर आ रहे हैं।
अगले महीने से चलेगी मैंगो एक्सप्रेस
अब उत्तर प्रदेश में विदेशों को निर्यात के लिए जाने वाले आमों के डॉट वेपर ट्रींटमेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अमेरिका, यूरोप सहित कई देशों को निर्यात किए जाने वाले आमों को कीटनाशक रहित, बेहतर शेल्फ लाइफ वाला बनाने के लिए इस ट्रीटमेंट की जरुरत होती है। उत्तर प्रदेश से खासकर दशहरी आमों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भेजने से पहले उन्हें हॉट वेपर ट्रीटमेंट के लिए हैदराबाद, बेंगलूरु व मुंबई भेजा जाता है। पिछले साल से ही बागवानों की सुविधा के लिए प्रदेश सरकार के अनुरोध पर रेल मंत्रालय ने विशेष वैगनों की व्यवस्था करते हुए मौंगो एक्सप्रेस का संचालन शुरू किया था। इस बार मैंगो एक्सप्रेस मई, जून व जुलाई में चलेगी। लखनऊ की मंडलायुक्त डॉ रौशन जैकब ने इन तीनों महीनों में रेल वैगन व कोल्ड वैगन मुंबई, बेंगलूरु व हैदराबाद के लिए लगातार एक दिन के अंतर पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा आम निर्यातकों को हवाई जहाज से माल भेजने की दशा में सभी सुविधाएं एयरपोर्ट कार्गो पर उपलब्ध कराई जाएंगी। औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डॉट वेपर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए निवेश प्रस्ताव भी आए हैं और जल्दी ही उत्तर प्रदेश में ही इसकी सुविधा निर्यातकों को मिलने लगेगी।
ऊंचे ही रहेंगे आम के दाम
बीते दो सालों के मुकाबले इस बार उत्तर प्रदेश में आम की अच्छी फसल की उम्मीद है। इस बार सर्दियों में पाला और कोहरा कम पड़ने की वजह से फल-पट्टी क्षेत्र काकोरी मलिहाबाद से लेकर सीतापुर, हरदोई व उन्नाव तक में फैले दशहरी के बागों में 80 फीसदी तक बौर आए और उसमें भी 75 फीसदी फसल बच गई है। बीते सालों के मुकाबले इस बार आम की फसल पर कीटों का प्रकोप भी नहीं दिख रहा है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) के विशेषज्ञों की भी कहना है कि बीते साल से इस बार फसल अच्छी है और उसकी क्वालिटी भी कमजोर नहीं है। बागवान शिवशरण सिंह का कहना है कि सर्दी के पूरे सीजन में एक समान मौसम रहा है, जिससे आम का बौर खराब नहीं हुआ है। इससे पेड़ों पर फल अच्छे आए हैं। कीमतों को लेकर कारोबारियों का कहना है कि पैदावारअधिक होने के बाद भी यह कम नहीं रहेगी। इसका एक बड़ा कारण बाहरी मांग में आई तेजी है। मलिहाबाद के आम कारोबारी शबीहुल हसन बताते हैं कि जिन दामों पर बाग बिके हैं उसे देख कर लगता नहीं कि आम की कीमत पिछले सालों के मुकाबले कहीं से भी कम रहेगी। वो कहते हैं कि अच्छी क्वालिटी के दशहरी की कीमत इस बार 40-50 रुपये से लेकर 60-80 रुपये किलो तक जाएगी। हालांकि जून के आखिर और जुलाई तक इसमें कुछ कमी आएगी पर दामों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हुआ जा सकता है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग, बेहतर शेल्फ लाइफ से लाभ
पेपर बैगिंग और हॉट वेपर ट्रीटमेंट के साथ ही मलिहाबाद के मैंगो पैक हाउस की उम्दा पैकिंग ने न केवल दशहरी की क्वालिटी को बेहतर बनाया बल्कि उसकी शेल्फ लाइफ भी बढ़ी है। शबीहुल हलन बताते हैं कि शेल्फ लाइफ कम होना एक बड़ी वजह थी जिसके चलते दशहरी विदेशी बाजारों में कम ही पहुंच पाती थी।
दुबई, शरजाह व जेद्दा की फ्लाइट सीधे लखनऊ से शुरू होने के बाद हालात बदले पर फिर भी जल्दी खराब होने वाली वैराइटी के चलते निर्यात उतना नहीं होता था जितना हापुस, बेगमपल्ली या अन्य आम। हसन का कहना है कि अब मैंगो पैक हाउस के प्रयासों से व पेपर बैगिंग व हॉट वेपर ट्रीटमेंट ने न केवल क्वालिटी में सुधार किया है बल्कि दशहरी अब 15 से 20 दिनों तक भी टिकने लगा है। इन सबके चलते विदेशी ही नहीं बल्कि देशी बाजार में भी मांग बढ़ी है।
