धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
क्या है अधिक मास, मल मास, खरमास और पुरुषोत्तम मास?
27 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर में बारह चंद्र महीने होते हैं, जिनमें से प्रत्येक लगभग 29.5 दिनों का होता है, जिससे कुल वर्ष लगभग 354 दिनों का होता है। 365 दिनों के सौर वर्ष के साथ चंद्र कैलेंडर को संरेखित करने के लिए, लगभग हर 32.5 महीने में एक चंद्र महीना जोड़ा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक अंतराल महीना होता है जिसे अधिक मास (पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है) के रूप में जाना जाता है।
अधिक मास के अलावा, ऐसे समय भी होते हैं जिनमे शुभ कार्य नहीं किए जाते है, जिन्हें खरमास और मलमास के नाम से जाना जाता है, जो हिंदू परंपरा में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखते हैं।
1. अधिक मास/पुरुषोत्तम मास:-
अधिक मास, जिसे पुरूषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है, एक अतिरिक्त महीना है जो हिंदू कैलेंडर में लगभग हर दो से तीन साल में एक बार आता है। यह घटना चंद्र और सौर वर्षों के बीच असमानता के कारण उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप हिंदू कैलेंडर सौर कैलेंडर से पीछे हो जाता है। इसे सुधारने के लिए, एक अतिरिक्त महीना डाला जाता है, जिससे चंद्र कैलेंडर सौर चक्र के बराबर हो जाता है। अधिक मास के दौरान, हिंदुओं का मानना है कि धर्मपरायणता, दान और आध्यात्मिक अभ्यास करने से कई गुना लाभ मिलता है। इस महीने के दौरान धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करना, उपवास करना, पवित्र ग्रंथों को पढ़ना और करुणा के कार्यों में संलग्न होना अत्यधिक मेधावी माना जाता है। अधिक मास के दौरान कई तीर्थयात्राएं और धार्मिक त्यौहार भी होते हैं, जिससे यह पूरे भारत में हिंदुओं के लिए एक शुभ और आध्यात्मिक रूप से जीवंत समय बन जाता है।
2. खरमास:-
खरमास लगभग 15 दिनों की अवधि को संदर्भित करता है जो वर्ष में एक बार होता है, आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसंबर) के महीने में। खरमास के दौरान, यह माना जाता है कि हिंदू देवता, विशेष रूप से भगवान विष्णु, गहरी नींद की स्थिति में होते हैं और कोई भी शुभ समारोह या नया उद्यम शुरू नहीं किया जाना चाहिए। "खरमास" शब्द संस्कृत शब्द "खर्मा" से लिया गया है जिसका अर्थ है "पापपूर्ण कार्य"। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस अवधि को पूरी तरह से अशुभ नहीं माना जाता है, और ज्योतिषियों के उचित मार्गदर्शन के साथ शादी या जीवन की अन्य घटनाओं जैसी आवश्यक गतिविधियाँ अभी भी हो सकती हैं। भक्त इस समय का उपयोग आत्मनिरीक्षण में संलग्न होने, आध्यात्मिक अभ्यास करने और मंदिरों में जाकर और प्रार्थना करके देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए करते हैं। खरमास के अंत को विशेष अनुष्ठानों और नियमित शुभ गतिविधियों की बहाली के साथ चिह्नित किया जाता है।
3. मलमास:-
हिंदू चंद्र कैलेंडर में मलमास एक और अशुभ महीना है जो हर 32.5 महीने में होता है, लगभग हर 2-3 साल में एक बार। खरमास के विपरीत, जो लगभग 15 दिनों तक चलता है, मलमास पूरे चंद्र माह तक रहता है। इसे नई शुरुआत, विवाह, गृहप्रवेश समारोह और किसी भी महत्वपूर्ण वित्तीय या व्यक्तिगत निर्णय के लिए अशुभ समय माना जाता है। मलमास के दौरान, भक्त कुछ शुभ गतिविधियों से दूर रहते हैं और आध्यात्मिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बहुत से लोग दैवीय आशीर्वाद पाने और खुद को सभी अशुद्धियों से शुद्ध करने के लिए धार्मिक तीर्थयात्राओं, दान कार्यों और पवित्र ग्रंथों के पाठ में संलग्न होते हैं।
हिंदू कैलेंडर, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व में गहराई से निहित है, चंद्र और सौर अनुष्ठानों का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है। अधिक मास, पुरूषोत्तम मास, खरमास और मलमास सभी हिंदू परंपराओं की समृद्ध परंपरा में योगदान करते हैं, जिससे भक्तों को अपने आध्यात्मिक संबंधों को गहरा करने, दैवीय कृपा प्राप्त करने और अपने कार्यों पर विचार करने का अवसर मिलता है। इन विशेष महीनों को अनुष्ठानों, त्योहारों और धर्मपरायणता के कृत्यों द्वारा चिह्नित किया जाता है, जिससे हिंदुओं को पूरे वर्ष अपनी आस्था और आध्यात्मिकता का जश्न मनाने की अनुमति मिलती है।
महादेव के आंसुओं से बना है पाकिस्तान का ये सरोवर, जानिए पौराणिक कथा
27 Jul, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाकिस्तान के मध्य में, विविध सांस्कृतिक परिदृश्य और धार्मिक मान्यताओं की समृद्ध टेपेस्ट्री के बीच, गहन आध्यात्मिक महत्व का एक स्थान है - महादेव का चमत्कारी मंदिर। कटास राज की सुरम्य घाटी में स्थित, यह प्राचीन हिंदू मंदिर न केवल धार्मिक भक्ति का प्रतीक है, बल्कि क्षेत्र में विभिन्न धर्मों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का प्रमाण भी है।
एक ऐतिहासिक चमत्कार:-
महादेव का मंदिर, जिसे कटास राज मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक सहस्राब्दी पुराना है, ऐतिहासिक साक्ष्यों से पता चलता है कि इसका निर्माण 6वीं से 7वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान हुआ था। यह परिसर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें विभिन्न हिंदू देवताओं को समर्पित कई मंदिर और तीर्थस्थल शामिल हैं।
किंवदंती और चमत्कारी उत्पत्ति:-
