धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
घर में मूर्तियां रखने से पहले जान लें ये परंपरा
22 Jun, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घर और मंदिर में फर्क होता है और जो लोग घर में ही मंदिर बना लेते हैं उनके लिए कई नियम मान्य होते हैं जैसे कहां बनाना चाहिए, घर का कौन सा कोना पवित्र है वगैराह-वगैराह, लेकिन घर में मूर्तियां रखने के भी कुछ नियम होते हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर मूर्ति की पूजा नहीं की जा सकती तो उसे घर में रखने की जरूरत नहीं है। ये नियम खास तौर से शिवलिंग पर लागू होता है।
शिवलिंग को लेकर ये भी नियम है कि एक से ज्यादा शिवलिंग घर में नहीं रखने चाहिए।
अगर ब्रह्मा-विष्णु-महेश की मूर्ति रखी जा रही है या फोटो है तो उसे बाकी देवताओं से ऊपर स्थान देना चाहिए।
एक ही भगवान की तीन मूर्तियां या तस्वीरें एक साथ घर में नहीं रखनी चाहिए ये गलत प्रभाव डालती हैं।
क्या कहते हैं शास्त्र..
ये सभी नियम और कायदे खास तौर पर वास्तु शास्त्र के हिसाब से बनाए गए हैं। अगर हम अन्य शास्त्रों की बात करें जैसे गीता में दान या उपहार के तीन प्रकार हैं (सात्विक, राजसिक और तामसिक) जिसमें से किसी में भी भगवान की मूर्ति दान या उपहार देने का कोई रिवाज नहीं है।
रिगवेद में ज्ञान को ही दान और उपहार माना गया है और इसे ही देने की बात कही गई है। मनुस्मृति में भूखे को खाना खिलाना (पुण्य के लिए), सरसों का दान (स्वास्थ्य के लिए), दिए या रौशनी का दान (समृद्धी के लिए), भूमि का दान (भूमि के लिए) और चांदी का दान (सौंदर्य के लिए) का वर्णन है, लेकिन भगवान की मूर्तियों का कहीं नहीं हैं।
चंद्र पर्वत का है जीवन में अहम स्थान
22 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में हाथों की रेखाओं के साथ ही कई अन्य निशान भी होते हैं जिससे किसी के भी बारे में जाना जा सकता है। हाथ में चंद्र पर्वत बेहद महत्वपूर्ण और जीवन के बारे में बहुत कुछ बताने वाला होता है। यदि चंद्र पर्वत सामान्य विकसित हो तो जातक बहुत जल्दी सपनों की दुनिया में ही लाखों कमा लेते हैं। करोड़ो रूपये का हिसाब-किताब इनकी उंगलियों पर चलता है। हालांकि ये योजनाएं धरातल पर कम और काल्पनिक ज्यादा होती हैं। इसलिए कोई भी योजना ये पूरी नही कर पाते और ना ही इनके अंदर कोई कार्य करने का साहस होता है।इस तरह के जातक हद से ज्यादा भावुक होते हैं। किसी भी व्यक्ति की हल्की से बात इनको अंदर तक झकझोर देती है। इनको दूसरों की बातें बहुत जल्दी चुभती हैं। इनके अंदर साहस ना के बराबर होता है। ये लोग निराशा वादी होकर जल्दी पलायन कर जाते हैं।
यदि चंद्र पर्वत हथेल से बाहर निकल जाए तो ये जातक स्त्री के पीछे रहने वाले भोगी होते है। इन्हें जीवन में भोग और विलास से अलग कोई और कार्य नही सूझता। यदि चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है और यात्रा करने का बहुत ही ज्यादा शौकीन होता है। यदि चंद्र पर्वत गोल गिरा हो तो जातक राजनीति कार्य से विदेश यात्रा करता है। जिन जातकों का चंद्र पर्वत सामान्य रूप से उभरा हुवा हो तो जातक समझदार माना जाता है। यदि किसी जातक के हाथ में चंद्र पर्वत अधिक उभरा हुवा होता है तो वे जातक स्थिर, पागल, वहमी , निराश, रहने वाले होते है। इन्हें सरदर्द की शिकायत रहती है।
वहीं जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा हथेली के किनारे से निकलती है, तो ऐसा व्यक्ति कुण्ठा एवं निराशा से उत्पन्न होने वाले क्रोध में आदर्श की प्रवृत्ति रखता है। ऐसा व्यक्तियों को मनुष्यों की अपेक्षा मूर्तियों से ज्यादा प्रेम होता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी मानवीय सीमाओं को मान्यता नहीं देता। ऐसा व्यक्ति सदा ही सच्चे एवं निर्दोष मित्र तथा अनुनाइयों की कामना रखता है।
