राजनीति
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका: 13 आप पार्षदों ने दिया इस्तीफा, बागी नेताओं ने बनाई अपनी अलग पार्टी
18 May, 2025 08:02 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 13 पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है। बागी पार्षदों ने नई पार्टी बनाने की घोषणा की है। एमसीडी में बागी नेताओं ने अलग गुट बनाया है। आम आदमी पार्टी से इन निगम पार्षदों ने इस्तीफा देकर इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी बनाने का फैसला किया है। हेमचंद गोयल के नेतृत्व में थर्ड फ्रंट बनाने का फैसला किया गया। मुकेश गोयल पार्टी के अध्यक्ष होंगे।
बागी पार्षदों ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया है कि जनता से जो वादे किए गए थे उन्हें पूरा नहीं किया गया। 2022 में वे आम आदमी पार्टी के टिकट पर एमसीडी में पार्षद चुने गए थे। लेकिन एमसीडी की सत्ता में आने के बावजूद आम आदमी पार्टी ने के शीर्ष नेतृत्व एमसीडी की सुचारू ढंग से नहीं चला पाया। जिन पार्षदों ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दिया है उनमें हेमनचंद गोयल, दिनेश भारद्वाज, हिमानी जैन, उषा शर्मा, साहिब कुमार, राखी कुमार, अशोक पांडेय, राजेश कुमार, अनिल राणा, देवेंद्र कुमार, हिमानी जैन का नाम शामिल है।
पार्षद ने बनाई इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी
आप से इस्तीफा देने पर हिमानी जैन ने कहा कि हमने नई पार्टी बनाई है, इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी। हमने आप से इस्तीफा दे दिया है। पिछले 2.5 साल में निगम में कोई काम नहीं हुआ जो होना चाहिए था। हम सत्ता में थे, फिर भी हमने कुछ नहीं किया। हमने नई पार्टी बनाई है क्योंकि हमारी विचारधारा दिल्ली के विकास के लिए काम करना है। हम उस पार्टी का समर्थन करेंगे जो दिल्ली के विकास के लिए काम करेगी। अब तक 15 पार्षद इस्तीफा दे चुके हैं। और भी शामिल हो सकते हैं।
गौरव गोगोई को लेकर सीएम सरमा का निशाना, बोले– पाकिस्तान से जुड़े रहे हैं संबंध
17 May, 2025 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया के सामने भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए कांग्रेस ने अपने चार सांसदों के नाम सरकार को भेजे हैं। इनमें असम से गौरव गोगोई का नाम भी शामिल है। कांग्रेस की सूची में उनका नाम देखकर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पलटवार किया है। सरमा ने ट्वीट किया, "सूची में शामिल एक सांसद ने पाकिस्तान में लंबे समय तक रहने की बात से इनकार नहीं किया है। वह कथित तौर पर दो सप्ताह से पाकिस्तान में है। विश्वसनीय दस्तावेजों से पता चलता है कि उसकी पत्नी भारत में काम करते हुए पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ से वेतन ले रही थी।" सरमा ने आगे कहा, "राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और पार्टी की राजनीति से परे, मैं लोकसभा के नेता राहुल गांधी से आग्रह करता हूं कि इस व्यक्ति को ऐसे संवेदनशील और रणनीतिक काम में शामिल न करें।"
इससे पहले कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने यह जानकारी दी और कहा कि पार्टी ने इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से दो-दो सदस्यों के नाम भेजे हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल के लिए पार्टी की ओर से भेजे गए सांसदों के नामों में पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, राज्यसभा सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कल सुबह संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से बात की और कांग्रेस से विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों के लिए पार्टी के चार सांसदों के नाम देने का आग्रह किया।
पाकिस्तान से आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस की ओर से कल दोपहर तक सरकार को नाम भेजे जा चुके थे। सरकार इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों सहित प्रमुख साझेदार देशों में सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजेगी, जो पहलगाम आतंकवादी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' के मद्देनजर आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता का भारत का संदेश देंगे। संसदीय कार्य मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया, "सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल सभी प्रकार के आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की राष्ट्रीय सहमति और दृढ़ दृष्टिकोण को सामने रखेंगे। वे आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के देश के मजबूत संदेश को दुनिया तक ले जाएंगे। सरकार ने प्रतिनिधिमंडल के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों से नेताओं का सावधानीपूर्वक चयन किया है, जिन्हें मुखर माना जाता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के सांसद संजय झा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) की कनिमोझी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले और शिवसेना के श्रीकांत शिंदे सात अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करेंगे। इनमें से चार नेता सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के हैं, जबकि तीन विपक्षी 'इंडिया' (भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन) गठबंधन के हैं। सूत्रों ने कहा कि प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल के लगभग पांच देशों का दौरा करने की संभावना है।
मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल में प्रतिष्ठित राजनयिक शामिल होंगे। बयान में कहा गया है, "ऑपरेशन सिंदूर और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की जारी लड़ाई के संदर्भ में, प्रतिनिधिमंडल पांच देशों का दौरा करेगा।" संयुक्त राष्ट्र में, सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख देशों का दौरा करेंगे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों सहित साझेदार देशों के साथ इस महीने के अंत में बैठक होगी।
सत्ता, साजिश और AK-47! मंत्री बृजबिहारी की हत्या की अनसुनी कहानी!
17 May, 2025 04:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उस दिन तारीख 13 जून 1998 की थी. शाम के पांच बज रहे थे, उस समय राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव के बेहद खास और राबड़ी देवी सरकार में मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को पटना एम्स में भर्ती कराया गया था. उनकी सुरक्षा के लिए दो लेयर की सुरक्षा थी. पहले लेयर में 22 कमांडो थे. वहीं दूसरे लेयर में बिहार पुलिस का सुरक्षा घेरा था. ठीक उसी समय एक एंबेसडर कार और बुलेट पर सवार होकर पांच हथियारबंद लोग अस्पताल पहुंचे. इन्हें देखकर हड़कंप मच गया.
यह पांचों लोग धड़धड़ाते हुए अस्पताल में सीधे उस वार्ड में पहुंचे, जहां मंत्री बृजबिहारी प्रसाद भर्ती थे. फिर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई और यह सभी लोग वापस निकलकर अपनी गाड़ियों में बैठे और फरार हो गए. बावजूद इसके, सुरक्षा घेरे में तैनात किसी पुलिसर्मी या कमांडो ने इन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. रोकते भी कैसे? हमलावर कोई सामान्य बदमाश नहीं थे, बल्कि उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला और उसके साथी थे. जिन्हें देखकर ही पुलिस वालों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी. श्रीप्रकाश शुक्ला खुद सबसे आगे चल रहा था. उसके पीछे सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सिंह था. वहीं सबसे पीछे आज के बाहुबली नेता मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी चल रहे थे.
सूरजभान पर लगा साजिश रचने का आरोप
वारदात के बाद कहा गया कि बृजबिहारी प्रसाद की हत्या बेऊर जेल में बंद मोकामा गैंग के सरगना सूरजभान सिंह ने कराई. हालांकि बाद में वारदात की पूरी कहानी सामने आ गई. दरअसल बृजबिहारी प्रसाद पर गैंगस्टर छोटन शुक्ला, उनके भाई भुटकुन शुक्ला और देवेन्द्र दूबे की हत्या कराने का आरोप था. कहा जाता है कि छोटन और भुटकन की हत्या के बाद इनके भाई मुन्ना शुक्ला ने जनेऊ हाथ में लेकर कसम ली थी कि वह बृजबिहारी प्रसाद का सर्वनाश करेगा.
