धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का क्या है साइंटिफिक कारण
9 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Why is milk offered on Shivling: भगवान शिव के निराकार स्वरूप शिवलिंग पर दूध, घी, शहद, दही, जल आदि अर्पित किया जाता है। पौराणिक कारणों के अनुसार शिवजी ने हलाहल नामक विष पी लिया था जिससे उनका शरीर तपने लगा।
इसी तपन को दूर करने के लिए उन्हें उपरोक्त वस्तुओं से उनका अभिषेक किया गया। तभी से ही शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। कहते हैं कि दूध भोले बाबा का प्रिय है और उन्हें सावन के महीने में दूध से स्नान कराने पर सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन इसका साइंटिफिक कारण भी है।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का साइंटिफिक कारण- Scientific reason for offering milk on Shivling:-
1. कहते हैं कि शिवलिंग एक विशेष प्रकार का पत्थर होता है। इस पत्थर को क्षरण से बचाने के लिए ही इस पर दूध, घी, शहद जैसे चिकने और ठंडे पादार्थ अर्पित किए जाते हैं।
2. अगर शिवलिंग पर आप कुछ वसायुक्त या तैलीय सामग्री अर्पित नहीं करते हैं तो समय के साथ वे भंगुर होकर टूट सकते हैं, परंतु यदि उन्हें हमेशा गीला रखा जाता है तो वह हजारों वर्षों तक ऐसे के ऐसे ही बने रहते हैं। क्योंकि शिवलिंग का पत्थर उपरोक्त पदार्थों को एब्जॉर्ब कर लेता है जो एक प्रकार से उसका भोजन ही होता है।
3. शिवलिंग पर उचित मात्रा में ही और खास समय पर ही दूध, घी, शहद, दही आदि अर्पित किए जाते हैं और शिवलिंग को हाथों से रगड़ा नहीं जाता है। यदि अत्यधिक मात्रा में अभिषेक होता है या हाथों से रगड़ा जाता है तो भी शिवलिंग का क्षरण हो सकता है। इसीलिए खासकर सोमवार और श्रावण माह में ही अभिषे करने की परंपरा है।
श्रावण मास में व्रत नहीं रखेंगे तो क्या होगा?
9 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Sawan somvar ka vrat nahi karna chahiye ya nahi: श्रावण मास प्रारंभ हो गया है। कई लोग सावन के माह में सोमवार का ही व्रत रखते हैं और कई लोग व्रत तो रखते हैं परंतु दोनों समय साबूदाने की खिचड़ी, राजगिरे के आटे की रोटी या मोरधन आदि की खिचड़ी पेटभर खाकर व्रत रखते हैं।
ऐसे भी कई लोग है जो व्रत नहीं रखकर तामसिक भोजन करते हैं। सभी के मन में यह सवाल होगा कि क्या होगा यदि व्रत नहीं रखेंगे तो और रख भी लिया तो कौनसा फायदा हो जाएगा?
व्रत नहीं रखेंगे तो क्या होगा :-
सावन के माह में खान पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूत होती है। यदि इस माह में आप सेहत का ध्यान रखते हैं तो निरोगी अवस्था का प्राप्त कर सकते हैं।
अब यदि श्रावण माह में व्रत नहीं रखोगे तो निश्चित ही एक दिन आपकी पाचन क्रिया सुस्त पड़ जाएगी। आंतों में सड़ाव लग सकता है। पेट फूल जाएगा, तोंद निकल आएगी।
आप यदि कसरत भी करते हैं और पेट को न भी निकलने देते हैं तो आने वाले समय में आपको किसी भी प्रकार का गंभीर रोग हो सकता है क्योंकि इस ऋतु में वैसे ही पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है तो वही भोजन करना चाहिए जो जल्दी से सड़ता नहीं हो।
अच्छा है कि फलाहार ही करेंगे तो जिस तरह प्रकृति पुन: नया जीवन पा लेती हैं उसी तरह आप भी अपने शरीर में पुन: नव जीवन प्राप्त कर सकते हैं।
व्रत का अर्थ पूर्णत: भूखा रहकर शरीर को सूखाना नहीं बल्कि शरीर को कुछ समय के लिए आराम देना और उसमें से जहरिलें तत्वों को बाहर करना होता है। पशु, पक्षी और अन्य सभी प्राणी समय समय पर व्रत रखकर अपने शरीर को स्वास्थ कर लेते हैं। शरीर के स्वस्थ होने से मन और मस्तिष्क भी स्वस्थ हो जाते हैं। अत: रोग और शोक मिटाने वाले चतुर्मास में कुछ विशेष दिनों में व्रत रखना चाहिए। डॉक्टर परहेज रखने का कहे उससे पहले ही आप व्रत रखना शुरू कर दें।
14 या 15? कब है सावन की मासिक शिवरात्रि, यहाँ जानिए
9 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन का महीना महादेव का प्रिय महीना है. इस महीने में शिव भक्ति का फल जल्दी मिलता है. शिवरात्रि प्रत्येक महीने पड़ती, जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि पड़ती है.
