धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 नवंबर 2023)
27 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों की संभावना सतर्कता से कार्य करें, आय के नये रास्ते खुलने से लाभ होगा।
वृष राशि - समय हर्ष व उल्लास से बीतेगा, धनलाभ, अधिकारीगण आपके कार्य का समर्थन करेंगे ।
मिथुन राशि - सफलता के साधन जुटाये, तनावपूर्ण स्थिति से बचियेगा, कार्यगति मंद होगी।
कर्क राशि - स्थिति में सुधार, वर्ग से हर्ष, व्यावसायिक क्षमताएं अनुकूल अवश्य ही बनेंगी।
सिंह राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, तथा कार्यगति में सुधार अवश्य होगा।
कन्या राशि - व्यर्थ में धन व्यर्थ होगा, दूसरों के प्रति कार्य करने में हस्तक्षेप न करें।
तुला राशि - कार्यगति अनुकूल बनेगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष बनने से मन प्रफुल्लित होगा।
वृश्चिक राशि - सामाजिक कार्यो में प्रतिप्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, योजना फलीभूत होंगी, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मकर राशि - अधिकारियों के संपर्क से बचें, तनाव क्लेश व अशांति तथा बैचेनी अवश्य होवेगी।
कुंभ राशि - उद्विघ्नता व असमंजस का वातावरण मन को क्लेशयुक्त बनाने का कार्य करेगा।
मीन राशि - बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आमदनी के नए नए उत्पन्न होने से आय बढ़ेगी।
कार्तिक के पवित्र महीने में त्योहारों और व्रतों की सूची
26 Nov, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कार्तिक माह 2023 त्योहार सूची: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक माह अश्वयुजम के बाद शुरू होता है। यह महीना सामान्य नहीं है. आध्यात्मिक दृष्टि से यह माह भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जाता है। साथ ही यह महीना उनका आशीर्वाद लेने के लिए भी सबसे उत्तम है।
साल 2023 में कार्तिक महीना 29 अक्टूबर को शुरू होगा और 27 नवंबर की पूर्णिमा के दिन समाप्त होगा। कार्तिक माह की प्रत्येक तिथि शुभ होती है। यही कारण है कि लोग सभी प्रकार के दोषों से छुटकारा पाने और श्री हरि का आशीर्वाद पाने के लिए इस महीने में पवित्र स्नान करते हैं।
कार्तिक माह में आने वाले व्रत और त्योहारों का भी अपना विशेष महत्व होता है। इस माह में स्नान, दान और व्रत का बहुत लाभ मिलता है। तो बिना किसी देरी के आइए जानें कि इस साल कार्तिक माह में कौन-कौन से व्रत और त्योहार आ रहे हैं और उनकी सही तारीख क्या है।
कार्तिक मास 2023 व्रत एवं त्योहार
12 नवंबर 2023 (रविवार) - दिवाली, नरक चतुर्दशी
13 नवंबर 2023 (सोमवार) - कार्तिक अमावस्या
14 नवंबर 2023 (मंगलवार) - गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाई दूज, यम द्वितीया
16 नवंबर 2023 (गुरुवार) - कार्तिक विनायक चतुर्थी
17 नवंबर 2023 (शुक्रवार) - नागुला चौथी, वृश्चिक संक्रांति
18 नवंबर 2023 (शनिवार) - लाभ पंचमी, स्कंद षष्ठी
19 नवंबर 2023 (रविवार) - छठ पूजा, जलाराम जयंती, सूर्य सप्तमी
20 नवंबर 2023 (सोमवार) - गोपाष्टमी , पंचकम प्रारंभ, अनुराधा करते
21 नवंबर 2023 (मंगलवार) - अक्षय नवमी
23 नवंबर 2023 (गुरुवार) - क्षीरब्दी द्वादशी, कैशिका द्वादशी, श्री सत्य साईं बाबा जयंती, प्रबोधिनी एकादशी, कार्तिक शुद्धा एकादशी, चातुर्मास्य व्रत समाप्ति।
24 नवंबर 2023 (शुक्रवार) - तुलसी विवाह, योगेश्वर द्वादशी, शुक्र प्रदोष व्रत
25 नवंबर 2023 (शनिवार) - वैकुंठ चतुर्दशी, विश्वेश्वर व्रत
26 नवंबर 2023 (रविवार) - मणिकर्णिका स्नान, देव दिवाली
27 नवंबर 2023 (सोमवार) - कार्तिक पूर्णिमा ,पुष्कर स्नान, गुरु नानक जयंती
30 नवंबर 2023 (गुरुवार) - सौभाग्य सुंदरी तीज, संकटहर चतुर्थी
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 नवंबर 2023)
