धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
आहार का असर
18 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आदमी बीमार हो गया। रक्त चढ़ाने की जरूरत हुई। डॉक्टर रक्त चढ़ाता है, तो पहले वह ग्रुप मिलाता है। किस ग्रुप का रक्त है? ठीक मिलेगा या नहीं? सेठ को रक्त चढ़ाना था- एक कंजूस आदमी का रक्त ठीक मिला, चढ़ाया गया। सेठ को पता चला कि उसको कंजूस का रक्त चढ़ाया जा रहा है। सेठ बड़ा उदार था। अपने मुनीम को कहा, उसको तीन हजार रूपए दे दो। भाग्य की बात, दूसरी बार फिर खून चढ़ाने की जरूरत हुई। उसी कंजूस का रक्त। सेठ ने कहा, उसे सौ रूपए दे दो। तीसरी बार जरूरत हुई तो सेठ ने एक कागज लिया और उस पर लिखा साधुवाद, धन्यवाद!
ऐसा क्यों हुआ? सेठ तो उदार था, किन्तु जिसका रक्त चढ़ाया जा रहा था, वह कंजूस था। उसका इतना प्रभाव हुआ कि जब तक रक्त का पूरा प्रभाव नहीं हुआ तो तीन हजार रूपए दिए, थोड़ा प्रभाव हुआ तो सौ रूपए और पूरा प्रभाव हुआ त़ो धन्यवाद दिया।
कहने का अर्थ यह कि चाहे रक्त हो, चाहे कोई दूसरी वस्तु हो, हमारे शरीर में बाहर के जो परमाणु प्रवेश पाते हैं, वे परमाणु जिस प्रकार के होते हैं, अपना प्रभाव डाले बिना नहीं रहते। इसलिए यह विषय हमारे लिए इतना महत्व का है कि बाहर से क्या आ रहा है, हम पूरा विवेक करें, पूरी छानबीन करें, तब ही किसी बात को स्वीकार करें। हम इस बात को अस्वीकार नहीं करेंगे कि भोजन के परमाणुओं में अनेक तत्व विद्यमान होते हैं, अनेक संस्कार मिले होते हैं। उन संस्कारों का असर हमारे जीवन के दैनिक क्रियाकलापों पर पड़ता है। इससे हम अछूते नहीं रह सकते।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 नवंबर 2023)
18 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- दूर की यात्रा का योग बनेगा, शत्रु पक्ष कमजोर होगा तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
वृष राशि - अच्छे गुणों की हानि, Œााr संतान के कार्य पर विशेष ध्यान देना होगा।
मिथुन राशि - आर्थिक कमी के कारण मानसिक क्लेश होगा, संतान पक्ष से कष्ट होगा।
कर्क राशि - प्रियजनों से भेंट व मिलाप की स्थिति में सुधार होगा तथा साधनों की वृद्धि होगी।
सिंह राशि - संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा, सभी कार्य में प्रगति होगी, ध्यान रखें।
कन्या राशि - राजभय रहेगा तथा नौकरी, व्यवसाय सफलता अवश्य ही मिलेगी, कार्य बनेंगे।
तुला राशि - यात्रा के योग से देश भ्रमण का अवसर मिलेगा, अनेक बाधाओं का सामना होगा।
वृश्चिक राशि - स्वजनों का साथ मिलेगा तथा आर्थिक विकास होने से वाहन की प्राप्ति होगी।
धनु राशि - साहसिक कार्यो में रुचि बढ़गी, भाग्योन्नति से पत्नी व बच्चों के दायित्व की पूर्ति होगी।
मकर राशि - व्यवसाय में कोई परिवर्तन नहीं होगा, मान सम्मान में वृद्धि होगी, साधन कष्ट होगी।
कुंभ राशि - उद्योग बाधाएं व्यवसाय में होगी, विघ्न बाधाएं बनी रहेगी, ध्यान रखकर कार्य करें।
मीन राशि - अध्ययन में रुचि मानसिक व शारीरिक श्रम व कार्य की अधिकता रहने से व्यस्त रहेंगे।
क्या देवी लक्ष्मी आपके घर आएं और धन की वर्षा करें? फिर इनमें से एक वस्तु दरवाजे पर रख दें
