धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
भगवान शिव के रूद्र अवतार हैं हनुमान
30 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव को अनंत कहा गया है और हनुमान जी को इनका रूद्र अवतार माना गया है। शिव के हनुमान रूप में जन्म लेने की कथा इस प्रकार है। भगवान शिव भक्तों की पूजा से जल्द प्रसन्न होने वाले देव हैं और हर युग में अपने भक्तों की रक्षा के लिए अवतार लिए हैं। भगवान शिव ने 12 रूद्र अवतार लिए हैं जिनमें से हनुमान अवतार को श्रेष्ठ माना गया है.
हनुमान के जन्म पर क्या कहते हैं शास्त्र
शास्त्रों में रामभक्त हनुमान के जन्म की दो तिथि का उल्लेख मिलता है। जिसमें पहला तो उन्हें भगवान शिव का अवतार माना गया है, क्योंकि रामभक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वर मांगा था।
तब भगवान शिव ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को हनुमानजी का जन्म हुआ था।
पौराणिक कथा के अनुसार
पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का अंत करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उस समय सभी देवताओं ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए अवतार लिया था।
उसी समय भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया था और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था। हनुमान उनके ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। इस रूप में भगवान शंकर ने राम की सेवा भी की और रावण वध में उनकी मदद भी की थी।
तब शुरु करें नया कार्य
30 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप कोई नया कामकाज शुरु करने जा रहे हैं तो उसके लिए शुभ समय देख लें। इससे आपके काम में बाधा नहीं आयेगी। इस प्रकार की बातों का ध्यान रखें।
कुंडली में गुरु अथवा शुक्र की दशा चलने पर , गोचर से गुरु और शनि दोनों के मजबूत होने पर साढे साती उतरने के तुंरत बाद भी नया काम शुरु होता है। वहीं भाग्येश अथवा सप्तमेश की दशा चलने पर भी नया काम शुरु होता है। इसके अलावा दिन समय और स्थान का सही चुनाव करना चाहिए। उस दिन चन्द्र बल और तारा बल मजबूत होना चाहिए। काम के हिसाब से नक्षत्र का चुनाव होना चाहिए अथवा
राशियों के हिसाब से दिन का चुनाव किया जाना चाहिए। उस दिन से सम्बंधित शुभ वस्तु खाकर ही काम की शुरुआत करें।
किस राशि वाले कौन से दिन, क्या खाकर नया काम शुरु करें।
मेष- गुरुवार ,सरसों खाकर
वृष- शनिवार, घी खाकर
मिथुन- शुक्रवार, दही खाकर
कर्क- मंगलवार, गुड खाकर
सिंह- रविवार, पान खाकर
कन्या- बुधवार,धनिया
तुला- शुक्रवार,दही खाकर
वृश्चिक- रविवार,पान खाकर
धनु- गुरुवार,पीली मिठाई
मकर- सोमवार, दही और चीनी
कुम्भ-शनिवार,घी खाकर
मीन- बुधवार,धनिया खाकर ।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 मार्च 2023)
30 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - अपने व्यय पर नियंत्रण रखें, चिन्ता, भ्रमण व अशांति से बचिये, कष्ट होगा।
वृष राशि - शुभ समाचार प्राप्ति से हर्ष, थकावट, बेचैनी तथा धन का व्यय अधिक होगा।
मिथुन राशि - कुटुम्ब से तनाव, बेचैनी, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम की स्थिति बनेगी।
कर्क राशि - अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, अचानक व्ययकारी स्थिति बनेगी।
सिंह राशि - स्त्री वर्ग से कष्ट व चिंता, व्यवसाय व रुके कार्य बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि - अधिकारियों से तनाव व क्लेश होगा, दैनिक कार्यगति में बाधा होगी।
तुला राशि - अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, अग्नि, चोटादि का भय होगा।
वृश्चिक राशि - विशेष कार्य बाधा होगी, बने कार्य बिगड़ेंगे, सावधानी पूर्वक कार्य बना लें।
धनु राशि - व्यवसाय में बेचैनी, तनाव बढ़ेगा, परिश्रम विफल होगा, शांत रहें।
मकर राशि - चोट से कष्ट, अशुद्ध गोचर रहने से कार्य में हानि होगी, सावधानीपूर्वक कार्य करें।
कुंभ राशि - स्त्री वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम अवश्य होगा।
मीन राशि - समय ठीक नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, अनायास विभ्रम से मानसिक बेचैनी होगी।
बुधवार के दिन करें ये असरदार उपाय, जीवन में होगा मंगल ही मंगल
29 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है। वही बुधवार का दिन गौरी पुत्र गणेश की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था ऐसे में बुधवार के दिन गणपति की आराधना श्रेष्ठ फल प्रदान करती है।
भक्त इस दिन भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास भी रखते है। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत के अलावा अगर श्री गणेश स्तोत्र का विधिवत पाठ किया जाए तो भगवान शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते है और भक्तों के सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए है भगवान गणेश का प्रिय स्तोत्र। तो आइए जानते है।
श्री गणेश स्तोत्र-
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
संतान गणपति स्तोत्र
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
राम नवमी पर इन पारंपरिक पकवानों से लगाएं भोग
29 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को रामनवमी का पर्व मनाया जाता है. इस बार रामनवमी 30 मार्च 2023 गुरूवार को मनाई जाएगी. प्रत्येक देवी और देवताओं का भोग और प्रसाद अलग अलग होता है.