आम कारोबारी हकीम त्रिवेदी ऑनलाइन ट्रेडिंग को भी मांग में तेजी का एक बड़ा कारण मानते हैं। उनका कहना है कि कई ऑनलाइन प्लेटफार्म जहां फल, सब्जी व अनाज बिकते हैं उन पर दशहरी उपलब्ध है। सभी बड़े ऑनलाइन प्लेट फार्म पर आसानी से दशहरी उपलब्ध है। इसके अलावा कई उत्साही युवाओं ने स्थानीय स्तर पर दशहरी की ऑनलाइन डिलिवरी शुरू की है जिसे शानदार रिस्पांस मिल रहा है। हकीम कहते हैं कि ऑनलाइन बाजार ने कई स्थानीय उत्पादकों को आढ़तियों के चंगुल से मुक्ति भी दिलाई है। हालांकि अभी तादाद कम पर उनका कहना है कि आने वाले दिनों में ऑनलाइन बिक्री बागवानों को बेहतर कीमत भी दिलवाएगी और विचौलियों से राहत भी।
पाकिस्तान के हवाई मार्ग का संकट
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के कड़े कदम और उस पर प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के द्वारा अपने एयरस्पेस को भारत के लिएबंद करने का भी असर आम के निर्यात पर पड़ना तय है। स्थानीय कारोबारियों का कहना है कि अब कार्गो को लंबे रास्ते को तय करना होगा जिससे न केवल समय लगेगा बल्कि किराया भी अधिक लगेगा। उनका कहना है कि पिछली बार 2019 में इसी तरह की स्थिति आई थी तो भी नुकसान हुआ था।
कारोबारी वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि किराया उस समय बढ़ने जा रहा है अब ऑर्डर लग चुके हैं और डिलिवरी देनी है। इस समय निर्यातक अधिक कीमत की मांग भी नहीं कर सकते हैं और नुकसान उन्हें ही उठाना होगा। उनका कहना है कि इससे पहले मार्च के आखिरी में अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डर पर ऊंचे टैरिफ का हवाला देकर कीमत घटाने की मांग सामने आई थी। हालांकि वो संकट तो तीन महीने के लिए टल गया पर कई लोगों ने पड़ता नहीं बैठने के चलते निर्यात के ऑर्डर नहीं लिए थे।
अंतरिक्ष क्षेत्र में क्रांति: निजी कंपनियों को सैटेलाइट-बस निर्माण की मंजूरी
28 Apr, 2025 05:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में सैटेलाइट-बस प्लेटफॉर्म डिजाइन और विकसित करने के लिए निजी कंपनियों के लिए रास्ता खोला जा रहा है। इससे आयात पर निर्भरता कम करने में खासी मदद मिलेगी। अंतरिक्ष नियामक इंडियन नैशनल स्पेस प्रमोशन ऐंड ऑथराइजेशन सेंटर (इन-स्पेस) ने अपने एक बयान में कहा कि सैटेलाइट बस एज ए सर्विस नाम से शुरू की गई नई पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों को होस्टेड पेलोड ऐप के लिए छोटे सैटेलाइट बस प्लेटफॉर्म डिजाइन और विकसित करने में मदद करना है।
इस कार्यक्रम के तहत इन-स्पेस दो चरणों में सैटेलाइट बस प्लेटफॉर्म के निर्माण के लिए कंपनियों को सहयोग देगा। पहले चरण में एक मॉड्यूलर, मल्टी-मिशन सैटेलाइट बस सिस्टम विकसित करने के लिए उनकी तकनीकी क्षमताओं के आधार पर चार भारतीय गैर-सरकारी संस्थाओं को चयनित किया जाएगा। दूसरे चरण में प्लेटफॉर्म की उपयोगिता को प्रदर्शित करने के लिए दो होस्टेड पेलोड मिशन तक संबंधित कंपनियों की मदद की जाएगी।
इस पहल के माध्यम से इन-स्पेस कई पेलोड लांच करने में सक्षम छोटे सैटेलाइट बस सिस्टम के डिजाइन, विकास और निर्माण करने के लिए पात्र एजेंसियों से आवेदन आमंत्रित करता है। सरकार के बयान पर टिप्पणी करते हुए इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा, ‘सैटेलाइट बस एज ए सर्विस पहल देश के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम है। इस क्षेत्र में गैर-सरकारी कंपनियों के लिए दरवाजे खोलकर हम नवाचार को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने पर जोर दे रहे हैं। इससे हम सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के साथ मिलकर देश को छोटे सैटेलाइट बस और होस्ट किए गए पेलोड सेवाओं का वैश्विक सेवा प्रदाता बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।’
सरकार चाहती है कि इसके जरिए फ्लाइट प्लेटफॉर्म तक पहुंच आसान होने के साथ-साथ कक्षा में लगने वाला समय भी कम किया जाए तथा पेलोड डेवलपर इन-ऑर्बिट प्रदर्शन करने में सक्षम हों। इन-स्पेस में तकनीकी निदेशालय के निदेशक राजीव ज्योति ने कहा, ‘ सैटेलाइट बस एज ए सर्विस को पेलोड डेवलपर और सैटेलाइट प्लेटफॉर्म के बीच की खाई को पाटने के लिए डिजाइन किया गया है। एक मानकीकृत, मॉड्यूलर बस प्लेटफॉर्म प्रदान कर हम विविध पेलोड के इन-ऑर्बिट सत्यापन के लिए एक किफायती समाधान प्रदान करते हैं। इस पहल से उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास चक्र को गति मिलेगी और अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़ी हर तरह की सुविधा देने में देश की क्षमता बढ़ेगी।’