17 Nov, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई जीवन में सफल और समृद्ध होना चाहता है। लाख कोशिशों और मेहनत के बावजूद भी मां लक्ष्मी की कृपा के बिना आप अपने जीवन में उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच सकते, जो आप चाहते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि देवी लक्ष्मी आपके घर में प्रवेश करें तो आपको इसकी व्यवस्था करनी होगी।
देवी लक्ष्मी के आपके घर में प्रवेश के लिए आपका प्रवेश द्वार बहुत महत्वपूर्ण है।
आपके घर का प्रवेश द्वार सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि को आकर्षित करने वाला प्रवेश द्वार है। इस पोस्ट में आप जान सकते हैं कि देवी लक्ष्मी के प्रवेश के लिए आपको अपने घर के प्रवेश द्वार पर कौन सी वस्तुएं रखनी चाहिए।
प्रकाश महत्वपूर्ण है
देवी लक्ष्मी को आकर्षित करने की शुरुआत आपके घर में उनके प्रवेश द्वार को रोशन करने से होती है। प्रवेश द्वार पर सजावटी लैंप की एक जोड़ी रखें।
ये आपके जीवन से अंधकार और अज्ञान को दूर कर धन और ज्ञान का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
शुभ ॐ चिन्ह
प्रवेश द्वार के पास ॐ का चिन्ह या 'स्वस्तिक' लगाएं। माना जाता है कि ये पवित्र प्रतीक नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते हैं और सकारात्मक कंपन उत्पन्न करते हैं, जिससे देवी लक्ष्मी की उपस्थिति के लिए एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनता है।
स्वागत बोर्ड
एक सजावटी मेहराब या पोस्ट लटकाकर अपने प्रवेश द्वार के सौंदर्यशास्त्र को बढ़ाएं। सुंदर फूलों और आम के पत्तों से सजाएं. यह न केवल आपके घर की सुंदरता बढ़ाता है बल्कि उर्वरता और विकास का भी प्रतीक है।
रंगोली कोलम
अपने प्रवेश द्वार को जटिल रंगोली पैटर्न से सजाएँ। रंगोली न केवल कला का एक रूप है बल्कि इसे देवताओं का आह्वान भी माना जाता है। समृद्धि को दर्शाने के लिए लाल और पीले जैसे अच्छे रंग चुनें।
शंख और घंटियाँ
प्रवेश द्वार पर शंख और छोटी घंटी रखें। ऐसा माना जाता है कि शंख की ध्वनि आसपास के वातावरण को शुद्ध करती है, जबकि घंटी की ध्वनि नकारात्मकता को दूर करती है, जिससे यह मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए एकदम सही संयोजन बन जाता है।
वास्तु दर्पण
प्रवेश द्वार के पास दीवार पर एक छोटा दर्पण लटकाएँ। वास्तु शास्त्र में माना जाता है कि दर्पण नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, जिससे देवी लक्ष्मी का स्वागत करने में मदद मिलती है।
दिव्य पदचिन्ह
हल्दी या चंदन से देवी लक्ष्मी के पैरों के निशान बनाएं या उन्हें प्रवेश द्वार पर रखें। ये पैरों के निशान दर्शाते हैं कि देवी आपके घर आ रही हैं और भाग्य और समृद्धि लेकर आ रही हैं।
गर आपके साथ भी ये समस्याएं हैं तो इसका मतलब है कि आप बुरी शक्तियों से प्रभावित हैं...सावधान रहें
17 Nov, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बुरी नज़र के लक्षण: क्या आप हाल ही में थोड़ा उदास महसूस कर रहे हैं जैसे कि आपके जीवन में कुछ गड़बड़ है? ये महज़ एक संयोग नहीं है. ऐसा आपके जीवन में दखल देने वाली नकारात्मक शक्तियों के कारण भी हो सकता है।
कुछ ऐसे संकेत होते हैं जो बताते हैं कि आप नकारात्मक शक्तियों या बुरी शक्तियों के प्रभाव में हैं। लेकिन डरें नहीं, इस प्राचीन मान्यता से खुद को बचाने के लिए कुछ संकेत भी मौजूद हैं।
इस पोस्ट में हम देखेंगे कि नजर लगने या बुरी आत्माओं से प्रभावित होने के संकेतों को जानकर नकारात्मक ऊर्जा से कैसे बचा जा सकता है।
कहन तृष्टि क्या है?
