राजनीति
सामना के लेख में कहा गया : मोदी-भागवत को खुद औरंगजेब की कब्र को खोदना चाहिए
20 Mar, 2025 10:54 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नागपुर । नागपुर हिंसा को लेकर शिवसेना (उद्धव गुट) के मुखपत्र सामना ने भाजपा और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा गया है। सामना के लेख में कहा गया है भाजपा के पेट में नया शिवाजी पल रहा है। इसकारण वे छत्रपति शिवाजी के इतिहास को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। सामना ने लिखा कि लोकसभा में भाजपा के ओडिशा से सांसद प्रदीप पुरोहित ने कहा था, हमारे शिवाजी मोदी हैं। मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी थे। अब भाजपा ने अपने नए शिवाजी को जन्म दिया है और इसके लिए मूल शिवाजी को खत्म करने की कोशिश हो रही है। फिर छत्रपति शिवाजी महाराज को खत्म करना है तब पहले औरंगजेब की कब्र को ध्वस्त करना होगा। मतलब इतिहास अपने आप नष्ट हो जाएगा।
सामना ने लिखा कि नागपुर का 300 साल पुराना इतिहास है और वहां कभी दंगे नहीं हुए, लेकिन अब शहर को हिंसा की आग में झोंक दिया गया है। सामना ने पूछा है कि जब फडणवीस खुद गृह मंत्रालय संभाल रहे हैं, तब फिर दंगाइयों को शहर में घुसने और आगजनी करने की परमिशन कैसे मिली? दरअसल फडणवीस सिर्फ भाषण देने में व्यस्त हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे। अगर दंगाई बाहरी थे, तब गृह विभाग और सुरक्षा एजेंसियां क्या कर रही थीं?
सामना के लेख में कहा गया हैं कि महाराष्ट्र में औरंगजेब का महिमामंडन कोई नहीं करेगा। यहां केवल छत्रपति शिवाजी महाराज की ही जय-जयकार होगी। ‘छावा’ फिल्म के प्रदर्शन के बाद से संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों और भाजपा के नवहिंदुत्ववादी तत्वों ने औरंगजेब की कब्र के खिलाफ राजनीतिक रौद्र रूप दिखाकर महाराष्ट्र का माहौल खराब कर दिया।
सामना के लेख में कहा गया कि मोदी-भागवत को खुद औरंगजेब की कब्र को खोदना चाहिए केंद्र में मोदी और महाराष्ट्र में फडणवीस हैं। दोनों भाजपा के ही है। इसलिए खुद मोदी, फडणवीस, मोहन भागवत, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार इन पांच लोगों को सरकारी आदेश के तहत औरंगजेब की कब्र को खोदना चाहिए।
सामना में लिखा गया कि औरंगजेब को फिर से जिंदा किया गया आज महाराष्ट्र बंटा हुआ है और धर्म के नाम पर धधक रहा है। कुरान की प्रति कहीं मिल जाए तब सम्मान से वापस करें, ऐसा छत्रपति शिवाजी महाराज का आदेश पत्र बताता है। लेकिन नागपुर में कुरान की आयतों को जलाने की घटना हुई। चार सौ साल पहले दफनाया गया औरंगजेब फिर से जिंदा किया गया है।
तेजस्वी ने साधा नीतीश पर शिकंजा
20 Mar, 2025 09:52 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना । रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में लालू प्रसाद और उनके परिवार से ईडी लगातार पूछताछ कर रही है। 18 मार्च को राबड़ी देवी और तेजप्रताप यादव से पूछताछ हुई, अब लालू प्रसाद से पूछताछ हो रही है। इस बीच तेजस्वी यादव केंद्र और नीतीश कुमार पर हमलावार है। उन्होंने कहा कि बीजेपी बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है।
तेजस्वी ने कहा कि बिहार को ऐसा सीएम नहीं चाहिए जो दूसरों के पैर पकड़े। उन्होंने कहा कि सीएम निडर होना चाहिए। इस दौरान तेजस्वी पीएम मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पैर छूने से पीएम मोदी मनबढ़ हो गए हैं। बिहार का सीएम निडर और विजन वाला होना चाहिए। तेजस्वी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी की टीमें बिहार की तरफ आएगी, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि इन सब चीजों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। कानून का पालन करने वाले लोग हैं, बुलाने पर वे जाते हैं। लेकिन इससे कुछ होने वाला नहीं है।
तेजस्वी ने कहा कि अगर वे राजनीति में नहीं होते, तब कोई केस नहीं होता। तेजस्वी ने कहा कि उन्हें याद भी नहीं है कि ईडी और सीबीआई ने उनके परिवार को कितनी बार पूछताछ के लिए बुलाया है। लेकिन वे कानून का पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग डरे हुए हैं और घबराए हुए हैं। तेजस्वी ने मोदी सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे बिहार में अगली सरकार बनाएंगे।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने बैठकों को सकारात्मक बताया