आओ जानते हैं श्री राम को कौनसा भोग प्रिय है. आप रामनवमी ने दिन उन्हें यही भोग लगाकर उनकी कृपा प्राप्त करें.
राम नवमी पर इन पारंपरिक पकवानों से लगाएं भोग
रामनवमी के अवसर पर भगवान राम को चावल की बनी खीर का भोग लगाया जाता है, इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है
रामनवमी के अवसर पर कई जगहों पर हलुआ पूरी का भी भोग लगाया है.
रामनवमी के अवसर पर पंच वस्तुओं से बनें पंचामृत का भोग लगाया जाता है.
रामनवमी के अवसर पर कुछ जगहों पर पंचामत के साथ साथ पीसे हुए धनिया में गुड़ और शक्कर मिलाकर पंजीरी का भी प्रसाद बांटते हैं हैं.
रामनवमी के अवसर पर खोए और अन्न से बने अलग अलग मिष्ठान का भोग लगाया जाता है.
श्री राम नवमी 2023 शुभ मुहूर्त (Ram Navami 2023 Date and Shubh Muhurat)
चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि प्रारंभ: 29 मार्च को शाम 07 बजकर 37 बजे से
चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च को रात्रि 10 बजे तक
राम नवमी 2023 तिथि: 30 मार्च 2023, गुरुवार
शुभ समय
सर्वार्थ सिद्धि योग: पुरे दिन
रवि योग: पूरे दिन
गुरु पुष्य योग: रात्रि 09 बजकर 29 मिनट से 31 मार्च सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग: रात्रि 09 बजकर 29 मिनट से 31 मार्च सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक
नवरात्रि में क्यों बोते हैं जवारे, कब करें इनका विसर्जन? जानें शुभ मुहूर्त और पूरी विधि
29 Mar, 2023 06:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल चैत्र शुक्ल (chaitra navratri 2023) प्रतिपदा से नवमी तिथि तक नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसे बड़ी नवरात्रि कहते हैं। इस दौरान अनेक परंपराओं का पालन भी किया जाता है।
नवरात्रि के पहले दिन जवारे बोए जाते हैं, जिन्हें नवरात्रि समापन होने के बाद यानी चैत्र शुक्ल दशमी तिथि (Jawara Visarjan 2023) को नदी या किसी अन्य जल स्त्रोत में प्रवाहित कर दिया जाता है। इस बार ये तिथि 31 मार्च, शुक्रवार को है। आगे जानिए जवारे विसर्जन की विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें.
ये हैं जवारे विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Jawara Visarjan 2023 Shubh Muhurta)
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मार्च, गुरुवार की रात 11.30 से शुरू होकर 31 मार्च, शुक्रवार की रात 01.58 तक रहेगी। 31 मार्च को ही जवारे विसर्जन किए जाएंगे। इस दिन पुष्य नक्षत्र दिनभर रहेगा। इस नक्षत्र में किए गए सभी शुभ कार्यों का फल कई गुना होकर मिलता है। जानें जवारे विसर्जन का मुहूर्त.
- अभिजीत मुहूर्त - 12:06 PM - 12:55 PM
- अमृत काल - 06:46 PM - 08:33 PM
इस विधि से करें जवारे विसर्जन (Jawara Visarjan Ki Vidhi)
- 31 मार्च, शुक्रवार की सुबह सबसे पहले स्नान आदि करें और इसके बाद देवी मां की पूजा करें। देवी को गंध, चावल, फूल, आदि चढ़ाएं और ये मंत्र बोलें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
ये मंत्र बोलने के बाद जवारों की भी पूजा करें। चावल, फूल, कुमकुम आदि चीजें चढ़ाएं और इन जवारों को ससम्मान नदी, तालाब या अन्य किसी जल स्त्रोत तक लेकर जाएं। हाथ में चावल व फूल लेकर जवारों का इस मंत्र के साथ विसर्जन करें-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
- जवारे विसर्जन करने के बाद माता से घर की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें और प्रसन्नता पूर्वक घर लौट आएं।
नवरात्रि में क्यों बोते हैं जवारे?