श्रीप्रकाश ने किया था ऐलानिया कत्ल
चूंकि उस समय तक बृजबिहारी कड़े सुरक्षा घेरे में चलते थे, ऐसे में मुन्ना शुक्ला ने मोकामा गैंग के जरिए श्रीप्रकाश शुक्ला से संपर्क किया. इससे बिहार में गैंगवार की आशंका प्रबल हो गई थी. यह खबर जैसे ही बिहार सरकार को मिली, बृजबिहारी प्रसाद की सुरक्षा में 22 कमांडो तैनात कर दिए गए. लेकिन श्रीप्रकाश को इसकी परवाह कहां थी. वह 11 जून को गोरखपुर से पटना पहुंचा और उसी दिन आज अखबार के दफ्तर पहुंच कर ऐान कर दिया कि पटना में दो दिन के अंदर कुछ बड़ा होने वाला है. इसके बाद उसने 13 जून की शाम पांच बजे वारदात को अंजाम दिया और फिर आज अखबार के दफ्तर में फोन कर कहा कि ‘बृजबिहारी को इतनी गोलियां मारी है कि पूरा शरीर छेद ही छेद हो गया है.
हत्यारोपियों में केवल दो ही जिंदा बचे
इस वारदात से बिहार ही नहीं, देश की राजनीति को हिला कर रख दिया था. दबाव बढ़ने पर पुलिस ने दो दिन बाद यानी 15 जून को मुकदमा दर्ज किया. इसमें जेल में बंद सूरजभान के अलावा श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह, सुधीर त्रिपाठी, मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी के साथ ललन सिंह, राजन तिवारी, भूपेंद्र दुबे और सतीश पांडेय समेत करीब दर्जन भर आरोपी बनाए गए थे. हालांकि बाद में जितने भी नाम जोड़े गए, उन सभी नामों को हाईकोर्ट ने हटा दिया. इसी प्रकार वारदात को अंजाम देने वाले पांच लोगों में से श्रीप्रकाश शुक्ला, अनुज प्रताप सिंह और सुधीर त्रिपाठी यूपी पुलिस के एनकाउंटर में मार दिए गए. ऐसे में जिंदा बचे मंटू तिवारी और मुन्ना शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चला और इन्हें पहले जिला कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.
विधायक के घर पर रूका था श्रीप्रकाश
बृजबिहारी की हत्या के बाद पांचों बदमाशों मुजफ्फरपुर से विधायक रघुनाथ पांडेय के आवास पर पहुंचे और करीब तीन घंटे तक ठहरे. यही पर उसने किसी हथियार डीलर से अपनी AK 47 के लिए मैगजीन लिया और फिर पटना से निकल गए. इस घटना से खुद सरकार भी दहशत में थी. खुद मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपनी सुरक्षा दो गुनी कर ली थी. इस घटना का जिक्र यूपी एसटीएफ के अधिकारी रहे राजेश पांडेय ने भी अपनी किताब वर्चस्व में किया है.
ऐसे हुई हुई थी मर्डर की प्लानिंग
कहा जाता है कि देवेंद्र दुबे के मर्डर के बाद बृजबिहारी प्रसाद बिहार अंडरवर्ल्ड पर कब्जा करना चाहते थे. हालांकि उस समय मोकामा गैंग के मुखिया सरगना सूरजभान सिंह काफी ताकतवर बन चुके थे. चूंकि बृजबिहारी मंत्री थे ही, ऐसे में उन्होंने जेल में सूरजभान की हत्या की साजिश रच डाली. उस समय तक गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की गैंग में शूटर श्रीप्रकाश शुक्ला सूरजभान सिंह के संपर्क में आ चुका था. उस समय मुन्ना शुक्ला ने मौका देखा और सूरजभान से हाथ मिला लिया. फिर सूरजभान ने मुन्ना शुक्ला के जरिए श्रीप्रकाश शुक्ला को अपना संदेश भेज दिया. कहलवाया कि ‘गुरू दक्षिणा का यह सही समय है’. इस संदेश के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला के पटना आने, यहां पर हथियार उपलब्ध कराने और वारदात के बाद हवाई जहाज से दिल्ली जाने की व्यवस्था मुन्ना शुक्ला ने कराई.
कौन थे बृजबिहारी प्रसाद?
बृजबिहारी प्रसाद आदा में रहने वाले एक सामान्य परिवार में पैदा हुए थे. उनके पिता आदा में राजपरिवार की संपत्तियों के केयर टेकर थे. बृजबिहारी पढ़ाई लिखाई में तेज थे, इसलिए ना केवल मैट्रिक में टॉप किया, बल्कि सिविल इंजीनियरिंग की पढाई कर पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर भी बन गए. उस समय बिहार में जातीय संघर्ष चरम पर था. कई बार दबंगों ने ठेका लेने के लिए उनकी कनपटी पर तमंचा भी सटा दिया था. इन घटनाओं से परेशान होकर बृजबिहारी ने नौकरी छोड़ दी और राजपूत समाज के कुछ युवाओं को अपने साथ मिलाकर राजनीति शुरू की. फिर चंद्रशेखर की पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष रघुनाथ झा के संपर्क में आए और 1990 में पहली बार विधायक बने. इसके बाद वह धीरे धीरे लालू यादव के खास बनते चले गए.
ऐसे बने टकराव के हालात
छोटन शुक्ला की हत्या के बाद केशरिया सीट से भुटकन शुक्ला चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उनके सिर पर आनंद मोहन का हाथ था. ऐसे में बृजबिहारी प्रसाद को लगा कि उनका प्रभाव कम हो जाएगा. उसने भुटकन शुक्ला को रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया तो 3 दिसंबर 1994 को पुलिस की वर्दी पहने गुंडों ने भुटकुन शुक्ला की हत्या कर दी. इसके बाद पटना से वैशाली तक आनंद मोहन की अगुवाई में भुटकुन शुक्ला की शव यात्रा निकाली गई. जैसे ही यह यात्रा गोपालगंज पहुंची, वहां के डीएम जी कृष्णैया ने शवयात्रा को रोक दिया. इससे नाराज भीड़ ने डीएम की हत्या कर दी. इस मामले में आनंद मोहन को आजीवन कारावास हुआ, हालांकि वह 14 साल सजा काटने के बाद बाहर आ चुके हैं. जैसे तैसे शवयात्रा वैशाली पहुंची, उस समय छोटन शुक्ला के छोटे भाई मुन्ना शुक्ला ने हाथ में चिता की राख और जनेऊ लेकर कसम खाई थी कि वह अपने दोनों भाइयों की हत्या का बदला जरूर लेंगे.
AAP में बड़ी फूट: 15 पार्षदों ने थामा पूर्व नेता सदन गोयल का हाथ, नई पार्टी का ऐलान
17 May, 2025 04:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के 15 पार्षदों से इस्तीफा दे दिया है. पूर्व नेता सदन मुकेश गोयल ने नई पार्टी बनाने का दावा किया है, जिसका नाम उन्होंने इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी रखा है. उन्होंने 13 पार्षदों का अपने साथ जुड़ने का दावा किया है. उन्होंने कहा है कि कांग्रेस और बीजेपी के पार्षद भी हमारे साथ आ सकते हैं.
मुकेश गोयल ने कहा, आप पूर्ण बहुमत के साथ आई थी, लेकिन पार्टी बस आदेश देती थी. किसी की सुनी नहीं जाती थी. सिर्फ विपक्ष पर आरोप लगाया जाता था. मैं 1997 से पार्षद हूं लेकिन ऐसा मैंने कभी नहीं देखा.
उन्होंने आगे कहा कि निगम पार्षदों को बरगलाया गया कि एक लाख रुपए मिलेगा, लेकिन अब तक नहीं मिला. दो साल बचे हैं, हमारे काम नहीं होंगे. मैंने आप की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. हमने नई पार्टी बनाई है और बीजेपी-कांग्रेस के कई पार्षद भी हमारे साथ आएंगे.
