धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
विजेता बनना है तो धारण करें वैजयंती माला
19 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म में सफल होने के लिए पूजा पाठ और हवन के साथ ही कई अन्य उपाय भी है। धर्म शास्त्रों के अनुसार वैजयंती माला- एक ऐसी माला जो सभी कार्यों में विजय दिला सकती है। इसका प्रयोग भगवान श्री कृष्ण माता दुर्गा, काली और दूसरे कई देवता करते थे। रत्न के जानकार मानते हैं कि अगर इस माला को सही विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित करके धारण किया जाए तो इसके परिणाम आपको तत्काल मिल सकते हैं। कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो जिसमें रुकावट आएगी।
वैजयंती माला को धारण करने वाला इंद्र के समान सारे वस्त्रों को जीतने वाला बन जाता है और श्री कृष्ण के समान सभी को मोहित करने वाला बन जाता है और महर्षि नारद के समान विद्वान बन जाता है। इस सिद्ध माला को धारण करने वाला हर जगह विजय प्राप्त करता है। उसके सर्व कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं । यदि किसी काम में लंबे समय से बाधा आ रही है तो वह काम आसानी से बन जाता है। यह माला शत्रुओं का नाश भी करती है। वैजयंती माला को सिद्ध करने के लिए इसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। पूरा फल पाने के लिए जरूरी है कि माला सही विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही पहनी चाहिए।
श्रीमद्भगवद्गीता गीता के उपदेश आज भी हैं प्रासंगिक
19 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से जो बातें कहीं थीं उनका महत्व आज भी है। भगवत गीता के उपदेश आज भी मनुष्य जाति के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन के लिए थे.
ऐसा माना जाता है कि इस दुनिया के सभी सवालों के जवाब भगवत गीता में छिपे हैं। जब भी कोई व्यक्ति अपने मार्ग से भटके या फिर उसे कोई रास्ता दिखाने वाला न मिले तो गीता के उपदेश अवश्य ही उसे रास्ता दिखाएंगे। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया के वैसे श्रेष्ठ ग्रंथों में है, जो न केवल सबसे ज्यादा पढ़ी जाती है, बल्कि कही और सुनी भी जाती है। कहते हैं जीवन के हर पहलू को भगवत गीता से जोड़कर व्याख्या की जा सकती है।
श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व से युवा वर्ग अंजान है हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं जो इसे पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन किताब के पन्ने देखकर दूर भागते हैं। यूं तो भागवत गीता में कुल 18 अध्याय और 720 श्लोक हैं।
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम बीते समय का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो. वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आए, जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया. जो लिया, इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया.
खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।
परिवर्तन संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया, मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा है, तुम सबके हो।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो। यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जाएगा। परन्तु आत्मा स्थिर है। फिर तुम क्या हो? तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है। जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा।
सोमवार को शिव पूजन से पूरी होती हर इच्छा, इन बातों का ध्यान रख ऐसे करें पूजा
सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए खास माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन शिव जी बहुत जल्द खुश होते हैं।
सोमवार का दिन है खास
हिंदू शास्त्रों में सोमवार का दिन मुख्य रूप से भगवान शिव जी का दिन माना जाता है। मान्यता है कि शंकर जी शांत, सौम्य और भोले स्वभाव के देवता कहे जाते हैं। वहीं सोमवार को सौम्य भी कहते हैं। इसलिए शिव जी के लिए सोमवार का दिन खास माना जाता है। भगवान शिव जी के माथे पर विराजे चंद्र देव भी सोमवार के दिन उनका व्रत व पूजन करते थे।
शिव देते हैं भक्तों को आशीर्वाद
ऐसे में इस दिन व्रत व पूजा करने से शिव जी अपने भक्तों पर बहुत जल्द खुश होते हैं। वे भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। व्रत व पूजा करने वालों के जीवन से दुख, रोग, क्लेश व आर्थिक तंगी दूर होती है। कुवांरी कन्याओं द्वारा इस दिन व्रत व शिव पूजन किए जाने से उनका विवाह हो जाता है। इतना ही नहीं उन्हें भोलेनाथ जैसा मनचाहा वर मिलता है।
विधिविधान से करें शिव पूजन
सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद मंदिर जाएं या घर पर ही विधिविधान से शिव जी की पूजा करें। सबसे पहले भगवान शिव के साथ माता पार्वती और नंदी को गंगाजल व दूध से स्नान कराएं। इसके बाद उन पर चंदन, चावल, भांग, सुपाड़ी, बिल्वपत्र और धतूरा चढ़ाएं। भोग लगाने के बाद आखिरी में शिव जी की विधिविधान से आरती करें।
इस दिन एक नम: शिवाय का जाप करें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 अक्टूबर 2023)
19 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- कुछ विक्षुब्धकारी तत्व परेशान करेंगे, कुटुम्ब में अशांति अवश्य ही बनेगी, ध्यान रखें।
वृष :- स्त्री-वर्ग की चिन्ता, तनाव व क्लेश, अशांति, मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बन जायेगी।
मिथुन :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, उद्विघ्नता बने, विरोधी परेशान करेंगे।
कर्क :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
सिंह :- आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, कार्यवृत्ति में सुधार तथा कार्ययोजना अवश्य ही बनेगी।
कन्या :- क्लेश से अशांति, कार्यव्यवसाय में बाधा होकर हाथ से जाता रहे, ध्यान रखें।
तुला :- मानसिक उद्विघ्नता, स्वास्थ्य नरम रहे, धन का व्यय, व्यर्थ-भ्रमण होगा तथा कार्य बनेंगे।
वृश्चिक :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक बेचैनी, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय निश्चय होगा।
धनु :- चिंताएं कम हों, इष्ट मित्र सुखवर्धक हें, तनाव, क्लेश व अशांति से बचना चाहिये।
मकर :- धन का व्यर्थ व्यय हो, चोट-चपेट आदि से डर तथा भय, सतर्कता से कार्य करें।
कुम्भ :- कार्यकुशलता से संतोष एवं समृद्धि के योग अवश्य ही बनेंगे, कार्य-व्यवसाय में लाभ।
मीन :- भाग्य का सितारा मंद रहे, तनाव-क्लेश व अशांति निश्चय बने, कार्य अवरोध होगा।
आज ही अपने घर से बाहर फेंक दें ये चीजें.. वरना हो जाएंगी मां दुर्गा नाराज
18 Oct, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल भारत के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. और वो भी पुरतासी माह की अमावस्या के अगले दिन से शुरू होकर ये नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाएगी.
तदनुसार इस वर्ष नवरात्रि 15 अक्टूबर को शुरू होती है और 23 अक्टूबर को सरस्वती पूजा और 24 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समाप्त होती है।
नवरात्रि के त्योहार के दौरान, अधिकांश घरों में 9 दिनों के लिए कलश या कोलू रखा जाता है और देवता की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन दुर्गा की पूजा की जाती है, अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी की और आखिरी तीन दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसे त्योहार पर अगर हमें मां की कृपा पाना है तो हमें घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, नवरात्रि पूजा शुरू करने से पहले घर से उन वस्तुओं को हटा देना चाहिए जो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। अगर इन वस्तुओं को नहीं हटाया गया तो इससे घर में कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाएंगी और देवी दुर्गा का प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है। आइए अब देखते हैं कि आपको कौन सी चीजें नवरात्रि से पहले हटा देनी चाहिए।
टूटी हुई मूर्तियाँ
सामान्य तौर पर घर में टूटा हुआ सामान नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा अगर घर में देवी-देवताओं की मूर्तियां टूटी हुई हैं और उन्हें अस्त-व्यस्त रखा गया है तो इससे घर में परेशानियां आती हैं। तो अगर आपके घर में भगवान की कोई टूटी हुई मूर्ति है तो आज ही उसे हटा दें।
पुरानी चप्पलें
अगर आपके घर में घिसी-पिटी या बिना पहनी हुई चप्पलें हैं तो उन्हें घर में रखने की बजाय फेंक दें। घर में बेकार जूते रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह दुर्भाग्य भी लाता है। यदि आपके अप्रयुक्त जूते अच्छी स्थिति में हैं, तो आप उन्हें दान कर सकते हैं।
टूटा हुआ चश्मा
यदि आपके घर में कोई टूटा हुआ शीशा है, तो उसे बिना यह गारंटी दिए तुरंत फेंक दें कि आप उसे ठीक कर देंगे। टूटे हुए दर्पण घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाते हैं और विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए अगर आप नवरात्रि पूजा का लाभ पाना चाहते हैं तो इसे नवरात्रि से पहले ही फेंक दें।
घड़ी जो चलती नहीं
आप कई लोगों के घरों में बिना चलती हुई घड़ी देख सकते हैं। क्योंकि वो घड़ियाँ देखने में बहुत खूबसूरत होती हैं। लेकिन घर में बिना चलने वाली घड़ी रखने से घर में बुरी ऊर्जा आकर्षित होती है। इसलिए नवरात्रि से पहले अपने घर में बंद पड़ी घड़ियों को हटा दें। अन्यथा व्यक्ति को देवी दुर्गा का प्रकोप झेलना पड़ सकता है और प्रगति में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