26 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- राजकीय सम्मान तथा उच्च पद की प्राप्ति संभव है, Œााr संतान का सुख अवश्य मिलेगा।
वृष राशि - धन, स्वास्थ्य, मित्र व कुटुम्बियों से प्रेम व सहयोग बढ़ेगा, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मिथुन राशि - उत्तम विचार भाग्योन्नति होगी, सुख स्वजनों की कमी में मिलन होगा।
कर्क राशि - जमीन, जायजाद, मकान का लाभ मिलेगा तथा स्वास्थ्य कष्टप्रद होगा, ध्यान रखें।
सिंह राशि - दाम्पत्य जीवन में उल्लास, पुत्र, भाग्योदय होगा तथा मौसमी प्रकोष्ट तथा कष्ट होगा।
कन्या राशि - दाम्पत्य जीवन आकस्मिक झगड़े होंगे, पड़ोसियों से कष्ट व विवाद बनेंगे ।
तुला राशि - भाग्योदित व्यावसायिक जीवन में कभी उन्नति के लिए एक नया अवसर प्राप्त होगा।
वृश्चिक राशि - कार्यसिद्ध होने का योग है, आपको अकेलापन चुभेगा, मन दुखी व उदास होगा।
धनु राशि - सांसरिक सुखों की प्राप्ति होगी, मित्र मिलाप, आमोद प्रमोद, व्यवहार में नरमी बरतें।
मकर राशि - शैक्षाणिक प्रगति में बाधा होवे, अनावश्यक व्यय से कार्य बनेंगें, क्रोध में न आवें।
कुंभ राशि - चतुराई एवं बौद्धिक विकास तथा अधिकांश प्रयत्नों से निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा।
मीन राशि - विभिन्न रोगों से शरीर पीड़ित रहेगा, संतान की शिक्षा व खर्च आपको परेशान करेंगे।
श्रावण वर्ष का अंतिम शनिवार: शनि साढ़ेसाती, शनिढैय्या के साथ 5 राशि वाले करें ये उपाय
25 Nov, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रावण का महीना बहुत ही शुभ महीना होता है, इस साल श्रावण दो महीने में आने के कारण शिव भक्तों के लिए यह साल बहुत खास था। श्रावण मास समाप्त हो चुका है, 15 सितंबर को श्रावण समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद भाद्रपद माह शुरू हो जाएगा।
9 सितंबर को साल का आखिरी श्रावण शनिवार है।
शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित है, इस दिन शनि की पूजा करने से शनिदोष कम होता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि श्रावण के शनिवार को कुछ उपाय किए जाएं तो शनि साढ़ेसाती और शनि ढैय्या से पीड़ित लोगों को कुछ राहत मिल सकती है।
इस समय मकर, कुम्भ और मीन राशि पर शनि साढ़ेसाती प्रथम चरण में चल रही है। साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या है। यदि शनि की साढ़ेसाती और शनिढैय्या मौजूद हो तो कई समस्याएं उत्पन्न होंगी। इस समस्या के समाधान के लिए श्रावण शनिवार का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और शनि ढैय्या है, वे शनि यह उपाय करें तो अच्छा है
* इस दिन गहरे नीले रंग के कपड़े पहनकर भगवान शिव की पूजा करें और शनिदेव की भी पूजा करें।
* हाथ में रुद्राक्षी की माला लेकर शनि मंत्र का जाप करें
* श्रावण के शनिवार को बरगद के पेड़ के नीचे तिल का दीपक जलाएं।
* शिवलिंग का जल से अभिषेक करते समय उसमें तिल डालें और अभिषेक करें।
इस उपाय को करने से शनि की परेशानी थोड़ी कम हो जाएगी।
शनि मंत्रों का जाप करें
ओम हिल्म शं शनाय नमः"
"ओम प्रां प्रीं प्रौं सह शनैश्चराय नमः" "
ओम शं शनैश्चराय नमः"
"ओम् ऐंग हारिंग शेयरिंग शं शनैश्चराय नमः औम्"
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विद्मये
सूर्यपुत्राय दाहिमहि
तन्नो मंदा प्रचोदयात्
शनि ध्यान मंत्र
नीलांजना समभं रविपुत्रं यमाग्रजं
छाया मार्तण्ड समभत् तम नमामि शैश्चरम
करें ये उपाय
* शास्त्रों में कहा गया है कि शनिदेव की पूजा का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त के बाद का होता है, सूर्यास्त के बाद बरगद के पेड़ के नीचे तिल का दीपक जलाएं।
*इस दिन जरूरतमंदों की मदद करें
* इस दिन तेल में अपना चेहरा देखें और उस तेल का दान करें।
ईश्वर का स्वरूप क्या है?
