धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
आषाढ़ अमावस्या के अचूक उपाय दूर करेंगे पितृदोष
18 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह में पड़ती हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि बेहद ही खास मानी जाती हैं अमावस्या तिथि पर स्नान दान और पूजा पाठ का खास महत्व होता हैं। अमावस्या की तिथि पूर्वजों को भी समर्पित होती हैं इस दिन के देवता पूर्वजों को माना गया हैं ऐसे में इस दिन श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करना भी शुभ होता हैं। मान्यता है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान पुण्य के कार्य किए जाए तो सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद साधक को मिलता हैं। इस बार आषाढ़ अमावस्या 18 जून दिन रविवार यानी कल पड़ रही हैं ऐसे में इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ के साथ साथ अगर कुछ खास उपायों को भी किया जाए तो पितृदोष का निवारण हो जाता हैं तो आज हम आपको अमावस्या पर किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं।
आषाढ़ अमावस्या पर करें ये उपाय-
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए कल यानी आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद पितरों के निमित्त श्राद्ध व तर्पण करें। आषाढ़ अमावस्या के दिन आप उपवास भी रख सकते हैं माना जाता हैं कि इस दिन उपवास रखते हुए पितृसूक्त का पाठ करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती हैं और वे प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अमावस्या तिथि पर पितरों के निमित्त दान पुण्य के कार्य जरूर करें माना जाता हैं कि इस दिन गरीबों व जरूरतमंदों को दान देने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पितृदोष के निवारण हेतु आप अमावस्या पर संध्याकाल में पीपल के वृक्ष के समक्ष सरसों तेल का दीपक जलाएं ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न हो जाते हैं।
कब है मां ताप्ती की जयंती?
18 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Tapti Janmotsav 2023 : ताप्ती भारत देश की पवित्र नदियों में से एक है। ताप्ती नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में स्थित मुलताई तहसील के एक 'नादर कुंड' से होता है।
यह नदी पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हुई खंभात की खाड़ी में जाकर समुद्र में मिल जाती है। ताप्ती नदी की कुल लंबाई लगभग 724 किमी है।
ताप्ती जन्मोत्सव आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 25 जून को ताप्ती नदी की जयंती मनाई जाएगी। ताप्ती नदी की वैसे तो कई सहायक नदियां हैं परंतु उसमें से प्रमुख है- पूर्णा नदी, गिरना नदी, पंजारा नदी, वाघुर नदी, बोरी नदी और अनर नदी। ताप्ती नदी में सैकड़ों कुंड एवं जल प्रताप के साथ डोह है जिसे कि लंबी खाट में बुनी जाने वाली रस्सी को डालने के बाद भी नापा नहीं जा सका है। ताप्ती के मुल्ताई में ही 7 कुंड है- सूर्यकुण्ड, ताप्ती कुण्ड, धर्म कुण्ड, पाप कुण्ड, नारद कुण्ड, शनि कुण्ड, नागा बाबा कुण्ड।
पौराणिक ग्रंथों में ताप्ती नदी को सूर्यदेव की बेटी माना गया है। कहते हैं कि सूर्यदेव ने अपनी प्रचंड गर्मी से खुद को बचाने के लिए ताप्ती नदी को जन्म दिया था। तापी पुराण अनुसार किसी भी व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति दिलाई जा सकती है, यदि वह गंगा में स्नान करता है, नर्मदा को निहारता है और ताप्ती को याद करता है। ताप्ती नदी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। ताप्ती नदी की महिमा की जानकारी स्कंद पुराण में मिलती है।
कब है विनायक चतुर्थी, जानिए तारीख और पूजन विधि
18 Jun, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं जो भगवान श्री गणेश की पूजा को समर्पित होता हैं लेकिन इन सभी में विनायक चतुर्थी बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि श्री गणेश की आराधना के लिए सबसे उत्तम दिन होता हैं। पंचांग के अनुसार हर माह की चतुर्थी तिथि श्री गणेश की पूजा को समर्पित होती हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि 22 जून को पड़ रही हैं इस दिन भगवान की विधिवत पूजा और व्रत करने से साधक को उनकी कृपा मिलती हैं साथ ही ज्ञान और ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होती हैं इस दिन व्रत रखने से जीवन के सभी विघ्न, संकट मिट जाते हैं। तो आज हम आपको विनायक चतुर्थी व्रत पूजन की संपूर्ण विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
