धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
अंगूठा बता देता कई राज
8 Jun, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी को भविष्य में क्या छिपा है यह राज जानने की जिज्ञासा होती है। जन्मकुंडली के साथ ही हाथ की रेखाएं देखकर भी भविष्य के राज जाने जा सकते हैं। हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे को चरित्र का आइना कहा जाता है। आप इसे देखकर व्यक्ति के बारे में कई बातें जान सकते हैं। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, बचत, काम वासना और रोगों का पता भी अंगूठे से लग जाता है।
अंगूठा लंबा
जिनका अंगूठा लंबा होता है वह बुद्धिमान और उदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति शौकीन भी खूब होते हैं। अगर अंगूठा तर्जनी उंगली के दूसरे पोर तक पहुंच रहा है तो व्यक्ति नेक होता है और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
अंगूठा छोटा
अंगूठा छोटा होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे लोगों के उधार और कर्ज देने से बचना चाहिए क्योंकि पैसा डूबने का डर रहता है। इन्हें जीवन में कई बार हानि उठानी पड़ती और पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा रहता है।
अंगूठा अधिक चौड़ा
अगर अंगूठा अधिक चौड़ा हो तो व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का होता है। ऐसे लोग अक्सर कोई न कोई बुरी लत अपना लेते हैं।
कम खुलने वाला अंगूठा
कम खुलने वाला अंगूठा हस्तरेखा विज्ञान में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसे लोगों के हर काम में बाधा आती रहती है और सफलता देर से मिलती है। ऐसे लोग चाहकर भी कमाई के अनुसार बचत नहीं कर पाते हैं।
ऊपर मोटा और गोल हो तो
अगर अंगूठा नीचे पतला और ऊपर मोटा और गोल हो तो ऐसा व्यक्ति शंकालु होते और इन्हे भी अपने काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाथ भारी हो तो उन्नति करते हैं।
अंगूठा हो लंबा पतला तो
अंगूठा पतला और लंबा हो तो व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने काम वासना पर नियंत्रण रखने में कुशल होते हैं। इन्हें व्यवहारकुशल भी माना जाता है। ऐसे लोग भावुक भी खूब होते हैं।
ऐसे लोग धनी होते हैं
जिनका अंगूठा ज्यादा खुलता है ऐसे लोग धनी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के कारण इन्हें समाज में खूब सम्मान मिलता है।
इस कारण मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है घंटी
8 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहते हैं, पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। ऐसा मानना है कि इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कि घंटी बजाने का सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक असर भी होता है। यही वजह है कि घंटी हमेशा मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है।
घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का. वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं1
ये फायदे भी हैं
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है! मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।
जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है। कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।
समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
8 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है। इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
शुभ कार्यों में मंगल की होती है अहम भूमिका
8 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंगल कार्य में सबसे बड़ी भूमिका स्वयं मंगल की होती है। इसके बाद इसमें तमाम शुभ ग्रहों की भूमिका होती है। गुरु भी शुभ और मंगल कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शनि, राहु और केतु मंगल कार्यों में आम तौर पर बाधा देते हैं। मंगल जब ख़राब हो तो मंगल कार्य होना एक चुनौती हो जाती है।
कब घर में शुभ कार्य सरलता से होते हैं?
मंगल ग्रह के अनुकूल होने पर शुभ कार्य आसानी से हो जाते हैं।
चन्द्रमा की शुभ दशा होने पर भी मंगल कार्य होते हैं।
बृहस्पति के कुंडली में शुभ होने पर भी मंगल कार्यों का संयोग बनता है।
साढ़े साती या ढैय्या के उतरने पर भी शुभ कार्यों की स्थिति बनती है।
किसी संत महात्मा के आशीर्वाद मिलने पर भी ऐसा होता है।
कब घर में मंगल कार्य नहीं होते?
जीवन में शनि की दशा चलने पर मुश्किल आती है।
कुंडली में राहु का प्रभाव ख़राब होने पर मंगल कार्य नहीं होते हैं।
गुरु के अशुभ होने पर भी मंगल कार्य नहीं होते हैं।
घर में नियमित कलह क्लेश होने पर भी शुभ कार्यों के योग नहीं बनते हैं।
घर के मुख्य द्वार के ख़राब होने पर भी ऐसी स्थिति बनती है।
घर में मंगल कार्य कराने के उपाय?