25 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पहले अपने स्वरूप को जानों
एक महात्मा से किसी ने पूछा- ईश्वर का स्वरूप क्या है?
महात्मा ने उसी से पूछ दिया-तुम अपना स्वरूप जानते हो?
वह बोला- नहीं जानता।
तब महात्मा ने कहा- अपने स्वरूप को जानते नहीं जो साढ़े तीन हाथ के शरीर में मैं-मैं कर रहा है और संपूर्ण विश्व के अधिष्ठान परमात्मा को जानने चले हो। पहले अपने को जान लो, तब परमात्मा को तुरंत जान जाओगे। एक व्यक्ति एक वस्तु को दूरबीन से देख रहा है। यदि उसे यह नहीं ज्ञान है कि वह यंत्र वस्तु का आकार कितना बड़ा करके दिखलाता है, तो उसे वस्तु का आकार कितना बड़ा करके दिखलाता है, तो उसे वस्तु के सही स्वरूप का ज्ञान कैसे होगा?
अत: अपने यंत्र के विषय में पहले जानना आवश्यक है। हमारा ज्ञान इन्द्रियों के द्वारा संसार दिखलाता है। हम यह नहीं जानते कि वह दिखाने वाला हमें यह संसार यथावत ही दिखलाता है या घटा-बढ़ाकर या विकृत करके दिखलाता है। गुलाब को नेत्र कहते हैं- यह गुलाबी है। नासिका कहती है- यह इसमें एक प्रिय सुगंध है। त्वचा कहती है- यह कोमल और शीतल है। चखने पर मालूम पड़ेगा कि इसका स्वाद कैसा है। पूरी बात कोई इंद्री नहीं बतलाती। सब इन्द्रियां मिलकर भी वस्तु के पूरे स्वभाव को नहीं बतला पातीं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 नवंबर 2023)
25 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में सुखदायक योग बनेगा, पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ेगी, रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि - शत्रु बाधाओं पर विजय, Œााr, संतान आदि का सुख मिलेगा, दाम्पत्य जीवन सुखी होगा।
मिथुन राशि - पारिवारिक सुख व की प्राप्ति होगी, धार्मिक कार्य में पुण्य तथा का लाभ मिलेगा ।
कर्क राशि - उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा, राजनेता का सहयोग प्राप्त होगा, कार्य बनेंगे।
सिंह राशि - बिना कारण झगड़े, झंझट का योग बनेंगा, इससे हानि भी हो सकती है।
कन्या राशि - अध्यापन कार्य में सफलता, शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, पद प्रति‰ा मिलेगी।
तुला राशि - सामाजिक कार्यो में रुचि, वायु दोष, उदर विकार, आंख में कुछ पीड़ा हो सकती है।
वृश्चिक राशि - नवीन पद की प्राप्ति बेरोजगारी से छुटकारा मिलेगा, पत्नी व बच्चों को सुख मिलेगा।
धनु राशि - शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा, सांसारिक जीवन सुखमय व्यतीत होगा, ध्यान रखें।
मकर राशि - मानसिक उद्विघ्नता का निर्णय का अभाव एवं शारीरिक अशांति तथा चिंता बनेगी।
कुंभ राशि - विभिन्न रोगों से शरीर में पीड़ा बने रहने के आसार हैं, पत्नी से तलाक हो सकता है।
मीन राशि - सामान्य धन व्यय होगा, खर्च में अधिकता बढ़गी, पारिवारिक प्रगति के कार्य बनेंगे।
क्या आपने सोचा है कि बच्चों का नाम कृष्ण के नाम पर रखा जाना चाहिए?