चाणक्य नीति के अनुसार जिन लोगों में होते हैं ये 5 गुण, वे होते हैं बेहद बुद्धिमान
18 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य नीति: चाणक्य एक प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें राजनीति, युद्ध, चिकित्सा और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों पर उनकी महान शिक्षाओं के लिए जाना जाता है।
उनकी पुस्तक अर्थशास्त्र, जो उन्होंने मौर्य साम्राज्य के शासनकाल के दौरान लिखी थी, को भारतीय राजनीति विज्ञान की नींव माना जाता है। अपनी शिक्षाओं में, चाणक्य ने कुछ ऐसे गुणों पर जोर दिया जो एक बुद्धिमान व्यक्ति में होने चाहिए।
इस पोस्ट में आप जान सकते हैं कि चाणक्य के अनुसार एक बुद्धिमान व्यक्ति में कौन से गुण होने चाहिए।
बड़ों का सम्मान
चाणक्य के अनुसार ज्ञानी वह है जो बड़ों का सम्मान करता है और उनकी बातों का पालन करता है। वे समझते हैं कि वरिष्ठों के पास अधिक अनुभव और ज्ञान है और वे मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
वे बड़ों की आलोचना या अवमूल्यन नहीं करते बल्कि उनका आशीर्वाद और सलाह लेते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति उम्र के साथ आने वाली बुद्धिमत्ता का सम्मान करने के महत्व को समझता है।
सही निर्णय लेना
चाणक्य कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो अपने लक्ष्य का पीछा करने और सही समय पर सही निर्णय लेने का साहस रखता है। वे मामले को शुरू करने में संकोच या विलंब नहीं करते हैं, बल्कि तुरंत और निर्णायक रूप से कार्य करते हैं।
उन्हें अपने कार्यों के परिणामों की गहरी समझ होती है और वे ऐसा रास्ता चुनते हैं जो सफलता की ओर ले जाता है। वे अल्पकालिक लाभ या हानि से विचलित नहीं होते बल्कि अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
वे एक टीम के रूप में काम करते हैं
चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में टीम वर्क के महत्व पर जोर दिया है। उनका मानना था कि एक प्रतिभाशाली व्यक्ति वह है जो एक सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करने की शक्ति को समझता है।
वे मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ताकत और कमजोरियां होती हैं और वे अपने अनूठे तरीके से टीम में योगदान दे सकते हैं। वे कार्यों और जिम्मेदारियों को दूसरों को सौंपने से डरते नहीं हैं और वे अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने में विश्वास करते हैं।
सोचने की क्षमता
चाणक्य का मानना था कि बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जिसके पास मजबूत तर्क क्षमता होती है। वे स्थितियों का अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकते हैं और तथ्यों और सबूतों के आधार पर तर्कसंगत निर्णय ले सकते हैं।
वे अपनी भावनाओं को अपनी बुद्धि पर हावी नहीं होने देते, तर्क और तर्क के आधार पर निर्णय लेते हैं। वे अत्यधिक बौद्धिक हैं और चुनौतियों या जटिल समस्याओं से भयभीत नहीं होते हैं।
वे अनावश्यक सलाह नहीं देते
बुद्धिमान व्यक्ति को दूसरों को अनावश्यक सलाह नहीं देनी चाहिए। वे समझेंगे कि लोग मुफ़्त सलाह को महत्व नहीं देते और इसे गंभीरता से नहीं लेते।
वे अपना मार्गदर्शन और सलाह केवल मांगे जाने पर ही देते हैं और अपनी राय दूसरों पर थोपने से बचते हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 अक्टूबर 2023)
18 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- स्त्री-वर्ग से तनाव व क्लेश, अशांति, मनोवृत्ति फलप्रद होगी तथा कार्यहानि अवश्य ही होगी।
वृष :- मानसिक उद्विघ्नता, स्वास्थ्य नरम रहे, विरोधियों की परेशानी से आप अवश्य बचकर चलें।
मिथुन :- विरोधी परेशान करेंगे, आकस्मिक घटना से अशांति, मानसिक विभ्रम व तनाव अवश्य बनेगी।
कर्क :- अधिकारियों के तनाव से बचिये, दैनिक-व्यवसाय गति उत्तम ही बनेगी, समय का ध्यान अवश्य रखें।
सिंह :- मानसिक बेचैनी, मित्रों से धोखा, अनायास विभ्रम क्लेशप्रद बन जायेगा, कष्ट होगा।
कन्या :- विभ्रम, मानसिक अशांति, धन हानि तथा असमंजस की स्थिति अवश्य ही बन जायेगी।
तुला :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, व्यवसायिक उन्नति सफल होगी, कार्यगति में विशेष सुधार होगा।
वृश्चिक :- अग्नि व चोट आदि का भय होगा, सतर्कता से कार्य करें, लाभ अवश्य ही हो जायेगा।
धनु :- विरोधी तत्व परेशान करें, अनायास बाधा, शरीर से कष्ट, मानसिक वेदना व कष्ट होगा।
मकर :- परिश्रम करने पर भी सफलता दिखायी न देवे तथा अनायास विभ्रम, रुके कार्य बन जायेंगे।
कुम्भ :- तनाव, क्लेश व अशांति, लोगों से मेल-मिलाप होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन :- सतर्कता से कार्य करें, अधिकारियों का समर्थन मिले, कार्यगति में अनुकूलता बन जायेगी।
आज शनि अमावसा है, शनिदेव की कृपा से आज इन 4 राशियों पर धन की वर्षा होने वाली है..