सावन के महीने में मासिक शिवरात्रि किस दिन पड़ेगी? इस बात को लेकर लोगों में संशय बना हुआ है. सावन का महीना शिव भक्ति के लिए विशेष होता है. इस महीने में महादेव पर जल चढ़ाना और जलाभिषेक करना बहुत फलदायी माना गया है. सावन की शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन पड़ती है. इस वर्ष 15 जुलाई 2023, शनिवार के दिन चतुर्दशी तिथि पड़ेगी. चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कहा जाता है. शिवरात्रि के दिन कांवड़ियां माहदेव पर जल चढ़ाते हैं. इस बार शिवरात्रि 15 जुलाई 2023 के दिन मनाई जाएगी.
शिवरात्रि शुभ मुहूर्त:-
हिंदू पंचांग के मुताबिक, श्रावण मास की शिवरात्रि 15 जुलाई 2023 शाम को 8:32 मिनट पर आरम्भ होगी तथा 16 जुलाई 2023 को रात्रि 10:08 मिनट पर समाप्त होगी.
सावन की शिवरात्रि का महत्व:-
सावन की शिवरात्रि का ज्यादा महत्व है, ऐसा माना जाता है महादेव ने समुद्र मंथन के समय विष का पान किया था. महादेव ने विष का पान सावन के मास में किया था. तत्पश्चात, महादेव असहज हो गए थे, तभी समस्त देवी-देवताओं ने भोलेनाथ पर जल अर्पित किया था जिससे विष का प्रभाव कम हो जाए. जल डालने पर महादेव के शरीर से विष का प्रभाव खत्म हो गया था. ऐसा माना जाता है कि यदि सावन में पड़नी वाली शिवरात्रि के दिन शिव जी पर जल अर्पित करें तो आपके सभी दुख का नाश होगा. आप निरोग होंगे तथा आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाएंगे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 जुलाई 2023)
9 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, मनोबल बनाये रखें, विचार हीनता से बचें, धैर्य रखें।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सहयोग करेंगे, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्रों से परेशानी, अशांति के वातावरण से बचें, दैनिक कार्य में अनुकूलता बनेगी।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, दैनिक कार्य में बाधा बनेगी।
सिंह राशि :- कार्यगति अनुकूल होगी, सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि होगी, समय अनुकूलता से लाभ लें।
कन्या राशि :- कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता, व्यग्रता, मानसिक उद्विघ्नता से अवश्य बचें, धैर्य से काम लें।
तुला राशि :- धन हानि, शरीर कष्ट तथा मानसिक बेचैनी तथा भ्रमण एवं विरोध होगा, धैर्य से काम लें।
वृश्चिक राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, समय स्थिति का लाभ लें।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से संतोष होगा, दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, फलप्रद स्थिति रहेगी।
मकर राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार होगा, योजनायें फलीभूत होंगी, कार्य समय पर करें।
कुंभ राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखें, मानसिक विभ्रम एवं उद्विघ्नता बनेगी, कार्य योजना पर ध्यान दें।
मीन राशि :- कार्य विफलत्व, कार्य करने पर भी सफलता दिखायी न दे, कार्य अवश्य करें।
श्रावण मास के आगामी तीज त्योहार एक नजर में
8 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रावण मास इस बार 59 दिनों का मनाया जा रहा है। इस वर्ष श्रावण मास में अधिक मास, मंगला गौरी व्रत, गणेश चतुर्थी, सूर्य कर्क संक्रांति, कामिका, कमला, पुरुषोत्तमी एकादशी, हरियाली तीज, नाग पंचमी, रक्षाबंधन, मोहर्रम आदि प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाएंगे।
आइए यहां जानते हैं श्रावण मास में आने वाले जुलाई-अगस्त 2023 के आगामी तीज-त्योहार के बारे में खास जानकारी-
4 जुलाई- श्रावण मास प्रारंभ, विवेकानंद पुण्यतिथि
4, 11, 18, 25 जुलाई तथा 1, 8, 15, 22, 29, अगस्त को मंगला गौरी व्रत किए जाएंगे।
10 जुलाई, 17 जुलाई, 24 जुलाई, 31 जुलाई, 7, 14, 21, 28, अगस्त को श्रावण सोमवार, महाकाल सवारी (उज्जैन)
7 जुलाई- मौना पंचमी
11 जुलाई- गुरु हरकिशन ज.