ज्योतिष के अनुसान जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा छोटी होती है तो ऐसा व्यक्ति उदासीन, कठोर एवं अत्यधिक क्रूर प्रवृत्ति का होता है। किन्तु यदि हृदय रेखा लम्बी है तो यह सम्बंधित व्यक्ति के दयालु एवं स्नेही स्वभाव वाला होने की सूचक है। जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा गहरी बनी होती है ऐसा व्यक्ति गिने चुने मित्रों के प्रति गहरे स्नेह एवं आदर के भाव रखता है। किन्तु यही हृदय रेखा चौड़ी बनी हो तो सम्बंधित व्यक्ति के असंख्य लोगों के प्रति उमड़े प्रेम की कहानी कहती जिस व्यक्ति की हथेली पर स्थित हृदय रेखा जब हथेली को लम्बे मोड़ से काटती हुई जाती है, तो सम्बंधित व्यक्ति उत्साहपूर्ण एवं भावुक प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसे व्यक्ति का हृदय सच्चा होता है एवं यह अच्छा साथी भी सिद्ध होता है। इस प्रकार की हृदय रेखा के स्वामी व्यक्ति प्रिय पुत्र, स्नेही मित्र एवं आज्ञाकारी बच्चे सिद्ध होते हैं।
विनायक चतुर्थी आज, गणेश जी की पूजा से सभी समस्याएं दूर होंगी
22 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में व्रत की अलग ही महिमा होती है। इसी कड़ी में विनायक चतुर्थी व्रत 22 जून गुरुवार के दिन है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ने वाले इस व्रत के साथ ही पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन गणपति जी की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से बल, बुद्धि, विद्या, धन एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में साधक को सफलता प्राप्त होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में भी पूजा जाता है, इसलिए विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पूजा-पाठ करने से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
पूजा विधि साधक को सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए और शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। पूजा के समय गणपति जी को सिंदूर, नारियल, दूर्वा, मोदक, कुमकुम, हल्दी इत्यादि अर्पित करें।
दिन पूजा का शुभ समय
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 21 जून को दोपहर 03:09 पर होगी और इस तिथि का समापन 22 जून को शाम 05:27 पर हो जाएगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (22 जून 2023)
22 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मित्र से पीड़ा, यात्रा, विवाद, मातृ-कष्ट, व्यर्थ का विरोध, पड़ोसियों से विरोध बनेगा।
वृष राशि :- धन व्यय, व्यापार में प्रगति, शुभ कार्य होगा, परिवार में अनुकूलता बनी रहेगी।
मिथुन राशि :- पितृ-कष्ट, यात्रा योग, व्यय लाभ, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा।
कर्क राशि :- यात्रा सुख, भूमि लाभ, हर्ष, सिद्धी, खेती व गृह कार्य की व्यवस्था उत्तम बनेगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, अपव्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधारादि कार्य होंगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री-कष्ट, विद्या-लाभ, धीरे-धीरे सुधार के साथ लाभ अवश्य ही होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हानि, राजलाभ, शरीर कष्ट, खर्च अधिक होगा, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पत्ति लाभ, व्यापार में सुधार होगा, खर्च होते ही रहेंगे।
धनु राशि :- अल्प लाभ, चोटाग्नि भय, शरीर भय, मानसिक परेशानी, अपवाद या उलझन का सामना करेंगे।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, अपव्यय, शरीरादि सुख होगा, कभी-कभी कुछ कमी की व्यवस्था बनेगी।
कुंभ राशि :- शुभ व्यय, संतान सुख, कार्य-सफलता, उत्साह में वृद्धि होगी, रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, लाभ-हानि तथा अधिकारियों से मनमुटाव होगा, ध्यान दें।
अर्जुन हुए थे पुनः जीवित, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