तारीख और मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ा माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 21 जून दिन बुधवार को दोपहर 3 बजकर 9 मिनट से हो रहा है और इसका समापन 22 जून को शाम 5 बजकर 27 मिनट पर हो जाएगा। वही ऐसे में विनायक चतुर्थी का व्रत 22 जून को करना उत्तम रहेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक का हैं। इसके अलावा दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक का समय भी पूजा के लिए ठीक हैं।
पूजन की विधि-
आपको बता दें कि विनायक चतुर्थी के शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें साफ वस्त्रों को धारण कर भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए व्रत पूजन का संकल्प करें। फिर घर के मंदिर में दीपक जलाएं भगवान को स्नान कराएं। इसके बाद श्री गणेश को साफ वस्त्र पहनाएं। भगवान को सिंदूर का तिलक लगाएं। श्री गणेश की पूजा में उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें साथ ही मोदक का भोग लगाएं और प्रभु की आरती करें अंत में भूल चूक के लिए श्री गणेश से क्षमा मांगे साथ ही अपनी प्रार्थना भगवान से कहें।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 जून 2023)
18 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में अचानक परिवर्तन हो सकता है, व्यवसाय में अच्छी गति होगी।
वृष राशि :- कार्यों में सफलता मिले, मान-सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होंगे।
मिथुन राशि :- सप्ताह उत्तम फलकारक हो, अधिकारियों का पूर्ण समर्थन-सहयोग मिले।
कर्क राशि :- नौकरी में व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं रहेगा, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतू गृह पीड़ाकारक है, आपसी मतभेद से बचें।
कन्या राशि :- मनोरंजन से अति हर्ष होगा, व्यवसाय में लाभ होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
तुला राशि :- पारिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद-प्रमोद में विशेष ध्यान देंगे।
वृश्चिक राशि :- मानसिक तनाव अकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य होगी।
धनु राशि :- व्यवसाय की उन्नति से अर्थिक स्थिति में विशेष सुधार अवश्य होगा।
मकर राशि :- विलास सामग्री का संचय होगा, अधीकारी वर्ग की कृपा का लाभ मिले।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग मिले, उन्नति एवं लाभ के योग बनेंगे।
मीन राशि :- गृह-कलह, हीन मनोवृत्ति, शरीर पीड़ा से परेशानी अवश्य ही होगी।
श्रावण मास 59 दिन का, जिसमें 8 सावन सोमवार का क्या है रहस्य?
17 Jun, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह के बाद श्रावण माह आता है जिसमें सावन सोमवार के व्रत रखकर भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। वैसे तो प्रत्येक माह में 4 या कभी कभी 5 सोमवार होते हैं, परंतु ऐसा सालों बाद हुआ है कि सावन माह में 8 सोमवार आ रहे हैं। आखिर इसका क्या है रहस्य?
श्रावण मास कब से हो रहा है प्रारंभ | When is the month of Shravan starting?
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 3 जुलाई को आषाढ़ी पूर्णिमा रहेगी। इसके बाद सावन का महीना प्रारंभ हो जाएगा। यानी 4 जुलाई से सावन मास प्रारंभ होगा। इस बार सावन का माह 4 जुलाई से प्रारंभ होकर 31 अगस्त तक चलेगा। यानी पूरे 59 दिन का एक माह होगा।
अधिक मास होने के कारण बढ़ गए सावन माह के दिन :
इस बार श्रावण माह के दौरान ही अधिक मास भी प्रारंभ हो जाएगा।
18 जुलाई से अधिक मास प्रारंभ होगा जो 16 अगस्त को समाप्त होगा।
अधिकमास के भी दिन जुड़ जाने के कारण इस बार श्रावण मास 59 दिन होगा जिसमें 8 सोमवार रहेंगे।
चूंकि कोई सा भी माह कृष्ण पक्ष 1 से प्रारंभ होकर शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर समाप्त होता है ऐसे में अधिक मास के दिन जुड़ जाने से श्रावण मास कृष्ण पक्ष के बाद शुक्ल पक्ष आए और पुन: कृष्ण पक्ष प्रारंभ होकर यह पुन: शुक्ल पक्ष प्रारंभ होकर पूर्णिमा पर समाप्त होगा। यानी सावन माह में दो अमावस्या, दो पूर्णिमा रहेगी।
कितने सोमवार रहेंगे श्रावण माह में | How many Mondays will be there in the month of Shravan?