स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, कटास राज मंदिरों की उत्पत्ति एक मार्मिक किंवदंती से जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव अपनी प्रिय पत्नी सती की मृत्यु के बाद यहीं रोये थे। उनके आँसुओं से पवित्र तालाब बने, जो मंदिर परिसर का एक अभिन्न अंग हैं और माना जाता है कि उनमें उपचार करने की शक्तियाँ हैं।
आध्यात्मिक महत्व:-
एक प्राचीन हिंदू मंदिर होने के बावजूद, यह स्थल विभिन्न धार्मिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए बहुत आध्यात्मिक महत्व रखता है। यह क्षेत्र में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सदियों से चले आ रहे सह-अस्तित्व और धार्मिक सहिष्णुता के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। स्थानीय मुसलमान अक्सर मंदिर परिसर में आते हैं, इसे श्रद्धा का स्थान मानते हैं और परमात्मा से आशीर्वाद मांगते हैं।
सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य वैभव:-
महादेव का मंदिर प्राचीन वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति के रूप में खड़ा है। जटिल नक्काशी, शानदार मूर्तियां और राजसी खंभे बीते युग के कारीगरों की कलात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं। भगवान शिव को समर्पित मुख्य मंदिर में एक विस्मयकारी लिंगम (परमात्मा का एक अमूर्त प्रतिनिधित्व) है, और पूरे परिसर से एक शांत आभा निकलती है जो आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
तीर्थयात्रा और त्यौहार:-
पूरे वर्ष, पाकिस्तान के विभिन्न कोनों और उससे आगे से भक्त और तीर्थयात्री महादेव के मंदिर की आध्यात्मिक यात्रा पर निकलते हैं। भगवान शिव के लौकिक नृत्य का जश्न मनाने वाला वार्षिक महा शिवरात्रि उत्सव, उपासकों की एक बड़ी मंडली को आकर्षित करता है जो धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं और आशीर्वाद मांगते हैं।
संरक्षण प्रयास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान:-
हाल के दिनों में, पाकिस्तानी सरकार ने विभिन्न विरासत संगठनों के साथ मिलकर महादेव के मंदिर के संरक्षण और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ये प्रयास न केवल अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं बल्कि अंतरधार्मिक संवाद और समझ को भी बढ़ावा देते हैं।
पाकिस्तान में महादेव का चमत्कारी मंदिर आशा, एकता और धार्मिक सद्भाव की किरण के रूप में खड़ा है। इसकी प्राचीन दीवारें अतीत की कहानियों को प्रतिबिंबित करती हैं, जहां विभिन्न मान्यताओं के लोग परस्पर सम्मान और शांति के साथ रहते थे। आज, जबकि दुनिया धार्मिक असहिष्णुता और संघर्षों से जूझ रही है, यह पवित्र मंदिर आध्यात्मिकता की परिवर्तनकारी शक्ति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुंदरता की याद दिलाता है। इस वास्तुशिल्प चमत्कार का संरक्षण और सराहना एक सामूहिक जिम्मेदारी बनी रहनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका महत्व आने वाली पीढ़ियों के लिए बना रहे।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 जुलाई 2023)
27 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव पूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री को शरीरिक कष्ट, मानसिक बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल बनेगी ध्यान दें।
मिथुन राशि :- भोग-ऐश्वर्य प्राप्ति के बाद तनाव व कष्ट होगा, विवाद व तनाव से बचें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल होगा, व्यवसायिक गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण होगी।
कन्या राशि :- कार्य व्यवसाय गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण होगी, कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोटादि का भय अवश्य रहेगा, कार्य उत्साह रहेगा।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति अनुकूल रहेगी, लाभांवित कार्य योजना बनेगी, कार्य बाधा मुक्त होगा।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव व क्लेश होगा, मानसिक अशांति, रुके कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- मनोयोग बनाये रखें, लाभ में कमी किन्तु नये कार्य समय पर बना लें, धैर्य रखें।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब में सुख समय उत्तम बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
एकादशी उपाय: पद्मिनी एकादशी पर करें ये आसान उपाय, विष्णु कृपा से दूर होंगे सभी कष्ट
26 Jul, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार हैं जो कि भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित हैं लेकिन एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो हर माह के दोनों पक्षों में बढ़ता हैं।
ऐसे साल में कुल 24 एकादशी का व्रत किया जाता हैं। शास्त्र अनुसार एकादशी तिथि जगत के पालनहार की प्रिय तिथियों में से एक मानी गई हैं इस दिन विष्णु पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती हैं, अभी सावन का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं।
जो कि इस बार 29 जुलाई को पड़ रही हैं इस दिन भक्त भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए दिनभर उपवास रखकर प्रभु की आराधना करते हैं ऐसा करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर पद्मिनी एकादशी के दिन कुछ उपायों को भी किया जाए तो जातक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं, तो आज हम आपको एकादशी पर किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं जो विष्णु कृपा दिलाते हैं और कष्टों को दूर कर देते हैं।
पद्मिनी एकादशी के दिन करें ये आसान उपाय-