दिल्ली में मेयर का चुनाव नहीं लड़ने की कही थी बात
25 अप्रैल को होने वाले चुनाव से कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने घोषणा की थी कि वह दिल्ली में मेयर का चुनाव नहीं लड़ेगी. पार्टी के पास फिलहाल दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में पर्याप्त संख्या नहीं होने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बहुमत में है.
आप दिल्ली के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने आज कहा था कि हमने फैसला किया है कि हम इस बार मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार नहीं उतारेंगे. भाजपा को अपना मेयर चुनना चाहिए, बीजेपी को अपनी स्थायी समिति बनानी चाहिए और बिना किसी बहाने के दिल्ली पर शासन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अब ट्रिपल इंजन वाली सरकार है और भाजपा को दिखाना चाहिए कि वे राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के लिए क्या कर सकते हैं. एमसीडी चुनाव में भाजपा के राजा इकबाल सिंह दिल्ली के नए मेयर चुने गए थे.
लॉरेंस बिश्नोई का बैनर देख भड़के फडणवीस, BJP विधायक की सभा में हुआ विवाद
17 May, 2025 04:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र के नासिक के सिडको इलाके में हिंदू विराट सभा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. जिसमें लॉरेंस बिश्नोई का बैनर दिखाने पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. बता दें कि यह सभा पहलगाम आतंकी हमले और पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रही हिंसा के विरोध में आयोजित की गई थी. इसमें बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे.
जानकारी के मुताबिक हिंदू विराट सभा के दौरान अचानक वहां गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का एक बड़ा बैनर नजर आया. वहीं बैनर दिखते ही सभा में हड़कंप मच गया. जिसके बाद यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया.
CM ने दिया सख्त कार्रवाई का निर्देश
इस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सख्त रुख अपनाते हुए सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. सीएम फडणवीस ने इस मामले में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने विधायक गोपीचंद पडलकर से चर्चा की है और उन्हें पुलिस को पूरी जानकारी देने के लिए भी कहा है.
लॉरेंस बिश्नोई के पोस्टर से हड़कंप
सीएम फडणवीस ने साफ-साफ कहा कि लॉरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर का महिमामंडन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने पुलिस को तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए.
मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू
फिलहाल इस मामले में नासिक के अंबाड़ पुलिस स्टेशन में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है. जानकारी के अनुसार यह बैनर एक नाबालिग लड़के ने लगाया था. पुलिस ने फोटो के जरिए दहशत फैलाने की धाराओं में मामला दर्ज किया है. फिलहाल मामले की जांच जारी है.
FIR पर राहुल का पलटवार, कहा 'ये मेरे लिए मेडल', खड़गे ने बताया 'तानाशाही'
17 May, 2025 03:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Rahul Gandhi Darbhanga Protest: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। उनके साथ कांग्रेस के कई अन्य नेताओं पर भी केस दर्ज किया गया है। यह मामला बिहार के दरभंगा जिले के अंबेडकर कल्याण छात्रावास में बिना प्रशासनिक अनुमति और निषेधाज्ञा (धारा 144) का उल्लंघन करते हुए गुरुवार को आयोजित जनसभा को लेकर दर्ज किया गया है।
क्या बोले राहुल गांधी –
एफ़आईआर दर्ज किए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा, ‘ये सब मेरे लिए मेडल हैं। मेरे ऊपर पहले से ही 30-32 केस दर्ज हैं।’
प्रशासन का बयान
दरभंगा के एसडीपीओ अमित कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन ने कांग्रेस को टाउन हॉल (राजेंद्र भवन) में कार्यक्रम की अनुमति दी थी। यह अनुमति कांग्रेस कार्यकर्ताओं के अनुरोध पर दी गई थी। लेकिन इसके बाद, अंबेडकर छात्रावास परिसर में अवैध रूप से कार्यक्रम की तैयारी की जाने लगी।
उन्होंने कहा, “निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद, एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद सदाब अख्तर और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने छात्रावास में बिना अनुमति के कार्यक्रम किया। वहां जबरन कुर्सियां, टेंट, माइक आदि लगाए गए। इस कार्यक्रम में राहुल गांधी सहित 18 नामजद और लगभग 100 अज्ञात लोग शामिल हुए।”
एफआईआर की जानकारी
इस मामले में लहेरियासराय थाने में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं। पहली भारतीय न्याय संहिता की धारा 189(2), 189(5), 132 और ध्वनि विस्तारक यंत्र अधिनियम के तहत एफ़आईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर जिला कल्याण पदाधिकारी आलोक कुमार की शिकायत पर की गई है। एक अन्य एफआईआर खंड कल्याण पदाधिकारी खुर्शीद आलम की शिकायत पर धारा 223 और ध्वनि अधिनियम के तहत दर्ज की गई। अमित कुमार ने कहा कि कार्यक्रम बिना अनुमति और निषेधाज्ञा के उल्लंघन में आयोजित किया गया। वीडियो फुटेज सुरक्षित कर लिया गया है और अन्य लोगों की पहचान की जा रही है।
राहुल गांधी का पलटवार:
राहुल गांधी ने आरोप लगाया, “प्रशासन ने रास्ता रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी। लेकिन वे मुझे रोक नहीं सके क्योंकि मुझे आपके (जनता के) समर्थन की ताकत मिलती है। मैं पीछे के रास्ते से कार्यक्रम में पहुंचा।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जेडीयू-बीजेपी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा, “क्या दलितों, पिछड़ों और वंचितों से बात करना संविधान विरोधी है? क्या उनकी शिक्षा और रोजगार की बात करना अपराध है?” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को ‘शिक्षा न्याय संवाद’ कार्यक्रम में भाग लेने से रोका गया, जो तानाशाही की चरम सीमा है।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने बताया कि, “शुरुआत में प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन बाद में रोकने की कोशिश की गई। फिर भी हमने कार्यक्रम किया। मैंने जातीय जनगणना की ज़रूरत और निजी संस्थानों में आरक्षण की 50% सीमा को तोड़ने की मांग दोहराई। यही हमारा एजेंडा है और हम इसे पूरा करेंगे।”
उन्होंने अधिकारियों से कहा, “आप अपना काम कीजिए, मैं अपना करता हूं। रोकना है तो रोकिए।” जब पुलिस ने जुलूस रोकने को कहा तो राहुल ने जवाब दिया, “अगर धारा 144 लगी है तो उसे लागू कीजिए। अपना कर्तव्य निभाइए।” एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम आपका सम्मान करते हैं,” तो राहुल बोले, “मैं भी आपका सम्मान करता हूं… लेकिन छात्रों से वादा किया था कि आऊंगा।”
प्रशासन का आखिरी बयान
एसडीएम विकास कुमार ने बताया कि कांग्रेस को टाउन हॉल में कार्यक्रम की लिखित अनुमति दी गई थी, लेकिन वे ज़बरदस्ती अंबेडकर छात्रावास चले गए जो निषिद्ध क्षेत्र था। उन्होंने यह भी कहा कि, “राहुल गांधी को Z+ सुरक्षा मिली हुई है, इसलिए सुरक्षा की खास व्यवस्था एयरपोर्ट से टाउन हॉल तक की गई थी। लेकिन वे तय रूट से न जाकर ऐसे क्षेत्र में पहुंचे जहां सुरक्षा बल तैनात नहीं था। कई बार चेतावनी दी गई कि 200 मीटर के दायरे में प्रवेश न करें, फिर भी उल्लंघन किया गया, इसलिए एफआईआर दर्ज की गई।”
थरूर की नियुक्ति पर कांग्रेस का सवाल, कहा– पार्टी ने नहीं भेजा था नाम, सरकार पर लगाए आरोप
17 May, 2025 03:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगले सप्ताह सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखने और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए विभिन्न देशों का दौरा करेंगे। इन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सांसदों में कांग्रेस सांसद शशि थरूर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। सांसद शशि थरूर ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिलने पर खुशी जताई है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इंस्टाग्राम पर भी पोस्ट कर लिखा, मैं भारत सरकार द्वारा हाल की घटनाओं पर देश का पक्ष रखने के लिए पांच प्रमुख देशों का दौरा करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए दिए गए निमंत्रण से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। जब राष्ट्रीय हित की बात आएगी और मेरी सेवाओं की जरूरत होगी, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा। जय हिंद! थरूर के बयान के अलावा कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि पार्टी की ओर से दिए गए नामों में थरूर का नाम नहीं है। कांग्रेस ने प्रतिनिधिमंडल के लिए अपने चार नेताओं आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम सरकार को दिए हैं।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को लिखे पत्र में ये नाम दिए हैं। रमेश ने 'एक्स' पर पोस्ट किया, "कल सुबह संसदीय कार्य मंत्री ने कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता से बात की। उनसे विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के लिए चार सांसदों के नाम सौंपने को कहा गया, ताकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट किया जा सके।" उन्होंने कहा कि शुक्रवार दोपहर को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसदीय कार्य मंत्री को पत्र लिखकर कांग्रेस की ओर से चार नाम दिए हैं। रमेश के अनुसार, राहुल गांधी ने प्रतिनिधिमंडल के लिए आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग के नाम बताए हैं।