13 जुलाई- कामिका एकादशी
15 जुलाई- शनि प्रदोष व्रत, शिव चतुर्दशी
16 जुलाई- सूर्य कर्क संक्रांति, सोमवती, हरियाली अमावस्या, स्वामी अखंडानंद ज.
18 जुलाई- पुरुषोत्तम, अधिकमास प्रारंभ
20 जुलाई- मोहर्रम मास प्रा.
21 जुलाई- विनायकी चतुर्थी
28 जुलाई- यौमे अशुरा
29 जुलाई- पुरुषोत्तमी, कमला एकादशी, मोहर्रम (ताजिया विसर्जन)
30 जुलाई- प्रदोष व्रत
4 अगस्त- संकष्टी चतुर्थी
12 अगस्त- कमला, पुरुषोत्तमी एकादशी
13 अगस्त- प्रदोष व्रत
15 अगस्त- योगी अरविंद ज.
16 अगस्त- पारसी नववर्ष, पुरुषोत्तम, अधिमास समाप्त,
17 अगस्त- सूर्य सिंह संक्रांति, शुद्ध श्रावण मास प्रा.
18 अगस्त- सिंधारा दोज
19 अगस्त- हरियाली तीज, स्वर्ण गौरी व्रत,
20 अगस्त- विनायकी चतुर्थी, दूर्वा गणपति व्रत
21 अगस्त- नागपंचमी
22 अगस्त- कल्कि अवतार
23 अगस्त- मोक्ष सप्तमी, गोस्वामी तुलसीदास ज.
27 अगस्त- पुत्रदा, पवित्रा एकादशी
28 अगस्त- सोम प्रदोष व्रत
29 अगस्त- ओणम, श्रावणी उपाकर्म
30 अगस्त- रक्षाबंधन पर्व, व्रत की पूर्णिमा आदि प्रमुख व्रत त्योहार मनाए जाएंगे।
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मासिक शिवरात्रि: कब है सावन मासिक शिवरात्रि व्रत, अभी नोट करें तारीख
8 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि शिव पूजा अर्चना को समर्पित होती हैं इस दिन भक्त भगवान शिव शंकर की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं।
पंचांग के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत पूजन किया जाता हैं इस दिन भक्त उपवास रखते हुए शिव शंकर की अर्चना आराधना करते हैं। इस बार सावन मासिक शिवरात्रि का व्रत पूजन 15 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन व्रत पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं, तो आज हम आपको मासिक शिवरात्रि से जुड़ी अन्य जानकारियां प्रदान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
मासिक शिवरात्रि पूजा का शुभ समय-
धार्मिक पंचांग के अनुसार श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि 15 जुलाई की शाम 8 बजकर 32 मिनट से आरंभ हो रही हैं और 16 जुलाई को रात 10 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में मासिक शिवरात्रि व्रत पूजन 15 जुलाई के दिन करना उत्तम रहेगा। मासिक शिवरात्रि पर पूजा के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।
आपको बता दें कि श्रावण मास में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास मानी जाती हैं इस दिन भक्त सुबह उठकर स्नान आदि करते हैं इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिव शंकर को प्रणाम करते हैं इस दिन शिव मंदिर में पूजा अर्चना करना उत्तम माना जाता हैं ऐसा करने से शिव कृपा भक्तों पर बनी रहती हैं और जीवन में आने वाले सभी दुख कष्टों का अंत हो जाता हैं।
एक पवित्र हिमशिखर त्रिशूल पर्वत, जिसे प्रकृति ने दिया आकार, भगवान शिव से क्या है कनेक्शन?