24 Nov, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बच्चों के जन्म के बाद उनके नामकरण का विज्ञान बहुत खास है। माता-पिता हमेशा लड़के या लड़की के लिए एक विशेष नाम की तलाश में रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि बच्चों का नाम भगवान के नाम पर रखना बहुत अच्छा होता है।
जब बच्चे पैदा होते हैं तो ज्यादातर लोग चाहते हैं कि बच्चा भगवान कृष्ण जैसा हो। इसी तरह वे अपने बच्चों को भी कृष्ण का नाम देना चाहते हैं. यदि हां, तो वे चाहते हैं कि आप अपने बच्चे का नाम कृष्ण के नाम पर रखें। यहां आपके लिए कृष्ण के विशेष नाम दिए गए हैं।
यहां आपके प्यारे बच्चों के लिए कृष्ण के नाम दिए गए हैं:
अरिव: इस नाम का अर्थ है ज्ञान और न्याय का राजा
अभिजीत: इस नाम का अर्थ है विजयी
अद्वैत: इस नाम का अर्थ है अद्वितीय, अविभाजित
अभ्यंकर: अभ्यंकर एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है भय को दूर करने वाला
अबजयोनी: अबजयोनी एक लड़के का नाम है जो मुख्य रूप से हिंदू धर्म में लोकप्रिय है। और इसका अर्थ है 'कमल से जन्मा'
अनाडीह: यह नाम भगवान कृष्ण को संदर्भित करता है
अनंतजीत: इस नाम का अर्थ है अनंत का विजेता। इसका अर्थ है सर्वदा विजयी भगवान पराजित
: अर्थात अजेय, महान योद्धा
अप्रमेय: इस नाम का अर्थ भगवान कृष्ण की तरह 'अनंत' और 'मापने योग्य' है
अरिजीत: कृष्ण और सुभद्रा के पुत्र। शत्रुओं पर हावी होने वाला
अश्वध : इस नाम का अर्थ कृष्ण है
अयुक्त: इस नाम का मतलब साफ़ दिमाग है। यह भगवान कृष्ण
बालगोपाल को संदर्भित करता है: शिशु कृष्ण या शिशु कृष्ण
बाली: बाली भारतीय मूल का एक लोकप्रिय नाम है और इसका अर्थ है सैनिक
बालमुकुंद: युवा कृष्ण
बांकेबिहारी: बांकेबिहारी का अर्थ है 'वह जो जंगल में खेल पसंद करता है'।
बंसी: भगवान कृष्ण द्वारा बजायी जाने वाली बांसुरी
बनवारी: यह नाम भगवान कृष्ण को दर्शाता है। इसका
अर्थ है वृन्दावन में रहने वाला । और यह भगवान कृष्ण का प्रतिनिधित्व करता है। दारुक: इस नाम का अर्थ है 'कृष्ण का सारथी' दयानिधि: दयानिधि का अर्थ है 'दयालु व्यक्ति' या 'दया का खजाना'।
देवकीनंदन: भगवान कृष्ण देवकी के पुत्र हैं
देवेश: यह सुंदर नाम भगवान कृष्ण
धाम को दर्शाता है: यह नाम भगवान कृष्ण को दर्शाता है। इसका अर्थ है परमात्मा
गणाश्रय: एक विनम्र और बहादुर लड़का
गणाश्रय: गणाश्रय एक लोकप्रिय हिंदू नाम है।
घनश्याम: इस नाम का अर्थ है काले बादल का रंग जो जल्द ही बरसता है। या 'ठोस अंधकार'.
गिरधारी: का अर्थ है 'वह जिसने गोवर्धन पर्वत को उठाया'
गिरिवर: का अर्थ है 'वह जिसने गोवर्धन पर्वत को धारण किया था'
क्या सपने में मंदिर देखना अच्छा है? क्या यह बुरा है? क्या आप जानते हैं सपने में मंदिर देखने का क्या मतलब होता है?
24 Nov, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आमतौर पर हम सभी सोते समय सपने देखते हैं, लेकिन कई लोगों को सुबह उठने पर सपना याद नहीं रहता। शायद अगर आपको ऐसा कोई सपना याद है तो यह बेहद खास है।
ऐसे सपने जीवन में कम ही सच होते हैं।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सपनों का हमारे अवचेतन मन से बहुत गहरा संबंध होता है और उनका एक गुप्त अर्थ होता है।
ज्योतिष शास्त्र में भी सपनों का अर्थ माना जाता है। वे कुछ अच्छा या बुरा होने का संकेत दे सकते हैं। सपने आसन्न खतरे की चेतावनी दे सकते हैं या किसी ऐसी घटना का संकेत दे सकते हैं जो खुशी लाती है। यह मत भूलो कि सभी सपनों का कोई अर्थ नहीं होता।
सपने में मंदिर देखने का सामान्य अर्थ
मंदिर आमतौर पर सभी धर्मों में पवित्रता और प्रार्थनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। आप सपने में मंदिर कैसे देखते हैं और आप उन्हें सपने में कैसे देखते हैं, इसके आधार पर इसका अलग-अलग मतलब हो सकता है।
मंदिर पूजा स्थल, पर्यटक आकर्षण या परित्यक्त इमारतें हो सकते हैं। आम तौर पर, यदि आप मंदिरों का सपना देखते हैं, तो आप अपने विचारों और मन में शांति और पवित्रता की भावना महसूस कर सकते हैं।
यह यह भी संकेत दे सकता है कि आपको अपने जीवन में ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है जो आपके भीतर के आत्म को जागृत कर सकती है। यह एक सकारात्मक आध्यात्मिक अनुभव हो सकता है.