17 Oct, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महालया शनि अमावस्या 2023: वैदिक ज्योतिष में अमावस्या एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। और अगर यह अमावस्या शनिवार के दिन पड़े तो यह और भी खास मानी जाती है। इस प्रकार पुरातसी माह की महालया अमावस्या 14 अक्टूबर 2023 शनिवार को है।
कहा जाता है कि महालय काल के दौरान, मृतक पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवारों को आशीर्वाद देते हैं। महालय अमावसी ऐसे महालय बाचा काल का अंतिम दिन है। इस शनिवार, इस महालया अमावस्या पर भगवान शनि की कृपा से कुछ जातकों को अच्छा पैसा मिलेगा और उनके करियर में प्रगति होगी। आइए अब देखते हैं कौन हैं वो भाग्यशाली राशियां जिन्हें शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी।
वृषभ
शनि अमावस्या पर आज वृषभ राशि के लोग शनिदेव की कृपा से कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। ऑफिस में उच्च अधिकारियों से सराहना मिल सकती है। कुछ लोगों को प्रमोशन मिल सकता है। वित्तीय स्थिरता सामान्य से कहीं बेहतर रहेगी। व्यापारियों को नए सौदे मिलने की प्रबल संभावना है। बिजनेस करने वाले लोगों को अच्छा लाभ मिलेगा।
कुंभ
कुंभ राशि वाले आज शनिदेव की कृपा से कुछ महत्वपूर्ण फैसले लेंगे, जिससे जीवन में प्रगति होगी। शनि से संबंधित कार्य करने वालों के लिए यह अद्भुत रहेगा। आपको व्यापार में अच्छा लाभ मिलेगा। कुछ लोगों को नया बिजनेस शुरू करने के मौके मिलेंगे।
मिथुन
शनि अमावस्या आज, मिथुन राशि वालों को भी मिलेगी शनिदेव की कृपा और इस अमावस्या पर आप जितना गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करेंगे, शनिदेव आपको उसका फल देंगे। कुछ लोगों को पिता का पूरा सहयोग मिलेगा। कुछ लोगों को यात्रा करने का अवसर मिल सकता है। व्यावसायिक तौर पर आज का दिन लाभदायक रहेगा।
तुला
आज शनि अमावस्या, शनिदेव की कृपा से तुला राशि के छात्र पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करेंगे। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में काम करने वालों को भी अच्छे परिणाम मिलेंगे। अगर आप आज दान-पुण्य करते हैं तो शनिदेव आपको भाग्य का साथ देंगे और धन की वर्षा करेंगे। आपके महत्वपूर्ण कार्य आज सफलतापूर्वक पूरे होंगे।
चाणक्य नीति के अनुसार जिन लोगों में होते हैं ये 5 गुण, वे होते हैं बेहद बुद्धिमान
17 Oct, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य नीति: चाणक्य एक प्रसिद्ध भारतीय दार्शनिक, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें राजनीति, युद्ध, चिकित्सा और ज्योतिष जैसे विभिन्न विषयों पर उनकी महान शिक्षाओं के लिए जाना जाता है।
उनकी पुस्तक अर्थशास्त्र, जो उन्होंने मौर्य साम्राज्य के शासनकाल के दौरान लिखी थी, को भारतीय राजनीति विज्ञान की नींव माना जाता है। अपनी शिक्षाओं में, चाणक्य ने कुछ ऐसे गुणों पर जोर दिया जो एक बुद्धिमान व्यक्ति में होने चाहिए।
इस पोस्ट में आप जान सकते हैं कि चाणक्य के अनुसार एक बुद्धिमान व्यक्ति में कौन से गुण होने चाहिए।
बड़ों का सम्मान
चाणक्य के अनुसार ज्ञानी वह है जो बड़ों का सम्मान करता है और उनकी बातों का पालन करता है। वे समझते हैं कि वरिष्ठों के पास अधिक अनुभव और ज्ञान है और वे मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
वे बड़ों की आलोचना या अवमूल्यन नहीं करते बल्कि उनका आशीर्वाद और सलाह लेते हैं। एक बुद्धिमान व्यक्ति उम्र के साथ आने वाली बुद्धिमत्ता का सम्मान करने के महत्व को समझता है।
सही निर्णय लेना
चाणक्य कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो अपने लक्ष्य का पीछा करने और सही समय पर सही निर्णय लेने का साहस रखता है। वे मामले को शुरू करने में संकोच या विलंब नहीं करते हैं, बल्कि तुरंत और निर्णायक रूप से कार्य करते हैं।
उन्हें अपने कार्यों के परिणामों की गहरी समझ होती है और वे ऐसा रास्ता चुनते हैं जो सफलता की ओर ले जाता है। वे अल्पकालिक लाभ या हानि से विचलित नहीं होते बल्कि अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