नवरात्रि में जौ या जवारे बोने की परंपरा काफी प्राचीन है। ये परंपरा कैसे शुरू हुई ये तो किसी को नहीं पता, लेकिन इसके पीछे गहरा मनोविज्ञान है। उसके अनुसार सृष्टि के आरंभ में जौ ही सबसे पहली फसल थी। इस फसल को हम देवी मां को अर्पित करते हैं और नवरात्रि समापन के बाद नदी में प्रवाहित कर देते हैं। आयुर्वेद में भी जवारों का विशेष महत्व बताया गया है। आयुर्वेद में जवारों को औषधि माना गया है।
मृत्यु का अर्थ
29 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मृत्यु एक शात सत्य है। यह अनुभूति प्रत्यक्ष प्रमाणित है, फिर भी इसके संबंध में कोई दर्शन नहीं है। अब तक जितने ऋषि-महर्षि या संत-महंत हुए हैं, उन्होंने जीवन दर्शन की चर्चा की है। जीवन के बारे में ऐसी अनेक दृष्टियां उपलब्ध हैं जिनसे जीवन को सही रूप में समझा जा सकता है और जिया जा सकता है। किंतु मृत्युक को एक अवश्यंभावी घटना मात्र मानकर उपेक्षित कर दिया गया। मृत्यु के पीछ भी कोई दर्शन है, इस रहस्य को अधिक लोग पकड़ ही नहीं पाए। यही कारण है कि जीवन दर्शन की भांति मृत्यु दर्शन जीवन में उपयोगी नहीं बन सका।
जैन दर्शन एक ऐसा दर्शन है जिसने जीवन को जितना महत्व दिया, उतना ही महत्व मृत्यु को दिया। बशत्रे कि वह कलात्मक हो। कलात्मक जीवन जीने वाला व्यक्ति जीवन की सब विसंगतियों के मध्य जीता हुआ भी उसका सार तत्व खींच लेता है। इसी प्रकार मृत्यु की कला समझने वाला व्यक्ति भी मृत्यु से भयभीत न होकर उसे चुनौती देता है। जैन दर्शन में इसका सर्वागीण विवेचन उपलब्ध है।
मृत्यु का अर्थ है- आयुष्य प्राण चुक जाने पर जीव का स्थूल शरीर से वियोग।इसके कई प्रकार हैं। उन सबका संक्षिप्त वर्गीकरण किया जाए तो मृत्यु के दो प्रकार होते हैं- बाल मरण और पंडित मरण. असंयम और असमाधिमय मरण बाल मरण है। अकाल मृत्यु, आत्महत्या, अज्ञान मरण आदि सभी प्रकार के मरण बाल मरण में अंतर्निहित हैं। संयम और समाधिमय मृत्यु पंडित मरण है। जीवन के अंतिम क्षणों में भी संयम और समाधि का स्पर्श हो जाए तो वह मरण पंडित मरण की गणना में आ जाता है। कुछ व्यक्ति मौत के नाम से ही घबराते हैं।
वे जीवन को महत्व देते हैं। अपना-अपना चिंतन है। मुझे इस संबंध में अपने विचार देने हों तो मैं मृत्यु को वरीयता दूंगा। क्योंकि जीवन की सार्थकता भी मृत्यु पर ही निर्भर करती है। किसी व्यक्ति ने तपस्या की है और जागरुकता के साथ धर्म की आराधना की है, तो उसका फल समाधिमय मृत्यु ही है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 मार्च 2023)
29 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनावपूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी होगी।
वृष राशि - अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल अवश्य होगी।
मिथुन राशि - भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद तनाव, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा।
कर्क राशि - अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ देगा, विशेष कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि - परिश्रम सफल होगा, व्यवसाय गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण होगी।
कन्या राशि - कार्य व्यवसाय गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य ही होगी।
तुला राशि - किसी दुर्घटना से बचें, चोटादि का भय होगा, कार्य व्यवसाय अनुकूल बनेगा।
वृश्चिक राशि - कार्यगति अनुकूल होगी, लाभपूर्ण कार्ययोजना बनेगी, बाधा अवश्य होगी।
धनु राशि - प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि - अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, कार्य अवरोध होगा, धैर्य रखें।
कुंभ राशि - मनोबल बनाये रखें, कार्य योजना पूर्ण होगी, नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि - दैनिक कार्यगति उत्तम होगी, कुटुम्ब में सुख समय बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
घर में भूलकर भी ना रखें हनुमान जी की ऐसी मूर्ति, पड़ता है बुरा असर
28 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू शास्त्रों में सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलग-अलग नियम और लाभ बताए गए हैं। वास्तु शास्त्र भी भगवान की पूजा और उसके रखरखाव के संबंध में नियम प्रदान करता है।
अगर आप घर में हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर रखना चाहते हैं तो आपको कई बातों का ध्यान रखने और सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमानजी की पूजा को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार घर में संकटमोचन की मूर्ति और तस्वीर रखनी चाहिए, तो आइए जानते हैं कि क्या हैं ये नियम।
हनुमानजी की ऐसी मूर्ति न लगाएं