यह सपना किसी मंदिर में प्रार्थना करने जैसा है
यदि आप सपने में देखते हैं कि आप किसी मंदिर में प्रार्थना कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप बहुत आध्यात्मिक हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि आपके जीवन में एक ऐसी स्थिति आने वाली है जो किसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए आपके आंतरिक आध्यात्मिक व्यक्तित्व को जागृत कर देगी।
मंदिर में शांति और पवित्रता है, यह पूजा स्थल है। अत: जो लोग यह सपना देखते हैं उनका आध्यात्मिकता के प्रति दृष्टिकोण सही रहता है।
एक परित्यक्त मंदिर की यात्रा
यदि आपने किसी परित्यक्त मंदिर में रहने का सपना देखा है, तो इसका मतलब है कि आप अपने जीवन में अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। परित्यक्त मंदिर एक ऐसा स्थान होता है जो उजाड़ और नकारात्मक शक्तियों से भरा होता है।
इस सपने का मतलब है कि आपके जीवन में कोई विपत्ति आने वाली है। प्रियजन आपको छोड़ सकते हैं। यदि आप सपने में किसी परित्यक्त मंदिर में हैं तो इसका मतलब है कि आपने अपने जीवन की परिस्थितियों को स्वीकार कर लिया है।
सपने में मंदिर में बैठकर खाना खाना
मंदिर अक्सर गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यदि आप सपने में देखते हैं कि आप किसी मंदिर में भोजन कर रहे हैं या मंदिर में परोसा गया भोजन खा रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप मुश्किल स्थिति में हैं, लेकिन जल्द ही मदद मिलेगी।
आपकी सभी समस्याएं जल्द ही हल हो जाएंगी। यह वित्तीय मदद या दोस्तों से समर्थन हो सकता है। यह सपना एक शुभ संकेत है.
एक प्राचीन मंदिर के दर्शन
अगर आप सपने में किसी प्राचीन मंदिर के दर्शन कर रहे हैं या वहां से निकल रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप अतीत की यादों में फंसे हुए हैं। पुराना मंदिर आपके पिछले गुणों और समय के साथ आपके द्वारा की गई प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
प्राचीन मंदिर जर्जर हो रहे हैं। ये बात हम पर भी लागू होती है. यदि हम अतीत में बहुत अधिक जीते हैं, तो हम अपने वर्तमान की उपेक्षा कर देते हैं। यह सपना एक संकेत है जो हमें अतीत को भूलकर वर्तमान स्थिति में सुधार करके अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए कहता है।
सपने में मंदिर देखने के अच्छे और बुरे दोनों अर्थ हो सकते हैं। हम इन सपनों का उपयोग अपने जीवन को समझने और सही निर्णय लेने के लिए कर सकते हैं।
बुरे सपने: क्या आपको भी आते हैं बार-बार बुरे सपने, तो आजमाएं ये उपाय!