3 जुलाई को आषाड़ी पूर्णिमा के दिन सोमवार रहेगा।
सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को रहेगा।
सावन का दूसरा सोमवार 17 जुलाई को रहेगा।
सावन का तीसरा सोमवार 24 जुलाई को रहेगा।
सावन का चौथा सोमवार 31 जुलाई को रहेगा।
सावन का पांचवां सोमवार 7 अगस्त को रहेगा।
सावन का छठा सोमवार 14 अगस्त हो रहेगा।
सावन का सातवां सोमवार 21 जुलाई को रहेगा।
सावन का आठवां सोमवार 28 जुलाई को रहेगा।
नोट : अधिक मास होने के कारण इस बार 8 सोमवार है।
लहसुन का टोटका आपको चंद दिनों में बनाएगा मालामाल
17 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर घर की रसोई में लहसुन का इस्तेमाल भोजन के स्वाद को बढ़ाने और सेहत के लिहाज से किया जाता हैं। लहसुन जितना अपनी सेहत के लिए लाभकारी होता हैं उतना ही इसका महत्व ज्योतिषशास्त्र में भी बताया गया हैं।
ज्योतिष में लहसुन से जुड़े कई ऐसे टोटके व उपायों के बारे में बताया गया हैं जिसे करने से करियर काराबार में खूब तरक्की मिलती है साथ ही साथ धन संकट भी दूर हो जाता हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा लहसुन से जुड़े आसान टोटके बता रहे हैं जिसे करने से आप कुछ ही दिनों में मालामाल हो जाएंगे तो आइए जानते हैं।
लहसुन के आसान टोटके-
अगर आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और इससे मुक्ति का मार्ग तलाश रहे हैं तो ऐसे में आप शनिवार के दिन अपने पर्स या भी मनी बैग में लहसुन की एक कली रख लें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन आगमन स्तोत्र बढ़ते हैं साथ ही साथ आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो जाती हैं। वही इसके अलावा अगर आप पारिवारिक तनाव से जूझ रहे हैं या फिर घर में आए दिन लड़ाई झगड़े होते रहते हैं जिस कारण मानसिक तनाव बना हुआ हैं तो ऐसे में आप एक पतली डंडी में सात लहसुन की कलियों को डालकर उसे घर की छत पर रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से नकारात्मकता का नाश हो जाता हैं और घर परिवार में सदा शांति बनी रहती हैं।
अगर कड़ी मेहनत और खूब प्रयास के बाद भी आपको नौकरी में प्रमोशन नहीं मिल रहा है या फिर आय बढ़ने में कोई दिक्कत आ रही हैं तो ऐसे में आप लहसुन का टोटका उस वक्त करें जब आप अकेले हो। इसके लिए आफिस या कारोबार स्थल के मुख्य द्वार पर लहसुन की पांच कलियों को लाल वस्त्र में लपेटकर लटका दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से आपको नौकरी व कारोबार में खूब तरक्की मिलती हैं आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
अमरनाथ में कबूतरों का जोड़ा दिखाई देना माना जाता है शुभ, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
17 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पुराणों में वर्णित है कि माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि उन्हें हर जन्म में एक नया रूप धारण करने और वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उनके साथ पुनर्मिलन की चुनौती से क्यों गुजरना पड़ा।