8 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Trishul Mountain: त्रिशूल पर्वत कई पवित्र पर्वतों में से एक है. इस पर्वत के नाम से ही जाना जा सकता है कि भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल जैसा पर्वत होगा. जी हां आपने बिल्कुल सही समझा.
दरअसल, इस पर्वत का नाम भी त्रिशूल पर्वत इसलिए ही रखा गया है. जो तीन पर्वत चोटियों का शिखर हैऔर भगवान शिव के त्रिशूल के जैसा दिखता है. इस पर्वत का धार्मिक दृष्टि से बेहद खास महत्व है. ये पर्वत उत्तराखंड के चमोली के पास है. इस पर्वत को भगवान शिव के होने का प्रतीक भी माना जाता है. आइए जानते हैं इस पर्वत के बारे में अन्य रोचक बातें और जानिए यहां पहुंचने का क्या है सही रास्ता?
त्रिशूल शिखर की ऊंचाई
पश्चिमी कुमाऊं के तीन हिमालय पर्वत शिखर सभी संरचनाओं में त्रिशूल शिखर हैं या यूं कहे कि तीन पर्वत चोटियों का शिखर है त्रिशूल पर्वत. इसकी ऊंचाई 7120 मीटर है. त्रिशूल समुच्चय शिखर वलय के दक्षिण पश्चिम कोने की संरचना करता है जो नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को घेरता है.
तीनों पर्वतों की ऊंचाई क्या है ऊंचाई
त्रिशूल शिखर को एक साथ जोड़ने वाले तीन शिखर हिंदी/संस्कृत बोली में लाए गए त्रिशूला राज्य की तरह दिखते हैं. इसे शिव का हथियार माना जाता है. त्रिशूल समुच्चय नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान को एक अंगूठी की तरह घेरता है. समुद्र तल से त्रिशूल 1 की ऊंचाई- 7,120 मी0 (23,359 फीट), त्रिशूल 2- की ऊंचाई 6,690 मी0 (21,949 फीट) , त्रिशूल 3- की ऊंचाई 6,007 मी0 (19,708 फीट) है.
त्रिशूल चोटी की जलवायु
मार्च और अप्रैल में तूफानी मौसम के बीच, घाटी में पर्याप्त बर्फबारी के कारण जलवायु अत्यधिक ठंडी हो जाती है. वसंत ऋतु में भी यह असाधारण रूप से ठंडा रहता है. तापमान कभी कभार गिरता है. सितंबर, अक्टूबर और नवंबर की लंबी अवधि में वातावरण सुंदर और साफ रहता है. यहां मुख्य हिमपात अधिकांशतः नवंबर-दिसंबर में होता है.
बेस कैंप ट्रैकिंग
पर्यटकों के लिए यहां बेस कैंप ट्रैकिंग भी उपलब्ध है. जो मेहमान लंबी दूरी की यात्रा करके आते हैं, उनके लिए अपने पर्वतीय अवसरों को वातावरण में समायोजन का आनंद लेते हुए बिताना सबसे बेहतर तरीका है. हलांकि यहां आने से पहले कड़ाके की ठंड से बचने के लिए ऊनी कपड़े और कवर लाने के निर्देश दिए जाते हैं.