24 Nov, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु को सपनों का स्वामी कहा जाता है। ऐसे सपने तब आते हैं जब राहु चंद्रमा के साथ हो। कुछ लोगों को अच्छे सपने आते हैं तो कुछ लोगों को बुरे सपने आते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सपने भविष्य का संकेत देते हैं।
लेकिन कभी-कभी बुरे सपने असंबंधित होते हैं। ऐसे सपने कल क्या होगा इसका डर पैदा करते हैं। इसका ज्योतिषीय समाधान भी है।
अगर आप बार-बार बुरे सपनों से परेशान हैं तो सबसे पहले घर के फर्श पर नमक के पानी से पोंछा लगाएं। बिस्तर पर जाने से पहले फर्श को नमक के पानी से पोंछने से मदद मिलेगी।
बिना लहसुन की सौंफ को सफेद कपड़े में बांधकर रात को बिस्तर के नीचे रखकर सोएं। इस तरह तकिये के नीचे सोने से बुरे सपने नहीं आएंगे।
सोने से पहले अपने तकिये के नीचे लहसुन की कलियाँ रखें। तो आपको बुरे सपने नहीं आएंगे. यह न सिर्फ आपको बुरे सपनों से बचाता है बल्कि नींद की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है।
आप सोने से पहले नारियल पानी को अपने माथे पर लगा सकते हैं। यह आपको सपने देखने से रोकता है। इसके अलावा सिर पर नारियल का तेल लगाने से अच्छी नींद आने में मदद मिलती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 नवंबर 2023)
24 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में सुखदायक योग बनेगा, पारिवारिक जिम्मेदारियां बढ़ेगी, रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- शत्रु बाधाओं पर विजय, स्त्री, संतान आदि का सुख मिलेगा, दाम्पत्य जीवन सुखी होगा।
मिथुन राशि :- पारिवारिक सुख व की प्राप्ति होगी, धार्मिक कार्य में पुण्य तथा का लाभ मिलेगा ।
कर्वâ राशि :- उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा, राजनेता का सहयोग प्राप्त होगा, कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- बिना कारण झगड़े, झंझट का योग बनेंगा, इससे हानि भी हो सकती है।
कन्या राशि :- अध्यापन कार्य में सफलता, शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, पद प्रतिष्ठा मिलेगी।
तुला राशि :- सामाजिक कार्यो में रुचि, वायु दोष, उदर विकार, आंख में कुछ पीड़ा हो सकती है।
वृश्चिक राशि :- नवीन पद की प्राप्ति बेरोजगारी से छुटकारा मिलेगा, पत्नी व बच्चों को सुख मिलेगा।
धनु राशि :- शत्रुओं से छुटकारा मिलेगा, सांसारिक जीवन सुखमय व्यतीत होगा, ध्यान रखें।
मकर राशि :- मानसिक उद्विघ्नता का निर्णय का अभाव एवं शारीरिक अशांति तथा चिंता बनेगी।
वुंâभ राशि :- विभिन्न रोगों से शरीर में पीड़ा बने रहने के आसार हैं, पत्नी से तलाक हो सकता है।
मीन राशि :- सामान्य धन व्यय होगा, खर्च में अधिकता बढ़गी, पारिवारिक प्रगति के कार्य बनेंगे।
पूजा में जरुरी नियमों का पालने करें
23 Nov, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप रोज पूजा करते हैं और आपका मन अशांत रहता है तो इसका मतलब है कि आपकी पूजा-पाठ में कहीं कुछ गलत हो रहा है। यहां जानते हैं कि पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें और कुछ जरूरी नियमों का पालन कैसे करें।
जानें क्या है पूजा के सही नियम।
शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।
तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तों को तोड़ता है तो पूजन में ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किए जाते हैं।
सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।
दूर्वा घास रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए।
बुधवार और रविवार को पीपल के वृक्ष में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे से बने बर्तन। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।
केतकी का फूल शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए।
किसी भी पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए।
मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है। इस फूल को पांच दिनों तक जल छिड़क कर पुन: चढ़ा सकते हैं।
घर के मंदिर में सुबह और शाम को दीपक अवश्य जलाएं। एक दीपक घी का और एक दीपक तेल का जलाना चाहिए।
सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं। इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।
पैर के तलवे भी बताते हैं जीवन के रहस्य
23 Nov, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे तलवे और हथेलियां सीधे तौर से धन और ताकत से सम्बन्ध रखती हैं. तलवों से व्यक्ति की यात्राओं के बारे में भी जाना जा सकता है और तलवों को ठीक रखकर धन की समस्याओं और स्वास्थ्य को भी ठीक किया जा सकता है। जहां हथेलियों के चिह्न साधारण होते हैं, वहीं तलवों के चिह्न बहुत ज्यादा विशेष होते हैं।
लम्बे तलवे से क्या पता चलता है?