वे एक टीम के रूप में काम करते हैं
चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में टीम वर्क के महत्व पर जोर दिया है। उनका मानना था कि एक प्रतिभाशाली व्यक्ति वह है जो एक सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दूसरों के साथ मिलकर काम करने की शक्ति को समझता है।
वे मानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी ताकत और कमजोरियां होती हैं और वे अपने अनूठे तरीके से टीम में योगदान दे सकते हैं। वे कार्यों और जिम्मेदारियों को दूसरों को सौंपने से डरते नहीं हैं और वे अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से निभाने में विश्वास करते हैं।
सोचने की क्षमता
चाणक्य का मानना था कि बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है जिसके पास मजबूत तर्क क्षमता होती है। वे स्थितियों का अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकते हैं और तथ्यों और सबूतों के आधार पर तर्कसंगत निर्णय ले सकते हैं।
वे अपनी भावनाओं को अपनी बुद्धि पर हावी नहीं होने देते, तर्क और तर्क के आधार पर निर्णय लेते हैं। वे अत्यधिक बौद्धिक हैं और चुनौतियों या जटिल समस्याओं से भयभीत नहीं होते हैं।
वे अनावश्यक सलाह नहीं देते
बुद्धिमान व्यक्ति को दूसरों को अनावश्यक सलाह नहीं देनी चाहिए। वे समझेंगे कि लोग मुफ़्त सलाह को महत्व नहीं देते और इसे गंभीरता से नहीं लेते।
वे अपना मार्गदर्शन और सलाह केवल मांगे जाने पर ही देते हैं और अपनी राय दूसरों पर थोपने से बचते हैं।
पांडवों के साथ कैसे रहती थी द्रोपदी, 5 पतियों के साथ ऐसे निभाती थी पत्नी धर्म
17 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्राचीन ग्रंथ महाभारत की द्रौपदी और पांडवों को लेकर आज भी लोगों के मन में कई प्रश्न हैं। नई पीढ़ी के मन में सवाल है कि पांच पतियों वाली महिला को समाज ने कैसे कबूल कर लिया?
द्रौपदी केवल अर्जुन से प्यार करती थी और उसका विवाह अर्जुन से हुआ था।
लेकिन इसके बावजूद पांच पतियों को कबूल करना और पत्नी का फर्ज निभाना उनके लिए कितना कठिन रहा होगा.
एक बार सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि उसने अपने पांचों पतियों के साथ कैसे रह लेती हो? द्रौपदी ने जवाब दिया कि आप मुझसे यह कैसा सवाल कर रहे हैं। आप मुझसे दुष्ट स्त्रियों के बारे में प्रश्न पूछ रहे हैं।
द्रौपदी ने आगे कहा कि मैं अपने धर्म का पालन करती हूं. चाहे कोई कितना भी सज्जन व्यक्ति क्यों न हो, मेरे मन में पांडवों के प्रति ही भावना है। मैं घर को साफ और सुंदर रखती हूं. मैं खाना बनाती हूँ इसके अलावा मैं ईर्ष्या और कठोर भाषा से परहेज करता हूं।
उन्होंने कहा कि मैं कठिन समय के लिए घर में एक गुप्त स्थान पर भोजन संग्रहीत करती हूँ। मैं न तो बुरा बोलती हूँ और न ही वहाँ जाती हूँ जहाँ बुरे काम हो रहे हों। द्रौपदी ने कहा, मेरे बड़ों ने जो धर्म मुझे बताया है, मैं उसका पालन करती हूं।
भक्त के भीतर रहते हैं कृष्ण
17 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जब भगवान चैतन्य बनारस में हरे कृष्ण महामंत्र के कीर्तन का प्रवर्तन कर रहे थे, तो हजारों लोग उनका अनुसरण कर रहे थे।
तत्कालीन बनारस के अत्यंत प्रभावशाली और विद्वान प्रकाशानंद सरस्वती उनको भावुक कहकर उनका उपहास करते थे। कभी-कभी भक्तों की आलोचना दार्शनिक यह सोचकर करते हैं कि भक्तगण अंधकार में हैं और दार्शनिक दृष्टि से भोले-भाले भावुक हैं, किंतु यह तथ्य नहीं है। ऐसे अनेक बड़े-बड़े विद्वान पुरुष हैं, जिन्होंने भक्ति का दर्शन प्रस्तुत किया है। किंतु यदि कोई भक्त उनके इस साहित्य का या अपने गुरु का लाभ न भी उठाए और यदि वह अपनी भक्ति में एकनिष्ठ रहे, तो उसके अंतर से कृष्ण स्वयं उसकी सहायता करते हैं।अत: कृष्णभावनामृत में रत एकनिष्ठ भक्त ज्ञानरहित नहीं हो सकता। इसके लिए इतनी ही योग्यता चाहिए कि वह पूर्ण कृष्णभावनामृत में रहकर भक्ति संपन्न करता रहे।