20 Mar, 2025 08:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंडीगढ़ । फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर केंद्र और किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता करीब चार घंटे चली। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। वार्ता के बाद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दोनों तरफ से हुई बातचीत सकारात्मक और उद्देश्य पूर्ण रही। अब अगली बैठक 4 मई को होगी।
किसानों की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयोजक सरवन सिंह पंधेर की अगुआई में 28 किसान नेता पहुंचे थे। वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रह्लाद जोशी और पीयूष गोयल के अलावा पंजाब सरकार की ओर से कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडि्डयां और वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा किसानों से बातचीत की। मगर, इसमें कोई नतीजा नहीं निकला।
बैठक के बाद पंजाब के वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि पिछली बैठक में किसान जत्थेबंदियों की ओर से मांगों को लेकर सूची शेयर की गई थी। जिस डेटा के आधार पर किसान एमएसपी सहित अन्य मांगे कर रहे थे। आज केंद्र सरकार के साथ किसानों की बैठक में उस पर चर्चा हुई है। अन्य सभी मुद्दों पर भी चर्चा की गई। अब केंद्र व्यापारी और अन्य उन वर्ग, जोकि किसानी से जुड़े हुए हैं, एक बार बातचीत करेगी। वार्ता में इस बात की सहमति बनी है कि इस एजेंडे पर 4 मई को दोबारा मीटिंग की जाएगी।
उधर, किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि अचानक पंजाब सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस फोर्स बढ़ा दी है। ये बात पंजाब सरकार ही बता सकती है कि ये हमारी सुरक्षा के लिए है या कुछ और इनपुट है।
अखिलेश यादव ने राजस्थान की बीजेपी सरकार के 1090 मॉडल अपनाने के फैसले पर खुशी जताई
19 Mar, 2025 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लखनऊ। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने राजस्थान की बीजेपी सरकार के 1090 मॉडल अपनाने के फैसले पर खुशी जताई है। अखिलेश यादव ने कहा कि सपा के शासनकाल में यूपी में शुरू हुए ‘महिला सुरक्षा’ के लिए समर्पित ‘1090’ मॉडल को अब राजस्थान सरकार अपना रही है। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- आशा है इससे राजस्थान में नारी सुरक्षा की एक प्रभावकारी और सार्थक व्यवस्था तैयार होगी। पीडीए के आंदोलन में आधी आबादी के रूप में स्त्री हमेशा महत्वपूर्ण रही है, इसीलिए समाजवादी सरकार में हर बालिका, युवती और नारी में सुरक्षा के भाव और आत्मविश्वास का संचार करने के लिए ऐसे सुरक्षात्मक कदम उठाए गए थे।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों राजस्थान पुलिस की एक टीम लखनऊ आई थी और वीमिन पावर लाइन 1090 के दफ्तर का दौरा किया था। यूपी पुलिस ने उन्हें 1090 के काम और तौर-तरीकों से परिचित कराया। राजस्थान पुलिस टीम ने कहा था कि 1090 के आंकड़ों के मुताबिक 1 जनवरी से 16 मार्च 2025 तक कुल 93,043 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से 82.05 फीसद मामलों का समाधान हो चुका है। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन ने काउंसलिंग सेल, पुलिस सेल और साइबर सेल के जरिए से शिकायतों के त्वरित निस्तारण पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है।
शशि थरूर की तारीफ: रूस-यूक्रेन जंग पर, मोदी सरकार की विदेश नीति का विश्लेषण सही ठहराते हुए थरूर
19 Mar, 2025 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तिरुवनंतपुरम: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भारत के रुख पर अपने रुख में बदलाव को उचित ठहराते हुए बुधवार को कहा कि उन्होंने एक भारतीय के तौर पर अपनी राय व्यक्त की और इसमें कोई राजनीति नहीं देखी। थरूर ने मंगलवार को कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद भारत के रुख का विरोध करना उनके लिए शर्मिंदगी भरा साबित हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार द्वारा अपनाई गई नीति के कारण देश अब ऐसी स्थिति में है, जहां वह स्थायी शांति के लिए भूमिका निभा सकता है।
मैंने एक भारतीय के तौर पर बात की- थरूर
जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब थरूर ने भारत के रुख की आलोचना की थी और मॉस्को के कदम की निंदा करने का आह्वान किया था। उन्होंने बुधवार को नई दिल्ली में कहा, "मैंने इस मामले पर एक भारतीय के तौर पर बात की। मुझे इसमें कोई राजनीति नहीं दिखती।" थरूर ने कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, लेकिन उन्होंने इस पर ज्यादा विस्तार से बात नहीं की।
केरल भाजपा ने क्या कहा?