लम्बे तलवे होना कहीं-कहीं पर मूर्खता की निशानी माना जाता है लेकिन वास्तव में ये ईश्वर की विशेष कृपा का लक्षण है।
लम्बे तलवे वाले आलसी होने के बावजूद जीवन में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
जरूरत से ज्यादा छोटे तलवे व्यक्ति को मानसिक चिंता में डाल देते हैं।
ऐसे लोग काफी संघर्ष के बाद ही जीवन में कुछ पा सकते हैं।
आम तौर पर जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे चीजें बेहतर होती हैं।
सामान्य तलवे
सामान्य तलवे ज्यादा कुछ सूचना नहीं देते।
इसके लिए सामान्य तलवे के पैर के अंगूठे को देखना होगा।
तलवे के पास अंगूठे की रेखा अच्छी हो तो सामान्य तलवे भी अच्छे प्रभाव देते हैं।
क्या कहती हैं तलवे और पैरों की अंगुलियां?
पैरों का अंगूठा, अगर बगल वाली अंगुली से छोटा हो तो यह भाग्य में वृद्धि करता है।
अगर पैर की सबसे छोटी अंगुली काफी छोटी हो, या इसमें नाखून बहुत ही छोटा हो तो वैवाहिक जीवन खराब होता है।
अगर पैर की सबसे छोटी अंगुली लम्बी हो तो व्यक्ति को धन का अभाव नहीं होता।
अगर पैरों की अंगुलियाँ टेढ़ी मेढ़ी हो तो व्यक्ति की किस्मत में दो विवाह का योग बन जाता है।
अगर पैर का अंगूठा ज्यादा ही बड़ा हो तो यह बीमारी का लक्षण होता है।
क्या कहता है तलवे का रंग?
तलवे का रंग स्वाभाविक और साफ हो तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
तलवे का रंग एक समान न हो तो व्यक्ति धूर्त होता है।
तलवे के रंग में गुलाबीपन का होना बताता है कि व्यक्ति अत्यंत समृद्ध और सम्पन्न है।
अगर तलवे का रंग पीलापन लिए हुए हो तो व्यक्ति को खराब दाम्पत्य जीवन का सामना करना पड़ता है।
तलवे की रेखाओं का क्या है अर्थ?
अगर तलवे में अंगूठे से एक सीधी रेखा नीचे जाए तो यह व्यक्ति को अत्यंत बुद्धिमान बनाती है।
तलवे में जितनी कम रेखाएं होंगी व्यक्ति उतना ही ज्यादा भाग्यवान होगा।
तलवे में रेखाओं का जाल हो तो व्यक्ति को आजीविका के लिए भटकना पड़ता है।
तलवों में शंख या चक्र का होना अत्यंत दुर्लभ है, और यह महापुरुषों के पैरों में ही पाया जाता है।
तलवे के साथ जुड़े हुये लक्षण क्या कहते हैं?
पैर के तलवे में तिल हो तो व्यक्ति को खूब यात्रा और धन का वरदान मिलता है।
अगर पैर और तलवे बार-बार फटते हैं तो समझना चाहिए कि शरीर में विटामिन और मिनरल्स कम हैं।
अगर तलवे ठंढे रहते हैं तो समझना चाहिए कि हार्मोंस असंतुलित हैं।
तलवों में लगातार रूखेपन का होना बताता है कि आपको त्वचा की समस्या हो सकती है।
नल दमयंती की प्रेम कहानी देती है संदेश
23 Nov, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर एक पत्नी की अपने पति से कुछ अपेक्षा होती है लेकिन बदलते दौर में देखा गया है कि हम अपनी चीजें एक दूसरे पर थोपने लगे हैं। रिश्ते की डोर को इतना कमजोर कर दिया है कि हल्की-फुल्की बात पर भी लोग अलग होने का फैसला ले लेते हैं। नल दमयंती की प्रेम कहानी से पता चलता है पत्नी धर्म।
निषध देश में वीरसेन के पुत्र नल नाम के एक राजा थे। बहुत सुन्दर और गुणवान थे। वे सभी तरह की अस्त्र विद्या में भी बहुत निपुण थे। उन्हें जुआ खेलने का शौक था।
एक दिन राजा नल ने देखा कि बहुत से पक्षी उनके पास बैठे हैं। जिनके पंख सोने के समान दमक रहे हैं। नल ने सोचा कि इनके पंख से कुछ धन मिलेगा। ऐसा सोचकर उन्हें पकड़ने के लिए नल ने उनपर अपना पहनने का वस्त्र डाल दिया। इससे पहले कि वह पक्षियों को पकड़ पाते वे उनका वस्त्र लेकर उड़ गए। अब नल नग्न होकर बड़ी दीनता के साथ मुंह नीचे करके खड़े हो गए।
पक्षियों ने कहा, तू नगर से एक वस्त्र पहनकर निकला था। उसे देखकर हमें बड़ा दुख हुआ था। अब हम तेरे शरीर का वस्त्र लिए जा रहे हैं। हम पक्षी नहीं जुए के पासे हैं। नल ने दमयन्ती से पासे की बात कह दी। तुम देख रही हो, यहां बहुत से रास्ते है। एक अवन्ती की ओर जाता है। दूसरा पर्वत होकर दक्षिण देश को। सामने विन्ध्याचल पर्वत है। यह पयोष्णी नदी समुद्र में मिलती है। सामने का रास्ता विदर्भ देश को जाता है। यह कौशल देश का मार्ग है।