एकादशी तिथि पर दिनभर उपवास रखते हुए भगवान विष्णु की पूजा करें साथ ही संध्याकाल में तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाएं "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:'और इस मंत्र का जाप करते हुए तुलसी जी की परिक्रमा करें। माना जाता है कि ऐसा करने से विष्णु संग लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती हैं और धन संकट दूर हो जाता हैं इसके अलावा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष नौ मुखी दीपक जलाए साथ ही एक अखंड ज्योत भी जलाएं।
ऐसा करने से करियर में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। पद्मिनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष की विधिवत पूजा करें और जल अर्पित कर दीपक जलाए माना जाता हैं कि इस उपाय को करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन अगर गरीबों व जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्रों आदि का दान किया जाए तो जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता हैं और कष्टों में कमी आती हैं।
अगस्त में मनाए जाएंगे रक्षाबंधन, नागपंचमी जैसे त्योहार, देखें पूरी लिस्ट
26 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Festivals List 2023 August: सावन का महीना व्रत त्योहार के मामले में विशेष माना जाता है। इस बार अधिकमास होने के कारण सावन का महीना 2 महीने का हो गया। इसीलिए सावन के विशेष त्योहार अगस्त महीने में पड़ रहे हैं।
भगवान शिव को समर्पित यह महीना पूजा-पाठ के लिए जितना विशेष है, उतना ही व्रत-त्योहार के मामले में है। सावन में कई महत्वपूर्ण तिथियां पड़ रही हैं जिसमें पूजा-पाठ करना बहुत लाभ देता है। सावन महीना 4 जुलाई से 31 अगस्त तक है। आइए जानते हैं कि इस दौरान अगस्त महीने में कौनसे महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ रहे हैं। 14 अगस्त को सावन महीने की दूसरी मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाएगी। इसमें 19 अगस्त 2023 को हरियाली व्रत पड़ रहा है. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए और कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद 21 अगस्त 2023 को नागपंचमी मनाई जाएगी। वहीं भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन 31 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा।
अगस्त महीने के व्रत-त्योहार लिस्ट
1 अगस्त 2023, मंगलवार: अधिकमास पूर्णिमा व्रत, मंगला गौरी व्रत
2 अगस्त 2023, बुधवार: पंचक शुरू
4 अगस्त 2023, शुक्रवार: विभुवन संकष्टी चतुर्थी
7 अगस्त 2023, सोमवार: सावन सोमवार
8 अगस्त 2023, मंगलवार: मंगला गौरी व्रत, कालाष्टमी
12 अगस्त 2023, शनिवार: पुरुषोत्तम एकादशी
13 अगस्त 2023, रविवार: रवि प्रदोष व्रत
14 अगस्त 2023, सोमवार: अधिकमास मासिक शिवरात्रि, सावन सोमवार
15 अगस्त 2023, मंगलवार: मंगला गौरी व्रत
16 अगस्त 2023, बुधवार: अधिकमास अमावस्या
19 अगस्त 2023, शनिवार - हरियाली तीज
21 अगस्त 2023, सोमवार - नाग पंचमी
27 अगस्त 2023, रविवार - श्रावण पुत्रदा एकादशी
28 अगस्त 2023, सोमवार - प्रदोष व्रत
30 अगस्त 2023, बुधवार - रक्षा बंधन
31 अगस्त 2023, गुरुवार - सावन पूर्णिमा व्रत
11 दिन ऐसे पढ़ लो हनुमान चालीसा तुरंत होगी मनोकामना पूर्ण
26 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार को हनुमान जी की पूजा का दिन कहा जाता है। कहा जाता है कि इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय व्यक्ति के जीवन से दुखों का नाश करते हैं। इसके साथ ही बजरंगबली लंबे समय से अधूरी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं।
मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है। अगर आपकी कोई ऐसी इच्छा है, जिसे आप पूरा करना चाहते हैं तो हनुमान चालीसा का विधिपूर्वक पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है और व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही तरीका
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद हनुमानजी की तस्वीर स्थापित करें। - इसके बाद फलों और फूलों को एक प्लेट में रख लें. इसके बाद हाथ जोड़कर हनुमानजी के सामने अपनी अधूरी इच्छा या मनोकामना दोहराएं। इसके बाद 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें।
यह भी ध्यान रखें कि हनुमान चालीसा के अंतिम पद में संत तुलसीदास की जगह अपना नाम लें।
कहा जाता है कि अगर आप इस उपाय को करते समय अपना नाम ले लें तो आपके सभी काम सफल हो जाएंगे। बता दें कि यह उपाय आपको लगातार 11 दिनों तक करना है।
इस उपाय को मंगलवार से शुरू करना सर्वोत्तम है। इसके बाद हनुमानजी की पूजा करें और फल चढ़ाएं।
हनुमान चालीसा
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज, निजमन मुकरु मधि।
बरनुम रघुबर बिमल जसु, जो फल दायक।
मूर्ख तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल, बुद्धि, विद्या, तन मोहे, सब व्याधि व्याधि।
चौगुनी
हनुमानजी की जय. हे कपीस तीनो लोक खुले।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनी-पुत्र पवनसुत नामा।
महाबीर बिक्रम बजरंगी. जो बुरे विचार को दूर कर सज्जनता का साथ देता है..
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।
वज्र और झंडा अपने पास रखें। कंधों को फूलों से सजाना चाहिए।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन.
विद्वान और अत्यंत चतुर. राम का काम करने को आतुर.
रामलखन भगवान की महिमा सुनकर आप आनंदित हो गए, सीता का मन शांत हो गया।
स्याही का सूक्ष्म रूप दिखाओ। जरावा को ख़राब फॉर्म से जोड़ो.