आधुनिक दार्शनिकों का विचार है कि बिना विवेक के शुद्ध ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। उनके लिए भगवान का उत्तर है- जो लोग शुद्धभक्ति में रत हैं, भले ही वे पर्याप्त शिक्षित न हों तथा वैदिक नियमों से पूर्णतया अवगत न हों, किंतु भगवान उनकी सहायता करते ही हैं। भगवान अजरुन को बताते हैं कि मात्र चिंतन से परम सत्य भगवान को समझ पाना असंभव है, क्योंकि भगवान इतने महान हैं कि कोरे मानसिक प्रयास से उन्हें न तो जाना जा सकता है, न ही प्राप्त किया जा सकता है।
भले ही कोई लाखों वर्षो तक चिंतन करता रहे, किंतु यदि भक्ति नहीं करता, यदि वह परम सत्य का प्रेमी नहीं है, तो उसे कभी भी कृष्ण या परम सत्य समझ में नहीं आएंगे।परम सत्य, कृष्ण, केवल भक्ति से प्रसन्न होते हैं और अपनी अचिंत्य शक्ति से वे शुद्ध भक्त के हृदय में स्वयं प्रकट हो सकते हैं।शुद्धभक्त के हृदय में तो कृष्ण निरंतर रहते हैं और कृष्ण की उपस्थिति सूर्य के समान है, जिसके द्वारा अज्ञान का अंधकार तुरंत दूर हो जाता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 अक्टूबर 2023)
17 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- आशानुकूल सफलता से संतोष, सफलता के साधन अवश्य बन ही जायेंगे।
वृष :- समय ऐशो आराम से बीतेगा, व्यवसायिक क्षमता, कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।
मिथुन :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, किन्तु इष्ट मित्रों से अशांति परेशानी अवश्य बनेगी।
कर्क :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, धैर्य रखकर कार्य बना लेंगे।
सिंह :- प्रतिष्ठा वृद्धि एवं बड़े लोगों से मेल-मिलाप हर्षप्रद होगा, समय सुविधा का ध्यान रखें।
कन्या :- मान-प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि, कार्यक्षमता बढ़े, समाज में प्रतिष्ठा के योग बनेंगे।
तुला :- मान-प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि, कार्यक्षमता व्यवसायिक क्षमता अनुकूल बन जायेगी।
वृश्चिक :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
धनु :- अचानक कोई शुभ समाचार मिले, कार्यगति में सुधार होगा तथा चिन्ताएं कम हेंगी, समय का ध्यान रखें।
मकर :- स्थिति यथावत रहे, समय पर सोचे हुए कार्य बनेंगे, कार्यवृत्ति में सुधार होगा।
कुम्भ :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, शरीर-कष्ट, चिन्ता तथा असमंजस की स्थिति बनेगी, ध्यान रखें।
मीन :- इष्ट-मित्र सहायक रहें, दैनिक-कार्यगति में अनुकूलता अवश्य ही बन जायेगी।
इन 5 राशियों को मां दुर्गा की कृपा से नवरात्रि पर जो चाहिए वो मिलेगा
16 Oct, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि 2023 राशिफल: नवरात्रि दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक शुभ त्योहार है। इसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के सभी नौ दिनों में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
माना जाता है कि इन दिनों देवी दुर्गा की पूजा करने से उनके आशीर्वाद के साथ-साथ समृद्धि और सौभाग्य भी मिलता है। इस साल की नवरात्रि वैसे तो सभी के लिए शुभ है लेकिन कुछ राशियों के लिए ये नवरात्रि विशेष कृपा लेकर आने वाली है। इस पोस्ट में आप देख सकते हैं कि वे कौन सी राशि हैं।
मेष
यह त्योहार आपके जीवन में आस्था और आध्यात्मिकता को बढ़ाएगा। धार्मिक यात्रा के अवसर मिलेंगे। आपको दूसरों द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा। सामाजिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी। साहस के साथ लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास होगा.
आप विकास के पथ पर आगे बढ़ेंगे। व्यक्तित्व एवं प्रबंधन मजबूत होगा। कामकाज से जुड़ी परेशानियां दूर होंगी. आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और विभिन्न तरीकों से धन अर्जित किया जा सकेगा। रिश्तों के बीच प्यार, स्नेह और दोस्ती बढ़ेगी। आप प्रतिस्पर्धा और परिश्रम बनाए रखेंगे.