घर में पूजा का स्थान बनाएं और नियमित तौर पर पूजा उपासना करें।
घर में सप्ताह में एक बार सामूहिक पूजा जरूर करें।
घर में कलह क्लेश कम से कम करें।
घर के मुख्य द्वार पर नियमित बंदनवार लगाएं।
घर में नियमित भजन कीर्तन की ध्वनि आती रहे तो उत्तम होगा।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी है ये मान्यता
8 Jun, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बद्रीनाथ धाम हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है। यह अलकानंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं। बद्रीनाथ धाम से जुड़ी ये बातें अहम हैं।
बद्रीनाथ धाम से जुड़ी एक मान्यता है कि जो आए बदरी, वो न आए ओदरी। इसका मतलब जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन एक बार कर लेता है उसे दोबारा माता के गर्भ में नहीं प्रवेश करना पड़ता।
बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले भगवान भोलेनाथ का निवास हुआ करता था लेकिन बाद में भगवान विष्णु ने इस स्थान को भगवान शिव से मांग लिया था।
बद्रीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है। इन्हें नर नारायण पर्वत कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी। नर अपने अगले जन्म में अर्जुन तो नारायण श्री कृष्ण के रूप में पैदा हुए थे।
मान्यता है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं। उस समय मंदिर में जलने वाले दीपक के दर्शन का खास महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर देवता इस दीपक को जलाए रखते हैं।
बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं। कहा जाता है कि जब तक यह लोग रावल पद पर रहते हैं इन्हें ब्रह्माचर्य का पालन करना पड़ता है। इन लोगों को लिए स्त्रियों का स्पर्श वर्जित माना जाता है.
केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि केदारनाथ के रावल के निर्देशन में उखीमठ में पंडितों द्वारा तय की जाती है। इसमें सामान्य सुविधाओं के अलावा परंपराओं का ध्यान रखा जाता है। यही कारण है कि कई बार ऐसे भी मुहूर्त भी आए हैं जिससे बदरीनाथ के कपाट केदारनाथ से पहले खोले गए हैं जबकि आमतौर पर केदारनाथ के कपाट पहले खोले जाते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास
यह अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। ये पंच-बदरी में से एक बद्री हैं। उत्तराखंड में पंच बदरी, पंच केदार तथा पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि से तथा हिन्दू धर्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण
सोलहवीं सदी में गढ़वाल के राजा ने मूर्ति को उठवाकर वर्तमान बद्रीनाथ मंदिर में ले जाकर उसकी स्थापना करवा दी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 जून 2023)
8 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन से सफलता निश्चय ही मिलेगी।
वृष राशि :- कार्य में सफलता मिले, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होगा।
मिथुन राशि :- यह सप्ताह व मास उत्तम फलकारक है, अधिकारियों का पूर्ण सहयोग मिलेगा।
कर्क राशि :- नौकरी में व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं चलेगा, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतु ग्रह पीड़ा कारक है, आपसी मतभेद बने।
कन्या राशि :- मनोरंजन से अति हर्ष होवे, व्यवसाय में लाभ होगा, रुका कार्य अवश्य होगा।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विशेष ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव आकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों की सहानुभूति अवश्य होगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति से आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होगा।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा का लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग मिले, उत्तम लाभ के योग बनेंगे, ध्यान दें।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शारीरिक परेशानी अवश्य बनेगी, व्यवसाय उत्तम होगा।
मृत्यु के समय क्या सोचता है मनुष्य? जानिए शिवपुराण में कही गई बातें