21 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अर्जुन का नाम हमेशा महाभारत से जोड़ा जाता है। इसके बावजूद युद्ध में कोई भी ऐसा धनुर्धर नहीं था जो अर्जुन के कौशल का मुकाबला कर सके। महाभारत में अर्जुन के जन्म और मृत्यु सहित उसके बारे में व्यापक जानकारी है।
जबकि आमतौर पर यह माना जाता है कि अर्जुन की मृत्यु स्वर्ग की यात्रा के दौरान हुई थी, एक और कहानी है जो उनकी मृत्यु के दो बार होने के बारे में बताती है।
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण और महर्षि वेदव्यास ने पांडवों को अश्वमेध यज्ञ करने का निर्देश दिया था। उन्होंने भारत भर में भ्रमण करने के लिए अश्व (घोडे) को छोड़ दिया और अर्जुन को इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी दी गई। अश्वमेध यज्ञ का अश्व (घोडा) भ्रमण करे हुए मणिपुर पहुंच गया। मणिपुर में अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा और उनके पुत्र बभ्रुवाहन निवास करते थे। बभ्रुवाहन मणिपुर के राजा भी थे अपने पिता के आगमन के बारे में सुनकर प्रसन्न हुए और उनका स्वागत किया।
अपने पिता के साथ कुछ समय बिताने के लिए, बभ्रुवाहन ने अर्जुन के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोक लिया और सम्मान के साथ उसकी देखभाल की। हालाँकि, अर्जुन को परंपरा से जुड़े होने के कारण वह अपने बेटे को यज्ञ में हस्तक्षेप करने के लिए युध्य की चुनौती देते है। बभ्रुवाहनअर्जुन की चुनौती से इंकार नहीं कर सके और दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। बभ्रुवाहन, जिसके पास दैवीय शक्तियाँ थीं, युद्ध में बभ्रुवाहन के हाथो अर्जुन की मर्त्यु होगी। इस घटना के बाद चित्रांगदा और उनके बेटे ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की वह अर्जुन को पुनर्जीवित कर दे, भगवान कृष्ण प्रकट हुए और दया करते हुए अर्जुन को पुनः जीवित कर दिया। इस प्रकार, अर्जुन अपने ही पुत्र द्वारा मारे जाने के बावजूद जीवित हो गया।
यूपी के कुछ मंदिरो में वेस्टर्न कपडे पहन कर जाना वर्जित, जानिए कौन से है यह मंदिर
21 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में, प्रत्येक मंदिर अपने स्वयं के नियमों का पालन करता है, जिसमें आरती, प्रसाद और प्रवेश के समय जैसे विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। हाल ही में, बदायूं में बिरुबाड़ी मंदिर और मुजफ्फरनगर में श्री बाला जी महाराज मंदिर सहित उत्तर प्रदेश के कुछ मंदिरों में ड्रेस कोड नियमों पर जोर दिया गया है।
मुजफ्फरनगर में है श्री बाला जी महाराज का मंदिर
कुछ दिनों पहले मुजफ्फरनगर के बालाजी मंदिर का एक पोस्टर सामने आया था और अब यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। मंदिर के नोटिस में कहा गया है कि केवल उचित पोशाक पहनने वालों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। श्रद्धालुओं के अनुचित वस्त्रो में आने के कारण मंदिर प्रबंधन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह नियम महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।
हाल ही में यूपी के बदायूं के बिरुआबाड़ी मंदिर में छोटे कपड़े पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, मंदिर जाते समय भक्तों द्वारा उचित पोशाक का चयन किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक पवित्र पूजा स्थल है।
गिलहराज मंदिर, जो अलीगढ़ का एक प्रसिद्ध मंदिर है, मंदिर प्रशासन ने स्कर्ट और शॉर्ट्स पर प्रतिबंध लगा दिया है इसके अलावा, मंदिर की दीवारों पर एक नोटिस लिखा गया है की ऐसा करने पर उचित कारवाही की जाएगी।
सरकार ने नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में चादर चढ़ाने का प्रयास करने वाले मुस्लिम पुरुषों की घटना को ध्यान में रखते हुए एसआईटी का गठन किया है। इन मंदिरों के अलावा आगरा के कैलाश महादेव मंदिर और मथुरा के मनकामेश्वर महादेव मंदिर में आने वाले भक्तो के लिए उचित वस्त्र धारण करना जरुरी है।
गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, समस्त कठिनाईयों का होगा नाश
21 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में नवरात्रि पर्व को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि देवी साधना आराधना को समर्पित होता हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जिसका आरंभ 19 जून दिन सोमवार से हो चुका हैं और आज गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन हैं।
तो वही कल यानी 21 जून को नवरात्रि का तीसरा दिन पड़ रहा हैं जो कि जगत जननी आदिशकित मां दुर्गा की तृतीय शक्ति स्वरूपा माता चंद्रघंटा को समर्पित हैं इस दिन भक्त देवी मां चंद्रघंटा की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा के शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाए तो देवी मां की कृपा बरसती हैं साथ ही सभी दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं माता के चमत्कारी मंत्र।
माता का बीज मंत्र-
ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रभावशाली मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान मंत्र
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला
वराभीतकराम्घ पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्
कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
स्तोत्र
आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्ति: शुभा पराम्।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्॥
देवी कवच-
रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धारं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (21 जून 2023)
21 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, रोग, उदर विकार, लाभ, राजभय, पारिवारिक समस्या उलझी रहेंगी।
वृष राशि :- शत्रुभय, सुख, मंगल कार्य, विरोध, मामले-मुकदमे में जीत की सम्भावना रहेगी।
मिथुन राशि :- कुसंगत से हानि, विरोध, व्यय, यात्रा व सामाजिक कार्यों में सावधानी रखें।
कर्क राशि :- पराक्रम, कार्यसिद्ध, व्यापार लाभ, सामान्य लाभ हो सकता है, कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- तनाव, प्रवास से बचें, विरोध, चिन्ता, राजकार्य में प्रतिष्ठा मिल सकती है।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ की गति बढ़ेगी।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे, लाभ होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, कष्ट, हर्ष, व्यय होगा, व्यापार में सुधार, कार्य होगा।
धनु राशि :- यात्रा में हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय, उन्नति में कुछ कमी, व्यवस्था की अनुभूति।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहनादि रोगभय, धार्मिक कार्य, कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- अभिष्ट सिद्धी, राजभय, कार्य बाधा, सामाजिक कार्यों से लाभ होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोगभय, सम्पत्ति लाभ, राजकार्य में विलम्ब, परेशानी होगी।
जानिए गुप्त नवरात्रि के दौरान किस दिन लगाएं क्या भोग?
20 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुप्त नवरात्रि मनाई जा रही है. इस नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है. इस के चलते 9 दिन में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है.
प्रतिपदा से नवमी तक देवी को विशेष भोग लगाने तथा उस भोग को निर्धनों में दान करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती है. आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 19 जून से आरम्भ हो गई है. 9 दिन के इस अनुष्ठान में श्रद्धालुओं को चाहिए कि वे देवियों को विशेष भोग लगाएं तथा उस भोग को गरीबों में दान करें. इससे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही शारीरिक कष्ट से मुक्ति मिलती है. इन 9 दिनों में देवियों को अलग अलग फूलों की माला भी अर्पण करनी चाहिए.