कर्क
आपको अपने जीवन की दीर्घकालिक इच्छाएँ प्राप्त होने की संभावना है। नकदी प्रवाह अच्छा रहेगा. सभी क्षेत्रों में प्रदर्शन उत्तम रहेगा। पूरे परिवार में खुशियाँ बढ़ेंगी। प्रियजनों से शुभ समाचार। संतान का सुख और गौरव बढ़ेगा।
शुभ समाचार मिलेगा और पारिवारिक रिश्ते बेहतर होंगे। चीज़ों के प्रति आपकी लालसा बढ़ेगी। मित्र और प्रियजन सहयोगी बनेंगे। आपकी योजनाओं के अनुकूल परिणाम मिलेंगे।
सिंह
सिंह राशि वालों के लिए यह नवरात्रि बेहद भाग्यशाली रहेगी। अगर आप नई नौकरी की तलाश में हैं तो वह आपको जल्द ही मिल जाएगी। यदि अब तक विवाह में बाधाएं आ रही थीं तो जल्द ही ये दोष दूर हो जाएंगे और आपको विवाह करने का मौका मिलेगा। आपका आर्थिक लाभ बढ़ेगा। आप लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे और प्रयासों में गति आएगी।
उद्यमशीलता एवं परिश्रम में वृद्धि होगी तथा आपके साहस में वृद्धि होगी। बाधाएं स्वत: दूर हो जाएंगी। स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व स्थिर रहेगा। रिश्तों में मधुरता रहेगी और दान-पुण्य में रुचि रहेगी। जो लोग विदेश जाने का इंतजार कर रहे हैं उन्हें इसके लिए मौके मिल सकते हैं।
तुला
तुला राशि वालों के लिए यह नवरात्रि शुभ समाचार लेकर आएगी। इस दौरान तुला राशि के जातकों को मनपसंद नौकरी के अवसर मिलेंगे। उन्हें कोई नया रिश्ता भी मिल सकता है। यह भाग्य, विकास और नई शुरुआत का समय है। आप आत्मविश्वास और सहयोग से आगे बढ़ेंगे। बड़े-बड़े प्रयास समाप्ति की ओर बढ़ते हैं।
आप अपनी जिम्मेदारियां पूरी करेंगे। निजी मामलों में आपको ख़ुशी महसूस होगी। व्यवसाय में वरिष्ठों और सहकर्मियों के बीच सहयोग मिलेगा। लाभ, प्रबंधन और प्रशासन अनुकूल रहेगा.
कुंभ
प्रियजनों के साथ यात्रा मनोरंजन का अवसर बन सकती है। आप अपने प्रियजनों के करीब आएंगे। दोस्तों के साथ संवाद बेहतर होगा। सभी चीजों में सुधार करते रहें. होशियारी से काम करने की आदत बनाएं।
आशाजनक नौकरियों में ख़र्च और निवेश बढ़ेगा। लेन-देन में स्पष्टता रहेगी। दांपत्य जीवन में खुशियां बढ़ेंगी। अवसरों का लाभ उठाएं. महत्वपूर्ण लोगों से रिश्ते बेहतर होंगे। लंबे समय से चल रहे संपत्ति के मामले आपके पक्ष में काम कर सकते हैं।
आज ही अपने घर से बाहर फेंक दें ये चीजें.. वरना हो जाएंगी मां दुर्गा नाराज
16 Oct, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Navratri 2023: हर साल भारत के अलग-अलग हिस्सों में नवरात्रि का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. और वो भी पुरतासी माह की अमावस्या के अगले दिन से शुरू होकर ये नवरात्रि 9 दिनों तक मनाई जाएगी.