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पूजा घर में कभी भी हनुमानजी की उड़ती हुई तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। उनकी प्रतिमा सदैव स्थापित करनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार हनुमानजी की मूर्ति को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए, लेकिन इस दिशा में रखी गई किसी भी मूर्ति या फोटो में हनुमानजी बैठे हुए मुद्रा में होने चाहिए। कहा जाता है कि इस दिशा में हनुमानजी का प्रभाव अधिक होना चाहिए। क्योंकि माता सीता की खोज दक्षिण दिशा से शुरू हुई थी। राम-रावण युद्ध भी दक्षिण दिशा में हुआ था।
शास्त्रों के अनुसार राक्षसों का वध करने वाले या लंका जलाने वाले हनुमान के चित्र घर में नहीं लगाने चाहिए। ऐसी छवियों को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि का अभाव होता है और हनुमानजी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।
शास्त्र कहते हैं कि घर में हनुमानजी की ऐसी तस्वीर या मूर्ति नहीं रखनी चाहिए, जिसमें उन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को कंधे पर उठा रखा हो या उनकी छाती फटी हुई हो।
ऐसी संकटमोचन की प्रतिमा घर में स्थापित करें
माना जाता है कि घर में पीले वस्त्र पहने हुए हनुमानजी की मूर्ति या मूर्ति रखनी चाहिए। यह घर में सुख-समृद्धि लाता है और संकटमोचन आपके सभी दुखों को दूर करता है।
बच्चों के कमरे में बच्चे के रूप में बजरंगबली की तस्वीर और लंगोट पहने हुए उनकी तस्वीर होनी चाहिए। ऐसा करने से उनका मन पढ़ाई में लगा रहता है और उन्हें किसी तरह का डर नहीं लगता है।
महाअष्टमी में करें पान के पत्ते का ये खास उपाय, पैसों से हमेशा रहेंगे मालामाल
28 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो चुकी है और 30 मार्च गुरुवार को समाप्त होगी। नवरात्रि के केवल दिन शेष रह गए हैं। अगर आप आर्थिक समस्याओं से परेशान हैं तो महाष्टमी के दिन कुछ खास उपाय करके आप इन समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
महाष्टमी के दिन विशेष संयोग बन रहे हैं और इस दौरान किए गए उपाय अवश्य सिद्ध होंगे। साथ ही बुधवार को महाष्टमी आ रही है, इस दिन आप पान के पत्ते से विशेष उपाय करके अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। तो आइए जानते हैं क्या हैं ये उपाय।
महाअष्टमी पर करें सुपारी से जुड़े ये टोटके
- महाष्टमी के दिन पूरे पत्ते पर ताजी गुलाब की पंखुड़ियां रखकर मां दुर्गा को अर्पित करें. माना जाता है कि ऐसा करने से आपके जीवन में धन प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- महाष्टमी की पूजा में पान के पत्ते पर इलायची और लौंग डालकर मां दुर्गा के चरणों में अर्पित करने से हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है.
- अगर आप अपने काम में सफलता चाहते हैं तो नवरात्रि में एक पान के पत्ते के दोनों ओर सरसों का तेल लगाकर मां दुर्गा को अर्पित करें और रात को इस पत्ते को सिरहाने रखकर सो जाएं। अगली सुबह उठकर इस सुपारी को दुर्गा मंदिर ले आएं। इस उपाय से आपको अवश्य ही सफलता मिलेगी।
- जीवन से संबंधित वैवाहिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मंगलवार और शनिवार को नवरात्रि में एक सुपारी के कोमल भाग पर सिंदूर में जय श्रीराम लिखकर मंदिर जाएं और हनुमानजी के हाथ पर चढ़ाएं।
चैत्र नवरात्रि में करें तुलसी का टोटका, घर से कंगाली हो जाएगी लापता
28 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि के पर्व पर नौ देवियों की पूजा करने की परंपरा है। वही तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि के मौके पर आप तुलसी के पौधे को देवी स्वरूप मानकर उसकी पूजा कर सकते हैं।
इस दौरान आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा। जिससे आपको मां दुर्गा और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी। तो आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दिनों में आपको कौन से उपाय करने चाहिए।
नवरात्रि पर करें ये काम
अगर आपने अब तक अपने घर में तुलसी का पौधा नहीं लगाया है तो नवरात्रि के शुभ अवसर पर इसे जरूर लगाएं। घर के ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने दीपक जलाने के बाद तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा सुबह-शाम करने से मां लक्ष्मी और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के दिनों में तुलसी की नियमित पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तुलसी की पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसलिए नवरात्रि में हर तुलसी माता की पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के किसी भी गुरुवार के दिन आप तुलसी के पौधे पर कच्चे दूध की कुछ बूंदों को पानी के साथ चढ़ा सकते हैं।
दूर करें अध्यात्म विद्या का अभाव
28 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अध्यात्म विद्या के विषय में अधिकांश भौतिक विद्वान शिक्षा को ही विद्या मान बैठते हैं। वे विद्या और शिक्षा के अंतर को भी समझने में असमर्थ हैं जबकि विद्या और शिक्षा में धरती और आसमान का अंतर है। इस विषय को स्पष्ट करते हुए महात्मा परमचेतनानंद ने अपने प्रवचन में कहा कि शिक्षा शब्द शिक्ष धातु से बना है जिसका अर्थ है सीखना। भौतिक शिक्षा अनुकरण के द्वारा सीखी जाती है जिसका संबंध ज्ञानेन्द्रियों, कर्मेद्रिंयों व मन बुद्धि तक सीमित है। इसके अतिरिक्त विद्या शब्द विद् धातु से बना है जिसका अर्थ है जानना अर्थात् वास्तविक ज्ञान।