अपने गले में नरमुंड की माला के महत्व और उसकी अमरता के रहस्य पर भी सवाल उठाया। इसके जवाब में, भगवान शंकर ने माता पार्वती से अनुरोध किया कि वे अमर कथा को उनके साथ एकांत और गुप्त स्थान पर सुनाएंगे, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई अन्य व्यक्ति इसे सुन न सके। इसका उद्देश्य यह था कि जो भी इस अमर कथा को सुनेगा उसे भी अमरता की प्राप्ति होगी। पुराणों के अनुसार, शिव ने सबसे पवित्र अमरनाथ गुफा में पार्वती को अपनी ध्यान कथा सुनाई।
गुफा में कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती सो गई, शिव जी को पता नहीं चला, वह कहानी सुनाते रहे और दो सफेद कबूतर ध्यान से सुन रहे थे। कबूतरों ने शोर मचाया, जिसे शिवजी ने पार्वती माता को कहानी के साथ गुनगुनाते हुए समझ लिया। परिणामस्वरूप, कबूतरों ने अमरता की पूरी कहानी सुन ली। जब कथा समाप्त हुई तो शिवजी ने देखा कि पार्वती पूरे समय सोई रही हैं।
कबूतरों को देखने के बाद, महादेव क्रोधित हो गए और उन्हें खत्म करने के लिए आगे बढ़े, लेकिन कबूतरों ने उनसे यह याद दिलाया कि उन्होंने उन्हें अमरता की कहानी सुनाई थी। उन्होंने बताया कि उन्हें मारना इस कहानी का खंडन करेगा, भगवान शिव ने कबूतरों के प्राण नहीं लिए और उन्हें यह कहते हुए आशीर्वाद दिया कि वे शिव पार्वती के प्रतीक के रूप में स्थान पर रहेंगे। कबूतर अमर हो गए और आज भी भक्तों द्वारा उन्हें उसी स्थान पर देखा जा सकता है। इस घटना ने गुफा को अमरनाथ गुफा के रूप में प्रसिद्ध कर दिया, जो अमर कथा की साक्षी बनी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 जून 2023)
17 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष, यात्रा, राजसुख, सफलता, हानि, गृह कलह, मानसिक अशांति होगी।
वृष राशि :- विरोध, व्यय, कष्ट, अशांति रहेगी, लेखन कार्य में सफलता मिलेगी।
मिथुन राशि :- व्यापार में अतिलाभ, यात्रा, विवाह, उद्योग-व्यापार की स्थिति में कमी होगी।
कर्क राशि :- शरीर मध्यम, भूमि व राजभय, सफलता का दिन, हर्ष, समय फलकारक रहेगा।
सिंह राशि :- वाहन भय, कष्ट, राजसुख, यात्रा से लाभ होगा, शुभ कार्यों में व्यवधान होगा।
कन्या राशि :- व्यय, प्रवास, विरोध, भूमिलाभ, कार्यों में बाधा, व्यावस्था बनी रहेगी।
तुला राशि :- रोग, भय, मातृ-सुख, यात्रा, व्यापार में सुधार हो सकता है, कार्य बन जाएंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, लाभ, विरोध, भूमिलाभ, कार्य में बाधा, व्यवस्था बनी रहेगी।
धनु राशि :- लाभ कार्य, रुचि, यश, हर्ष, यात्राभय, शिक्षा जगत की स्थिति सामान्य होगी।
मकर राशि :- विरोध, व्यापार में हानि, शरीर कष्ट, धार्मिक खर्च, विशेष व्यय होगा।
कुंभ राशि :- लाभ-हानि, व्यय, प्रकरण विरोध, विरोधी परेशान करने की कोशिश करेंगे।
मीन राशि :- राजभय, अंश लाभ, चोरी तथा चोरभय हो सकता है, परेशानी बढ़ेगी।
इस दिन रखा जाएगा आषाढ़ मास की अमावस्या का व्रत, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त
16 Jun, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Ashadha Amavasya 2023 Date: धार्मिक दृष्टि से अमावस्या की तिथि का बहुत महत्व है. क्योंकि यह दिन दान-पुण्य और पितरों की शांति के लिए किये जाने वाले तर्पण के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है.