इस बीच, केरल में भाजपा नेतृत्व ने थरूर के रुख में आए बदलाव की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति की प्रशंसा करने में उनकी "ईमानदारी" "सराहनीय" है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा कि उन्होंने हमेशा कांग्रेस सांसद की स्पष्टवादिता की प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत के वैश्विक उदय को देख रहे हैं और यह "वास्तव में एक नया दृष्टिकोण" है।
सुरेंद्रन ने 'X' पर एक पोस्ट में कहा, "प्रिय शशि थरूर जी, मैं हमेशा से आपकी बेबाकी का प्रशंसक रहा हूं। आपकी ईमानदारी कि 'मैंने शुरू में इसका विरोध किया' और अब रूस-यूक्रेन पर मोदी की कूटनीति की सफलता की प्रशंसा करना सराहनीय है। आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत के वैश्विक उदय को देख रहे हैं, जो वास्तव में एक नया दृष्टिकोण है। हालांकि, कांग्रेस में आपके सहयोगी इसे नहीं देख पा रहे हैं।"
शशि थरूर ने क्या कहा?
थरूर ने मंगलवार को कहा कि भारत द्वारा अपनाई गई नीति के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की दोनों को गले लगा सकते हैं। 'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र के दौरान पूर्व विदेश राज्य मंत्री थरूर ने कहा, "मैं अभी भी शर्मिंदगी से उबरने की कोशिश कर रहा हूं क्योंकि मैंने फरवरी 2022 में संसदीय बहस के दौरान भारत के रुख की आलोचना की थी।"
विधायक एमटी कृष्णप्पा ने कर्नाटक विधानसभा में करी ऐसी मांग, बोले- शराब पीने वालों को भी प्रति सप्ताह दो बोतल मुफ्त दें
19 Mar, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बेंगलुरु: जनता दल (सेक्युलर) के विधायक एमटी कृष्णप्पा ने कर्नाटक विधानसभा में एक अजीबोगरीब मांग की। जिसके बाद इस मामले की हर जगह चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार महिलाओं को इतनी सारी मुफ्त चीजें दे रही है तो पुरुषों को भी हर हफ्ते 2 बोतल मुफ्त शराब दी जानी चाहिए। उन्होंने बुधवार को सदन में चर्चा के दौरान यह बात कही।
क्या है पूरा मामला?
एमटी कृष्णप्पा ने कहा, 'अध्यक्ष महोदय, मेरी बात को गलत मत समझिए, लेकिन जब आप 2000 रुपये मुफ्त देते हैं, जब आप मुफ्त बिजली देते हैं, तो यह हमारा पैसा है, है न? तो उनसे कहिए कि वे शराब पीने वालों को भी हर हफ्ते दो बोतल मुफ्त दें। हर महीने पैसे देना संभव नहीं है, है न? बस दो बोतल। यह हमारा पैसा है जो शक्ति योजना, मुफ्त बस और करंट के लिए दिया जा रहा है, है न? तो पुरुषों को हर हफ्ते दो बोतल देने में क्या गलत है? इसे करवाइए। सरकार को सहकारी समिति के माध्यम से यह काम करने दीजिए। मंत्री जॉर्ज को यह काम करने दीजिए।'
जानिए और क्या चर्चा हुई
केजे जॉर्ज- आप चुनाव जीतिए, सरकार बनाइए और ये कीजिए।
एमटी कृष्णप्पा- आपने गारंटी तो दे दी है, है न?