प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेता इस प्रकार हैं
रविशंकर प्रसाद (भाजपा सांसद)
बैजयंत पांडा (भाजपा सांसद)
शशि थरूर (कांग्रेस सांसद)
संजय झा (जदयू सांसद)
कनिमोझी (द्रमुक सांसद)
सुप्रिया सुले (राकांपा-शरद पवार गुट की सांसद)
श्रीकांत शिंदे (शिवसेना सांसद)
कांग्रेस के दावे पर भाजपा नेताओं का बयान:
कांग्रेस के बयान पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, "इससे कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होने वाला है। यह कांग्रेस शासित राज्यों के लिए भी अच्छा नहीं होगा। यह राजनीति का मामला नहीं है। यह केंद्र सरकार की महानता है कि वे (प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए) हर पार्टी से कुछ सांसदों को चुन रहे हैं।" इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सूची में शामिल सांसदों में से एक (असम से) ने लंबे समय तक पाकिस्तान में रहने से इनकार नहीं किया है... कथित तौर पर दो सप्ताह तक और विश्वसनीय दस्तावेजों से पता चलता है कि उनकी पत्नी भारत में काम करते हुए पाकिस्तान स्थित एक एनजीओ से वेतन ले रही थीं। राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और दलगत राजनीति से परे, मैं लोकसभा नेता राहुल गांधी से आग्रह करता हूं कि वे इस व्यक्ति को ऐसे संवेदनशील और रणनीतिक कार्य में शामिल न करें।
CCP नेताओं से राहुल गांधी की मुलाकात पर बवाल, भाजपा ने उठाए गंभीर सवाल
17 May, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राहुल गांधी ने हाल ही में शांति समन्वय समिति (सीसीपी) के सदस्यों से मुलाकात की। इस पर भाजपा ने सवाल उठाए हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट में सीसीपी नेताओं के साथ राहुल गांधी की मुलाकात पर संदेह जताया। उन्होंने लिखा कि 'ऐसे समय में जब भारत नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, राहुल गांधी का माओवादी समूह के शुभचिंतकों से मिलना परेशान करने वाला है।'
'ऑपरेशन कगार में सीपीआई कैडर को भारी नुकसान हुआ'
अमित मालवीय ने लिखा कि 'सुरक्षा बल नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन कगार चला रहे हैं, जिसमें सीपीआई (माओवादी) कैडर को भारी नुकसान हो रहा है। ऐसे में तथाकथित शांति समन्वय समिति (शांति समन्वय समिति) कांग्रेस के समर्थन से सुरक्षा बलों और माओवादी उग्रवादियों के बीच संघर्ष विराम कराने की कोशिश कर रही है। सीसीपी प्रतिनिधिमंडल ने 9 मई को नई दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की। सीसीपी प्रतिनिधिमंडल का आरोप है कि सरकार माओवादी विरोधी अभियानों के जरिए आदिवासी समुदाय को निशाना बना रही है। उन्होंने राहुल गांधी से हस्तक्षेप कर संघर्ष विराम लागू करने की अपील की है।' सीसीपी प्रतिनिधिमंडल में ये लोग शामिल हैं: मालवीय ने दावा किया कि 'सीसीपी प्रतिनिधिमंडल ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार को भी शांति वार्ता के लिए संघर्ष विराम पर जोर देना चाहिए। राहुल गांधी ने कथित तौर पर इस पर विचार करने का आश्वासन भी दिया है।'
भाजपा नेता ने कहा कि सीसीपी प्रतिनिधिमंडल में कविता श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त प्रोफेसर जी हरगोपाल, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति चंद्र कुमार, भारत बचाओ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. एमएफ गोपीनाथ, झारखंड जन अधिकार महासभा के दिनेश मुर्मू और लेखिका मीना कंडासामी शामिल हैं। अमित मालवीय ने दावा किया कि यह शांति समन्वय समिति हाल ही में दिल्ली में गठित की गई है और इसका उद्देश्य सरकार और सीपीआई नेतृत्व के बीच शांति वार्ता कराना है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने सवाल उठाते हुए पूछा कि श्री गांधी, जब हमारे सुरक्षा बल अपनी जान जोखिम में डालकर हिंसक उग्रवाद को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में आप उनका समर्थन कर रहे हैं। इस स्थिति में आप किसकी तरफ हैं? क्या देश को रक्षकों की तरफ बढ़ना चाहिए या प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन की तरफ? आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
ऑपरेशन कगार क्या है
गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन कगार का उद्देश्य नक्सलियों का सफाया करना और माओवाद की राजनीतिक विचारधारा को खत्म करना है। इस ऑपरेशन में उन माओवादियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है जिन्होंने सरकार के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था। इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कई नक्सली मारे गए हैं।
सीएम पर बी सत्यनारायण का हमला, बोले- 'रिटायर्ड अफसरों पर झूठे केस, प्रशासन को किया कमजोर'
17 May, 2025 10:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आंध्र प्रदेश में दो पूर्व नौकरशाहों की गिरफ्तारी से राज्य की राजनीति गरमा गई है। विपक्षी वाईएसआरसीपी ने सीएम चंद्रबाबू नायडू पर बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के शराब घोटाले में शुक्रवार शाम दो पूर्व आईएएस अधिकारियों धनंजय रेड्डी और कृष्ण मोहन रेड्डी को गिरफ्तार किया गया है। ये दोनों अधिकारी पिछली वाईएसआरसीपी सरकार में काफी ताकतवर माने जाते थे। दोनों फिलहाल रिटायर हो चुके हैं।
'राज्य के प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचाया जा रहा है':
आंध्र प्रदेश में कथित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में एसआईटी ने दोनों से पूछताछ की थी और पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। कृष्ण मोहन रेड्डी पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी के ओएसडी थे। रिटायर आईएएस अधिकारियों की गिरफ्तारी पर वाईएसआरसीपी नेता बी सत्यनारायण ने बयान जारी कर सीएम पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 'सीएम चंद्रबाबू नायडू बदले की राजनीति कर रहे हैं और राज्य के प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। रिटायर अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।'
क्या है शराब घोटाला:
आंध्र प्रदेश में कथित शराब घोटाले में वाईएसआरसीपी के कई शीर्ष नेताओं पर आरोप लगे हैं। आरोप है कि इस घोटाले के चलते हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली गई और यह पैसा पार्टी फंड में भी जमा किया गया। रिमांड नोट में के राजशेखर रेड्डी उर्फ राज कासिरेड्डी को मुख्य आरोपी बताया गया है। कासिरेड्डी पूर्व सीएम और वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी के सहयोगी हैं। इस मामले में पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी पर भी आरोप लगाया जा रहा है।
कैसे किया गया घोटाला:
रिमांड नोट के मुताबिक, वाईएसआरसीपी के शीर्ष नेताओं ने विभिन्न शराब ब्रांडों से हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली और रिश्वत देने वाले शराब ब्रांडों को सरकारी दुकानों के जरिए बिक्री में तरजीह दी गई। यह रैकेट साल 2019 में शुरू हुआ था, जिसके जरिए हर महीने वसूली जाने वाली रिश्वत को हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली में हवाला ऑपरेटरों के जरिए खपाया जाता था। आरोप है कि सरकारी खुदरा दुकानों के माध्यम से बिक्री के लिए शराब की खरीद के लिए ऑर्डर देने की प्रणाली में कथित रूप से हेराफेरी की गई, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित ब्रांडों को छोड़ दिया गया और निर्धारित सीमा से अधिक नए ब्रांडों का ऑर्डर दिया गया। आरोप है कि कम कीमत वाले ब्रांडों के लिए 150 रुपये प्रति केस, मध्यम श्रेणी के ब्रांडों के लिए 200 रुपये और उच्च श्रेणी के ब्रांडों के लिए 600 रुपये प्रति केस की रिश्वत ली गई।
भारत-पाक तनाव पर थरूर की अलग राय, कांग्रेस में अंदरूनी मतभेद उजागर
16 May, 2025 08:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर काफी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार के समर्थन में बयान दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने पहले सरकार की तारीफ भी की, जिसके बाद सवाल उठने लगे कि थरूर इतना नरम रवैया क्यों अपना रहे हैं। इस बीच सरकार ने आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है और पाकिस्तान के खिलाफ दुनिया भर में भेजे जाने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के लिए कांग्रेस सांसदों के नाम मांगे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा विदेश जाने वाले सांसदों के प्रतिनिधिमंडल से शशि थरूर को बाहर रखने की वकालत कर रहा है। वहीं, पार्टी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने थरूर को भेजने की पेशकश की है, जिस पर कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि कांग्रेस सदस्यों को चुनना उसका फैसला है, जिसे पार्टी नेतृत्व तय करेगा।
क्या थरूर को न लेने से गलत संदेश जाएगा?