इस पर्वत पर नहीं चढ़ना चाहते थे स्थानीय पोर्टर
माना जाता है पहली बार इस पर्वत पर 1907 में आरोहण हुई था. टी.जी लॉगस्टाफ नामक ब्रिटिश पर्वतारोही पहली बार अपने दो अन्य दोस्तों और पोर्टरों के साथ पर्वत पर चढ़े थे. कहा जाता है पहले स्थानीय पोर्टर त्रिशुल पर्वत पर चढ़ने से मना कर दिए थे. उनका मानना था कि शिव जी का अस्त्र त्रिशूल है ऐसे में इस पर्वत पर चढ़ना नहीं चाहते थे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 जुलाई 2023)
8 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय, दाम्पत्य जीवन पूर्ण संतोषप्रद रहेगा।
वृष राशि :- शत्रुभय, शुभ मंगल कार्य का विरोध होगा, मामले-मुकदमे में प्राय जीत की संभावना बनेगी।
मिथुन राशि :- कुसंग हानि, रोगभय, यात्रा, उद्योग-व्यापार की स्थिति लाभ-हानि की बनी रहेगी।
कर्क राशि :- पराक्रम, कार्य सिद्धी, व्यापार लाभ, खेती, गृहकार्य में व्यवस्था अनुकूल बनेगी ध्यान दें।
सिंह राशि :- तनाव व प्रयास से कार्य बनेंगे, विरोधी चिन्ता, उद्योग-व्यापार से लाभ, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष होगा, उद्योग-व्यापार में अड़चन होगी, कार्य बनेंगे ध्यान दें।
तुला राशि :- वाहन भय, भूमि लाभ, कलह, व्यर्थ तनाव तथा खेती से परेशानी होगी, धैर्य रखें।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्धी, विरोध होगा, लाभ-हर्ष, कष्ट होगा, व्यापार में सुधार होगा, धन व्यय होगा।
धनु राशि :- यात्रा से हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय होगा, लिखा-पढ़ी के कार्य से लाभ होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्य होंगे, वाहनादि भय, नौकरी की स्थिति सामान्य रहेगी, कार्य समय पर करें।
कुंभ राशि :- अभीष्ट सिद्धी, राजभय, सामाजिक एवं धार्मिक कार्य होने के योग हैं, कार्य करें।
मीन राशि :- तनाव, उदर रोग, विरोध होगा, मित्र लाभ, राजभय, जीवन यात्रा संतोषप्रद बनी रहेगी।
नदियों के संगम पंच प्रयाग, जानें क्या है इनकी महिमा
6 Jul, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नदियों का संगम सनातन धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। जिन जगहों पर इनका संगम होता है उन्हें प्रयाग कहा जाता है और इन्हें प्रमुख तीर्थ मानकर पूजा जाता है।
अलकनंदा-भागीरथी नदियों के संगम पर ‘देवप्रयाग’
अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में भागीरथी नदी को सास और अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। भागीरथी के कोलाहल भरे आगमन और अलकनंदा के शांत रूप को देखकर ही इन्हें यह संज्ञा मिली है। देवप्रयाग में शिव मंदिर और रघुनाथ मंदिर हैं। देवप्रयाग में कौवे दिखाई नहीं देते, जो एक आश्चर्य की बात है। स्कंद पुराण के केदारखंड में इस तीर्थ का विस्तार से वर्णन मिलता है कि देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर और एक पैर पर खड़े होकर एक हजार वर्षों तक तप किया और भगवान विष्णु के दर्शन कर वर प्राप्त किया। मान्यता के अनुसार भगीरथ के ही कठोर प्रयासों से गंगा धरती पर आने के लिए राजी हुई थीं और यहीं वह सबसे पहले प्रकट हुईं।
देवप्रयाग एक प्रसिद्ध जगह है। यहां आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ मानसिक शांति के तलाश में भी लोग आते हैं।
इस प्राकर जाएं : देवप्रयाग दिल्ली-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 58 पर स्थित देवप्रयाग की दिल्ली से दूरी 295 किमी रह जाती है। ऋषिकेश से यह सिर्फ 73 किमी दूर है। ऋषिकेश से देवप्रयाग स्थल पहुंचने के लिए तीन घंटे सफर तय करना होगा। यहां बस या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं।
जाखू मंदिर का महत्व