केजे जॉर्ज- हम शराब की खपत को यथासंभव कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
चेयरमैन यूटी खादर- दो बोतल मुफ्त देने का आपका सुझाव हमें पहले ही मुश्किल में डाल सकता है। कल्पना कीजिए कि अगर हम दो बोतल मुफ्त देने लगें तो क्या स्थिति होगी।
एमटी कृष्णप्पा- अगर आप मुफ्त देंगे तो स्थिति अपने आप सुधर जाएगी।
बता दें कि एमटी कृष्णप्पा के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कुछ नेता उनके बयान की आलोचना भी कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि कोई विधायक ऐसी मांग कैसे कर सकता है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में रखे अपने विचार
19 Mar, 2025 05:18 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि प्रलोभन तंत्रों पर, तुष्टिकरण पर, जिसे अक्सर फ्रीबीज के रूप में जाना जाता है, सदन को विचार करने की जरुरत है क्योंकि देश तभी प्रगति करता है जब पूंजीगत व्यय उपलब्ध हो। राज्यसभा में बुधवार को उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया ऐसी हो गई है कि ये चुनावी प्रलोभन बन गए हैं। इसके बाद सत्ता में आई सरकारों को इतनी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा कि वे अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहती थीं। एक राष्ट्रीय नीति की अत्यंत जरुरत है ताकि सरकार के सभी निवेश किसी भी रूप में बड़े हित में उपयोग किए जा सकें।
इससे पहले राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने सांसद निधि को बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए प्रति वर्ष किए जाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि सांसद निधि को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए। उनका कहना था कि यदि यह संभव नहीं है तो फिर सांसद निधि के प्रावधान को ही खत्म कर देना चाहिए। यादव का कहना था कि मौजूदा सांसद निधि नाकाफी है, जिसके कारण जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में काम नहीं करवा पाते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विधायकों को कुल मिलाकर सांसद से कहीं ज्यादा निधि मिलती है।
सभापति ने फ्रीबीज के मुद्दे पर सदन को विचार करने की बात कही। सभापति ने कहा कि हमारे संविधान में विधायिका, सांसदों, विधायकों के लिए प्रावधान किया गया था, लेकिन एक समान तंत्र नहीं था। इसलिए, आप देखेंगे कि कई राज्यों में विधानसभाएं सदस्यों को सांसदों की तुलना में अधिक भत्ते और वेतन देती हैं, और यहां तक कि पूर्व विधायकों की पेंशन में भी एक से 10 तक का अंतर है। यदि एक राज्य में किसी को एक रुपया मिलता है, तो दूसरे राज्य में पेंशन 10 गुना हो सकती है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कानून के जरिए हल किया जा सकता है और इससे राजनेताओं, सरकार, कार्यपालिका को लाभ होगा और यह उच्च गुणवत्ता वाले निवेश को भी सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा कि यदि कृषि क्षेत्र जैसी जरुरतों के लिए सब्सिडी की जरूरत है, तो इसे सीधे प्रदान की जाना चाहिए और यही विकसित देशों में प्रचलित है। मैंने अमेरिकी प्रणाली की जांच की। अमेरिका में हमारे देश की तुलना में 20 फीसदी कृषि परिवार हैं, लेकिन वहां कृषि परिवार की औसत आय अमेरिका के सामान्य परिवार की आय से ज्यादा है। इसका कारण यह है कि वहां किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी सीधी, पारदर्शी और बिना किसी बिचौलिए के दी जाती है।
हिंसा व आगजनी पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने निशाना साधा
19 Mar, 2025 11:49 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लखनऊ। महाराष्ट्र के नागपुर में सोमवार शाम को औरंगजेब की कब्र व मजार हटाने और मजार की चादर जलाने को लेकर हुई हिंसा व आगजनी पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने निशाना साधा है। यूपी की पूर्व सीएम ने महाराष्ट्र सरकार से हिंसा में शामिल अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
मायावती ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत कोई एक्शन नहीं लिया, तो माहौल और भी बिगड़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि देश में किसी की भी कब्र व मजार आदि को क्षति पहुंचाना या तोड़ना ठीक नहीं है। इससे वहां आपसी भाईचारा, शान्ति व सौहार्द बिगड़ रहा है। इससे पहले मायावती ने संभल सीओ के बयान की भी निंदा कर चुकी है।
आदित्य ठाकरे ने नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा से निपटने के महाराष्ट्र सरकार के तरीके पर सवाल उठाए
19 Mar, 2025 10:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई: शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने मंगलवार को नागपुर हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार पर हमला बोला और दावा किया कि बीजेपी महाराष्ट्र को मणिपुर जैसी स्थिति में धकेलने की कोशिश कर रही है. शिवसेना (यूबीटी) नेता ने नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा से निपटने के महाराष्ट्र सरकार के तरीके पर सवाल उठाए और मुख्यमंत्री कार्यालय की प्रतिक्रिया की कमी को भी उजागर किया.
मीडिया से बात करते हुए आदित्य ठाकरे ने कहा, "नागपुर में हिंसा की अफवाह फैलने पर सीएमओ ने कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी? जब भी ऐसी कोई घटना होने वाली होती है, तो सबसे पहले राज्य के मुख्यमंत्री और गृह विभाग के पास रिपोर्ट आती है. क्या उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी? मुझे लगता है कि भाजपा महाराष्ट्र को अगला मणिपुर बनाना चाहती है."