हालांकि पार्टी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि थरूर अंतरराष्ट्रीय मामलों के अच्छे जानकार हैं, चेहरा हैं और यूएन में भी काम कर चुके हैं, इसे देखते हुए उन्हें न भेजने का फैसला गलत संदेश देगा, ऐसे में पार्टी नेतृत्व जल्द ही रणनीतिकारों से चर्चा कर तय करेगा कि थरूर का नाम कांग्रेस सांसदों की सूची में रहेगा या नहीं।
दरअसल, हाल ही में मोदी सरकार के समर्थन में थरूर के लगातार बयानों से पार्टी हाईकमान और कई नेता नाखुश हैं, खासकर पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान उन्होंने पार्टी लाइन से अलग बयान दिया था, जिस पर पार्टी के अंदर काफी विवाद हुआ है।
थरूर ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच अमेरिका की भूमिका पर शशि थरूर ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गलत तरीके से भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू पर तौलने की कोशिश की है, यह हैरान करने वाला है। पाकिस्तान आतंकवाद को पालने वाला देश है, जबकि भारत आतंकी घटनाओं से ग्रसित है। दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। भारत ने सिर्फ़ पहचाने गए आतंकी ठिकानों और लॉन्च पैड्स को नष्ट किया है। उसने अमेरिका को मध्यस्थता करने की इजाज़त नहीं दी। भारत के हमलों के बाद बातचीत की पहल पाकिस्तान ने ही की थी।
'महिलाओं-बच्चों का धर्म पूछकर मारी गोली' — देवड़ा के बयान से मचा राजनीतिक तूफान
16 May, 2025 05:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर बयान दिया है, जो अब काफी चर्चा और विवाद का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने महिलाओं और बच्चों का धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी, जिससे देश में गुस्से और तनाव का माहौल है। इसके साथ ही देवड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि पूरा देश और देश की सेना प्रधानमंत्री मोदी के आगे नतमस्तक है। उन्होंने यह बयान जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दिया।
ऑपरेशन सिंदूर पर पीएम मोदी का आभार:
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आतंकी ठिकानों पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गई सटीक और साहसिक कार्रवाई के लिए देवड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने आतंकियों को कड़ा जवाब दिया है। इस दौरान उन्होंने मौजूद लोगों से तालियां बजवाकर प्रधानमंत्री की तारीफ भी करवाई।
सेना का कथित अपमान, विपक्ष ने घेरा:
राजनीतिक दलों और रक्षा विशेषज्ञों ने देवड़ा के बयान के इस हिस्से पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि सेना के शौर्य और बलिदान को सिर्फ प्रधानमंत्री की छवि से जोड़ना गलत है। सेना के जवानों के बलिदान का सम्मान करना जरूरी है, लेकिन इस तरह की राजनीतिक भाषा में इसे व्यक्त करना अनुचित और अपमानजनक माना जा रहा है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने देवड़ा से सार्वजनिक माफी की मांग की है और राज्यपाल को शिकायत भी भेजी है कि उनका बयान राष्ट्र की सुरक्षा भावना के खिलाफ है।
भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं:
यह पहली बार नहीं है कि भाजपा नेता ने इस तरह का विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी राज्य के वरिष्ठ मंत्री विजय शाह के कुछ बयान चर्चा में रहे हैं। अब उपमुख्यमंत्री के इस बयान ने भाजपा की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। पार्टी के कुछ नेता देवड़ा का बचाव करते हुए कहते हैं कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है और उनका इरादा सेना का अपमान करने का नहीं था।
विपक्ष की प्रतिक्रिया और मांगें:
विपक्षी दलों ने इस बयान को गंभीर माना है और इसे सेना की गरिमा का अपमान बताया है। उनका कहना है कि किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को सेना के बलिदान को इस तरह कम नहीं आंकना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा में सेना की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है और इसे राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। कांग्रेस ने जगदीश देवड़ा से माफी मांगने और बयान वापस लेने की अपील की है।
भाजपा की प्रतिक्रिया:
वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि देवड़ा के बयान को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उनका कहना है कि उपमुख्यमंत्री का उद्देश्य प्रधानमंत्री के नेतृत्व का सम्मान करना था, न कि सेना का अपमान करना। पार्टी का कहना है कि वह देश की सेना का पूरा सम्मान करती है और उनकी बहादुरी का हमेशा सम्मान करती रहेगी।
सार्वजनिक और सोशल मीडिया पर बहस:
डिप्टी सीएम के इस बयान पर सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई है। कई लोग इसे सेना का अपमान मान रहे हैं, जबकि कुछ ने इसे राजनीतिक बयानबाजी करार दिया है। कई युवा और पूर्व सैनिक भी इस विषय पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, जिसमें सेना की गरिमा बनाए रखने की अपील की गई है।
मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा की बाइट के मुख्य बिंदु:-
जबलपुर में सिविल डिफेंस वॉलेंटियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में मैंने जो बात कही थी, उसे गलत तरीके एवं तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है, जो सरासर गलत है।
मैंने अपने भाषण में कहा था कि- आतंकवादियों के खिलाफ सेना के जांबाज जवानों ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर जो पराक्रम दिखाया है, उसकी जितनी सराहना की जाए वह कम है। पूरा देश एवं देश की जनता उनके चरणों में नतमस्तक है व उन्हें प्रणाम करती है और मैं भी उन्हें प्रणाम करता हूं।
वक्तव्य में मेरा अभिप्राय यह था कि देश की रक्षा करने वाले सेना के जांबाज जवानों के चरणों में देश की जनता प्रणाम करती है, मेरे इस बयान को गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है।