यह ज्ञान स्वयं अंदर से प्रकट होता है, इसे ही अध्यात्म ज्ञान कहा जाता है। इसे आत्मा की गहराई में पहुंचने पर ही जाना जाता है। शिक्षा के विद्वान अहंकार से ग्रसित होते हैं, उनमें विनम्रता का अभाव होता है जबकि विद्या का प्रथम गुण विनम्रता है। विद्या वास्तव में मानव की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।
इस अध्यात्म विद्या से मानव निष्काम कर्म योगी बनता है जो सभी को समान भाव से देखता है। पहले निष्काम कर्म योगी को ही प्रजा अपना राजा चुनती थी। वे अपने पुत्र तथा अन्य प्रजा के साथ समान रूप से न्याय करते थे। आज के असमय में अध्यात्म विद्या का अभाव होने के कारण राजा और प्रजा दोनों ही अशांत हैं फिर भी इसे ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जबकि अध्यात्म विद्या के वेत्ता तत्वदर्शी संत आज भी मौजूद हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 मार्च 2023)
28 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय कष्ट व्यवसाय बाधा, लाभ पारिवारिक समस्या उलझन भारी रहेगा।
वृष राशि - राज भयरोग, स्वजन सुख शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होवेगी।
मिथुन राशि - वाहन भय मातृकष्ट हानि तथा अशान्ति का वातावरण रहेगा ध्यान देवें।
कर्क राशि - सफलता उन्नति, शुभकार्य विवाद, राजकार्य मामले मुकदमें में प्राप्ति जीत होवेगा।
सिंह राशि - शरीर कष्ट, कार्य व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार, कार्य बन जायेगें।
कन्या राशि - व्यर्थ का खर्च, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ और धीरे धीरे स्वास्थ्य में सुधार होगा।
तुला राशि - यात्रा से हर्ष होगा। राज लाभ शरीर कष्ट होगा। व्यर्थ खर्च की यात्रा बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि - कार्यवृत्ति से लाभ यात्रा सम्पर्क लाभ व्यापारी गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि - अल्पलाभ चोट और अग्नि, शरीर भय, मानसिक परेशानी अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि - शत्रु से हानि कार्य व्यय, शारीरिक सुख होवे कभी कुछ कष्ट अवश्य होगा।
कुंभ राशि - सुख व्यय संतान सुख, कार्य सफलता, उत्साह की वृद्धि होगी ध्यान रखेगे।
मीन राशि - पदोन्नति राजभय न्यय लाभ हानि, अधिकारियों से मन मुटाव अवश्य बनेगा।
बुध और गुरु का रेवती नक्षत्र में प्रवेश, इन जातकों के शुरू होंगे अच्छे दिन
27 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बुध और गुरु की युति बेहद प्रभावशाली होती है. जब भी बुध और गुरु करेंगे तो उससे बेहद शुभ योग बनते हैं. ये योग कुंभ राशि के बेहद फलदायी होते हैं.
16 मार्च से बुध और गुरु एक साथ विराजमान हैं. लेकिन 25 मार्च को बुध और गुरु रेवती नक्षत्र में प्रवेश कर चुके हैं. रेवती नक्षत्र में बुध और गुरु की युति बहुत दिलचस्प रहेगी. दोनों ग्रह रेवती नक्षत्र के चौथ पद को प्रभावित करेंगे. बुध और गुरु दोनों ग्रह आपस में शत्रु नहीं है. जब भी दोनों एक साथ आते हैं तो ये युति बेहद शुभ हो जाती है. बुध जहां एक तरफ बुद्धि वाणी को दर्शाते हैं. वहीं, देवगुरु बृहस्पति ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं. बुध और गुरु की युति कुंभ के द्वितीय भाव यानी धन के भाव में होगी. आइए जानते हैं कि रेवती नक्षत्र में बुध और गुरु की युति किन राशियों के लिए अच्छी साबित होने वाली है.
1. वृषभ
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध और बृहस्पति ग्यारहवें भाव में युति करने जा रहे हैं. भाग्य का भरपूर साथ मिलेगा. पैतृक संपत्ति से लाभ हो सकता है. धन कमाने के कई नए अवसर प्राप्त होंगे. आर्थिक लाभ हो सकता है. आर्थिक पक्ष के साथ-साथ रचनात्मक कार्यों के लिए भी यह अवधि उत्तम रहेगी. समाज में बढ़ सकता है मान सम्मान. नए लोगों से संपर्क बढ़ेगा. पारिवारिक दृष्टि से आपको अपने बड़े भाई या बहन का भी भरपूर समर्थन मिलेगा.
2. मिथुन
बुध और बृहस्पति की युति मिथुन राशि के जातकों के लिए उत्तम रहने की संभावना है. इस समय आपको करियर में कई नए अवसरों की प्राप्ति होगी. तरक्की हासिल करेंगे. साथ ही प्रॉपर्टी खरीदने के भी योग बन रहे हैं. वहीं कार्यक्षेत्र में मान सम्मान प्राप्त हो सकता है. कार्यस्थल पर मेहनत का फल प्राप्त होगा. कार्य में सीनियर्स की सराहना प्राप्त होगी.
3. वृश्चिक
बुध और बृहस्पति की युति के कारण वृश्चिक राशि के जातकों की रचनात्मक कार्यों में रुचि बढ़ेगी. इस समय धन योग की संभावना बन रही है. कमाई में वृद्धि होगी. आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. करियर में तरक्की प्राप्त होगी. सहकर्मियों और जान-पहचान के लोगों का भरपूर समर्थन प्राप्त होगा. परिवार का साथ प्राप्त होगा. निवेश के नजरिए से ये समय अच्छा रहेगा.