ठाकरे ने कहा, "अगर आप मणिपुर पर नजर डालें तो पाएंगे कि राज्य 2023 से हिंसा का सामना कर रहा है. पूरे राज्य में संघर्ष चल रहा है. क्या वहां निवेश होगा या पर्यटन में वृद्धि होगी? नहीं. वे महाराष्ट्र को भी उसी स्थिति में डालना चाहते हैं. मैं आज पढ़ रहा था कि वियतनाम भारत से छोटा देश है और जनसंख्या भी कम है, लेकिन उनका इलेक्ट्रॉनिक उद्योग 3 गुना अधिक है. हमारा देश खुद को मजबूत मानता है, लेकिन भाजपा देश को जिलों, धर्मों और जातियों में बांटने की कोशिश कर रही है."
'उनका तय फॉर्मूला है'
उन्होंने कहा कि भाजपा इस मामले में बेशर्म है. दुख की बात है कि जब भाजपा शासन नहीं कर पाती है, तो वे हिंसा, दंगे का सहारा लेते हैं और हर राज्य में यही उनका तय फार्मूला है. वे 300-400 साल पहले जीने वाले किसी व्यक्ति का इतिहास खोदने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे भविष्य के बारे में नहीं बोल सकते. वे वर्तमान के बारे में नहीं बोल सकते. विडंबना यह है कि कब्र की रक्षा केंद्र सरकार करती है.
हिंसा प्री-प्लान लगती है-फडणवीस
इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा कि नागपुर में भड़की हिंसा एक सुनियोजित हमला लगती है. उन्होंने कहा कि राज्य की शीतकालीन राजधानी में विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल द्वारा विरोध प्रदर्शन के दौरान यह अफवाह फैलाई गई कि धार्मिक सामाग्री जलाई गईं.
विधानसभा को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा, "नागपुर में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन किया. यह अफवाह फैलाई गई कि धार्मिक सामाग्री वाली चीजें जलाई गईं. यह एक सुनियोजित हमला लगता है. किसी को भी कानून-व्यवस्था को अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है."
पुलिस कर्मियों को लगी चोटों के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस पर हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि घटना में तीन पुलिस उपायुक्त घायल हो गए और एक डीसीपी पर कुल्हाड़ी से हमला किया गया."
बीजेपी विधायक ने हिंसा को 'पूर्व नियोजित' बताया
इससे पहले आज सुबह भाजपा विधायक प्रवीण दटके हिंसा प्रभावित हंसपुरी पहुंचे और कहा कि हिंसा पूर्व नियोजित लगती है. उन्होंने कहा कि दुकानों और स्टॉल में तोड़फोड़ और कैमरों को नष्ट करना इसी बात का संकेत है.
बिहार में चुनाव से पहले कांग्रेस में बड़ा फेरबदल हुआ
19 Mar, 2025 09:25 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना : जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही थी उसपर आखिरकार मुहर लग गया है. बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के पद से अखिलेश सिंह को हटा दिया गया है. उनकी जगह विधायक राजेश कुमार को नया अध्यक्ष बनाया गया है. इस बाबत कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल की तरफ से पत्र भी जारी कर दिया गया है.
कौन हैं राजेश राम :
राजेश कुमार उर्फ राजेश राम औरंगाबाद के कुटुंबा से विधायक हैं. उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है. दलित समुदाय से होने के साथ-साथ इनकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि ये गुटबाजी से दूर रहते हैं.
कहीं लालू ये ज्यादा नजदीकी तो नहीं पड़ी भारी! :
अखिलेश सिंह को लेकर पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा हो रही थी. खासकर आरजेडी से उनकी निकटता को लेकर पार्टी में दो फाड़ दिखाई पड़ रहे थे. यही नहीं जब बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पटना आए थे तो उन्होंने काफी सख्त संदेश भी दिया था.
कन्हैया से पहले दूरी फिर नजदीकी..! :
यही नहीं जब कन्हैया कुमार और उल्लावरु प्रेस कांफ्रेस करने पहुंचे थे तो अखिलेश सिंह मौजूद नहीं थे. हालांकि पलान रोको नौकरी दो यात्रा जब शुरू हुई तो वह जरूर कन्हैया कुमार के साथ नजर आए थे.
राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के पीछे मंशा :
ये तो हर कोई जानता है कि बिहार में जाति वाली राजनीति होती रही है. पिछले दोनों प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और अखिलेश प्रसाद सिंह दोनों अपर कास्ट से आते हैं. जबकि राजेश राम दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में दलितों को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने यह पासा फेंका है.