मैंने कोई ऐसा बयान हीं नहीं दिया है जिसके उसके लिए माफी मांगी जाए और न ही मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
जिस तरीके से बयान को गलत तरीके से प्रसारित किया जा रहा है वह मन को बहुत आहत करने वाली है, ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली की विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट क्या है? रेखा सरकार के सामने चुनौतीपूर्ण सवाल
16 May, 2025 04:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सन् 1958 में आई हिंदी की चर्चित फिल्म थी- फिर सुबह होगी. साहिर लुधियानवी का लिखा गीत था- वो सुबह कभी तो आएगी… जब अंबर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी… वो सुबह कभी तो आएगी… यकीनन बीजेपी के लिए दिल्ली में एक नई सुबह हो गई. करीब सत्ताईस साल बाद पार्टी के लिए वनवास के बादल छंटे हैं. दिल्ली के लोग नई सुबह की ताजगी का अहसास कर रहे होंगे. शपथ ग्रहण के बाद ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता फुल एक्शन में आ गईं. परवेश वर्मा समेत सभी मंत्री नये जोश में दिखे. गुरुवार देर शाम कैबिनेट की पहली बैठक हुई. यमुना में आरती भी हो गई. कुल मिलाकर दिल्ली को विकसित बनाने का अभियान शुरू हो गया. लेकिन विकसित दिल्ली बनेगी कैसे? यहां की गलियां और कॉलोनियां सुविधाओं से गुलज़ार कैसे होंगी? कूड़े के पहाड़, सर्दी के मौसम में जहरीली हवाएं, पराली का दमघोटूं धुआं, जगह-जगह बिखरे कचरे, ऐसे कई मोर्चे हैं, जहां दिल्ली की नई सरकार को बड़ी चुनौतियां मिलने वाली हैं.क्या जिस नई सुबह की खातिर दिल्ली की जनता ने सत्ता परिवर्तन किया, क्या वहां रात का आंचल ढलकेगा? पॉल्यूशन दूर होंगे? सड़कें दुरुस्त होंगी? यमुना के पानी के झाग दूर होंगे? क्या राजधानी स्लम मुक्त होगी? और क्या मास्टर प्लान 2041 पर काम तेजी से होगा? हालांकि पहले ही दिन रेखा सरकार ने बता दिया कि जो वादे किये हैं, वो इरादों के साथ पूरे होंगे. मसलन 300 यूनिट मुफ्त बिजली, 20 हजार लीटर मुफ्त पानी, झुग्गियों में 5 रुपये की थाली वाला अटल कैंटीन, गरीब महिलाओं को 2500 रुपये और बसों में महिलाओं की मुफ्त यात्रा वगैरह सब वादे पूरे किये जाएंगे.
राजधानी कैसे बनेगी कॉस्मोपॉलिटन सिटी?
दुनिया के ज्यादातर बड़े देशों की राजधानी कॉस्मोपॉलिटन सिटी कहलाती है. कॉस्मोपॉलिटन का मतलब है- एक ऐसा शहर, जिसका स्वरूप वैश्विक यानी ग्लोबल हो. लेकिन आज की तारीख में दिल्ली का आधारभूत विकास बताता है वह किसी पिछड़े प्रदेश की राजधानी के समान है. जाहिर है इसकी सूरत इरादों के साथ काम करने से ही बदलेगी. चुनावी रैलियों के दौरान बीजेपी नेताओं ने आम आदमी पार्टी की सरकार पर यह कहकर जोरदार हमला किया था कि आखिर क्या वजह है कि लाखों लोगों को दिल्ली छोड़नी पड़ी और एनसीआर की ऊंची-ऊंची इमारतों में सुकून की जिंदगी की तलाश करनी पड़ी. चुनावी मैदान में राजनीतिक दल ऐसे बयानों के जरिए एक-दूसरे पर वार पलटवार करते ही रहते हैं लेकिन इससे कैसे इनकार किया जा सकता है कि आधारभूत विकास में दिल्ली से कहीं आगे एनसीआर निकलता जा रहा है और राजधानी की तमाम कॉलोनियां अब भी अर्धविकसित हैं. इसे आखिर कॉस्मोपॉलिटन सिटी कहें तो कैसे कहें?
मध्यवर्ग की अवैध कॉलोनियां होंगी विकसित?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली को मिनी इंडिया कहते हैं. दिल्ली 1483 वर्ग किलोमीटर में फैली है. यहां की जनसंख्या करीब 1.75 करोड़ है. यहां देश भर से सभी समुदाय और प्रांत के लोग आए और रच बस गए. इनमें कामगार गरीब वर्ग है तो कॉरपोरेट घरानों का अमीर वर्ग भी लेकिन दिल्ली में मध्य वर्ग सबसे बड़ा तबका है जो आमतौर पर सरकारी और निजी कंपनियों में नौकरी करता है. यहां देश के कोने-कोने से पलायन हुआ है. प्राइस यानी पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) के एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली में साल 2022 में मध्यवर्ग की संख्या कुल आबादी का 67.16 फीसदी थी.
ये आंकड़ा बताता है दिल्ली अमीरों की नगरी नहीं है. केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के तमाम दफ्तर होने के नाते यहां ‘बाबू वर्ग’ सबसे अधिक है, जिनकी आमदनी के स्रोत सीमित होते हैं. ये छोटे शहरों से आए होते हैं और कम खर्च वाली जगहों की तलाश करते हैं, सामान्य घरों में जीवन बसर करते हैं. और ये सामान्य घर आमतौर पर अवैध कॉलोनियों में स्थित हैं. लग्जरी सोसायिटी या दो-तीन कमरों वाले डीडीए फ्लैट्स खरीदने की इनकी क्षमता नहीं होती. इस तरह दिल्ली की अवैध कॉलोनियां सघन होती गईं लेकिन जरूरत के हिसाब से सुविधाएं नहीं बढ़ीं.
वैसे तो दिल्ली में अवैध कॉलोनियों को नियमित करने को लेकर कई प्रयास किये गये हैं लेकिन ये गति कछुआ चाल ही साबित हुई. भारत सरकार ने 16 फरवरी 1977 को दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को रेग्यूलराइजेशन की नीति जारी की थी. इसके तहत डीडीए और एमसीडी को मिलकर काम करना था. 1993 तक 567 कॉलोनियों को नियमित भी किया गया. एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली की करीब 30 फीसदी आबादी इन्हीं अवैध कॉलोनी में रहती है. सरकारी आंकड़ा कहता है दिल्ली में अब भी 1,797 अवैध कॉलोनियां हैं. इनमें से 66 इलाकों को छोड़कर 1,731 कॉलोनियों को रेगुलराइज करने के लिए चिह्नित किया गया है.
सड़क, सीवर, नल, बिजली और पानी की कहानी
पूर्व की अरविंद केजरीवाल सरकार ने दावा किया था कि इन कॉलोनियों में सड़क, सीवर और नल की बेहतर सुविधाएं दी गई हैं. आप सरकार के मुताबिक पिछले 9 साल में यहां के विकास कार्यों पर करीब ₹5,000 करोड़ खर्च किए गए. इनमें सड़कें, पानी की पाइप लाइनें और सीवर लाइनों का काम है. लेकिन जमीन पर वैसा सुधार नजर नहीं आता जैसा कि दावा किया जाता है. दिल्ली के तमाम पॉश इलाकों के ठीक बगल में निजी जमीनों पर सालों से बसी अवैध कॉलोनियां हैं, यहां की आबादी जिस गति में धीरे-धीरे बढ़ती गई, जनसंख्या घनत्व बढ़ता गया, उस गति से विकास कार्य नहीं हुए. कम जगहों में लोगों का गुजारा मुश्किल हो गया. लिहाजा यहां से भी लोगों को एनसीआर के इलाकों में पलायन करना पड़ा.