पहले दिन शैलपुत्री की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के पहला दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इस दिन घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं तथा निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही कनेल फूल की माला माता को चढ़ाएं. इससे शारीरिक कष्टों से मुक्ति प्राप्त होगी.
दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्राह्मचारनी की पूजा की जाती है. इस दिन शक्कर से बने प्रसाद का भोग लगाएं. साथ ही निर्धनों को दान करें. पूजा में बेली फूलो से बनी माला अर्पण करें. इससे दीर्घायु होते हैं.
तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इस दिन माता को दूध चढ़ाये तथा निर्धनों को दान करें. हर्श्रृंगार फूलो की माला चढ़ाएं. इससे सभी तरह के दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है.
चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. इस दिन मालपुए का भोग लगाकर निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही इस दिन माता को उड़हुल फूल की माला चढ़ाएं. इससे सारी बाधाओं से मुक्ति प्राप्त होती है.
पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इस दिन केला का भोग लगाएं तथा भोग को निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही इस दिन बेला के फूलों की माला माता को चढ़ाएं. इससे घर में सुख-शान्ति बनी रहती है.
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इस दिन शहद का भोग लगाएं. इसके साथ ही इस दिन लाल वस्त्र पहनकर उड़हुल फूल की माला माता को चढ़ाएं. इससे धन संबंधी समस्या का निराकरण होता है.
सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं. उस प्रसाद को निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही इस दिन बेलपत्र एवं अपराजिता फूलों की माला माता को चढ़ाएं. इससे निर्धनता दूर होती है.
आठवें दिन माता महागौरी की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है. इस दिन नारियल का भोग लगाएं तथा नारियल निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही इस दिन उड़हुल और बेला की माला चढ़ाएं. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा:-
गुप्त नवरात्रि के नौवें एवं अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इस दिन दूध से बनी खीर या साबूदाने का प्रसाद भोग लगाएं. यह प्रसाद निर्धनों में दान करें. इसके साथ ही इस दिन गेंदा फूल एवं अपराजिता फूल से बनी माला चढ़ाएं. इससे सारी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (20 जून 2023)
20 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष, यात्रा, सुख-सफलता, हानि, गृह-कलह, मानसिक अशांतिकारक हो ।
वृष राशि :- विरोध, व्यय, कष्ट, अशांति, लाभ होगा, शिक्षा-लेखन कार्य में सफलता मिले।
मिथुन राशि :- व्यापार में क्षति, यात्रा, विवाद, उद्योग-व्यापार की स्थिति में कमी, हानि होगी।
कर्क राशि :- शरीरादि मध्यम, भूमि व राजलाभ, असफलता का दिन सबित होगा।
सिंह राशि :- वाहन आदि भय, कष्ट, राजसुख, यात्रा होगी, शुभ कार्य में व्यावधान होगा।
कन्या राशि :- व्यय, प्रवास, विरोध, भूमि लाभ होगा, राजकार्य में व्यावधान, लाभ होगा।
तुला राशि :- रोगभय, मातृ-सुख, खर्च, यात्रा, व्यापार में सुधार हो सकता है, कार्य होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्यसिद्ध, लाभ, विरोध, भूमि लाभ होगा, राजकार्य में व्यस्तता रहेगी।
धनु राशि :- लाभ, धर्म रुचि, यश, हर्ष, यात्रा, समय शिक्षा जगत की ख्याति सामान्य रहेगी।
मकर राशि :- विरोध, व्यापार में हानि, शरीर कष्ट, अधिक खर्च करने से कुछ कार्य होवेंगे।
कुंभ राशि :- व्यय, प्रभाव, लाभ, प्रतिष्ठा, रोगभय, विरोधी असफल अवश्य होंगे।
मीन राशि :- राजभय, यश लाभ, मान, चोटभय, राजकार्य में विलम्ब, परेशानी बढ़ेगी।
सुबह हथेलियों के दर्शन करने के पीछे क्या हैं मान्यताएं, जानिए इसके लाभ
19 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Astro Tips: अक्सर देखा गया है कि जब हमारी सुबह की शुरुआत अच्छी होती है तो हमारा पूरा दिन अच्छा बीतता है। दिन अच्छा व्यतीत हो इसके लिए हम सब प्रातःअपने मन और घर में शांति व प्रसन्नता की कामना करते हैं, तभी तो हम आंख खुलते ही कुछ भी ऐसा देखना पसंद नहीं करते जिससे हमारा मन खराब हो और उस वजह से दिन भी व्यर्थ चला जाए।