क्या कन्हैया से दूरी अखिलेश को पड़ा भारी ! :
सवाल उठता है कि क्या कन्हैया कुमार से अखिलेश सिंह की दूरी उनपर भारी पड़ गई. क्या कांग्रेस का यह मानना है कि अखिलेश सिंह के मुकाबले कन्हैया कुमार भूमिहार में ज्यादा प्रभावी होंगे. वैसे कन्हैया कुमार दिल्ली से बैटिंग करते हैं. ऐसे में दिल्ली वालों ने शायद उनपर ज्यादा भरोसा जताया है.
AICC की आज हुई थी अहम बैठक :
बता दें कि आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में AICC के सभी महासचिवों और प्रभारियों के साथ बैठक हुई. इस बैठक में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे. अहमदाबाद में होने वाले AICC सत्र के बारे में चर्चा की गई. 8 अप्रैल को अहमदाबाद में ही CWC की बैठक होगी और 9 अप्रैल को AICC सत्र होगा.
मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रभारियों के साथ तीन घंटे तक अहम बैठक की
19 Mar, 2025 08:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नए ऑफिस इंदिरा भवन में तमाम महासचिवों और प्रभारियों के साथ तीन घंटे तक अहम बैठक की। बैठक में रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। कांग्रेस की टॉप लीडरशिप भी बैठक में शामिल हुई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल भी मौजूद रहे। मीटिंग में तय हुआ कि पार्टी देशभर के अपने जिलाध्यक्षों की बैठक करेगी। यह जानकारी बैठक के बाद मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने मीडिया को दी।
जयराम रमेश ने बताया कि आगामी 27-28 मार्च और 3 अप्रैल को जिलाध्यक्षों की बैठक का आयोजन इंदिरा भवन में किया जाएगा। कांग्रेस में यह कवायद लगभग 16 साल बाद होने जा रही है। जबकि 8 और 9 अप्रैल को पार्टी दो दिन का राष्ट्रीय अधिवेशन अहमदाबाद में करने जा रही है। 8 अप्रैल को कांग्रेस वर्किंग कमिटी की विस्तारित मीटिंग होगी तो वहीं 9 अप्रैल को अधिवेशन होगा, जिसमें पार्टी अहम मुद्दों पर चर्चा करेगी।
कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की होगी बैठक
रमेश का कहना था कि जिलाध्यक्षों का यह आयोजन तीन दिन का होगा, जिसमें 700 जिलाध्यक्ष हिस्सा लेंगे। प्रति दिन 250 जिलाध्यक्षों के बीच चर्चा होगी। इस आयोजन का मकसद है कि जिला स्तर पर इकाई को कैसे मजबूत किया जाए। कैसे जिलाध्यक्षों को ताकत दी जाए और उन्हें राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाया जाए। दरअसल, बेलगांवी में हुई कांग्रेस के पिछली अहम बैठक में नवसत्याग्रह संकल्प में तय हुआ था कि साल 2025 कांग्रेस के लिए संगठन का साल होगा, जिसमें संगठन सृजन, उसकी मजबूती और सुधार के लिए काम होगा।
प्रियंका गांधी वाड्रा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच सवाल जवाब का दौर
18 Mar, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान मंगलवार को लोकसभा में प्रियंका गांधी वाड्रा और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच सवाल जवाब का दौर दिखा। प्रियंका गांधी ने वायनाड में प्राकृतिक आपदा के बाद स्थानीय किसानों से जुड़ा सवाल कृषि मंत्री चौहान से पूछे। इसके जवाब में कृषि मंत्री चौहान से साफ कर दिया कि पीएम मोदी और केंद्र सरकार किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करती है। उन्होंने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देकर कहा कि दिक्कत हुई तब मैं खुद वहां गया था।
लोकसभा में प्रियंका गांधी ने पूछा कि विदर्भ पैकेज के दौरान केरल के तीन जिलों को भी जोड़ा गया। वायनाड़ में आई प्रलह को देखकर क्या मंत्रालय वायनाड़ को लेकर कोई स्पेशन रिव्यू करने जा रहा है। इसके अलावा केरल के रबड़ किसान की परेशानियों को देखकर केंद्र कोई कदम उठा रही है। मिर्ची के दामों में उथल-पुथल को देखकर मंत्रालय के पास कोई स्पेशल प्लान है क्या?