आषाढ़ मास की अमावस्या को भी खास माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार का आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है. इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है. आषाढ़ महीने की अमावस्या को आषाढ़ी अमावस्या या हल हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है. इस साल आषाढ़ अमावस्या 18 जून 2023 को है.
आषाढ़ अमावस्या 2023 शुभ मुहूर्त
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या तिथि की शुरूआत: 17 जून, शनिवार, सुबह 09 बजकर 11 मिनट से
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या तिथि की समाप्ति: 18 जून, रविवार, सुबह 10 बजकर 06 मिनट पर
स्नान और दान का मुहूर्त: 18 जून, सुबह 07 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक
आषाढ़ अमावस्या 2023 के दिन दान-स्नान का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, 18 जून यानी आषाढ़ अमावस्या के दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है. इस महीने की समाप्ति के बाद वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है. आषाढ़ अमावस्या दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले धार्मिक कर्मों के लिए विशेष फलदायी मानी गई है. इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान का कई गुना फल मिलता है. धार्मिक रूप से अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या तो शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या शनि अमावस्या कहलाती है.
आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि
इस दिन पवित्र नदी, जलाशय अथवा कुंड आदि में स्नान करें. इसके बाद तांबे के पात्र में जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. फिर यथाशक्ति किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें. अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास भी करें. आप चाहें तो पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं.
फलाहार करते हुए करें व्रत
अमावस्या के दिन फलाहार व्रत रखना चाहिए. इस दिन आर्थिक स्थिति के अनुसार जरूरतमंदों को दान भी देना चाहिए. दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है. आषाढ़ मास के अंत से बरसात का मौसम शुरू होता है और इस माह में चतुर्मास की भी शुरुआत होती है. इसलिए आषाढ़ की अमावस्या पर तर्पण और व्रत का विशेष विधान है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.
सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आज जरूर करें ये काम
16 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं। वही शुक्रवार का दिन देवी आराधना के लिए उत्तम माना जाता हैं ऐसे में इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता है कि समर्पित दिन पर अगर देवी मां की विधिवत पूजा की जाए तो साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं।
ऐसे में अगर आप माता पार्वती का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज यानी शुक्रवार के दिन माता पार्वती की विधिवत पूजा करें और श्री मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से करें माना जाता हैं कि इस चमत्कारी पाठ को करने से देवी मां अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं और सुख सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
श्री मंगला गौरी स्तोत्र-
देवि त्वदीयचरणाम्बुजरेणु गौरीं
भालस्थलीं वहति यः प्रणतिप्रवीणः ।
जन्मान्तरेऽपि रजनीकरचारुलेखा
तां गौरयत्यतितरां किल तस्य पुंसः ॥ १ ॥
श्रीमङ्गले सकलमङ्गलजन्मभूमे
श्रीमङ्गले सकलकल्मषतूलवह्ने ।
श्रीमङ्गले सकलदानवदर्पहन्त्रि
श्रीमङ्गलेऽखिलमिदं परिपाहि विश्वम् ॥ २ ॥
विश्वेश्वरि त्वमसि विश्वजनस्य कर्त्री
त्वं पालयित्र्यसि तथा प्रलयेऽपि हन्त्री ।
त्वन्नामकीर्तनसमुल्लसदच्छपुण्या
स्रोतस्विनी हरति पातककूलवृक्षान् ॥ ३ ॥
मातर्भवानि भवती भवतीव्रदुःख-
-सम्भारहारिणि शरण्यमिहास्ति नान्या ।
धन्यास्त एव भुवनेषु त एव मान्या
येषु स्फुरेत्तवशुभः करुणाकटाक्षः ॥ ४ ॥
ये त्वा स्मरन्ति सततं सहजप्रकाशां
काशीपुरीस्थितिमतीं नतमोक्षलक्ष्मीम् ।
तां संस्मरेत्स्मरहरो धृतशुद्धबुद्धी-
-न्निर्वाणरक्षणविचक्षणपात्रभूतान् ॥ ५ ॥
मातस्तवाङ्घ्रियुगलं विमलं हृदिस्थं
यस्यास्ति तस्य भुवनं सकलं करस्थम् ।
यो नामतेज एति मङ्गलगौरि नित्यं
सिद्ध्यष्टकं न परिमुञ्चति तस्य गेहम् ॥ ६ ॥
त्वं देवि वेदजननी प्रणवस्वरूपा
गायत्र्यसि त्वमसि वै द्विजकामधेनुः ।
त्वं व्याहृतित्रयमिहाऽखिलकर्मसिद्ध्यै
स्वाहास्वधासि सुमनः पितृतृप्तिहेतुः ॥ ७ ॥
गौरि त्वमेव शशिमौलिनि वेधसि त्वं
सावित्र्यसि त्वमसि चक्रिणि चारुलक्ष्मीः ।
काश्यां त्वमस्यमलरूपिणि मोक्षलक्ष्मीः
त्वं मे शरण्यमिह मङ्गलगौरि मातः ॥ ८ ॥
स्तुत्वेति तां स्मरहरार्धशरीरशोभां
श्रीमङ्गलाष्टक महास्तवनेन भानुः ।
देवीं च देवमसकृत्परितः प्रणम्य
तूष्णीं बभूव सविता शिवयोः पुरस्तात् ॥ ९ ॥
इति श्रीस्कान्दपुराणे काशीखण्डे रविकृत श्री मंगला गौरी स्तोत्रं ।
माता तुलसी की कृपा दिलाएंगा ये चमत्कारी पाठ