7 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मौत का डर हर किसी के मन में होता है। हर इंसान कभी न कभी तो इस बारे में सोचता है कि उसकी मृत्यु कब और कैसे होगी? इस प्रकार के विचारो पर आपने भी कभी न कभी तो सोचा होगा।
बहुत सालो से वैज्ञानिक भी इस बात पर शोध कर रहे है, मृत्यु के समय कैसा महसूस होता है। जब इंसान अपने प्राण त्याग रहा होता है तो वह क्या सोचता है। मरने से पहले उसके दिमाग में क्या चल रहा होता है? धर्म-शास्त्रों में मृत्यु को लेकर बहुत कुछ बताया गया है, गरुण पुराण और शिव पुराण में इस बात का विस्तार से वर्णन किया गया है की मौत जब दरवाजे पर खड़ी होती है तो किस प्रकार की घटनाये होने लगती है।
शिव पुराण में लिखा है कि जब इंसान की मृत्यु समीप आ जाती है तो उसके शरीर में बड़े बड़े लाल निशान आने लगते है। उसका शरीर पीला व सफेद पड़ने लगता है, शरीर के अंग एक एक कके काम करना बंद कर देते है। जब इंसान आईने या तेल या पानी में उसकी परछाई नज़र नहीं आती है, आखो में कम नज़र आने लगता है। यह भी मृत्यु के समीप आने के संकेत है।
शिव पुराण में ऐसे बहुत से तथ्य लिखे है जिसके होने से यह पता चलता है कि आपकी मृत्यु समीप आने वाली है। और यह संकेत होते है जैसे किसी व्यक्ति के सिर पर अचानक से कौवा आकर बैठ जाए तो यह बहुत अशुभ होता है, ऐसा होने के कुछ ही समय बाद व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। कौवे के अलावा गिद्ध या कबूतर का सर पर बैठना भी बहुत अशुभ होता है, यह भी किसी अनहोनी का इशारा देता है। जिस इंसान की मृत्यु होने वाली होती है उसके जीभ,कान, नाक जब पथरा जाती है। तो यहाँ भी संकेत होता है मौत आपक पास आ गई है। यहाँ संकेत बताता है कि व्यक्ति को अपना ज्यादा से ज्यादा समय भगवान की भक्ति में लगाना चाहिए।
इस वर्ष 59 दिन का होगा सावन, 8 सोमवार रखे जाएंगे व्रत
7 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सावन के महीने (Sawan 2023) का खास महत्व होता है. यह महीना भगवान शिव की पूजा और व्रत को समर्पित है। इसके साथ ही सावन का महीना धार्मिक कार्यों के लिए भी बहुत शुभ माना जाता है।
इस बार सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास रहने वाला है. पंचांग के अनुसार इस बार सावन 2 माह और शिव भक्त पूरे 2 माह तक भगवान शिव की आराधना करेंगे। वहीं सावन के आठवें सोमवार का व्रत रखा जाएगा। दरअसल, इस साल सावन 59 दिन का होगा जबकि आमतौर पर सावन का महीना हर साल 30 दिन का होता है और सावन में 4-5 सोमवार के व्रत रखे जाते हैं.
लेकिन इस बार पंचांग विक्रम संवत 2080 (विक्रम संवत 2080) में अधिकमास आ रहा है, जिसमें इस साल पूरे 13 महीने और सावन 59 दिनों का होगा। 19 साल बाद ऐसा संयोग बना है, जिसमें सावन 2 महीने का होगा। आइए जानते हैं कब शुरू हो रहा है सावन का पवित्र महीना और कब रखा जाएगा सावन के पहले सोमवार का व्रत.
कब से शुरू होगा सावन?
इस साल सावन मंगलवार 04 जुलाई 2023 से शुरू होकर गुरुवार 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा। ऐसे में सावन 59 दिनों तक चलेगा।
वैदिक कैलेंडर गणना में, सौर और चंद्र महीनों के आधार पर, एक चंद्र मास में 354 दिन होते हैं। और एक सौर मास में 365 दिन होते हैं। सौर और चंद्र मास में 11 दिन का अंतर होता है और इस स्थिति में 3 वर्ष के अंतराल में कुल 33 दिन हो जाते हैं।
इस प्रकार प्रत्येक तीसरे वर्ष अर्थात चौथे वर्ष में यह 33 दिनों का अतिरिक्त मास हो जाता है। इस 33 दिन के समायोजन को अधिक मास (अधिक मास 2023) कहा जाता है। इस बार दो माह के श्रावण से अधिकमास का आयोजन किया जाएगा।
सावन का पहला सोमवार कब है
हालांकि सावन का हर दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित होता है। लेकिन सावन में पड़ने वाले सोमवार का एक विशेष धार्मिक महत्व है। सावन सोमवार को सोमवारी व्रत भी कहा जाता है। इसमें भक्त व्रत रखते हैं और पूरे दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सावन सोमवारी का व्रत करने से हर मनोकामना पूरी होती है। इस साल सावन के पहले सोमवार का व्रत 10 जुलाई को रखा जाएगा.