4. धनु
बुध और बृहस्पति की युति से धनु राशि के जातकों को भाग्य का साथ प्राप्त होगा. नए संपत्ति खरीदने के लिए ये समय उत्तम रहने वाला है. आपको नौकरी बदलने का मौका मिल सकता है, जिससे आपको लाभ प्राप्त होगा. साथ ही आपको कोई बड़ा प्रोजेक्ट भी मिल सकता है जो आपके करियर के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आ सकता है.
5. कुंभ
आपकी वाणी से लोग आपकी तरफ आर्कषित हो सकते हैं. आप तर्क के साथ अपनी बातों को दूसरों के सामने रखने में सफल होंगे, जिसका लाभ आपको आर्थिक रूप से भी प्राप्त होगा. बिजनेस करने वाले जातकों को इस वक्त में काफी फायदा होने के संकेत हैं. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी बुध-बृहस्पति की युति शुभ रहेगी.
6. मीन
बुध और बृहस्पति की युति मीन राशि के जातकों के लिए कई शुभ परिणाम लेकर आएगी. करियर में मेहनत से सफलता प्राप्त हो सकती है. इस अवधि में आप अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएंगे. धन लाभ हो सकता है. आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा.
माता के भजनों के बिना अधूरा है चैत्र नवरात्रि के ये पर्व, ये 10 भजन झूमने को कर देंगे मजबूर
27 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू नववर्ष की शुरूआत चैत्र नवरात्रि से होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि का पर्व 22 से 30 मार्च तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में भक्त माता की भक्ति में लगे रहते हैं।
भजन गाकर भी माता को प्रसन्न किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि (chaitra navratri 2023) माता की आराधना का पर्व है। इस बार ये उत्सव 22 से 30 मार्च तक मनाया जाएगा। इन 9 दिनों में चारों ओर माता के भजनों की धूम रहती है। हर कोई भजन सुनकर या गाकर माता को प्रसन्न करना चाहता है। माता के इन सुमधुर भजनों (Mata Ke Bhajan) को सुनकर मन में भक्ति की भावना और भी हिलोरे मारने लगती है। चैत्र नवरात्रि के इस मौके पर हम आपको माता के कुछ ऐसे भजनों के बारे में बता रहे हैं, जो ऑल टाइम हिट माने जाते हैं। आगे जानिए कौन-से हैं वो 10 भजन.
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैया जी के द्वारे पे एक अँधा पुकार रहा
मैया अंधे को आंखे दो उसे तेरा ही सहारा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैया जी के द्वारे पे कोढ़ी पुकार रहा
मैया कोढ़ी को काया दो उसे तेरा ही सहारा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैया जी के द्वारे पे निर्धन पुकार रहा
मैया निर्धन को माया दो उसे तेरा ही सहरा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैया जी के द्वारे पे बाँझन पुकार रही
मैया बाँझन को बेटा दो उसे तेरा ही सहारा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैयाजी के द्वारे पे एक कन्या पुकारी रही
मैया कन्या को वर घर दो उसे तेरा ही सहारा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
मैया जी के द्वारे पे तेरे भगत पुकार रहे
मैया भगतो को दर्शन दो उन्हें तेरा ही सहारा है
ऊँचे ऊँचे पहाड़ो पे मैया जी का बसेरा है
नीचे हम रहते है ऊपर मैया जी का डेरा है
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
दरबार में हर रंग के दीवाने मिलेंगे
आपस में बड़े प्यार से बेगाने मिलेंगे
हर देश से पहुचेंगी दर्शन को निगाहे
चारो तरफ ही माई के परवाने मिलेंगे
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
ये उम्र गुजर जाये मैयाजी की बस्ती में
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
क्या जाने कोई क्या है मेरी माई का दरबारा
सबसे बड़ा है जग में मेरी माई का दरबारा
शहरे जड़े हुए है मायी की रहमतो के
प्यारा सजा हुआ है मेरी माई का दरबारा
भगतो की है कतारे माई के दर पे देखो
दुल्हन सा लग रहा है मेरी माई का दरबारा
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
ये उम्र गुजर जाये मैयाजी की बस्ती में
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
सबसे हसीन देखो मेरी माई का दरबारा
रहमत का है भंडारा मेरी माई का दरबारा
तारे करम से सबको मेरी माई का दरबारा
ममता लुटा रहा है मेरी माई का दरबारा
अमीर और गरीब सब माँ के दर पे है आते
रहमत का है खजाना मेरी माई का दरबारा
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
ये उम्र गुजर जाये मैयाजी की बस्ती में
तक़दीर मुझे ले चल मैयाजी की बस्ती में
शेरावाली जय हो तेरी
जोतावाली जय हो तेरी
लाटावाली जय हो तेरी
जय हो तेरी जय
मेरी चूड़ी अमर कर देना माँ
मेरा सिंदूर ना मिटने देना माँ
लाल रखना मा मेहंदी की लाली
लाल चूड़ी हाथो में मेरे खनके
रहु सातो जनम मैं सुहागन
लाल सिंदूर से माँग मेरी दमके
हो मेरी मेहंदी अमर कर देना माँ
मेरा सिंदूर ना मिटाने देना माँ
मेरी चूड़ी अमर कर देना माँ ||
लाल चुनरी चोला तुझको चढ़ावू
लाल रंग ही लगे तुझको प्यारा
मैं तो तेरे ही लाल की हू दुल्हन
घर ख़ुसीयो से भर दो हमारा
बस इतनी कृपा कर देना माँ
मेरा सिंदूर ना मिटने देना माँ
मेरी चूड़ी अमर करदेना माँ ||
चमकती रहे माथे की बिंदिया
तेरी किरपा से ओ मैया चमके
तेरी बेटी बने लालो वाली
लाल देके आँचल मेरा भरदो
सदा चरनो में अपने रखना माँ
मेरा सिंदूर ना मिटने देना माँ
माता रानी का ध्यान धरिये
काम जब भी कोई करिए
जय माता दी, जय माता दी
मिल के सब जन बोलो,
बोलो जय माता दी, जय माता दी
मिल के सब जन बोलो
माता रानी का ध्यान धरिये
काम जब भी कोई करिए
कोई मुश्किल हो पल में टलेगी,
हर जगह पे सफलता मिलेगी ,
सच्चे दिल से प्रणाम करिए,
काम जब भी कोई करिए॥
जय माता दी, जय माता दी ....