हमारा दिन हमारे लिए शुभ हो इसके लिए भारतीय ऋषि-मुनियों ने कर(हस्त)दर्शनम का संस्कार हमें दिया है। शास्त्रों में भी जागते ही बिस्तर पर सबसे पहले बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों(करतल)के दर्शन का विधान बताया गया है। इससे व्यक्ति की दशा सुधरती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। जब आप सुबह नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें।
कराग्रे बसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥
अर्थात मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है। मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है। अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूँ। इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है,ताकि जीवन में धन,विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके।
हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो और दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें। कर दर्शन का दूसरा पहलू यह भी है कि हमारी वृतियां भगवत चिंतन की ओर प्रवृत हों ऐसा करने से शुद्ध सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती हैं, साथ ही पराश्रित न रहकर अपनी मेहनत से जीविका कमाने की भावना भी पैदा होती है।
आँखें भी रहेंगी स्वस्थ्य
जब हम सुबह सोकर उठते हैं तो हमारी आखें उनींदी में रहती हैं। ऐसे मैं यदि एकदम दूर की वस्तु या कहीं रोशनी पर हमारी नज़र पड़ेगी,तो आखों पर कुप्रभाव पड़ेगा। कर दर्शन करने का यह फायदा है कि इससे दृष्टि धीरे धीरे स्थिर हो जाती है और आँखों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
19 जून से शुरू होगी आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि, जानें घटस्थापना की विधि, 1 घंटे से भी कम रहेगा अभिजीत मुहूर्त
19 Jun, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि (Ashadh Gupt Navratri 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये गुप्त नवरात्रि 19 से 27 जून तक मनाई जाएगी।
नवरात्रि के पहले दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। इस नवरात्रि में संहारकर्ता शक्तियों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ये समय गुप्त सिद्धियां पाने के लिए बहुत ही उपयुक्त है। आगे जानिए गुप्त नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 मुहूर्त (Ashadha Gupt Navratri 2023 Ghatsthapana Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा 18 जून, रविवार की सुबह 10.06 से शुरू होगी, जो अगले दिन 19 जून, सोमवार की सुबह 11.25 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, गुप्त नवरात्रि का आरंभ 19 जून से ही माना जाएगा। इस दिन घट स्थापना के शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेंगे-
- सुबह 05:23 से 07:27 तक (मिथुन लग्न)
- सुबह 11:55 से दोपहर 12:50 तक (अभिजीत मुहूर्त)
घट स्थापना की विधि (Ashadha Gupt Navratri 2023 Ghatsthapana Vidhi)
- इस बात का विशेष ध्यान रखें कि गुप्त नवरात्रि में गृहस्थ लोग घट स्थापना नहीं करते। सिद्धियां पाने के लिए जो लोग तप करते हैं, सिर्फ वे ही घट स्थापना करते हैं।
- गुप्त नवरात्रि के पहले दिन यानी 19 जून, सोमवार की सुबह घट स्थापना के स्थान को साफ करें और वहां गोमूत्र छिड़कें। लकड़ी का एक बड़ा पटिया रखें।
- पटिए पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस पर कलश में शुद्ध पानी भरकर इसकी स्थापना करें। कलश में फूल, दूर्वा, चावल, पूजा की सुपारी और सिक्का डालें।
- कलश के ऊपर कुंकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। मुख पर मौली बांधे। कलश के ऊपर आम के पत्ते और नारियल रखें। नारियल पर भी तिलक लगाएं।
- कलश स्थापना करते समय ये मंत्र बोलें- ऊं नमश्चण्डिकाये। अब 9 दिनों तक इस कलश की पूजा करें। प्रतिदिन दीपक जलाएं व आरती करें।
- इस तरह 9 दिनों तक कलश की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और हर तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
आंखों पर पट्टी बांधकर बदलते हैं भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा, क्या है ब्रह्म पदार्थ जिसे आज तक कोई नहीं देख पाया?