प्रियंका के सवालों को जबाव देने के लिए कृषि मंत्री चौहान खड़े हुए। उन्होंने कहा कि किसान किसान हैं, चाहे केरल का हो या कर्नाटक का। भेदभाव का कोई सवाल नहीं है। मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि जब इस तरह की आपदाएं आती हैं, तब केंद्र सरकार हर राज्य एसबीआरएफ के तहत राज्यों को राशि आवंटित करता है। योजना आयोग अनुशंसा करता है, उसके आधार पर ही ऐसा होता है। उसमें 75 प्रतिशत हिस्सा केंद्र का होता है और 25 प्रतिशत राशि राज्य की होती है।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि आंध्रप्रदेश और तेजंगाना में दिक्कत हुई थी। अत्यंत बारिश के कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हुई थी। केंद्रीय टीम वहां गई थी। वहां स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट भी समिट की थी। इसके आधार पर फिर एनडीआरएफ की राशि राज्य सरकारों को दी जाती हें। केरल को भी एनडीआरएफ के तहत 138 करोड़ दिए गए थे। शिवराज ने प्रियका गांधी के आखिरी सवाल पर कहा कि उन्होंने रेट की बात पूछी। मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि पिछले दिनों चीनी के दाम कम हो गए थे। मिर्ची भी मसालों में आती है। हमारी सरकार ने तुरंत यह निर्णय लिया कि रेट चीनी के 11 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदी जाएगी।
विधायकों को ट्रेनिंग देने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम शुरु
18 Mar, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा में विधायकों को ट्रेनिंग देने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम मंगलवार को शुरु हुआ है। बैठक में लोकसभा स्पीकर सहित दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी शामिल हुई। इस कार्यक्रम में दिल्ली विधानसभा में सभी सांसद भी मौजूद थे।
आतिशी ने कहा कि सबसे पहले मैं सभी विधायकों को बहुत-बहुत बधाई देती हूं। दिल्ली की जनता ने हम 70 विधायकों को विधानसभा में बैठने का मौका दिया है। इस विधानसभा में बैठना सिर्फ एक गर्व और गरिमा की बात नहीं है। इस सदन में बैठना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
एलओपी आतिशी ने कहा कि इस सदन में पहली बार जब अंग्रेजों ने भारतीय को अधिकार दिया, तब सदन में लाल लाजपत राय, पंडित मदन मोहन मालवीय, मोती लाल नेहरू और विठ्ठलभाई पटेल ने सदन में बैठे थे और भारत की आजादी की आवाज उठाई थी। 150 साल बीत गए लेकिन आज भी इस सदन में जो किया गया वहां इतिहास की किताबों में लिखा है और हम सब याद भी करते हैं।
उन्होंने कहा कि सदन में जो भी एक्ट पास होता था उसमें एकाधिकार अंग्रेजों का होता था। निर्णय लेने का अधिकार हासिल करने के लिए देश के सैकड़ों लोगों ने जान दी। भारत दुनिया के कुछ देशों में से एक देश था, जहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। अगर हम सभी को वोट देने की ताकत जो मिली वहां सिर्फ बाबा साहेब अंबेडकर की वजह से मिली। क्योंकि देश का संविधान उन्होंने बनाया था।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि सभी विधायकों का बहुत-बहुत स्वागत है जो कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। हमारा सौभाग्य है कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। दिल्ली की जनता का दिल जीत कर हम सदन के अंदर पहुंचे हैं यह हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। सदन का सम्मान करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
OBC आरक्षण 23 से बढ़कर हुआ 42, कांग्रेस ने निभाया अपना चुनावी वादा
18 Mar, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तेलंगाना: तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने राज्य में आरक्षण का दायरा 23 फीसदी से बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया है। इसके लिए तेलंगाना विधानसभा में दो विधेयक पारित किए गए। जिसके तहत सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों और शहरी व ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़े वर्गों के लिए 42 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। विधानसभा से पारित होने के बाद सरकार ने इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी के लिए भेज दिया है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शून्यकाल के बाद सदन में तेलंगाना पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का आरक्षण और राज्य के अधीन सेवाओं में पदों पर नियुक्तियों का आरक्षण) विधेयक, 2025 और तेलंगाना पिछड़ा वर्ग (ग्रामीण और शहरी निकायों में सीटों का आरक्षण) विधेयक 2025 पेश किए गए। इसके अलावा सदन में एक और विधेयक पेश किया गया जिसका उद्देश्य पिछड़ी जातियों के लिए उपजाति आरक्षण को मंजूरी देना है। राज्य सरकार ने जाति सर्वेक्षण कराए जाने के कुछ महीने बाद यह कदम उठाया है। इसमें पिछड़ी जातियों की आबादी 56.33 प्रतिशत बताई गई। जिसमें मुस्लिम जाति समूह भी शामिल हैं। भाजपा और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) जैसे विपक्षी दलों ने भी विधानसभा में विधेयक का समर्थन किया।
मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि पिछली सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 37 प्रतिशत करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था। लेकिन मौजूदा सरकार पहले के प्रस्ताव को वापस लेकर नया प्रस्ताव भेज रही है। उन्होंने आगे कहा कि सदन के नेता के तौर पर वे पिछड़े वर्गों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण हासिल करने के प्रयास का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस आरक्षण के लिए दबाव बनाने के लिए सभी दलों के नेताओं का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का स्वागत है। आरक्षण तभी लागू हो सकता है जब केंद्र नए आरक्षण आवंटन को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे।
रेवंत रेड्डी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और बंदी संजय कुमार से भी पीएम मोदी से मिलने का समय मांगने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे मिलने का समय मांगा है। बीआरएस ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने आरक्षण के मौजूदा स्वरूप पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जो लागू किया जा रहा है, वह मुस्लिम आरक्षण नहीं है। बल्कि यह मुसलमानों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण है। कांग्रेस को धर्म के आधार पर देश को बांटना बंद करना चाहिए।
संविधान में संशोधन की जरूरत
ओबीसी आरक्षण को विधानसभा से पारित किए जाने के बाद तेलंगाना में आरक्षण की सीमा 62 फीसदी तक पहुंच गई है। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन है। इस आरक्षण को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन और केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होगी। देश में सिर्फ तमिलनाडु में ही 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण है। जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षण प्राप्त है।
राजनितिक पारी की शुरुआत करने जा रहे CM नितीश कुमार के बेटे निशांत, होली समाहरो पार्टी में हुई कई दिग्गजों से मुलाकात
18 Mar, 2025 01:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना: बिहार में इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल मची हुई है। हर तरफ इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या राजनीतिक वंशवाद के कड़े आलोचक रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने बेटे निशांत कुमार को राजनीति में लाने वाले हैं। नीतीश कुमार कई सालों से वंशवाद की राजनीति को लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद पर हमला करते रहे हैं। वह उनकी पत्नी, बेटे और बेटियों को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए उनकी आलोचना करते रहे हैं। लेकिन समय के साथ अब नीतीश कुमार खुद अपने बेटे के लिए राजनीति की जमीन तैयार कर रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश परिवारवाद के मुद्दे को खो देंगे। आइए जानते हैं कि करीब दो दशक से राजनीतिक चकाचौंध से दूर रहे निशांत कुमार आखिरकार अपने पिता की मदद के लिए मुख्यधारा की राजनीति में कैसे उतर सकते हैं। मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के कुछ घटनाक्रमों पर गौर करें तो कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत आगामी विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में बल्लेबाजी करते नजर आ सकते हैं।
होली पर जेडीयू के शीर्ष नेताओं से मिले निशांत
होली पर निशांत कुमार ने जेडीयू के कई वरिष्ठ नेताओं से मुख्यमंत्री आवास पर मुलाकात की। यह पहला मौका था जब निशांत इतने बड़े पैमाने पर खुलेआम राजनीतिक हस्तियों से मिले। होली की बधाई देने वाले लोग नीतीश के बाद निशांत के पास भी जा रहे थे। यह पहला मौका था जब नीतीश के बेटे को उनकी मौजूदगी में राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर सक्रिय देखा गया। माना जा रहा था कि नीतीश कुमार पार्टी में निशांत की स्वीकार्यता को भी परख रहे थे। तभी पटना में जनता दल (यूनाइटेड) कार्यालय के बाहर एक बड़ा होर्डिंग लगा, जिसमें उनके बेटे निशांत अपने पिता के साथ थे। पोस्टर में निशांत कुमार को नीतीश कुमार के बगल में प्रमुखता से दिखाया गया था, जिसमें लिखा था, "बिहार की मांग, सुन लीजिए निशांत, बहुत बहुत धन्यवाद।"
राजनीति में निशांत के नेतृत्व की मांग
मोटे तौर पर जेडीयू के नेताओं की ओर से मांग है कि निशांत को जेडीयू में नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए। जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी भी निशांत की राजनीतिक सक्रियता को खारिज नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि निशांत की जेडीयू में क्या भूमिका होगी, यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को तय करना है। जाहिर है, बिहार की मांग से ज्यादा यह जेडीयू नेताओं के एक वर्ग की मांग है, जो शायद नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर विपक्ष के लगातार हमलों से चिंतित हैं। उनका मानना है कि निशांत की भागीदारी पार्टी को मजबूत कर सकती है और नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा सकती है।
मंत्री विजय और संजय झा के साथ निशांत की तस्वीर चर्चा में
होली के दिन की एक तस्वीर भी चर्चा में है। इसमें निशांत मंत्री विजय चौधरी और जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा के बीच खड़े हैं। निशांत की इस तस्वीर के बाद राजनीतिक गलियारों में उनके राजनीतिक प्रवेश को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।