निजी कंपनियों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने और इससे जुड़ी गतिविधियों में भागीदारी सुनिश्चित करने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद जून 2020 में इन-स्पेस का गठन किया गया था। इन-स्पेस अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी कंपनियों के की विभिन्न अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने, उन्हें इस क्षेत्र में सक्षम बनाने, अधिकृत करने और पर्यवेक्षण करने जैसे तमाम मुद्दों के समाधान के लिए एकल-खिड़की, स्वतंत्र और नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। यह अंतरिक्ष विभाग में स्वायत्त एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
ग्राहकों के लिए खास ऑफर्स लेकर आई मारुति सुजुकी
27 Apr, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। चालू महीने में मारुति सुजुकी ने अपनी बलेनो कार पर ग्राहकों के लिए खास ऑफर्स लेकर आई है। बलेनो, हयूदै आई20, टाटा अल्ट्राज और टोयोटा ग्लाझा जैसी कारों से प्रतिस्पर्धा करती है और लंबे समय से इस श्रेणी में सबसे ज्यादा बिकने वाली कार रही है। बलेनो की कीमत रुपए 6,70,000 से रुपए 9,92,000 (एक्स-शो रुम) तक है और इस पर कुल रुपए 57,100 तक के ऑफर्स उपलब्ध हैं। इनमें रिगल किट रुपए 42,280 और अतिरिक्त रुपए 27,100 के ऑफर्स शामिल हैं। मारुति ने एफवाय25 में बलेनो की 1,67,161 यूनिट्स बेचीं, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष (एफवाय24) में यह आंकड़ा 1,95,607 यूनिट्स था। हालांकि, हाल ही में लॉन्च हुई बलेनो पर आधारित मारुति सुजुकी फ्रॉन्स ने कुछ हद तक बलेनो की बिक्री को प्रभावित किया है। इन दोनों कारों में समान पावरट्रेन और इंटीरियर्स का इस्तेमाल किया गया है।
बलेनो में 1.2-लीटर ड्यूल-जेट ड्यूल-वीवीटी पेट्रोल इंजन है, जो 89.73 पीएस की पावर और 113एनएम का टॉर्क उत्पन्न करता है। इसके अलावा, इसमें 5-स्पीड मैन्युअल और 5-स्पीड एएमटी ट्रांसमिशन के विकल्प भी हैं। बलेनो का सीएनजी विकल्प भी उपलब्ध है, जो 77.5पीएस और 98.5 एनएम के साथ आता है।
व्हाटसऐप का नया फीचर एडवांस्ड चैट प्राइवेसी लॉन्च
27 Apr, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। प्राइवेसी सेटिंग्स को और मजबूत करते हुए व्हाटसऐप ने एक नया फीचर एडवांस्ड चैट प्राइवेसी लॉन्च किया है। यह नया अपडेट पर्सनल और ग्रुप चैट दोनों पर लागू होगा। यह फीचर खासतौर पर यूजर्स की निजी बातचीत की सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए लाया गया है।
यूजर को यह फीचर भरोसा देगा कि उनकी बातचीत ऐप के अंदर ही पूरी तरह सुरक्षित रहे। व्हाटसऐप ने स्पष्ट किया है कि उनकी प्राइवेसी की नींव अब भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर टिकी है, जो पहले से ही यह सुनिश्चित करता है कि मैसेज और कॉल्स केवल भेजने और प्राप्त करने वाले ही देख या सुन सकें। लेकिन अब ‘एडवांस्ड चैट प्राइवेसी’ फीचर इस सुरक्षा लेयर को और मजबूत करता है। इस फीचर को ऑन करने के बाद चैट्स को एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकेगा और मीडिया फाइल्स ऑटोमैटिक डाउनलोड नहीं होंगी। यह फीचर उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा जो अपनी प्राइवेट बातचीत को और भी ज्यादा सुरक्षित रखना चाहते हैं।
यह नया फीचर व्हाटसऐप के लेटेस्ट वर्जन के साथ सभी यूजर्स के लिए धीरे-धीरे जारी किया जा रहा है। जिन यूजर्स को अभी यह सेटिंग नहीं दिख रही है, वे गूगल प्ले स्टोर या एप्पल एप्प स्टोर से व्हाटसऐप को अपडेट कर सकते हैं और इस नए प्राइवेसी फीचर का लाभ उठा सकते हैं। व्हाटसऐप का कहना है कि इस फीचर से यूजर्स को यह यकीन मिलेगा कि उनकी चैटिंग की दुनिया पूरी तरह से ऐप तक ही सीमित है और किसी भी बाहरी माध्यम में उसकी कोई झलक नहीं जाएगी।