कई संस्कृतियों और परंपराओं में ज्ञात, बुरी नज़र उन लोगों के लिए दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा लाती है, जिन्हें यह निशाना बनाती है। यह बुरी दृष्टि आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती है।
यह आपके रिश्तों से लेकर आपके स्वास्थ्य और समृद्धि तक हर चीज़ को प्रभावित कर सकता है। आइए आगे देखें कि आंखों में तनाव के सामान्य लक्षण क्या हैं।
बदकिस्मती जारी रही
यदि आप लगातार दुर्भाग्य का अनुभव कर रहे हैं और यह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, तो यह आपके जीवन में बुरी आत्माओं की उपस्थिति पर ध्यान देने का समय हो सकता है।
अस्पष्टीकृत स्वास्थ्य समस्याएं
क्या आप अस्पष्टीकृत स्वास्थ्य समस्याओं या अचानक बीमारियों का सामना कर रहे हैं? ये बुरी नज़र या बुरी नज़र के संपर्क की उपस्थिति के संभावित संकेतक हो सकते हैं।
तंग संबंध
कान त्रिशती या नकारात्मक ऊर्जाएं आपके रिश्तों में तनाव पैदा कर सकती हैं, जिससे प्रियजनों के साथ संघर्ष और गलतफहमी हो सकती है।
वित्तीय समस्याएँ
यदि, आपके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, अप्रत्याशित वित्तीय असफलताएँ आती हैं, तो यह खुद को बुरी नज़र से बचाने की आवश्यकता का भी संकेत हो सकता है।
लगातार थकान और चिंता
थकान, चिंता, या लगातार थकान महसूस हो रही है? इन भावनात्मक और शारीरिक लक्षणों का मतलब है कि आप पर नकारात्मक ऊर्जा हावी है। आइए आगे जानते हैं कि इस बुरी नजर से कैसे छुटकारा पाया जाए।
सुरक्षा उत्पाद
अपने साथ ताबीज या सुरक्षात्मक प्रतीकों वाली वस्तुएं ले जाने से आपको आंख के बुरे प्रभाव से बचाने में मदद मिलेगी।
अनुष्ठान और शुद्धिकरण
अपनी ऊर्जा को शुद्ध करने और एक सुरक्षात्मक अवरोध पैदा करने के लिए अनुष्ठानों और सफाई प्रथाओं में संलग्न रहें। घर पर ही पूजा करने की आदत बनाएं।
सकारात्मक ऊर्जा साझा करें
खान त्रिशती से जुड़ी नकारात्मक ऊर्जा का प्रतिकार करने के लिए अपने करीबी लोगों के साथ सकारात्मकता, दयालुता और कृतज्ञता साझा करें।
छठ पूजा कल से, नहाय-खाय के साथ महापर्व की होगी शुरुआत, 36 घंटे रखा जाता है कठोर व्रत
17 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दीपावली के बाद मनाया जाने वाला छठ पूजा महापर्व की तैयारी शुरू हो चुकी है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है।
छठ पूजा पर घर जाने वालों के लिए कई दिनों से ट्रेनों में भारी भीड़ चल रही है।
छठ पूजा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के इलाकों में सबसे ज्यादा मनाया जाता है। साथ ही इसे नेपाल में भी मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 17 नवंबर से शुरू होकर 20 नवंबर तक चलेगा। छठ के दौरान, महिलाएं कठिन उपवास का पालन करती हैं और अपने परिवार और बच्चों के कल्याण, समृद्धि और उन्नति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। छठ महापर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है और व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है।
बता दें कि 17 नवंबर को छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होगी, 18 नवंबर को खरना पर्व है, 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर ऊषा अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो जाएगा। छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा की परंपरा है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही डूबते सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा के दौरान व्रती को चार दिनों तक जमीन पर सोना चाहिए। कंबल या फिर चटाई का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। छठी मइया को साफ-सफाई और नियमों का पालन करके ही खुश किया जा सकता है। थोड़ी सी भी लापरवाही से माता नाराज हो जाती हैं। छठ का पर्व धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अहम माना जाता है।
षष्ठी तिथि को खगोलीय अवसर होता है। इस समय सूरज की पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर सामान्य से अधिक मात्रा में जमा होती हैं। उसके कुप्रभावों से रक्षा करने के लिए इस महापर्व को मनाया जाता है।
मान्यता के अनुसार भगवान श्री राम और माता सीता ने रावण का वध करने के बाद कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। उसके अगले दिन यानी सप्तमी को उदयीमान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 नवंबर 2023)