सावन में 8 सोमवार व्रत तिथियां
प्रथम सोमवार- 10 जुलाई 2023
द्वितीय सोमवार - 17 जुलाई 2023
तीसरा सोमवार - 24 जुलाई 2023
चौथा सोमवार - 31 जुलाई 2023
पांचवां सोमवार - 07 अगस्त 2023
छठा सोमवार - 14 अगस्त 2023
सातवां सोमवार- 21 अगस्त
आठवां सोमवार- 28 अगस्त
घर में जरूर रखें ये चीजें, सारी परेशानियां होंगी खत्म
7 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी तो वही भगवान कुबेर को धन दौलत का देवता माना जाता हैं। कहते हैं कि जिस पर माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की कृपा होती हैं उसे आर्थिक संकट व कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता हैं ऐसे में हर कोई इनकी कृपा पाने के लिए कई तरह के उपाय व पूजा पाठ करता हैं।
अगर आप भी लक्ष्मी और कुबेर जी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो अपने घर में कुछ चीजों को रख सकते हैं वास्तुशास्त्र में कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया गया हैं जिसे घर की सही दिशा और स्थान पर अगर रख दिया जाए तो माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का आशीर्वाद मिलता हैं जिससे पैसों से जुड़ी परेशानी दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके बता रहे हैं कि वो कौन सी चीजें हैं जिन्हें आप अपने घर में लाकर रख सकते हैं तो आइए जानते हैं।
घर में रखें ये चीजें-
वास्तुशास्त्र के अनुसार आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए आप घर की उत्तर दिशा में तिजोरी को रख सकते हैं मान्यता है कि इस दिशा के स्वामी भगवान कुबेर हैं और इस दिशा में पैसों की तिजोरी रखने से आर्थिक संकट का सामना कभी नहीं करना पड़ता है साथ ही हमेशा बरकत भी बनी रहती हैं। इसके अलावा आप चाहते हैं घर की उत्तर दिशा में भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी की एक तस्वीर भी लगा सकते हैं ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होती हैं और दुख परेशानियां हमेशा दूर रहती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शंख माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता हैं ऐसे में आप से घर में रखकर रोजाना इसकी विधिवत पूजा करें ऐसा करने से धन की कमी से मुक्ति मिलती हैं और लक्ष्मी व भगवान विष्णु की कृपा भी बनी रहती हैं इसके अलावा एकाक्षी नारियल को माता लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता हैं इसे पूजन स्थल पर स्थापित करके नियमित इसकी पूजा करने से देवी कृपा बरसती हैं जिससे सुख समृद्धि व धन की प्राप्ति होती हैं।
पीपल के पत्तों का ये आसान उपाय दिलाएगा हर परेशानी से मुक्ति
7 Jun, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का दूसरा दिन यानी मंगलवार हनुमान पूजा को समर्पित होता हैं इस दिन भक्त पवनपुत्र हनुमान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती हैं।
लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन पीपल के पत्तों से जुड़ा आसान उपाय किया जाए तो किस्मत भी बदल सकती हैं साथ ही साथ करियर कारोबार में मनचाही तरक्की भी मिलती हैं तो आज हम अपने इस लेख द्वारा मंगलवार के दिन किए जाने वाले पीपल के पत्तों से जुड़े उपाय लेकर आए हैं तो आइए जानते हैं।
पीपल के पत्तों के आसान उपाय-
अगर आप करियर और कारोबार में मनचाही सफलता हासिल करना चाहते हैं या फिर ठप पड़े व्यापार को फिर से चलाना चाहते हैं तो ऐसे में आप मंगलवार के दिन 11 पीपल के पत्तों पर चंदन से श्रीराम लिखकर मंदिर में हनुमान जी को अर्पित करें इसके बाद कम से कम सात बार हनुमान चालीसा का पाठ भक्ति भाव से करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से कारोबार और नौकरी में तरक्की मिलती हैं और ठप पड़ व्यापार भी चलने लगने लगता हैं।
इसके अलावा अगर आप आर्थिक संकट से छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप मंगलवार के दिन पीपल के एक पत्ते पर हल्दी लगाएं इसके बाद पीपल के पत्तो को धन की देवी माता लक्ष्मी को अर्पित कर दें। इसके बाद देवी मां से धन संकट से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। अब इस पत्ते को माता लक्ष्मी के समक्ष सात दिनों तक रहने दें और अगले मंगलवार को पीपल के पत्ते उठाकर तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से आर्थिक परेशानियां जल्द ही दूर हो जाती हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 जून 2023)
7 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से धोखे की संभावना है, सतर्कता से विशेष लाभ होगा।