16 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म को मानने वाले अधिकतर घरों में तुलसी का पौधा लगा होता हैं और लोग रोजाना सुबह शाम इसकी विधिवत पूजा करते हैं सुबह जल अर्पित किया जाता हैं तो वही संध्याकाल में तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाया जाता हैं माना जाता हैं कि तुलसी में धन की देवी लक्ष्मी का वास होता हैं।
ऐसे में इसे घर में लगाने और विधिवत पूजा करने से देवी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर रोजाना सुबह शाम तुलसी पूजा में श्री तुलसी स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो धन की देवी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और सभी प्रकार की सुख सुविधाओं का आशीर्वाद प्रदान करती हैं साथ ही तुलसी की कृपा से जीवन के संकट का नाश होता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री तुलसी स्तोत्र।
श्री तुलसी स्तोत्र-
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे ।
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः ॥
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे ।
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके ॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा ।
कीर्तिता वापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम् ॥
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुं ।
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्याः मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात् ॥
तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरं ।
या विनर्हन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः ॥
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्धाञ्जलिं कलौ ।
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे ॥
तुलस्या नापरं किञ्चिद्दैवतं जगतीतले ।
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः ॥
तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ ।
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके ॥
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः ।
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन् ॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे ।
पाहि मां सर्व पापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके ॥
इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता ।
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः ॥
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी ।
धर्म्या धर्मानना देवी देवदेवमनःप्रिया ॥
लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला ।
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः ॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत् ।
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया ॥
तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे ।
नमस्ते नारदनुते नारायणमनःप्रिये ॥
इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसी स्तोत्र॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 जून 2023)
16 Jun, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी शुभ समाचार के मिलने का योग है, व्यवसायिक स्थिति ठीक होगी।
वृष राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति अनुकूल, चिन्ता कम अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- किसी प्रलोभन से हानि, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी तथा कार्यगति उत्तम हो।
कर्क राशि :- अनायास यात्रा में उद्विघ्नता, स्त्री वर्ग से कुछ वाद-विवाद, परेशानी होगी।
सिंह राशि :- विरोधियों के षड़यंत्र से मानसिक परेशानी बनेगी तथा बेचैनी बढ़ेगी।
कन्या राशि :- शारीरिक कष्ट, राजभय, व्यापार-उद्योग-धंधे में परेशानी बढ़ेगी।
तुला राशि :- व्यवसाय योग निश्चय, धार्मिक कार्य, कष्ट, व्यय, अनायास परेशानी बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि :- बाधा, उलझने, लाभ, यात्रा से कष्ट, अनाप-शनाप व्यय अवश्य होगा।
धनु राशि :- शत्रुभय, मुकदमें में जीत, रोगभय, व्यय होगा, व्यापार में सुधार अवश्य होगा।
मकर राशि :- व्यापार में लाभ, शत्रुभय, धन सुख, धार्मिक खर्च बढ़ेंगे, लाभ होगा।
कुंभ राशि :- कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त होगी, विरोधी असफल रहेंगे, व्यापार बढ़ेगा।
मीन राशि :- स्वजन सुख, पुत्र-चिन्ता, सुख की हानि, व्यापार की स्थिति अच्छी नहीं रहेगी।
15 जून को करें गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा और व्रत विधि, सिर्फ इतनी देर का रहेगा शुभ मुहूर्त
15 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को बहुत ही खास माना गया है। इस तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है, जिसे प्रदोष व्रत कहते हैं (Guru Pradosh June 2023)।
इस बार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून, गुरुवार को है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस व्रत से जुड़ी खास बातें.