17 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वजनों व मित्रों से वाद-विवाद कार्यकारी क्षेत्र में अड़चने अवश्य ही बनेंगी, ध्यान रखें।
वृष राशि - उच्च पद की प्राप्ति अनेक सुखों का योग तथा उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा।
मिथुन राशि - अनेक तरह की बाधाएं मानसिक एवं व्यावसायिक रुकावटें पैदा करेंगी।
कर्क राशि - न्यायालयीन कार्यो में सफलता व शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा।
सिंह राशि - सत्संग एवं स्वास्थ्य में लाभ होगा तथा संतान के स्वास्थ्य पर ध्यान देना हितकर होगा।
कन्या राशि - कार्य व्यवसाय में अर्थलाभ होगा, विभागीय कार्य एवं स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
तुला राशि - धन प्राप्ति का योग है। भाग्य साथ देगा, किसी कीमती वस्तु की खरीदी का योग है।
वृश्चिक राशि - दुष्टों की संगति से बचने का प्रयत्न करें, शत्रु पक्ष कार्य में बाधा पहुंचायेंगे।
धनु राशि - सांसारिक सहयोग मिलेगा, बच्चों से परिवार में सुख शांति का वातावरण बनेगा।
मकर राशि - कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा, पारिवारिक सुख की प्राप्ति का योग बन रहा है।
कुंभ राशि - न्यायालयीन कार्यो में सफलता अवश्य ही मिलेगी, समय और स्थिति से साथ चलें।
मीन राशि - कार्य व्यवसाय अर्थलाभ विभागीय कार्यो पर ध्यान देना होगा, रुके कार्य बन जाएंगे।
सुबह करें ये शुभ काम तो मिलेगी सफलता
16 Nov, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर दिन की शुरुआत शुभ हो तो पूरा दिन अच्छा रहता है। इसीलिए सुबह को शुभ बनाने के लिए कुछ खास काम ऐसे बताए गए हैं, जिन्हें करते रहने से किस्मत का साथ मिल सकता है। काफी लोग दिनभर और देर रात तक कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन मनचाहा लाभ प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस संबंध में ज्योतिष की मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में ग्रहों के दोष होते हैं, वे आसानी से सफल नहीं हो पाते हैं, उन्हें ग्रहों का साथ नहीं मिलता है और वे दुखी रहते हैं। ग्रहों के दोष दूर करने और किस्मत का साथ पाने के लिए यहां जानिए 7 ऐसे शुभ काम जो सुबह-सुबह करना चाहिए...
पहला काम-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय से ठीक पहले। अगर ये संभव ना हो तो ज्यादा से ज्यादा 6-7 बजे तक जरूर उठ जाना चाहिए। इससे धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य को भी फायदा मिलता है।
दूसरा काम-सुबह जागते ही सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों को देखना चाहिए। हाथों को देखते समय यह मंत्र बोलना चाहिए- कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमूले सरस्वती, करमध्ये तू गोविंद प्रभाते कर दर्शनं। इस मंत्र से लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
तीसरा काम-पलंग से पैर नीचे रखते समय भूमि माता से क्षमा मांगें। भूमि भी देवी हैं, इन्हें पैर लगने से हमें दोष लगता है। इस दोष को दूर करने के लिए धरती माता से क्षमा मांगनी चाहिए।
चौथा काम- स्नान करते समय सभी तीर्थों का और सभी पवित्र नदियों के नामों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने पर सभी तीर्थों में स्नान का पुण्य मिलता है।
पांचवां काम- स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर सूर्य को तांबे के लोटे से चल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें।
छठा काम- घर के मंदिर में पूजा करें। तुलसी को जल चढ़ाएं। अगर संभव हो सके तो गाय को घास या रोटी खिलाएं।
सातवां काम- घर से निकलने से पहले अपने माता-पिता का आर्शीवाद अवश्य लें। माता-पिता का आदर करने वाले लोगों को सभी देवी-देवताओं की कृपा मिलती है।
हनुमान जी के ये मंदिर हैं आस्था के केन्द्र
16 Nov, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में रामभक्त हनुमान के पूजन का काफी महत्व और इनकी पूजा करने का सबसे शुभ दिन मंगलवार है। हनुमान जी को कलयुग में भी जीवित देव माना गया है और श्रृद्धाभाव से पूजा करने से वह भक्तों की मनोकामना भी तुरंत पूरी करते है। इनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां पर पूजन करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यताओं के अनुसार अगर इन मंदिरों में भगवान श्रीराम का नाम लेकर कोई भी मुराद मांगी जाए तो वह अवश्य पूरी होती है।