6 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिमाचल प्रदेश के शिमला में हनुमान जी का जाखू मंदिर देश भर के मुख्य धार्मिक स्थलों में से एक है। रामायणकालीन यह मनोरम मंदिर शिमला की हरी-भरी पहाड़ियों के बीच स्थित है। शिवालिक की श्रृंखलाओं में जाखू पहाड़ी यह स्थल शिमला का सबसे ऊंचा है। माना जाता है कि हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू पहाड़ी पर विश्राम किया था।
थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं छोड़कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। हालांकि लौटते समय उनका एक दानव से युद्ध हो गया और वे जाखू पहाड़ी पर नहीं जा पाए। माना जाता है कि वानर साथी इसी पहाड़ी पर बजरंग बली के लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहां बड़ी संख्या में वानर पाए जाते हैं। इन वानरों को हनुमान जी का ही रूप कहा जाता है। मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
इस मंदिर को हनुमान जी के पैरों के निशान के पास बनाया गया है। खास बात यह भी है कि इस मंदिर को रामायण काल के समय का बताया जाता है। जाखू मंदिर में हनुमान जी की एक बड़ी मूर्ति है जो शिमला के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देती है। शिमला से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर यह सुंदर मंदिर स्थित है। जाखू मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति देश की सबसे ऊंची मूर्तियों में से एक है जो (108 फीट) ऊंची है। इस मूर्ति के सामने आस-पास लगे बड़े-बड़े पेड़ भी बौने लगते हैं।
जाखू मंदिर का इतिहास
राम और रावण के बीच रामायण की लड़ाई के दौरान जब लक्ष्मण, रावण के पुत्र इंद्रजीत के तीरे से गंभीर रूप से घायल हो गए तो उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय पर्वत पर गए थे। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि हनुमान जी जब संजीवनी लेने जा रहे थे तो वो कुछ देर के लिए इस स्थान पर रुके थे। इस स्थान पर उन्हें ऋषि ‘याकू’ मिले, जिनसे उन्होंने संजीवनी बूटी के बारे में जानकार ली।
हनुमान जी ने वापसी के समय ऋषि याकू से मिलने का वादा दिया था लेकिन दानव कालनेमि के साथ टकराव और समय अभाव के कारण हनुमान जाखू पहाड़ी पर नहीं जा पाए। इसके बाद ऋषि ने बजरंग बली के सम्मान में जाखू मंदिर का निर्माण कराया।
क्रॉस का निशान और उसका प्रभाव
6 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे हाथ में क्रॉस का निशान कई बार देखा जाता है, लेकिन हमें मालूम नहीं होता कि इसका मतलब क्या रहता है। क्रॉस का निशान हमारे हाथ में किसी भी पर्वत या किसी भी रेखा पर हो सकता है। क्रॉस का जीवन में बेहद प्रभाव पड़ता है।
यदि किसी जातक के गुरु पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो उसे सभी तरह का सुख मिलता है। ऐसे जातक को शिक्षित एवं धनी कुल का जीवनसाथी मिलता है। वह सुखी वैवाहिक जीवन जीता है। क्रॉस का निशान केवल गुरु पर्वत पर ही शुभ होता है। अन्य स्थान पर होने से इसका अच्छा लाभ नहीं मिलता।
यदि शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो जातक को लड़ाई में चोट लगती है। ऐसे जातक के अकाल की मुत्यु तक हो जाती है।
यदि क्रॉस का निशान सूर्य पर्वत पर हो तो जातक हमेसा बदनामी का पात्र बना रहता है। ऐसे जातक को कारोबार में हमेशा घाटा होता है।
यदि बुध पर्वत पर क्रॉस का हो तो ऐसे जातकों से हमेशा दूर रहना चाहिए। ऐसे लोग धोखेबाज़ ठग और झूठे होते है।
यदि किसी जातक का केतु पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तो जातक की शिक्षा किसी परिवारिक समस्या के चलते नहीं हो पाती।
मंगल पर्वत पर क्रॉस का चिह्न दिखें तो जातक लड़ाई-झगड़ों में विश्वास रखता है। ऐसे लोग या तो जेल जाते हैं अथवा आत्महत्या तक कर लेते हैं।