गुरु प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh June 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 जून, गुरुवार की सुबह 08:32 से 16 जून, शुक्रवार की सुबह 08:40 तक रहेगी। प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा शाम को करने का विधान है, इसलिए ये व्रत 15 जून को किया जाएगा। गुरुवार को प्रदोष व्रत होने से ये गुरु प्रदोष कहलाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:20 से रात 09:21 तक रहेगा। इस दिन पद्म और सुकर्मा नाम के शुभ योग रहेंगे, जिससे इस व्रत का महत्न और भी बढ़ जाएगा।
ये है गुरु प्रदोष की व्रत-पूजा विधि (Guru Pradosh Puja Vidhi)
- 15 जून, गुरुवार की सुबह उठकर सबसे पहले स्नान आदि करें और इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। संभव हो तो संकल्प विधि किसी योग्य ब्राह्मण से पूर्ण करवाएं।
- इसके बाद दिन भर सात्विक रूप रहते हुए व्रत के नियमों का पालन करें। शाम को शुभ मुहूर्त में शिवजी की प्रतिमा या चित्र की साफ स्थान पर स्थापित करें।
- सबसे पहले शिवजी की प्रतिमा या चित्र का अभिषेक शुद्ध जल से अभिषेक करें, फिर पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर और घी) से और इसके बाद पुन: शुद्ध जल चढ़ाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाकर एक-एक करके फूल, बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, भांग आदि चीजें चढ़ाते रहें। इस दौरान ऊं नम: शिवायं मंत्र का जाप करते रहें।
- इस तरह विधि-विधान से पूजा करने के बाद शुद्धता पूर्वक बनाया गया भोग शिवजी को लगाएं और आरती करें। प्रसाद भक्तों में बांट दें।
ये है गुरु प्रदोष व्रत की कथा (Guru Pradosh Katha)
- पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वृत्तासुर नाम का एक राक्षस था, वो अत्यंत पराक्रमी था। वरदान पाकर उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया।
- यहां देवराज इंद्र ने अपनी शक्तियों का उपयोग कर इसे पराजित कर दिया। हार से क्रोधित होकर उसने विकराल रूप धारण कर लिया।
-वृत्तासुर के इस रूप को देखकर देवता भी घबरा गए और देवगुरु बृहस्पति की शरण में आ गए। उन्होंने वृत्तासुर को हराने के उपाय पूछा।
- देवगुरु बृहस्पति ने बताया कि इस राक्षस को पराजित करने के लिए सभी देवता गुरु प्रदोष का व्रत करें। देवताओं ने ऐसा ही किया और वृत्तासुर को हरा दिया।
Jagannath Rath Yatra 2023 :क्यों निकाली जाती है भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा, जानें इसका महत्व
15 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. पुरी की यह यात्रा बेहद विशेष होती है. इस साल रथ यात्रा 20 जून को निकाली जाएगी.
आषाढ़ मास के आते ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पश्चात आने वाली द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आरंभ होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस विशेष दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा करने और उन्हें समर्पित मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. इस यात्रा का महत्व काफी लम्बे समय से चला आ रहा है. इस भव्य आयोजन के पीछे कई कथाएं भी प्रचलित हैं जो इसके महत्ता को बहुत ही सटीक रुप से दिखाने वाली होती हैं.