इस प्रकार राजा नल दुख और शोक से भरकर बड़ी ही सावधानी के साथ दमयन्ती को भिन्न-भिन्न आश्रम मार्ग बताने लगे। दमयन्ती की आंखें आंसू से भर गईं। दमयन्ती ने राजा नल से कहा क्या आपको लगता है कि मैं आपको छोड़कर अकेली कहीं जा सकती हूं। मैं आपके साथ रहकर आपके दुख को दूर करूंगी। यह सुनकर नल प्रसन्न हो गए और भाव-विह्वल होकर पत्नी को गले लगा लिया। इस प्रकार संकट से समय में दमयंती ने राजा नल का साथ देकर उनके दुख को दूर कर दिया। दुख के अवसरों पर पत्नी पुरुष के लिए औषधि के समान है। वह धैर्य देकर पति के दुख को कम करती है। साथ देने मात्र से वह अपने पति के लक्ष्य को बेहद आसान कर सकती है।
एकादशी व्रत से ठीक होते हैं ग्रहों के विपरीत प्रभाव
23 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है। चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति ख़राब और अच्छी होती है। ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोका जा सकता है। यहाँ तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है परन्तु एकादशी का लाभ तभी हो सकता है जब इसके नियमों का पालन किया जाय।
वैसे तो एकादशी मन और शरीर को एकाग्र कर देती है परन्तु अलग अलग एकादशियाँ विशेष प्रभाव भी उत्पन्न करती हैं। माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है।इसका पालन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है, मुक्ति मिलती है।इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति भूत, पिशाच आदि योनियों से मुक्त हो जाता है। यह व्रत व्यक्ति के संस्कारों को शुद्ध कर देता है। एकादशी के व्रत को रखने के नियम ?
यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है। निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत। सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए। अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए। इस व्रत में प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। इस व्रत में फलों और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाय।तामसिक आहार व्यहार तथा विचार से दूर रहें।बिना भगवान कृष्ण की उपासना के दिन की शुरुआत न करें।मन को ज्यादा से ज्यादा भगवान कृष्ण में लगाये रखें।अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें ,केवल प्रक्रियाओं का पालन करें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (23 नवंबर 2023)
23 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा, जमीन जायजाद का लाभ मिलेगा, कार्य बनेंगे।
वृष राशि - आर्थिक स्थिति साधारण रहेगी, आकस्मिक हानि से दुखी रहना पड़ सकता है।
मिथुन राशि - पारिवारिक सुख तथा आनंद की प्राप्ति होगी, धार्मिक दानपुण्य में प्रवृत्ति बनेगी।
कर्क राशि - जनसंपर्क बढ़गा, इच्छित कार्य की पूर्ति होगी, राजनेता का सहयोग मिलेगा।
सिंह राशि - शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, पद प्रति‰ का लाभ मिलेगा, ध्यान दें।
कन्या राशि - मानसिक कष्ट होगा, शत्रु आपको बाधा पहुंचाने का कष्ट करेंगें, सावधान रहें।
तुला राशि - परीक्षा व प्रतियोगिता के संबंध में दूर की यात्रा करनी पड़ सकती है, रुके कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि - यश प्रति में सुधार व व्यक्तित्व में निखार आयेगा, उद्योग धंधों में सफलता मिलेगी।
धनु राशि - समस्याओं का समाधान जल्द ही निकलेगा, आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने की संभावना है।
मकर राशि - मानसिक कष्ट व पारिवारिक उलझने बढ़ेंगी, व्यर्थ के खर्च से सावधान रहें।
कुंभ राशि - पत्नी से मनमुटाव बढ़ेगा, संतान पक्ष से आय बढ़गी, कार्य के प्रति चिंतन होवेगा।
मीन राशि - स्थिति में कुछ सुधार व स्वास्थ्य नरम गरम रहेगा, व्यय अधिक होने का योग बनेगा।