19 Jun, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन. हिंदू धर्म में 4 धामों की मान्यता है। इन 4 धामों में से एक है उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर। ये मंदिर अपनी कई विशेषताओं के चलते प्रसिद्ध है। आषाढ़ मास में निकलने वाली रथयात्रा देखने के लिए यहां लाखों लोग इकट्ठा होते हैं।
इस बार ये रथयात्रा 20 जून, मंगलवार से शुरू हो रही है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस रथयात्रा के दर्शन करता है, वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें.
2 दशक में एक बार बदली जाती है देव प्रतिमाएं (Interesting facts about Jagannath Rath Yatra)
ये बात सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन ये बिल्कुल सच है। भगवान जगन्नाथ के मंदिर में स्थित देव प्रतिमाएं हर 20 साल में बदल दी जाती है। ऐसा तब होता है जब आषाढ़ का अधिक मास होता है। ऐसा संयोग 19-20 सालों में एक बनता है। आषाढ़ मास के एक भव्य उत्सव के दौरान पुरानी प्रतिमाओं को हटाकर वहां नई प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। इस उत्सव को नव कलेवर कहते हैं। देव प्रतिमाओं का निर्माण करते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है।
बहुत रहस्यमयी है मूर्तियां बदलने की परंपरा (Interesting facts about Lord Jagannath)
जब भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बदली जाती है तो कई बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। ये प्रक्रिया बहुत ही रहस्यमयी होती है। कोई भी व्यक्ति इस प्रक्रिया को देख नहीं पाता है यहां तक कि स्वयं पुजारी भी नहीं। जब भगवान की पुरानी मूर्तियां हटाकर नई मूर्तियां स्थापित करने का समय आता है तो उस समय समय पूरे शहर की बिजली बंद कर दी जाती है और मंदिर के आस-पास भी अंधेरा कर दिया जाता है। इस दौरान मंदिर सिर्फ वही पुजारी मंदिर में होते हैं, जो प्रतिमा बदलते हैं।
भगवान का दिल है ब्रह्म पदार्थ
सबसे हैरान कर देने वाली बात ये होती है तो जो पुजारी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा बदलते हैं उनकी आंखों पर भी पट्टी बांध दी जाती है और उनके हाथों पर दस्ताने पहनाए जाते हैं। इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है। पुजारी भगवान की पुरानी प्रतिमा से ब्रह्म पदार्थ निकालकर नई प्रतिमा में स्थापित करते हैं। ब्रह्म पदार्थ को भगवान का दिल कहा जाता है। जब पुजारी इसे हाथ में लेकर नई प्रतिमा में डालते हैं तो वह धड़कता हुआ महसूस होता है। हालांकि आज तक किसी ने इस ब्रह्म पदार्थ को देखा नहीं है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 जून 2023)
19 Jun, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा व वृत्ति से लाभ, कुसंग से हानि, कुछ सहयोग रहे, पारिवारिक समाचार।
वृष राशि :- शुभ कार्य, भूमि से हानि, सिद्धी, कभी-कभी विरोधी अडंगे करते रहेंगे, कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- अधिक व्यय, स्वजन कष्ट, विवाद, आर्थिक कमी का अनुभव अवश्य होगा।