राहु पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह जातक को यौवनकाल में दुःख देता है। इस तरह के जातक चेचक रोग के शिकार होते हैं।
यदि जातक के ह्दय रेखा पर क्रॉस का चिह्न हो तो जातक को दिल की बीमारी का खतरा रहता है।
जातक की जीवन रेखा पर क्रॉस का निशान है तो वह मृत्युतुल्य कष्ट भोगता है।
सोना धारण करने से पहले रखें इन बातों का ध्यान
6 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष के अनुसार सोना बृहस्पति (गुरु) ग्रह को प्रभावित करता है। केवल शौक के लिए सोना नहीं पहनना चाहिए। जरूरत और लाभ को ध्यान में रखकर ही सोना धारण करना चाहिए। सोना पहनने से आपको फायदा होता है तो यह आपको धनवान और समृद्ध बनाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि सोना आपको नुकसान पहुंचाता है लेकिन आप समझ नहीं पाते। इसके लिए आप सोना पहनने से पहनने से पहले किसी पंडित या ज्योतिष से सलाह ले सकते हैं।
राशि के अनुसार पहनें सोने के जेवरात
आपका लग्न अगर मेष, कर्क, सिंह और धनु है तो आपके लिए सोना धारण करना उत्तम होगा। वृश्चिक और मीन लग्न के लोगों के लिए मध्यम और वृषभ, मिथुन, कन्या और कुंभ लग्न के लिए उत्तम नहीं होता है। तुला और मकर लग्न के लोगों को सोना कम से कम पहनना चाहिए।
पैरों में कभी न पहनें सोना
सोना बहुत ही पवित्र माना जाता है, साथ ही यह काफी मूल्यवान भी होता है। सोना आपके भाग्य को जगा सकता है तो सुला भी सकता है। इसलिए इसकी सुरक्षा के साथ यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि इसका उपयोग कैसे करें।
सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ हीरे के बारे में जानें कुछ रोचक तथ्य
सोने को पैरों में कभी न पहनें। सोने की बिछियां या पायल नहीं पहननी चाहिए, यह बहुत ही पवित्र धातु है। यह गुरु ग्रह को प्रभावित करती है। पैरों में पहनने से संबंधित के जीवन में परेशानी आनी शुरू हो जाती हैं। इसके अलावा कमर में भी सोना धारण नहीं करना चाहिए। कमर में सोना धारण करने से जातक का पाचन तंत्र खराब हो सकता है। इसमें भी महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो सकती है, इसलिए वे इसका ज्यादा ध्यान रखें।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (06 जुलाई 2023)
6 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता एवं समृद्धि के फलप्रद योग बनेंगे, रुके कार्य बनने से हर्ष होगा, समय का ध्यान रखें।
वृष राशि :- कार्य तत्परता से लाभ एवं इष्ट मित्र सुखवर्धक अवश्य ही होगा, समय स्थिति का लाभ लें।
मिथुन राशि :- व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष, बिगड़े कार्य बन जायेंगे।
कर्क राशि :- सोच-समझकर निर्णय लें अन्यथा कुछ विभ्रम व विकार की स्थिति बनेगी, धैर्य रखें।
सिंह राशि :- समय की अनुकूलता से विशेष लाभ होगा, कार्य वृद्धि होगी, लेन-देन के कार्य मध्यम रहेंगे।
कन्या राशि :- मानसिक विभ्रम, किसी आरोप में फंस सकते हैं, रुके कार्य बन ही जायेंगे ध्यान दें।
तुला राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे तथा कार्य संतोष होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य कुशलता से संतोष होगा, योजनायें फलीभूत अवश्य होंगी ध्यान दें।
धनु राशि :- आरोप व क्लेश से असमंजस की स्थिति रहेगी, आशानुकूल लाभ एवं सफलता से हर्ष होगा।
मकर राशि :- तनावपूर्ण वातावरण रहेगा, धन लाभ, सफलता से हर्ष का वातावरण रहेगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, स्त्री शरीर कष्ट, चिन्ता व असमंजस की स्थिति से कष्ट होगा।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेगा, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता आयेगी, समय को ध्यान में रखकर कार्य करें।
अनामिका ऊँगली से ही क्यों लगाया जाता है तिलक, जानिए कारण