भीम बनकर राक्षसों का संहार करो। रामचन्द्र का काम तमाम कर दो।
लै सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति ने उसकी बहुत प्रशंसा की। आप मेरे प्रिय भारती सैम भाई हैं।
सहस बदन तुम्हारो जस गाएँ। जहाँ श्रीपति का जप करना चाहिए।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनिसा। नारद सारद के साथ अहिसा.
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबीर कोबिद कह सके तुम कहाँ हो।
कीन्हा सुग्रीवहिं तु उपकार। राम मिलया राज पद दीन्हा।
बिभीषण ने आपका मन्त्र स्वीकार कर लिया। लंकेश्वर है तो सबको पता चल जाएगा.
सारी खुशियाँ तुम्हारी हैं. तुम सृष्टिकर्ता से क्यों डरते हो?
अपना ख्याल रखा करो। तीन लोक काँप रहे हैं।
भूत-पिशाच निकट नहीं आवै। महाबीर के नाम का जाप करते हुए.
नासै रोग हरे सब पीरा। जपें निरंतर हनुमत बीरा।
हनुमान संकट से बचाते हैं. जो मन, क्रम और शब्द पर ध्यान देता है।
सर्वोपरि राम तपस्वी राजा। आप तीनों के कार्य से सुशोभित हैं।
और जो कोई चाहत लेकर आता है. सोइ अमित को जीवन का फल मिला।
आपकी महिमा हर युग में है। मशहूर दुनिया शानदार है.
साधु-संतों के तुम रखवाले.. असुर निकंदन राम दुलारे।
अष्टसिद्धि नव निधि के दाता। अस बर डेन जानकी माता।
राम रसायन तुम्हारा ही स्वरूप है। सदा रहो रघुपति के दासा॥
आपके भजन राम को प्राप्त होते हैं। जन्मों-जन्मों के दुःख भूल जाओ।
अंततः रघुबरपुर गये। जहां हरिभक्त का जन्म हुआ।
और भगवान ने उसका मन नहीं पकड़ा. हनुमान जी ने सभी को खुश कर दिया.
संकट कटेगा और सब कष्ट दूर होंगे। जो सुमिरन हनुमत बलबीर का।
जय जय हनुमान गोसाईं। कृपया गुरुदेव की भाँति मुझ पर भी कृपा करें।
जो सत बार पाठ कर कोई। कैदी के रिहा होने पर बहुत खुशी हुई।
यह हनुमान चालीसा कौन पढ़ता है. हां सिद्धि सखी गौरीसा।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महा डेरा।
दोहा
पवनतनय संकट हरण, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।
पद्मिनी एकादशी पर राशि अनुसार अपनाएं ये उपाय, जाग उठेगी सोई हुई किस्मत
26 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
18 जुलाई 2023 से अधिकमास आरम्भ हो चुका है। सनातन धर्म में अधिकमास को पुण्यदायक मास माना गया है। अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पद्मिनी एकादशी पुरुषोत्तमी एकादशी एवं सुमद्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
3 वर्षों में आने वाली ये एकादशी बहुत ही विशेष होती है, क्योंकि अधिकमास एवं एकादशी दोनों ही विष्णु जी को प्रिय है। इस व्रत से वर्षभर की एकादशियों का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इस बार पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई 2023, दिन शनिवार को रखा जाएगा। पद्मिनी एकादशी जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को बहुत प्रिय है। वैसे तो सभी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित हैं, किन्तु अधिक मास में होने के कारण पद्मिनी एकादशी का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन प्रभु श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए करें राशि अनुसार उपाय...
पद्मिनी एकादशी 2023 राशि अनुसार उपाय:-
मेष राशि - मेष राशि के जातक आर्थिक और मानसिक तनाव से परेशान हैं तो पद्मिनी एकादशी पर नारायण कवच का पाठ करें। मान्यता है इससे धन लाभ के योग बनते हैं और मन को शांति प्राप्त होती है।
वृषभ राशि - वृषभ राशि के जातक का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं है तो पद्मिनी एकादशी पर आप पति-पत्नी मिलकर केले के पेड़ की सात परिक्रमा करें। साथ ही पेड़ में जल में हल्दी मिलाकर चढ़ाए। इससे शादीशुदा जिंदगी में मिठास आती है।
मिथुन राशि - पद्मिनी एकादशी का संयोग 3 साल में एक बार आता है ऐसे में मिथुन राशि वालो को इस दिन विष्णु जी की पूजा में आंवला जरुर अर्पित करना चाहिए। इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी
कर्क राशि - कर्क राशि के जातक पद्मिनी एकादशी के दिन घर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करें। विधि विधान से इसकी पूजा के बाद तिजोरी में रख दें। मान्यता है इससे कभी धन की कमी नहीं रहेगी।
सिंह राशि - पद्मिनी एकादशी के दिन किया दान व्यक्ति को जीते जी समस्त सुख दिलाता है और मृत्यु के बाद उसे स्वर्गलोक में जगह मिलती है। सिंह राशि वाले इसके लिए गौ दान करें।
कन्या राशि - कन्या राशि के जातक नौकरी में पदोन्नति पाना चाहते हैं तो पद्मिनी एकादशी पर अनाथालय में गरीब बच्चों को अन्न और वस्त्र का दान करें। इससे तरक्की की राह सरल होती है। ध्यान रहे दान निस्वार्थ भाव से होना चाहिए।
तुला राशि - तुला राशि के लोग पद्मिनी एकादशी पर गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें, इससे पितृदोष दूर होगा और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी।
वृश्चिक राशि - वृश्चिक राशि के जातक पद्मिनी एकादशी पर संतान की उन्नति के लिए विष्णु जी को तुलसी की माला अर्पित करें और 108 बार ॐ अच्युताय नमः मंत्र का जाप करें।
धनु राशि - कानूनी मामलों से राहत नहीं मिल रही या फिर विरोधी काम के बीच बाधा डाल रहा है तो धुन राशि वाले पद्मिनी एकादशी पर 11 हल्दी की गांठ और पितांबर श्रीहरि को चढ़ाएं। अब शुभ कार्य पर जाने से पहले पूजा में चढ़ाई हल्दी की एक गांठ साथ लेकर जाएं। मान्यता है इससे बिना विघ्न के कार्य पूरे होते हैं।
मकर राशि - आरोग्य और धन की प्राप्ति के लिए मकर राशि वालों को पद्मिनी एकादशी पर विष्णु चालीसा का पाठ करना चाहिए।
कुंभ राशि - नौकरी की तलाश में बार-बार असफलता मिल रही है तो कुंभ राशि वाले पद्मिनी एकादशी पर हवन करें और इसमें विष्णु सहस्त्रनामों का पाठ करें। ब्राह्मण भोजन कराएं। सफलता के योग बनेंगे
मीन राशि - मीन राशि के जातक को पद्मिनी एकादशी के दिन वैजयंती का फूल चढ़ाना चाहिए। इससे अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है और व्यक्ति संतान सुख भोगता है।
मंगला गौरी व्रत पर करें मां मंगला गौरी की आरती, पाएं पुत्र-अखंड सौभाग्य का वरदान
25 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रावण मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत होता है. मंगला गौरी व्रत अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र के लिए रखते हैं. संतान की प्राप्ति के उद्देश्य से भी यह व्रत रखा जाता है.