कई कानूनी अड़चनों के चलते बिल्डर्स और डेवेलपर्स ने दिल्ली की इन कॉलोनियों के बजाय एनसीआर क्षेत्र में किसानों के खेत-खालिहानों वाली जमीनों का अधिग्रहण कराकर बहुमंजिल आवासीय और व्यावसायिक परिसरों को विकसित करना शुरू कर दिया. जिसके बाद बड़े पैमाने पर दिल्ली के मध्यवर्ग के लोगों ने एनसीआर में जाकर बसना शुरू कर दिया. सन् 1993 में जब बीजेपी को पहली बार दिल्ली की सत्ता मिली, तब भी ये हाल थे और सन् 2025 में भी हालात में बड़े सुधार नहीं हुए हैं. रेखा गुप्ता सरकार के आगे विकसित दिल्ली बनाने में इन अवैध बस्तियों की सड़कें, पानी की पाइप लाइनें, सीवर और बिखरी हुई बिजली की तारों की समस्याओं को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती होगी.
दिल्ली जल बोर्ड की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में रोजाना 129 करोड़ गैलन की जरूरत है लेकिन 96.9 करोड़ गैलन की ही आपूर्ति हो पाती है. दिल्ली को हरियाणा, यूपी, हिमाचल प्रदेश और पंजाब से पानी मिलता है. रेखा गुप्ता का ताल्लुक खुद हरियाणा से है और दिल्ली-हरियाणा के बीच पानी को लेकर अक्सर विवाद होते रहे हैं. जल्द ही गर्मी के दिन आने वाले हैं. देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री को बीजेपी शासित हरियाणा से पानी के मुद्दे पर कितना सहयोग मिल पाता है.
दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में बनेंगे पक्के मकान?
राजधानी में की अवैध कॉलोनियों में ज्यादातर मध्यवर्ग के परिवार रहते हैं तो दिल्ली के स्लम इलाके की झुग्गियों में यहां का निम्न वर्ग. अवैध कॉलोनियों की तरह ही ये झुग्गियां भी दिल्ली को कॉस्मोपॉलिटन सिटी का रुतवा प्रदान करने में सबसे बड़ी बाधा है. दिल्ली में छोटी-बड़ी झुग्गी बस्तियों की कुल संख्या करीब 1800 हैं. यहां ज्यादातर वैसे लोग रहते हैं जो अमीर वर्ग के घरों में नौकर, नौकरानी होते हैं या कंस्ट्रक्शन साइटों पर मजदूरी करते हैं. दिल्ली में समय-समय पर डीडीए लोअर इनकम ग्रुप के लिए फ्लैट्स की स्कीम निकालता रहा है, इसके बावजूद आज की तारीख में दिल्ली में मलिन बस्तियों की संख्या 675 हैं. ये इलाके स्लम कहलाते हैं. यहां स्लम को विकसित करने का कोई ठोस प्लान नहीं है. यहां करीब 3.5 लाख परिवारों के 20 लाख लोग रहते हैं.
मोदी सरकार ने दिल्ली के इन्हीं स्लमों को विकसित करने और यहां के लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अवसर देने के लिए जहां झुग्गी, वहां मकान योजना शुरू की थी. इस साल जनवरी के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री ने 1600 गरीबों को पक्के घरों की सौगात दी है. लेकिन ये आंकड़ा अभी अपने लक्ष्य से काफी बहुत दूर है. दिल्ली की नई सरकार के सामने एक चुनौती जहां झुग्गी, वहां मकान योजना में तेजी लाना और जरूरतमंदों को पक्के फ्लैट्स की चाबी प्रदान करना भी है. जब तक दिल्ली स्मल मुक्त नहीं होगी, विकसित नहीं कही जा सकती.
मास्टर प्लान 2041 से बनेगी विकसित दिल्ली?
साठ के दशक में दिल्ली में जब देश भर के कामकाजी लोगों का आगमन शुरू होने लगा तब बकायदा एक मास्टर प्लान की दरकार हुई. राजधानी का पहला मास्टर प्लान सन् 1962 में अल्बर्ट मेयर के नेतृत्व में बना. डीडीए के बैनर तले बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण की शुरुआत हुई और आवासीय परिसरों के निर्माण शुरू हुए. फिलहाल विकसित दिल्ली के लिए मास्टर प्लान 2041 तैयार किया गया है. इसका प्रारूप डीडीए ने तैयार किया है. अगले 20 साल के भीतर दिल्ली में पूर्ण विकास निर्धारित किया गया है. इस मास्टर प्लान के तहत ग्रीन एरिया का संरक्षण, जल संरक्षण, मिक्स लैंड यूज का सदुपयोग, बिजली उत्पादन की क्षमता में बढ़ोत्तरी, आवास और दफ्तर के बीच आवागमन को बेहतर बनाना, प्रदूषण पर नियंत्रण, पीने के पानी की कमी को दूर करना आदि शामिल है.
इसके उलट हालात को देखें तो दिल्ली में जरा सी भी बारिश के बाद सड़कों पर लंबे जाम के दृश्य आम हो जाते हैं. महज 50 एमएम बरसात से जगह-जगह जलजमाव हो जाता है. दिल्ली में जिस प्रकार से आबादी बढ़ रही है, उस हिसाब से बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही. इनकी मांग लगातार बढ़ रही है. अब जबकि मास्टर प्लान 2041 अगले 20 साल तक के लिए निर्धारित है तो फौरी राहत की उम्मीद कैसे की जा सकती है.
विकसित दिल्ली बनाने की राह में अवैध तौर पर बने तमाम धार्मिक स्थल भी बड़ी बाधा हैं. भजनपुरा चौक, लोनी रोड, मौजपुर चौक, नजफगढ़, मायापुरी लाजवंती चौक, त्यागराज नगर, कस्तूरबा नगर, श्रीनिवासपुरी, नैरोजी नगर, सरोजनी नगर, नेताजी नगर, मोहम्मदपुर जैसे कई इलाके हैं जहां सड़क किनारे विभिन्न धर्मों के धार्मिक स्थल बने हैं, इनका स्थानांतरण ना केवल कानून पेंच में फंसा है बल्कि स्थानीय लोगों की आस्था से भी जुड़ा है.