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सिद्ध नगरी पुरी सहित मंत्रों एवं धार्मिक कार्यों के बीच भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साधक दूर दूर से भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. देश और विदेशों से भी इस स्थान पर विशेष रुप इस समय पर शृद्धालु पहुंचते हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ यात्रा ओर कैसे होता है इस यात्रा का आरंभ : -
यह वार्षिक उत्सव आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के नौ दिनों के प्रवास के दौरान उनकी मौसी के घर या गुंडिचा मंदिर में मनाया जाता है. इसी के लिए यह यात्रा होती है और भगवान को मंदिर से निकाल कर विशाल रथ में बैठाया जाता है और इसके पश्चात भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ मौसी के घर जाते हैं.
हर साल आषाढ़ के महीने में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकाली जाती है. इसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण कई महीने पहले से ही शुरू हो जाता है. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून मंगलवार से शुरू होगी. ओडिशा के पुरी में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की यह रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है. इसे देखने लाखों लोग जाते हैं. रथ बनाने की प्रक्रिया कई महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. रथ बनाने के नियम भी बेहद खास और कठिन होते हैं, जिसे भक्त पूर्ण भक्ति के साथ तैयार करते हैं.
होने वाला है सूर्य का गोचर, इन राशियों को होगा लाभ, जानें पड़ेगा क्या असर
15 Jun, 2023 06:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Surya Gochar 2023: 15 जून को सूर्य मिथुन राशि में गोचर करेंगे. सू्र्य 17 जुलाई 2023 तक मिथुन राशि में रहेंगे, मेष राशि के जातकों को कई उतार चढ़ाव देखने पड़ेंगे. ऐसे में कई राशि के जातकों को फायदा भी होने वाला है.सूर्य गोचर का कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. जानें इन राशियों के बारे में-
मेष राशि (Aries)
सूर्य का गोचर मेष राशि वालों के लिए बहुत शुभ रहने वाला है. इस गोचर से आपकी यात्राओं के योग बनेंगे जो आपको लाभ दिलाएंगे. सूर्य के इस गोचर से मेष राशि के लोगों के साहस और पराक्रम में बढ़ोतरी होगी. जो लोग सरकारी नौकरी या प्रशासनिक भूमिका में हैं उनका मान-सम्मान बढ़ेगा.
सिंह राशि (Leo)
सूर्य पहले भाव का स्वामी है और सिंह राशि के जातकों के लिए 11वें भाव में गोचर करेगा। कई क्षेत्रों में सूर्य का यह गोचर आपके लिए अनुकूल साबित होगा और एकादश भाव में सूर्य का गोचर अपने आप में लाभकारी माना जा रहा है। आपको धीरे-धीरे सफलता मिलेगी, पदोन्नति मिलेगी और आपका सामाजिक स्तर निश्चित रूप से ऊंचा उठेगा।
कन्या राशि (Virgo)
कन्या राशि वाले काम के सिलसिले में विदेश यात्रा पर जा सकते हैं. यह समय आपके लिए फलदायी साबित होगा. आपको विदेश में बसने का भी मौका मिल सकता है. इस दौरान विदेशी संपर्कों से आपको अपने कार्यक्षेत्र में लाभ होगा.
धनु राशि (Sagittarius)
इस राशि के सातवें भाव में गोचर कर रहे है. व्यापारी के लिए यह समय बहुत ही बेहतर रहने वाला है, नये निवेश करें लाभ होगा. पारिवारिक रिश्ता मजबूत होगा .दाम्पत्य जीवन में बना हुआ तनाव कम होगा तथा इनसे लाभ होगा. इस समय वाद-विवाद में नहीं फंसे.
कुंभ राशि (Aquarius)
सूर्य के गोचर से इस राशि के जातक रचनात्मक क्षेत्र में आगे बढ़ेंगे. यह समय आपके लिए बहुत शुभ साबित होगा. सूर्य का यह गोचर आपकी रचनात्मकता क्षमता को बढ़ाएगा. आप अपने प्रोजेक्ट या व्यापार में नए विचारों को शामिल करेंगे.