इस साल सावन में 9 मंगला गौरी व्रत हैं. मलमास के लगने के कारण सावन दो माह का हो गया है. जो लोग मंगला गौरी व्रत रखें, वे माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें. उनको 16 श्रृंगार चढ़ाएं. पूजा के समय माता पार्वती चालीसा और मां मंगला गौरी की आरती करें. इससे देवी गौरी प्रसन्न होती हैं. मंगला गौरी की आरती जय मंगला गौरी माता. से शुरू होती है. इस दिन आप मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. मां मंगला गौरी की कृपा से सुखी दांपत्य जीवन, अखंड सौभाग्य और संतान के सुखी जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. सुहागन महिलाओं की पति की लंबी आयु की मनोकामना पूर्ण होती है. आइए जानते हैं मंगला गौरी आरती और मंगला गौरी स्तोत्र के बारे में.
मंगला गौरी आरती
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता।
जय मंगला गौरी.
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता,
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।
जय मंगला गौरी.
सिंह को वाहन साजे कुंडल है,
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था।
जय मंगला गौरी.
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता,
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।
जय मंगला गौरी.
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता,
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता।
जय मंगला गौरी.
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता।
जय मंगला गौरी.
देवन अरज करत हम चित को लाता,
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।
जय मंगला गौरी.
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता।
जय मंगला गौरी.
मंगला गौरी स्तोत्र
ओम रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।
हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके॥
हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।
शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके॥
मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।
सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये॥
पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।
पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्॥
मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।
संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्॥
देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।
प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे ॥
तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।
वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने॥
मामरक्ष रक्ष-रक्ष ओम मंगल मंगले।
मां मंगला गौरी की जय.देवी पार्वती की जय.मां गौरी की जय.
हनुमत कृपा के लिए पढ़ें बजरंग बाण, कठिन काम भी होगा सफल, जानें ये 5 फायदे
25 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बजरंग बाण एक ऐसा उपाय है, जो विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ही पढ़ा जाता है. आपका कोई कार्य फंसा हुआ है, करियर में सफलता नहीं मिल रही है, किसी बड़े संकट में फंसे हुए हैं, भयंकर रोग से परेशान हैं, शत्रुओं से घिरे हैं, तो इन सबका एक उपाय है बजरंग बाण का पाठ.
संकटमोचन हनुमान जी का ध्यान करके मंगलवार को इसका पाठ करना चाहिए. मंगलवार को सुबह स्नान करके हनुमान जी को लाल फूल, लड्डू, सिंदूर, चमेली का तेल और लाल लंगोट चढ़ाएं. इसके बाद हनुमान जी के समक्ष पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं. फिर सच्चे मन से संकटमोचन बजरंगबली का ध्यान करें और पूरी श्रद्धा से बजरंग बाण का पाठ करें. कम से कम 5 पाठ करना चाहिए. यहां जानें बजरंग बाण से होने वाले फायदे.
पंडित वशिष्ठ उपाध्याय कहते हैं कि बजरंग बाण का पाठ करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. महावीर हनुमान की कृपा से कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. पवनपुत्र केसरीनंदन हनुमान सबके दुख हर लेते हैं. कलयुग के वे जाग्रत देवता हैं. धार्मिक मान्यता है कि वे आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं. जहां पर उनके प्रभु श्रीराम का स्मरण होता है, रामायण कथा होती है, वहां पर वे मौजूद होते हैं.
बजरंग बाण के फायदे
1. इसका पाठ करने से कोई रोग दोष नहीं होता है.
2. भूत प्रेत या कोई भी भय आपको परेशान नहीं करता है.
3. भगवान हनुमान प्राणों की रक्षा करते हैं, शत्रुओं से बचाते हैं, संकटों को दूर करते हैं.
4. कार्यों में सफलता प्राप्त होती हैं.
5. मनोकामाएं पूर्ण होती हैं.
बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।
अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।
जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।
गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।
ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।
सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।
वन उपवन मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।
जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।
चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।
ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
तीर्थ स्थल: एक हजार सालों से बिना नींव खड़ा है शिव का ये रहस्यमयी मंदिर
25 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सावन के महीने को बेहद ही पुण्यदायी और पवित्र माना जाता हैं ये पूरा महीना शिव साधना आराधना को समर्पित होता हैं माना जाता है इस दौरान भोलेनाथ की पूजा और दर्शन उत्तम फल प्रदान करती हैं और साधक के कष्टों को भी हर लेती हैं।
ऐसे में आज हम आपको भारत के एक ऐसे चमत्कारी व रहस्यमयी शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जो कई वर्षों से बिना नींव के खड़ा हैं, जिसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाएं हैं, तो आइए जानते हैं शिव शंकर के इस रहस्यमयी मंदिर के बारे में।
सावन में कर आएं इस मंदिर के दर्शन-
भगवान भोलेनाथ का यह चमत्कारी और रहस्यों से भरा मंदिर तमिलनाडु के तंजौर शहर में स्थित है जो बृहदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। इस पवित्र मंदिर को स्थानीय भाषा में पेरुवुटैयार कोविल के नाम से भी जानते हैं। आपको बता दें कि यह मंदिर शिव को समर्पित हैं यह भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती हैं। इस तीर्थ स्थल का निर्माण चोल शासन के महान शासक राजराजा प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर को करीब साल 1003 से 1010 के बीच बनाया गया था।
इस मंदिर को बने कम से कम एक हजार साल से अधिक हो चुका है लेकिन बिना नींव का यह मंदिर अपने स्थान से जहर भी डिगा नहीं हैं। शिव का यह मंदिर पिरामिड के आकार का बना हुआ हैं। सावन के महीने में शिव दर्शन के लिए आप इस मंदिर जा सकते हैं माना जाता हैं कि यहां पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजन करने से भक्तों की हर इच्छा शिव शंकर पूरी कर देते हैं और दुखों व कष्टों का अंत हो जाता हैं। ऐसे में अगर आप सावन के महीने में शिव दर्शन का विचार बना रहे हैं तो यह चमत्कारी और रहस्यों से भरा मंदिर आपके लिए उपयुक्त रहेगा।
इस साल कब है गणेश चतुर्थी? जानिए पूजा मुहूर्त
25 Jul, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म के मुताबिक, कोई भी शुभ कार्य शुरु करने से पहले प्रभु श्री गणेश की पूजा का विधान है। पौराणिक मान्यता है कि प्रभु श्री गणेश की पूजा करने से सारी विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं।
तो आइए जानते हैं, 2023 में गणेश चतुर्थी के पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है तथा इससे जुड़ी कुछ विशेष बातें।
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त 2023:-
वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी। अंग्रेजी महीने के मुताबिक, यह सितंबर माह की 19 तारीख को पड़ रही है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी की पूजा-अर्चना करने का समय निश्चित है। मान्यतानुसार इस मुहूर्त में पूरे विधि-विधान से भगवान श्रीगणेश की आराधना करने से साधकों के सभी मनोवांछित काम पूरे हो जाते हैं।
गणेश-पूजन दिवस (वार): बृहस्पतिवार
गणेश-पूजन शुभ मुहूर्त: प्रातः 11:01 बजे से दोपहर 01:28 PM बजे तक
गणेश पूजन की कुल अवधि: 02 घंटे 27 मिनट
इस समय हुआ था भगवान गणेश का जन्म:-
सनातन धर्म ग्रंथों के मुताबिक, गणेशजी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को दोपहर में हुआ था. पचांग के अनुसार, इस दिन स्वाति नक्षत्र में सिंह लग्न में उनका जन्म हुआ था। इसे गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी भी बोलते हैं। वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि यदि यह चतुर्थी रविवार या मंगलवार के दिन हो, तो यह महाचतुर्थी हो जाती है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान:-
यूं तो गणेश चतुर्थी के दिन भूल से भी चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए। किन्तु गलती से चंद्रमा का दर्शन हो जाए तो इसके निवारण के लिए इस चन्द्र दर्शन दोष निवारण मंत्र का जाप करें:
सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।
यह मंत्र श्रीमद्भागवत के 10वें स्कन्द के 57वें अध्याय का है। इस मंत्र का उच्चारण तकरीबन 27, 54 या 108 बार करने से चन्द्र दर्शन से मुक्ति प्राप्त होती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 जुलाई 2023)
25 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति, किसी परेशानी से अवश्य बचिये, कुटुम्ब की समस्या बनेगी।
वृष राशि :- मानसिक कार्य में सफलता से संतोष होगा, धन का लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्य में सफलता, धन का व्यय होगा, बिगड़े कार्य बना लें।
कर्क राशि :- उत्तम कार्य बनें, अधिकारियों के सहयोग से रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे, स्थिति पूर्ण नियंत्रण में बलबती रहेगी, समय का उपयोग करें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि होगी, धन लाभ तथा आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से विशेष समर्थन फलप्रद होगा तथा रुके कार्य बन जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ तथा कार्य-कुशलता से संतोष, पराक्रम तथा समृद्धि के योग बनेंगे।
धनु राशि :- स्त्री-शरीर कष्ट, चिन्ता विवादग्रस्त हेने से बचें, कार्य बनने के योग बन जायेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य ही मिलेगी, समय पर कार्य करें।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय में उत्तेजना, धन का व्यय एवं शक्ति शिथिल होगी, ध्यान रखें।
मीन राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होगा तथा कार्य-प्रतिष्ठा बढ़े।
बनारस के सीर गोवर्धनपुर में जन्मे थे संत रविदास
24 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बनारस के सीर गोवर्धनपुर में स्थापित संत रविदास मंदिर, रविदासिया संप्रदाय के साथ अन्य संप्रदाय के लोगों के लिए भी एक तीर्थ स्थल है. इसी स्थान पर भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत और 'संत शिरोमणि' की उपाधि से विभूषित गुरु रविदास का जन्म हुआ था.