हनुमान गढ़ी, अयोध्या
अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के राजा हैं हनुमान जी। मान्यता है कि मंदिर में जब हनुमान जी की आरती होती है, उस समय वरदान मांगने वाले की हर इच्छा पूरी होती है।
कहते हैं कि लंका विजय के बाद हनुमानजी पुष्पक विमान में श्रीराम सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए थे। तभी से वो हनुमानगढ़ी में विराजमान हो गये। मान्यताओं के अनुसार जब भगवान राम परमधाम जाने लगे तो उन्होंने अयोध्या का राज-काज हनुमान जी को ही सौंपा था।
पंचमुखी हनुमान, कानपुर
कानपुर के पनकी में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर की महिमा भी बड़ी निराली है। यहीं पर हनुमान जी और लवकुश का युद्ध हुआ था। युद्ध के बाद माता सीता ने हनुमान जी को लड्डु खिलाए थे, इसीलिए इस मंदिर में भी उन्हें लड्डुओं का ही भोग लगता है। यहां आने वाले भक्तों की सारी इच्छायें सिर्फ लड्डू चढ़ाने से ही पूरी हो जाती हैं।
हनुमान मंदिर, झांसी
झांसी के हनुमान मंदिर में हैरानी की बात ये है कि यहां हर दिन सुबह पानी ही पानी बिखरा रहता है और कोई नहीं जानता कि ये पानी आता कहां से है। यहां हनुमान जी की पूजा-पाठ इसी पानी के बीच ही पूरी होती हैं। कहते हैं कि इस मंदिर के पानी का औषधीय गुणों से भरपूर है और इस पानी से चर्म रोग दूर होता है।
बंधवा हनुमान मंदिर, विन्ध्याचल
विन्ध्याचल पर्वत के पास विराजते हैं बंधवा हनुमान। यहां पर ज्यादातर लोग शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए पूजन करने आते हैं। यहां पर शनिवार को लड्डू, तुलसी और फूल चढ़ने से साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है।
मूर्छित हनुमान मंदिर, इलाहाबाद
कहते हैं हनुमान जी संगम किनारे भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने आये थे लेकिन वह इतने कमजोर हो गये थे कि उन्होंने प्राण त्यागने का निर्णय लिया। तभी मां सीता आईं और उन्होंने सिंदूर का लेप लगाकर उन्हें नया जीवन दान दिया। इसी मान्यता के अनुसार यहां पर जो भी भक्त, हनुमान जी को लाल सिंदूर का लेप करते हैं, उसकी सभी कामनाऔं पूरी होती हैं।
यहां होती है खंडित हनुमान प्रतिमा की पूजा
माना जाता है कि चंदौली के कमलपुरा गांव में बरगद के पेड़ से हनुमान जी प्रकट हुए थे. यहां पर बरगद से प्रकट हुए हनुमानजी की खंडित प्रतिमा की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि बरगद वाले हनुमान भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
रुद्राक्ष और उनके महत्व
16 Nov, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रुद्राक्ष की का धार्मिक महत्व जगजाहिर है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव सटीक पर यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष कलाई , कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है। इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा।
कलाई में बारह,कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए।
एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए.
सावन में,सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है
रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए .
जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा।
विभिन्न रुद्राक्ष और उनका महत्व-
एक मुखी - यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है।
सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है।
जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।
दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है।
कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है।
अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर हो दो मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है।
तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है।
मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम परिणाम देता है।
मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है।
मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम।
त्वचा के रोगों और वाणी की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.
पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है।
इसको धारण करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है।
जिनकी राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
छः मुखी- इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है।
इसको धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक और व्यवसायिक लाभ होता है।
अगर कुंडली में शुक्र कमजोर हो अथवा तुला या वृष राशी हो तो छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
सात मुखी- यह सप्तमातृका तथा सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है।
मारक दशाओं में तथा अत्यंत गंभीर स्थितियों में इसको धारण करने से लाभ होता है।
अगर मृत्युतुल्य कष्टों का योग हो अथवा मकर या कुम्भ राशी हो तो यह अत्यंत लाभ देता है.
आठ मुखी- यह अष्टदेवियों का स्वरुप है तथा इसको धारण करने से अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
इसको धारण करने से आकस्मिक धन की प्राप्ति सहज होती है तथा किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र का असर नहीं होता।
जिनकी कुंडली में राहु से सम्बन्धी समस्याएँ हों ऐसे लोगों को इसे धारण करना शुभ होता है।
ग्यारह मुखी- एकादश मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरुप माना जाता है।संतान सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के लिए तथा संतान प्राप्ति के लिए इसको धारण करना शुभ होता है।
इस प्रकार मिलेगी प्रेम में सफलता
16 Nov, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में प्रेम का भी अहम स्थान होता है पर कई लोगों को यह नहीं मिलता। ऐसे लोगों के लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ उपाय। यह तो सभी जानते हैं कि शरद रितु प्रेम के लिए उत्तम मानी गई है, ऐसे में प्रेम के देवता भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी समय महारास रचाया था। इस रितु का चंद्रमा आपको मनचाहे प्रेम का वरदान देता प्रतीत होता है। इसलिए प्रेम चाहने वाले यदि यह उपाय करें तो वो सफल अवश्य ही होंगे।
शाम के समय राधा-कृष्ण की उपासना करें।
दोनों को संयुक्त रूप से एक गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
मध्य रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद ॐ राधावल्लभाय नमः मंत्र का कम से कम 3 माला जाप करें।
या मधुराष्टक का कम से कम 3 बार पाठ करें।
फिर मनचाहे प्रेम को पाने की प्रार्थना करें।
भगवान को अर्पित की हुई गुलाब की माला को अपने पास सुरक्षित रख लें।
इन उपायों से निश्चित ही मनचाहे प्रेम की प्राप्ति होती है और सभी संबंधों में प्रेम और लगाव बढ़ने लगता है।
साढ़ेसाती से कैसे बचें
16 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि न्याय के देवता माने जाते हैं पर फिर भी उनको और उनसे पढ़ने वाली साढ़ेसाती को लेकर भय का एक माहौल है जा सही नहीं है। इसलिए जानते हैं क्या होती है साढ़ेसाती और कैसे उसके विपरीत परिणामों से बचा जाये।
शनि हर राशि पर भ्रमण के दौरान एक विशेष तरह का प्रभाव डालता है। जब यह प्रभाव किसी राशि के ऊपर शनि की विशेष स्थितियों के कारण पड़ता है तो इसको साढ़ेसाती कहते हैं। शनि जब भी किसी राशी से बारहवें रहता है, उसी राशी में रहता है या उस राशी से दूसरे रहता है तो उस राशी पर साढ़ेसाती चलने लगती है। शनि एक राशि पर ढाई वर्ष रहता है और एक साथ तीन बार किसी राशि को प्रभावित करता है। ढाई-ढाई वर्षों का तीन चरण साढ़ेसात साल तक साढ़ेसाती के रूप में चलता है।
क्या है शनि की ढैया?