रूप इनका सबसे निराला ,
इसी रूप से है जग में उजाला
नाम इनका सदा सुमरिये,
काम जब भी कोई करिए
जय माता दी, जय माता दी ....
देवी माँ की करो दिल से भक्ति,
भक्ति देती है जीने की शक्ति,
जग में फिर न किसी से डरिये,
काम जब भी कोई करिए॥
जय माता दी, जय माता दी ....
जय माता दी, जय माता दी
मिल के सब जन बोलो,
बोलो जय माता दी, जय माता दी
मिल के सब जन बोलो
माता रानी का ध्यान धरिये
काम जब भी कोई करिए
धरती गगन में होती है तेरी जय जयकार, हो मैया
ऊँचे भवन में होती है तेरी जय जयकार
हो मैया, धरती गगन में होती है
तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है
तेरी जय जयकार
दुनिया तेरा नाम जापे
हो दुनिया तेरा नाम जापे
तुझको पूजे संसार
हो मैया, धरती गगन में होती है
तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है
तेरी जय जयकार
सरस्वती महालक्ष्मी काली तीनों की तू प्यारी
गुफा के अंदर तेरा मंदिर, तेरी महिमा न्यारी
शिव की जटा से निकली गंगा, आई शरण तिहारी
आदिशक्ति आद भवानी, तेरी शेर सवारी
हे अम्बे, हे माँ जगदम्बे करना तू इतना उपकार
आये हैं तेरे चरणों में देना हमको प्यार
धरती गगन में होती है तेरी जय जयकार, हो मैया
ऊँचे भवन में होती है तेरी जय जयकार
हो मैया, धरती गगन में होती है
तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है
तेरी जय जयकार
ब्रह्मा विष्णु महेश भी तेरे आगे शीश झुकायें
सूरज चाँद सितारे तुझसे उजियारा ले जायें
देव लोक के देव भी मैया, तेरे ही गुण गायें
मानव करे जो तेरी भक्ति, भव सागर तर जायें
हे अम्बे, हे माँ जगदम्बे करना तू इतना उपकार
आये हैं तेरे चरणों में देना हमको प्यार
हो मैया, धरती गगन में होती है तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है तेरी जय जयकार
हो मैया, धरती गगन में होती है
तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है
तेरी जय जयकार
दुनिया तेरा नाम जापे
हो दुनिया तेरा नाम जापे
तुझको पूजे संसार
हो मैया, धरती गगन में होती है तेरी जय जयकार
हो मैया, ऊँचे भवन में होती है तेरी जय जयकार
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं,
सोयी तकदीर जगाई |
ये बात ना सुनी सुनाई,
मैं खुद बीती बतलाता रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
मान मिला सम्मान मिला,
गुणवान मुझे संतान मिली |
धन धान मिला, नित ध्यान मिला,
माँ से ही मुझे पहचान मिली ||
घरबार दिया मुझे माँ ने,
बेशुमार दिया मुझे माँ ने,
हर बार दिया मुझे माँ ने,
जब जब मैं मागने जाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता ||
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
मेरा रोग कटा मेरा कष्ट मिटा,
हर संकट माँ ने दूर किया,
भूले से जो कभी गुरुर किया,
मेरे अभिमान को चूर किया ||
मेरे अंग संग हुई सहाई,
भटके को राह दिखाई,
क्या लीला माँ ने रचाई |
मैं कुछ भी समझ ना पाता,
इतना दिया मेरी माता ||
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
उपकार करे भव पार करे,
सपने सब के साकार करे,
ना देर करे माँ मेहर करे |
भक्तो के सदा भंडार भरे,
महिमा निराली माँ की,
दुनिया है सवाली माँ की ||
जो लगन लगा ले माँ की,
मुश्किल में नहीं घबराता रे,
मुझे इतना दिया मेरी माता ||
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
कर कोई यतन ऐ चंचल मन,
तूँ होके मगन चल माँ के भवन |
पा जाये नैयन पावन दर्शन,
हो जाये सफल फिर ये जीवन ||
तू थाम ले माँ का दामन,
ना चिंता रहे ना उलझन,
दिन रात मनन कर सुमिरन |
जा कर माँ कहलाता,
मुझे इतना दिया मेरी माता ||
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता |
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे,
इतना दिया मेरी माता ||
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे,
हो रही जय जय कार मंदिर विच,
आरती जय माँ,
हे दरबारा वाली आरती जय माँ,
है पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
काहे दी मैया तेरी आरती बनावा,
काहे दी पावां विच बाती,
मंदिर विच आरती जय माँ,
तू हे चोलेयाँ वाली आरती जय माँ,
हे माँ पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
सर्व सोने दी आरती बनावा,
अगर कपूर पावां बाती,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे माँ पिंडी रानी आरती जय माँ,
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