5 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म के अनुसार तिलक लगाने का अपना ही एक महत्व है। कुछ व्यक्ति इसे ईश्वर से संबंध के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य इसे मन और मस्तिष्क से संबंध के रूप में देखते हैं। हालाँकि अगर आपने कभी गौर किया हो तो देखा होगा कि लोग अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग उंगलियों से तिलक क्यों लगाते हैं।
उदाहरण के लिए योद्धा, युद्ध में जाते समय अपने अंगूठे से तिलक लगाते हैं, जबकि बच्चे और अन्य लोग अपनी अनामिका से तिलक लगाते हैं। आइए अब इस प्रथा के पीछे के तर्क का पता लगाएं।
तिलक लगाने के लिए कौन सी उंगली का उपयोग करना उचित है
माथे पर तिलक लगाने के लिए मुख्य रूप से अनामिका उंगली का उपयोग किया जाता है। दरअसल इसके तीन कारण हैं। सबसे पहले,अनामिका उंगली को अत्यधिक शुभ माना जाता है। दूसरे, ऐसा माना जाता है कि इस उंगली में शुक्र ग्रह का वास होता है, जो सफलता और लंबे समय तक चलने वाली उपलब्धियों का प्रतीक है। साथ ही इस उंगली को सूर्य पर्वत की उंगली भी कहा जाता है। इसलिए जब अनामिका उंगली से तिलक लगाया जाता है तो यह व्यक्ति के लिए सूर्य के समान तेज, निरंतर सफलता प्राप्त करने और अटूट मानसिक शक्ति का वरदान होता है।
तिलक लगाने के कुछ नियम होते हैं
तिलक लगाते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करना जरूरी है। साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए तिलक लगाने वाले व्यक्ति को अपना हाथ सिर पर रखना चाहिए। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो वह किसी भी समय अपने माथे पर तिलक लगा सकता है। इसके अलावा, किसी मृत व्यक्ति की तस्वीर पर तिलक लगाते समय छोटी उंगली का उपयोग करना होता है।
सावन में किसी भी दिन घर ले आए ये चीजें, भगवान शिव देंगे मनचाहा वरदान
5 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज यानी 4 जुलाई दिन मंगलवार से शिव भक्ति को समर्पित श्रावण मास का आरंभ हो चुका हैं और आज सावन का पहला दिन हैं। इस महीने का इंतजार शिव भक्तों को बे्रसबी से होता हैं।
सावन महीने में हर कोई शिव शंकर को प्रसन्न करने में लगा रहता हैं इस महीने शिव मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती हैं। माना जाता हैं कि सावन शिव का प्रिय महीना हैं ऐसे में इस महीने अगर शिव आराधना व पूजा की जाए तो साधक को इसका फल शीघ्र ही मिल जाता हैं सावन महीने के अलावा इसमें पड़ने वाले सोमवार का भी खास महत्व होता हैं अधिकतर महिलाएं सावन सोमवार का व्रत पूजन करती हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। लेकिन इसी के साथ ही अगर कुछ चीजों को सावन में घर लगाया जाए तो शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं कि वो कौन सी चीजें हैं।
सावन में घर लाएं ये चीजें-
श्रावण मास शिव भक्ति का महीना होता हैं ऐसे में इस महीने में किसी भी दिन अगर घर में भस्म लगाया जाए और रोजाना शिवलिंग पर लगाया जाए तो इससे शिव शंकर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं। इसके अलावा इस पवित्र महीने में अगर घर में गंगाजल लाया जाए और रोजाना शिवलिंग पर इससे भगवान का अभिषेक किया जाए तो प्रभु अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।भगवान शिव को बेलपत्र बेहद प्रिय हैं और इसके बिना शिव पूजा भी पूरी नहीं मानी जाती हैं ऐसे में सावन के दिनों में अगर चांदी का बेलपत्र घर लाया जाए और इसे पूजन स्थल पर रखा जाए तो जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख में वृद्धि होती हैं। इसके अलावा रुद्राक्ष को भी श्रावण मास में घर लाना शुभ होता हैं कहा जाता है कि इससे घर की नकारात्मकता दूर हो जाती हैं।