जातीय जनगणना और आरक्षण पर फोकस, राहुल गांधी फिर जुटे पारंपरिक वोट बैंक को संगठित करने में
16 May, 2025 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं और इसको लेकर कांग्रेस पूरी तरह सक्रिय नजर आ रही है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले चार महीनों में चौथी बार बिहार आए हैं। ताजा दौरे में उन्होंने दरभंगा में अंबेडकर छात्रावास के छात्रों से बातचीत की और पटना में 'फुले' फिल्म देखकर एक स्पष्ट सामाजिक संदेश देने की कोशिश की। इस दौरान उन्होंने तीन प्रमुख मांगें उठाईं- देश में जाति जनगणना, निजी क्षेत्रों में ओबीसी, ईबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण और एससी-एसटी सब प्लान के तहत फंडिंग की गारंटी।
कांग्रेस की दलितों के पास लौटने की कोशिश
बिहार में एक समय ऐसा था जब दलित, ब्राह्मण और अल्पसंख्यक कांग्रेस के बड़े वोट बैंक हुआ करते थे। लेकिन 1990 के दशक के बाद, खासकर 1995 के बाद कांग्रेस का यह आधार धीरे-धीरे खिसकता गया। मंडल राजनीति, क्षेत्रीय दलों के उदय और सामाजिक न्याय की नई परिभाषाओं ने कांग्रेस को राज्य की राजनीति में हाशिए पर ला दिया।
दलितों से राहुल का जुड़ाव
अब राहुल गांधी एक बार फिर दलित समुदाय से जुड़ने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। अंबेडकर छात्रावास में छात्रों से बातचीत और समाज सुधारक ज्योतिबा फुले पर बनी फिल्म देखना इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि वह सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर गंभीर है और दलित-पिछड़ा समुदाय उसके एजेंडे का केंद्रीय हिस्सा है।
कांग्रेस की संगठनात्मक रणनीति में बदलाव
दलितों से जुड़ने के लिए कांग्रेस ने संगठनात्मक स्तर पर भी बदलाव किए हैं। कुछ महीने पहले पार्टी ने अपने सवर्ण नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर दलित समुदाय से आने वाले राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। इसके साथ ही सुशील पासी को प्रदेश का सह प्रभारी नियुक्त किया था। इसी साल फरवरी में कांग्रेस ने पहली बार प्रसिद्ध पासी नेता जगलाल चौधरी की जयंती भी मनाई थी, जिसमें खुद राहुल गांधी शामिल हुए थे। इससे साफ संकेत मिलता है कि पार्टी अपने पुराने दलित वोट बैंक को फिर से सक्रिय करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।
बिहार में दलितों का राजनीतिक महत्व
बिहार में दलितों की आबादी करीब 19% है, जो राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। 2005 में नीतीश कुमार की सरकार ने दलितों को 'महादलित' श्रेणी में विभाजित करके इस वोट बैंक को अपने पक्ष में मोड़ने की सफल कोशिश की थी। पासवान जाति को छोड़कर 21 अन्य जातियों को महादलित श्रेणी में शामिल किया गया था, जिसमें बाद में पासवान भी जुड़ गए। इस सोशल इंजीनियरिंग का असर यह हुआ कि दलितों का एक बड़ा वर्ग जेडीयू और एनडीए की ओर झुका। आपको बता दें कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 38 सीटें अनुसूचित जाति और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। कांग्रेस का वोट शेयर: गिरावट की कहानी:
पिछले तीन दशकों में बिहार में कांग्रेस का वोट बेस लगातार कम हुआ है
1990- 24.78%
1995- 16.30%
2000- 11.06%
2005- 6.09%
2010- 8.37%
2015- 6.7%
2020- 9.48%
यह गिरावट साफ तौर पर दिखाती है कि नीतीश कुमार के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस के लिए राज्य की राजनीति में बने रहना मुश्किल हो गया। हालांकि 2020 में कुछ सुधार हुआ, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता।
राहुल की रणनीति का क्या असर होगा?
राहुल गांधी की लगातार यात्राएं, दलित समुदाय से जुड़ाव और सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना यह दर्शाता है कि कांग्रेस अब बिहार में जाति-सामाजिक समीकरणों को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह तो आने वाले चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा। लेकिन यह तय है कि इस बार कांग्रेस अपने परंपरागत वोट बैंक को वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। अगर दलित समुदाय का बड़ा हिस्सा कांग्रेस की तरफ लौटता है तो राज्य में सत्ता समीकरण बदल सकते हैं और कांग्रेस एक बार फिर क्षेत्रीय राजनीति में प्रासंगिकता हासिल कर सकती है।
गठबंधन की एकता पर कांग्रेस नेताओं के मतभेद, चुनावी रणनीति पर गहराया संकट
16 May, 2025 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने विपक्ष के भारत गठबंधन को लेकर ऐसा बयान दिया है, जिसके बाद सियासी पारा चढ़ने लगा है। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी चिदंबरम के बयान से सहमति जताते हुए अपील की है कि इन चिंताओं का समाधान निकालने की जरूरत है। चिदंबरम और सलमान खुर्शीद के बयानों के बाद ऐसा लग रहा है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और यह लगातार कमजोर हो रहा है। सलमान खुर्शीद ने कहा, 'भारत गठबंधन इसलिए हुआ क्योंकि हमने इस बात को स्वीकार कर लिया था कि इस लड़ाई में हमें गठबंधन की जरूरत है। हमने अपनी जगह छोड़ी और गठबंधन बनाया। गठबंधन की जरूरत है, कई पार्टियों के लिए गठबंधन एक नई चीज थी। हम गठबंधन को कैसे मजबूत कर सकते हैं, यह सोचने का विषय है। हमें इस पर काम करना होगा कि हम कैसे मजबूत बनें।'
पी चिदंबरम ने क्या कहा?
सलमान खुर्शीद और मृत्युंजय सिंह यादव की किताब 'कंटेस्टिंग डेमोक्रेटिक डेफिसिट' के विमोचन के मौके पर बोलते हुए चिदंबरम ने कहा, भारत गठबंधन का भविष्य उतना उज्ज्वल नहीं है, जितना मृत्युंजय सिंह यादव ने कहा है। उन्हें लगता है कि गठबंधन अभी भी बरकरार है, लेकिन मैं इस बारे में निश्चित नहीं हूं। इसका जवाब सिर्फ सलमान (खुर्शीद) ही दे सकते हैं, क्योंकि वे भारत ब्लॉक के लिए बातचीत करने वाली टीम का हिस्सा थे। अगर गठबंधन पूरी तरह से बरकरार रहता है, तो मुझे बहुत खुशी होगी, लेकिन इससे पता चलता है कि यह कमजोर हो गया है। उन्होंने कहा, 'मेरे अनुभव और इतिहास के अध्ययन के अनुसार, भाजपा जितना संगठित कोई राजनीतिक दल नहीं है। यह कोई साधारण राजनीतिक दल नहीं है। यह एक मशीन के पीछे एक मशीन है और ये दो मशीनें भारत की सारी मशीनरी को नियंत्रित करती हैं। चिदंबरम के बयान पर खुर्शीद ने कहा कि चिदंबरम के विचार बताते हैं कि हमें 2029 में बहुत बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहना होगा। हमें यह सोचना होगा कि गठबंधन के सहयोगियों को कैसे एक साथ लाया जाए।
बिहार चुनाव से पहले आया बयान
दोनों नेताओं की इन टिप्पणियों को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, बिहार में कुछ महीनों बाद ही चुनाव होने हैं, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड की अगुवाई वाले एनडीए के खिलाफ आरजेडी की अगुवाई वाली इंडिया ब्लॉक पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। इंडिया ब्लॉक कई राजनीतिक दलों का गठबंधन है, जिसका नेतृत्व देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस करती रही है। यह गठबंधन 2024 के आम चुनाव से पहले बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के विरोध में बना है। इंडिया ब्लॉक ने जब लोकसभा चुनाव साथ लड़ा था, तो उसे फायदा भी हुआ था। उसने 235 सीटों पर विजय पताका फहराई थी, जबकि 293 सीटें एनडीए के खाते में गई थीं।
समिति में पार्टी की आगामी रणनीति पर चर्चा
16 May, 2025 11:54 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना । जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने अपनी राजनीतिक सलाहकार समिति की एकदिवसीय बैठक पटना पार्टी कार्यालय में आयोजित की। बैठक में प्रदेश भर से करीब 314 सदस्य शामिल हुए, जो राज्य के विभिन्न जिलों से पटना पहुंचे थे।
बैठक में जदयू के कई वरिष्ठ और प्रमुख नेता मौजूद रहे, जिसमें मंत्री श्रवण कुमार, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और राज्यसभा सांसद संजय झा शामिल थे। सभी नेताओं ने बैठक के माध्यम से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति पर चर्चा की और आगामी लक्ष्यों को लेकर कार्ययोजना तय की।
बैठक में नेताओं ने कांग्रेस और खास कर राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। जेडीयू नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी का बिहार आना और यहां की राजनीति में हस्तक्षेप करना बेअसर है, क्योंकि बिहार की जनता नीतीश कुमार के काम को जानती और समझती है। नेताओं ने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में बिहार ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है और एनडीए के प्रति जनता का विश्वास अटूट है। जेडीयू नेताओं ने कहा कि 2025 के चुनाव में एनडीए का लक्ष्य ‘नीतीश 225’ है, यानी 225 से अधिक सीटें जीतना।