इस मंदिर की वास्तुकला शानदार है. इसका स्थापत्य गुरुद्वारे से प्रभावित है. मंदिर के शीर्ष पर एक बड़ा गुंबद और छोटे-छोटे कुल 31 गुंबद स्थापित हैं. ये सभी गुंबद स्वर्ण जड़ित हैं. भीतरी कक्ष में संत रविदास का तपस्या स्थल है. यहीं एक कोने में एक सितार रखा है. कार्यरत सेवादार ने बताया कि इसी सितार को बजाकर संत रविदास प्रवचन दिया करते थे. संत रविदास जयंती पर दुनियाभर के लोग यहां मत्था टेकने आते हैं. बीएचयू के समाजशास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ विमल कुमार लहरी कहते हैं कि इस मंदिर में आने के बाद लोगों में जाति, धर्म, वर्ग और कुलीनता के भाव धराशायी हो जाते हैं, तथा यहां 'मैं' नहीं 'हम' की भावना प्रबल हो जाती है.
मंदिर की स्थापना
इस मंदिर की स्थापना का श्रेय स्वामी सरवण जी महाराज को जाता है. उन्होंने 14 जून,1965 को स्वामी हरि दास के कर-कमलों से इस मंदिर की नींव रखवायी थी. स्वामी गरीब दास को इस मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. वर्ष 1974 की 22 फरवरी को इस मंदिर में आयोजित संत सम्मेलन में संत रविदास की मूर्ति स्थापित की गयी थी. लंका चौराहे पर स्थित गुरु रविदास द्वार का उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने 1998 में किया था. सीर गोवर्धनपुर की ऐतिहासिकता को संजोने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लंगर हॉल के सामने की जमीन पर संग्रहालय निर्माण का प्रस्ताव रखा है. इसके जरिये संत रविदास की शिक्षा, उपदेश और रचनाओं को भौतिक व आभासी रूप में प्रदर्शित किया जा सकेगा. संत रविदास बनारस के नगवां इलाके में जहां बैठकर चर्मकारी का काम किया करते थे. उस स्थान पर एक स्मारक और पार्क बनाया गया है. साथ ही, गंगा नदी के तट पर संत रविदास घाट भी स्थापित किया गया है.
संत रविदास का योगदान
'ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिलै सबन कौ अन्न, छोट-बड़ों सब सम बसैं रविदास रहें प्रसन्न' की वैचारिकी को स्थापित कर समतामूलक समाज का स्वप्न देखने वाले, तथा 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' संदेश के जरिये आडंबरहीन समाज का मार्ग दिखलाने वाले रविदास मध्यकाल के प्रमुख संत थे. वे समाज को जाति व धर्म के आधार पर होने वाले विभेदों से मुक्त करना चाहते थे. संत रविदास ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक भेदभाव और जातीय विभेद को दूर करने की कोशिश की थी. उन्होंने 'बेगमपुरा' की परिकल्पना की, जो भेदभाव व दुखों से मुक्त शहर के रूप में साकार होता. वह कबीर और गुरु नानक के समकालीन थे. विभिन्न स्रोतों से गुरु रविदास और गुरु नानक के मध्य तीन मुलाकात होने के संकेत मिलते हैं, जबकि कबीर के साथ बनारस में उन्होंने अनेक गोष्ठियां की थीं. कबीर गुरु रविदास से बहुत प्रभावित थे. उन्होंने गुरु रविदास को 'संतों का संत' कहा था. रविदास रामानंद के 12 शिष्यों में से एक थे. उनके 40 भजन गुरु ग्रंथ साहिब (आदि ग्रंथ) में संग्रहीत हैं. वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे. कृष्ण उपासक मीराबाई भी संत रविदास की शिष्या थीं. संत रविदास के विचारों को रविदासिया पंथ के लोग आगे बढ़ा रहे हैं. आज भारत ही नहीं, दुनियाभर में संत रविदास के अनेक मठ,आश्रम और मंदिर स्थापित किये गये हैं.
मंदिर में है विशेष व्यवस्था
संत रविदास का जन्म स्थान रविदासिया धर्म के अनुयायियों के साथ-साथ आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है. हर साल गुरु रविदास जयंती के अवसर पर इस मंदिर में विशाल समागम होता है. इस अवसर पर पंजाब व देश के विभिन्न हिस्सों और विदेशों से हजारों श्रद्धालु आते हैं. इस मौके पर जालंधर से वाराणसी तक अनुयायियों के आने के लिए भारतीय रेल 'स्पेशल बेगमपुरा एक्सप्रेस' की सुविधा प्रदान करती है. मंदिर में हर समय लंगर की व्यवस्था रहती है. देश-विदेश से आने वाले यात्रियों के ठहरने की यहां उत्तम व्यवस्था है. मंदिर का प्रबंधन श्री गुरु रविदास जन्म स्थान चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा देखा जाता है. संत रविदास के अनुयायी सभी धर्मों का सम्मान करने, मानवता के साथ प्रेम करने और सदाचारी जीवन व्यतीत करने की सीख देते हैं. उन्होंने दुनिया को एकता, समानता, आपसी मेलजोल बढ़ाने की सीख दी. आज संत रविदास के विचारों को आत्मसात करने की आवश्यकता है.
कैसे जाएं
सीर गोवर्धनपुर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वाराणसी रेलवे स्टेशन से इसकी दूरी आठ किलोमीटर और बाबतपुर हवाई अड्डे से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है.