वृष राशि :- समय हर्ष-उल्लास से बीते, धन लाभ, अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होगा।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, तनावपूर्ण स्थिति से बचिये, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- स्थिति में सुधार, स्त्री वर्ग से हर्ष, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल अवश्य होगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, स्थिति में सुधार होगा तथा कार्य अवश्य होंगे।
कन्या राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, दूसरों के कार्य में हस्ताक्षेप करने से तनाव बढ़ेगा।
तुला राशि :- कार्यगति अनुकूल, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्र सहयोग करेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य अवश्य बन जायेंगे।
धनु राशि :- कार्यकुशलता से हर्ष, योजना फलीभूत होंगी, रुके कार्य अवश्य बन जायेंगे।
मकर राशि :- अधिकारियों के सम्पर्क से बचें, तनाव व क्लेश, अशांति अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- उद्विघ्नता, असमंजस का वातावरण मन को क्लेशयुक्त बनाये रखेगा।
मीन राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, योजनाएं फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें।
अगर आपके अंदर है ये गुण तो आप हैं किस्मत के धनी, जानें क्या कहते हैं महात्मा विदुर
6 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महात्मा विदुर महाभारत के प्रमुख और महान पात्रों में से एक हैं। वह एक महान आत्मा, महान संत और महाभारत के महान विचारक थे। उनकी बुद्धि की आज भी पूजा की जाती है।
महात्मा विदुर दूरदर्शी और महान ज्ञाता माने जाते थे। आज भी लोग विदुर की नीतियों को अपनाकर जीवन में आगे बढ़ते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। महात्मा विदुर ने ऐसी 4 बातों के बारे में बताया है, जिससे व्यक्ति संसार के सभी सुखों का आनंद उठा सकता है और जीवन में ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकता है। कहा जाता है कि जिन लोगों के पास ये छह चीजें होती हैं वे इस दुनिया में बहुत भाग्यशाली होते हैं।
निम्नलिखित छह चीजें हैं जो हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वो बातें।
विदुर नीति के अनुसार मन और शारीरिक रूप से मधुर और मृदुभाषी बोलने वाले स्त्री-पुरुष पर मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की कृपा होती है। विदुर जी के अनुसार मधुर वाणी वाले व्यक्ति का भाग्य उसका साथ देता है। मधुर और कोमल चरित्र हमें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने में मदद करेगा और सफलता आपके कदम चूमेगी।
विदुर नीति के अनुसार यदि संतान आज्ञाकारी न हो तो कुल का नाश करती है।
अनाज्ञाकारी सन्तान ने माता-पिता के संचित धन को नष्ट कर दिया। ऐसे में जिनकी संतान आज्ञाकारी होती है, वे सुखी और भाग्यशाली होते हैं। अगर हम उनमें आदत डालेंगे तो हमारे बच्चे आज्ञाकारी होंगे।
विदुर नीति के अनुसार बीमार व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक क्षमता क्षीण होने लगती है। वह कोई काम नहीं कर पा रहा है।
बार-बार बीमार होने के कारण वह धन संचय नहीं कर पाता है। यदि व्यक्ति स्वस्थ है, तो उसे भाग्यशाली माना जाता है और वह सुख का आनंद उठा सकता है।
विदुर नीति के अनुसार ज्ञान ही एक ऐसा सर्वोच्च धन है जो मनुष्य के पास हो सकता है, जिसे न कोई चुरा सकता है और न ही बांट सकता है। शास्त्रों के अनुसार ज्ञान ही मनुष्य का बल है इसी कारण मनुष्य अन्यों से भिन्न है। अधिक से अधिक शास्त्रों को पढ़ना हमें अधिक ज्ञानी बनाता है। ज्ञान आपको समृद्ध और मजबूत बना सकता है।
इकलौता ऐसा मंदिर जहां नारी स्वरूप में पूजे जाते हैं हनुमान
6 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में ईश्वर आराधना को सर्वोत्तम माना गया हैं और हमारे देश में कई ऐसे मंदिर और तीर्थ स्थल हैं जहां लोग मन की शांति व अपनी कामना पूर्ति के लिए जाते हैं।
हिंदू धर्म में हनुमान भक्तों की कमी नहीं हैं भक्त प्रभु की आराधना व पूजा कर उनका आशीर्वाद पाने के इच्छु रहते हैं।
ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा हनुमान जी के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां प्रभु नारी स्वरूप में विराजमान हैं। यह मंदिर देश का इकलौटा ऐसा मंदिर हैं जहां हनुमान जी की स्त्री रूप में पूजा की जाती हैं। प्रभु का ये मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किमी दूर रतनपुर में स्थित हैं जहां हनुमान जी की नारी स्वरूप में पूजा की जाती हैं, तो आइए जानते हैं।