राशियों पर भ्रमण के दौरान जब शनि किसी राशि से चतुर्थ भाव या अष्टम भाव में आता है तो इसको शनि की ढैया कहा जाता है।
यह शनि के एक राशि पर भ्रमण के दौरान ही रहता है शनि एक राशि पर ढाई वर्ष तक रहता है इसलिए इसे ढैया कहा जाता है।लोगों का मानना है कि यह हमेशा बुरा फल देती है परन्तु यह जरुरी नहीं है।
इसमें सबसे पहले देखना होगा कि उस मनुष्य की व्यक्तिगत दशा क्या है।
इसके बाद कुंडली में शनि की स्थिति देखनी होगी।
तब जाकर यह समझा जा सकता है कि साढ़ेसाती या ढैया का फल बुरा होगा या अच्छा।
साढ़ेसाती में व्यक्ति को अच्छे और बुरे की पहचान हो जाती है।
व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूर्ण प्रयोग करता है।
व्यक्ति बहुत तेजी से उंचाइयों तक पहुंच जाता है।
रुके हुए या बंद कैरियर में सफलता मिलती है।
व्यक्ति को आकस्मिक रूप से धन और उच्च पद मिल जाता है।
व्यक्ति को विदेश से लाभ होता है और विदेश यात्रा के योग बन जाते हैं।
शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
नित्य सायं शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप करें।
अगर कष्ट ज्यादा हो तो शनिवार को छाया दान भी करें।
भोजन में सरसों के तेल, काले चने और गुड़ का प्रयोग करें।
अपना आचरण और व्यवहार अच्छा बनाये रखें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 नवंबर 2023)
16 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, मानसिक खिन्नता व चिंताएं मन उद्विघ्न बनाकर रहेगी।
वृष राशि - सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व, वृद्धि, वर्ग से उल्लास, सर्तकता के साधन बनेंगे।
मिथुन राशि - मनोवृत्ति संवेदनशील रखें, वर्ग से हर्ष उल्लास भोग एश्वर्य की प्राप्ति होगी।
कर्क राशि - इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय सफलता, अधिकारियों से समर्थन व आशाएं बढ़ेगी।
सिंह राशि - योजनाएं फलप्रद हों, कार्य व्यवसाय, गति अनुकूल कार्य योजना अवश्य बनेंगी।
कन्या राशि - तनाव क्लेश व अशांति, चोट आदि का भय होगा, समय का ध्यान रखें।
तुला राशि - मान प्रति, प्रभुत्व वृद्धि कार्य कुशलता से बिगड़े हुए कार्य बन जाएंगे।
वृश्चिक राशि - भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, सामाजिक कार्य में प्रति‰ा बढ़ेगी।
धनु राशि - विशेष कार्य स्थिगित रखें, प्रत्येक कार्य में बाधा, असमंजस बनेंगा, ध्यान रखें।
मकर राशि - कार्य करने पर भी असंतोष रहेगा, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल होवेगी, लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि - कार्य व्यवसाय में नवीन योजनाएं बनेंगी, सफलता के साधन बनेंगे, रुके कार्य बनेंगे।
मीन राशि - स्थिति के अनुरुप ही कार्य करे तो लाभ मिलेगा, विशेष कार्य स्थिगित रहेंगे।
चावल के आटे से एक साथ तैयार किए जा सकते हैं ये 4 तरह के मोदक
15 Nov, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोदक गणेश जी को अत्यंत प्रिय है जो मनवांछित वरदान देते हैं। विभिन्न प्रकार के मोदकों का भोग लगाकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मोदका को भाप में पकाया जा सकता है, तला जा सकता है या ऐसे ही तैयार किया जा सकता है।
हमने आपको 4 स्वादिष्ट मोदका रेसिपी दी हैं जिन्हें चावल के साथ एक बार में बनाया जा सकता है:
सामग्री
3 कप चावल का आटा
3 कप पानी
1/4 नमक
1 बड़ा चम्मच
खाना पकाने के लिए घी 2 बड़े चम्मच पानी
1 बड़ा चम्मच अतिरिक्त घी
* मोदक के अंदर स्टफिंग के लिए
1 चम्मच घी
3 कप
कसा हुआ नारियल 1.5 कप कसा हुआ गुड़
1 चम्मच इलायची पाउडर
थोड़ा सा केसर
* गुलकंद नारियल कोया
1 कप कसा हुआ नारियल
1/4 कप कसा हुआ कोया
1/2 कप गुलकंद
इन्हें मिला लें.
* कोकोनेट चॉकलेट
1 कप कसा हुआ नारियल
1/2 कप डार्क चॉकलेट
1/4 चम्मच इलायची पाउडर
डार्क चॉकलेट पीस लें, कसा हुआ नारियल, इलायची पाउडर मिलाएं.
* कायितूरी गुड़
1 छोटा कप कसा हुआ नारियल
1 छोटा कप गुड़ पाउडर डालकर
मिला लें.