श्रीयंत्र का एक उपाय करेगा मालामाल, बस स्थापित करते वक्त न करें ये गलती
24 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रीयंत्र की सिद्धि गुरु शंकराचार्य ने की थी. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्द और ताकतवर यंत्र यही है. हालांकि इसे धन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन ये धन के अलावा शक्ति और अपूर्व सिद्धि का भी प्रतीक है.
श्रीयंत्र के प्रयोग से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है. घर में इसके सही प्रयोग से हर तरह की दरिद्रता दूर की जा सकती है.
श्रीयंत्र के प्रयोग में बरतें ये सावधानियां
श्रीयंत्र की आकृति दो प्रकार की होती है- उर्ध्वमुखी और अधोमुखी. भगवान शंकराचार्य ने उर्ध्वमुखी प्रतीक को सर्वाधिक मान्यता दी है. इस यंत्र की घर में स्थापना से पूर्व देख लें कि यह बिल्कुल ठीक बना हो अन्यथा आप मुश्किल में आ सकते हैं.
श्रीयंत्र का चित्र आप काम करने के स्थान, पढ़ाई के स्थान और पूजा पाठ के स्थान पर लगा सकते हैं. जहां भी श्रीयंत्र की स्थापना करें, वहां सात्विकता का विशेष ख्याल रखें और नियमित मंत्र जाप करें.
धन के लिए श्रीयंत्र का प्रयोग कैसे करें?
स्फटिक का पिरामिड वाला श्रीयंत्र पूजा के स्थान पर स्थापित करें. इसे गुलाबी कपड़े या छोटी सी चौकी पर स्थापित करें. नित्य प्रातः इसे जल से स्नान कराएं. पुष्प अर्पित करें. घी का दीपक जलाकर श्रीयंत्र के मंत्र का जाप करें.
एकाग्रता के लिए श्रीयंत्र का प्रयोग कैसे करें?
उर्ध्वमुखी श्रीयंत्र का चित्र अपने काम या पढ़ने की जगह पर लगाएं. चित्र रंगीन हो तो ज्यादा बेहतर होगा. इसको इस तरह लगाएं कि यह आपकी आंखों के ठीक सामने हो. जहां भी इसको स्थापित करें, वहां गंदगी न फैलाएं. मांस-मछली या मदिरा पान का सेवन बिल्कुल न करें.
श्रीयंत्र की पूजा विधि
श्रीयंत्र को पूजा घर में शुक्रवार या किसी शुभ मुहूर्त पर स्थापित करना चाहिए. पहले श्रीयंत्र को एक चौकी पर गुलाबी रंग के आसन पर रखें. विधिवत किसी धर्माचार्य से इसकी प्राण प्रतिष्ठा करें. नियमित तौर पर हर दिन श्री यंत्र को जल से स्नान कराएं. धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं. श्रीयंत्र पर मां लक्ष्मी के प्रिय लाल या गुलाबी रंग के फूल और इत्र जरूर चढ़ाएं.
शुभ योग में सावन का तीसरा सोमवार, सुख-समृद्धि के लिए सोमवार को जप ये मंत्र
24 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
24 जुलाई को सावन महीने का तीसरा सोमवार है। सावन का महीना भगवान शिव का सबसे पवित्र महीना माना गया है और सावन में सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष अधिक मास के कारण सावन का महीना एक बजाय दो महीनों का होगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन महीने में आने वाले सोमवार पर जो भक्त व्रत और भगवान शिव-पार्वती की पूजा उपासना करता है उसी सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती है। इस बार सावन के तीसरे सोमवार पर बहुत शुभ संयोग बन रहा है।
सावन का तीसरा सोमवार और शुभ संयोग
24 जुलाई को सावन का तीसरा सोमवार व्रत रखा जाएगा, जिसमें बहुत ही खास संयोग बन रहा है। सावन के तीसरे सोमवार पर रवि और शिव योग का संयोग है। शास्त्रों में शिव योग में पूजा-उपासना और व्रत रखने से सभी तरह की सफलताएं और सुख-समद्धि की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार पर इन मंत्रों का जाप
वेदों और पुराणों के अनुसार शिव अर्थात सृष्टि के सृजनकर्ता को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ "ॐ नमः शिवाय" का जप ही काफी है। भोलेनाथ इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं एवं इस मंत्र के जप से आपके सभी दुःख, सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आप पर महाकाल की असीम कृपा बरसने लगती है। स्कन्दपुराण में कहा गया है कि-'ॐ नमः शिवाय 'महामंत्र जिसके मन में वास करता है,उसके लिए बहुत से मंत्र,तीर्थ,तप व यज्ञों की क्या जरूरत है।यह मंत्र मोक्ष प्रदाता है,पापों का नाश करता है और साधक को लौकिक,परलौकिक सुख देने वाला है।
मंत्र जप के नियम
ॐ नमः शिवाय बहुत चमत्कारी मंत्र है,इस मंत्र का जप पूरे भक्ति-भाव और शुद्धता के साथ निर्मल भाव से करना चाहिए।
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार हर दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए,क्योकि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है।
जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
शिव के 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप कहीं भी और किसी भी समय किया जाता है। लेकिन यदि आप बिल्व वृक्ष के नीचे,पवित्र नदी के किनारे या शिव मंदिर में इस मंत्र का जप करेंगे तो उसका फल सबसे उत्तम प्राप्त होगा।
इस मंत्र का जाप करने से धन की प्राप्ति, संतान की प्राप्ति और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
इस मंत्र के जाप से सभी कष्ट और दुःख दूर हो जाते हैं।