हनुमान जी का अनोखा मंदिर-
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिल से दूर रतनपुर के गिरजाबंध में हनुमान जी का यह अनोखा मंदिर स्थित हैं। आपको बता दें कि यह राम भक्त हनुमान का इकलौता ऐसा मंदिर हैं जहां उनकी आराधना नारी स्वरूप में की जाती हैं। इस मंदिर में प्रभु के दर्शन के लिए लोग बड़ी दूर दूर से आते हैं।
मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर के निर्माण के पीछे एक कथा हैं जिसके अनुसार यहां के राजा को भगवान हनुमान का सपना आया था और सपने में ही उन्होंने यहां स्थापित मूर्ति के बारे में बताया था जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण कराया गया हैं। कहते हैं कि यहां पर आकर भगवान की विधिवत पूजा व दर्शन करने से लंबे समय से अधूरी पड़ी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं।
कब रखा जाएगा संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानिए तारीख और मुहूर्त
6 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में व्रत त्योहारों की कोई कमी नहीं हैं एक जाता हैं तो दूसरा आता हैं आज से आषाढ़ माह का आरंभ हो चुका हैं और इस माह की पहली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता हैं जो कि श्री गणेश की आराधना को समर्पित होती हैं इस दिन भक्त भगवान गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं हर माह दो चतुर्थी पड़ती हैं एक कृष्ण पक्ष में तो वही दूसरी शुक्ल पक्ष में।
कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता हैं वही शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती हैं। ऐसे में इस माह पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी 7 जून दिन बुधवार को पड़ रही हैं इस दिन भक्त गणपति को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और उपवास रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजन के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
तारीख और मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 जून दिन मंगलवार को देर रात 12 बजकर 50 मिनट से लग रही हैं जिसका समापन 7 जून को बुधवार के दिन रात्रि 9 बजकर 50 मिनट पर हो रहा हैं ऐसे में कृष्णापिंगल संकष्टी चतुर्थी का व्रत 7 जून को करना उत्तम रहेगा।
आपको बता दें कि आषाढ़ माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से साधक के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं इसके अलावा इस दिन श्री गणेश की निमित्त व्रत रखने से संतान संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति मिलती हैं और धन व कर्ज से जुड़ी परेशानियां भी हल हो जाती हैं।
कैसे मोर पंख से खाटू श्याम के परम भक्त ने खोला ताला, जानिए इसके पीछे का रहस्य
6 Jun, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बाबा श्री खाटूश्याम के प्रति लोगो की आस्था अपार है। पुरे साल बाबा के दरबार में भक्तो का जमावड़ा लगा रहता है और लाखो के तादात में श्रद्धालु खाटूश्याम के दर्शन की आस लिए आते है।
रेवाड़ी के लोगो की भी आस्था श्री खाटूश्याम धाम पर अपार बनी हुई है। क्या आप ये जानते है श्री खाटूश्याम धाम और रेवाड़ी के लोगो का पुराना नाता है क्योकि कई साल पहले रिवाड़ी में श्याम बाबा का सबसे पहला परम भक्त रहा करता था, आइए जानते है पूरी कहानी क्या है।
रेवाड़ी के रहने वाले श्याम बहादुर अग्रवाल श्री खाटू श्याम के सबसे पहके परम भक्त माने जाते है, श्याम बहादुर अग्रवाल के भक्ति के चर्चे दूर-दूर तक फैले हुए है। श्याम बहादुर अग्रवाल गांव-गांव जा कर श्री खाटूश्याम धाम का प्रचार थे। एक बार सावंत 1977 में श्याम बहादुर अपने मित्रो के साथ श्याम बाबा के दर्शन के लिए पहुंचे दिन फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष द्वादशी का था, उस दिन तत्कालीन राजा के आदेश से श्याम बाबा के मंदिर के कपाट बंद थे।
श्याम बहादुर अग्रवाल ने वहा मौजूद सैनिको से कई बार अनुरोध किया, की वे उन्हें श्याम बाबा के दर्शन करने दे बहुत निवेदन करने के बाद भी सैनिक नहीं माने, निराश हो कर श्याम बहादुर ने हाथ में रखे मोर पंख को मंदिर में लगे ताले पर मारा और भक्त की भक्ति का चमत्कार ऐसा हुआ की ताला कई टुकड़ो में टूट कर भिखर गया। इस घटना के बाद ही श्याम बाबा के प्रति लोगो की आस्था और भी बढ़ने लगी और श्याम बहादुर अग्रवाल को श्याम बाबा का पहला परम भक्त कहा जाने लगा।