कर्क राशि :- हानि, रोगभय, नौकरी में कष्ट, चिन्ता, राजकार्य, मामले-मुकदमे में असंतोष।
सिंह राशि :- निराशा, लाभ, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार आदि होगा।
कन्या राशि :- शरीर कष्ट, लाभ, राजभय, उद्योग-व्यापार में अडंगे अवश्य ही आयेंगे।
तुला राशि :- चोट-अग्नि भय, धार्मिक कार्य, कष्ट, व्यर्थ अनाप-शनाप खर्च से परेशानी।
वृश्चिक राशि :- बाधा, उलझन, लाभ, यात्रा, कष्ट, गृहकार्य में परेशानी अवश्य रहेगी।
धनु राशि :- शत्रुभय, मुकदमे में जीत, रोगभय होगा, व्यापार में सुधार, कष्ट अवश्य होगा।
मकर राशि :- व्यापार में लाभ, शत्रुभय, धन सुख, सुधार, खर्च होते ही रहेंगे, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त हो, विरोधी असफल रहें, व्यापार में सुधार होगा।
मीन राशि :- स्वजन सुख, पुत्र-चिन्ता, धन हानि, व्यापार की स्थिति अच्छी नहीं रहे।
जानिए भीम शिला के पीछे का रहस्य, कैसे बचा था केदारनाथ का मंदिर
18 Jun, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड में 16 जून 2013 को आई भीषण बाढ़ ने पूरे इलाके में तबाही मज़ा दी थी। बाढ़ ने हर स्थान को प्रभावित किया था, जिसमें अधिक ऊंचाई वाले स्थान भी शामिल हैं। चौराबाड़ी ग्लेशियर के पास वाली झील के टूटने से केदारनाथ में बाढ़ के कारण काफी नुकसान हुआ।
पानी, रेत, चट्टान और कीचड़ के सैलाब के बावजूद, मंदिर चमत्कारिक रूप से बच गया जब एक विशाल चट्टान उसके पीछे आ कर रुक गई।
जब चट्टान मंदिर के पीछे आ कर रुक गई तो तेज बाढ़ का पानी दो भागों में बंट गया और चट्टान के सहारे मंदिर में नहीं गया। उस समय करीब 300-500 लोगों ने मंदिर में शरण ली थी। जब उन्होंने चट्टान को मंदिर की ओर जाते देखा, तो लोग भयभीत हो गए, जिससे वे भोले बाबा या केदार बाबा के नाम का जाप करने लगे। हालाँकि, बाबा के चमत्कार ने मंदिर और अंदर के लोगों दोनों को बचा लिया। नौ साल पहले हुई घटना के बावजूद, शिला, जिसे अब "भीम शिला" के नाम से जाना जाता है, कई लोगों का कहना है कि सबसे पहले इस मंदिर को पांडवों ने बनवाया था यहां भीम ने भगवान शंकर का पीछा किया था। कुछ का कहना है कि इस बड़े से पत्थर को देखकर यही लगा जैसे भीम ने अपनी गदा को गाड़कर महादेव के मंदिर को बचा लिया, यही वजह है कि लोग इसे भीम शिला कहते हैं। अभी भी यह शिला आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि के पास केदारनाथ मंदिर के पीछे बनी हुई है और लोग इसकी पूजा करते हैं।
केदारनाथ धाम ज्योतिर्लिंग मंदिर को बाढ़ के दौरान चट्टान द्वारा सुरक्षित किया गया था जो लोगों, साधुओं और सभी के लिए एक रहस्य बना हुआ है। पत्थर की चौड़ाई और यह मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर कैसे रुका यह अभी भी अज्ञात है। कुछ लोगों का मानना है कि यह भोलेनाथ या गुरु शंकराचार्य का चमत्कार था, जिनकी समाधि मंदिर के पीछे स्थित है, जबकि अन्य अनुमान लगाते हैं कि यह महज एक संयोग हो सकता है।