इसे कैसे बनाएं -
एक पैन में पानी उबालें, नमक और 1 बड़ा चम्मच घी डालें, पानी उबलने पर चावल का आटा डालें और हिलाएं ताकि गांठ न पड़े, जब यह नमकीन और सख्त हो जाए तो इसे आंच से उतार लें. .
* फिर उस आटे की लोई बना लें, फिर उसमें ये चारों मिश्रण अलग-अलग भर दें, फिर उसे भाप में पका लें.
* इस मोदक को 15-20 मिनट तक भाप में पकाएं.
* अगर आप ऐसा करेंगे तो 4 फ्लेवर के मोदक बनकर तैयार हो जाएंगे, आपकी मेहनत भी कम हो जाएगी.
भाई दूज पर बहनें करें ये काम, जिंदगी में हमेशा खुशहाल रहेगा आपका भाई
15 Nov, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को प्रेम स्वरूप तोहफे देते हैं। भाई बहन के इस रिश्ते पर बुरी नजर न लगे इसके लिए भाई दूज पर कुछ बातों का खास ख्याल रखना होता है।
सबसे पहले बात करते हैं पूजा की थाली की क्योंकि इस त्योहार में सबसे अहम पूजा की थाल को माना जाता है।
धर्म के जानकारों की मानें तो पूजा की थाल में ये कुच चीजें लाजिमी रखनी चाहिए। जैसे कि चावल, थाली में अशुद्ध के लिए चावल जरूर रखें। ध्यान रहे कि ये चावल टूटे हुए न हो।
तिलक के बाद मिठाई खिलाने का चलन है ताकि रिश्तों में मधुरता बनी रहे। इसलिए थाली में मिठाई जरूर रखें। कलावा के बिना हर पूजा अधूरी होती है। रक्षा सूत्र की तरह भाई की कलाई पर इसे बांधने के लिए थाली में इसका होना जरूरी होता है। नारियल को काफी शुभ माना जाता है। इसलिए इसे हर त्योहार में प्रमुखता से रखा जाता है।
पूजा की थाली में चांदी का सिक्का जरूर रखें ताकि भाई पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसती रहे और वह खुशहाल रहे। रिश्तों में खुशबू बरकरार रहे इसलिए थाल में फूल जरूर रखें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (15 नवंबर 2023)
15 Nov, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी से अचानक परेशानी, Œााr वर्ग से संतान, मानसिक बैचेनी बढ़ेगी, रुके कार्य बनें।
वृष राशि - शरीर बाधाए, स्थिरता एवं व्यवसायिक उदासीनता अवश्य ही बन जाएंगे।
मिथुन राशि - अनावश्यक कुछ बाधाएं उत्पीड़ित रखे, कुछ चिन्ताएं बनी ही रहेगी, ध्यान रखे।
कर्क राशि - सोचे हुए कार्य पूर्ण करने का प्रयास करें, कार्य में रुकावट अवश्य ही बने, ध्यान रखे।
सिंह राशि - किसी के धोखे व हानि से बचिए, अशांति, विपरीत कार्य अवश्य ही होगे।
कन्या राशि - वर्ग से हर्ष, उल्लास, योजनाएं फलीभूत हो, सोचे कार्य अवश्य बन जाएंगे।
तुला राशि :- कुछ कार्यों में स्थायित्व समर्थ वृद्धि, प्रयत्नशील अवश्य सफल होगी।
वृश्चिक राशि - कुटुम्ब से परेशानी, स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी अवश्य ही बनेगी, ध्यान रखे।
धनु राशि - तनाव, क्लेश कष्ट, मानसिक बेचैनी, स्वभाव में उदविघ्नता अवश्य ही बन जाएंगे।
मकर राशि - इष्ट मित्र, कष्टप्रद हो, आशानुकूल सफलता का हर्ष, मित्र से स्नेह, सौजन्यता बनेगी।
कुंभ राशि - मानसिक बेचैनी, अर्थ व्यवस्था, मानसिक उद्विघ्नता, असमर्थता का वातावरण होगा।
मीन राशि - मन में खिन्नता, मानिसक बेचैनी, मानसिक उद्विघ्नता, असमर्थता का वातावरण होगा।