कौन सुहागन दिवा बालेया मेरी मैया,
कौन जागेगा सारी रात,
मंदिर विच आरती जय माँ,
सच्चिया ज्योतां वाली आरती जय माँ,
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
सर्व सुहागिन दिवा बलिया मेरी अम्बे,
ज्योत जागेगी सारी रात,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे माँ त्रिकुटा रानी आरती जय माँ,
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
जुग जुग जीवे तेरा जम्मुए दा राजा,
जिस तेरा भवन बनाया,
मंदिर विच आरती जय माँ,
हे मेरी अम्बे रानी आरती जय माँ,
हे पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
सिमर चरण तेरा ध्यानु यश गावे,
जो ध्यावे सो, यो फल पावे,
रख बाणे दी लाज,
मंदिर विच आरती जय माँ,
सोहने मंदिरां वाली आरती जय माँ ||
भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे,
हो रही जय जय कार मंदिर विच,
आरती जय माँ,
हे दरबारा वाली आरती जय माँ,
है पहाड़ा वाली आरती जय माँ ||
रंगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया,
रंग ऐसा रंग देखे सारी रे नगरीया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया।।
नौ रंग रंगो वाली रंग दे किनारी,
ओढ़ के मैया रानी लागे रे प्यारी,
चुनर वैसी ले मैं जाऊं माँ की दुअरिया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया,
रंग ऐसा रंग देखे सारी रे नगरीया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया।।
कहते है लाल रंग मैया जी को भाए,
लाल लाल फुलवा केसर रंग दे चढ़ाए,
दुल्हन सी लागे मोरी माई की मुरतिया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया,
रंग ऐसा रंग देखे सारी रे नगरीया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया।।
झिलमिल सितारों वाले टका देना बूटे,
भक्ति रंग ऐसो रंग जो छुटाये ना छुटे,
बेनाम की रंग जाए सारी रे उमरिया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया,
रंग ऐसा रंग देखे सारी रे नगरीया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया।।
रंगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया,
रंग ऐसा रंग देखे सारी रे नगरीया,
रँगरेजिया रंग दे रे मैया की चुनरिया।।
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
शारदा भवानी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
ऊँची पहाड़िया पे मंदिर बनो है
मंदिर में मैया के आसन लगो है
आसन पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
रोगी को काया दे निर्धन को माया
बांझन पे किरपा ललन घर आया
मोरी मैया शारद मैया बड़ी वरदानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
मैहर में ढुंढी डोंगरगढ़ में ढुंढी
कलकत्ता कटरा जालंधर में ढुंढी
विजराघव गढ़ देखनी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
मैया को भार संभाले रे पंडा
हाथो में जिनके भवानी के झंडा
झेंडा पे बैठी महारानी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
महिमा तुम्हारी भगत जोभी गाये
हम भी तो मैया के चरणन में आये
कर दो मधुर मोरी वाणी मोरी शारदा भवानी
अंगना पधारो महारानी मोरी शारदा भवानी
मन लेके आया माता रानी के भवन में
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माती रानी के भवन में...
जय जय माँ, अम्बे माँ,
जय जय माँ, जगदम्बे माँ...
मैं जानू वैष्णव माता,
तेरे ऊँचे भवन की माया,
भैरव पर क्रोध में आके
माँ तूने त्रिशूल उठाया ।
वो पर्बत जहां पे तूने
शक्ति का रूप दिखाया,
भक्तो ने वहीँ पे मैया
तेरे नाम का भवन बनाया
बड़ा सुख पाया, बड़ा सुख पाया,
माती रानी के भवन में...
तेरे तेज ने ज्वाला मैया
जब उज्ज्यारा फैलाया,
शाह अकबर नंगे पैरों
तेरे दरबार में आया ।
तेरी जगमग ज्योत के आगे,
श्रद्धा से शीश झुकाया,
तेरे भवन की शोभा देखी,
सोने का क्षत्र चढ़ाया॥
बड़ा सुख पाया, बड़ा सुख पाया,
माती रानी के भवन में...
हे चिंतपूर्णी माता,
तेरी महिमा सबसे नयारी,
दिए भाईदास को दर्शन,
तू भक्तो की है प्यारी ।
जो करे माँ तेरा चिंतन,
तू चिंता हर दे सारी,
तेरे भवन से झोली भरके
जाते हैं सभी पुजारी ॥
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माती रानी के भवन में...
माँ नैना देवी तूने
यह नाम भगत से पाया,
नैना गुज्जर को तूने
सपने में दरश दिखाया ।
आदेश पे तेरे उसने
तेरा मंदिर बनवाया,
जीवन भर बैठ भवन में
माँ तेरा ही गुण गया ॥
बड़ा सुख पाया, बड़ा सुख पाया,
माती रानी के भवन में...