तदनुसार इस वर्ष नवरात्रि 15 अक्टूबर को शुरू होती है और 23 अक्टूबर को सरस्वती पूजा और 24 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समाप्त होती है।
नवरात्रि के त्योहार के दौरान, अधिकांश घरों में 9 दिनों के लिए कलश या कोलू रखा जाता है और देवता की पूजा की जाती है। पहले तीन दिन दुर्गा की पूजा की जाती है, अगले तीन दिन देवी लक्ष्मी की और आखिरी तीन दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसे त्योहार पर अगर हमें मां की कृपा पाना है तो हमें घर को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार, नवरात्रि पूजा शुरू करने से पहले घर से उन वस्तुओं को हटा देना चाहिए जो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। अगर इन वस्तुओं को नहीं हटाया गया तो इससे घर में कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाएंगी और देवी दुर्गा का प्रकोप भी झेलना पड़ सकता है। आइए अब देखते हैं कि आपको कौन सी चीजें नवरात्रि से पहले हटा देनी चाहिए।
टूटी हुई मूर्तियाँ
सामान्य तौर पर घर में टूटा हुआ सामान नहीं रखना चाहिए। इसके अलावा अगर घर में देवी-देवताओं की मूर्तियां टूटी हुई हैं और उन्हें अस्त-व्यस्त रखा गया है तो इससे घर में परेशानियां आती हैं। तो अगर आपके घर में भगवान की कोई टूटी हुई मूर्ति है तो आज ही उसे हटा दें।
पुरानी चप्पलें
अगर आपके घर में घिसी-पिटी या बिना पहनी हुई चप्पलें हैं तो उन्हें घर में रखने की बजाय फेंक दें। घर में बेकार जूते रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह दुर्भाग्य भी लाता है। यदि आपके अप्रयुक्त जूते अच्छी स्थिति में हैं, तो आप उन्हें दान कर सकते हैं।
टूटा हुआ चश्मा
यदि आपके घर में कोई टूटा हुआ शीशा है, तो उसे बिना यह गारंटी दिए तुरंत फेंक दें कि आप उसे ठीक कर देंगे। टूटे हुए दर्पण घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाते हैं और विभिन्न समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए अगर आप नवरात्रि पूजा का लाभ पाना चाहते हैं तो इसे नवरात्रि से पहले ही फेंक दें।
घड़ी जो चलती नहीं
आप कई लोगों के घरों में बिना चलती हुई घड़ी देख सकते हैं। क्योंकि वो घड़ियाँ देखने में बहुत खूबसूरत होती हैं। लेकिन घर में बिना चलने वाली घड़ी रखने से घर में बुरी ऊर्जा आकर्षित होती है। इसलिए नवरात्रि से पहले अपने घर में बंद पड़ी घड़ियों को हटा दें। अन्यथा व्यक्ति को देवी दुर्गा का प्रकोप झेलना पड़ सकता है और प्रगति में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
अमावसी के दिन भूलकर भी ना खरीदें ये चीजें.. नहीं तो होगा बड़ा नुकसान
16 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि अमावस्या 2023: अमावस्या हर महीने आती है। अमावस्या तब होती है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही सीधी रेखा में होते हैं। इस दिन सूर्य की विपरीत दिशाएं पृथ्वी पर नहीं पड़ेंगी और पूरी तरह से चंद्रमा के उत्तरार्ध में समा जाएंगी।
एक माह में अमावस्या ही नहीं बल्कि पूर्णिमा भी हो सकती है।
चंद्रमा की ये दो कलाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं। वह भी अमावस्या का दिन पितृ पूजन के लिए उपयुक्त दिन के रूप में समर्पित है। हिंदू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
और आज सिर्फ महालया अमावसी ही नहीं बल्कि शनि अमावसी भी है. इससे यह अमावस्या और भी खास हो जाती है। लेकिन इस अमावस्या के दिन हमें कुछ चीजें खरीदने से बचना चाहिए। अन्यथा, यह घर पर एक बड़ी आपदा का कारण बनेगा। आइए अब जानते हैं कि अमावसी के दिन कौन सी चीजें नहीं खरीदनी चाहिए।
झाड़ू
अमावस्या का दिन पितृों को समर्पित दिन है। ऐसे दिन झाड़ू खरीदने से बचना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार झाड़ू का संबंध देवी लक्ष्मी से है। अमावस्या के दिन झाड़ू खरीदने से देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और आय में रुकावट आती है। साथ ही इससे घर नकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं। इसलिए अमावस्या के दिन भूलकर भी झाड़ू नहीं खरीदना चाहिए।
शराब
चूँकि अमावस्या का दिन पितृ को समर्पित होता है, इसलिए शास्त्र इस दिन शराब खरीदने और पीने से बचने के लिए कहते हैं। जबकि अमावस्या का दिन शनिदेव से जुड़ा है। इसलिए अगर आप इस दिन शराब पीते हैं तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है और आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मांस
शराब की तरह, अमावस के दिन मांस की खरीद या सेवन से बचना चाहिए। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन कोई भी मांसाहारी भोजन खाने से कुंडली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा अमावस के दिन मांस का सेवन करने से शनि जनित परेशानियां और बढ़ जाती हैं।
गेहूं का आटा
अमावस्या के दिन गेहूं और आटा खरीदने से बचना चाहिए। पुरतासी माह की अमावस्या के दौरान खरीदारी करने से भी बचना चाहिए। शायद ऐसे ही खरीदकर खाया जाए तो अशुभ माना जाता है।
सिर पर तेल लगाने से बचें
अमावस्या के दिन सिर पर तेल लगाने से बचना चाहिए। बल्कि इस दिन तेल का दान करना शुभ माना जाता है। जब इसका भी इसी प्रकार दान किया जाता है तो शनि दोष से मुक्ति मिलती है।
पूजा सामग्री
अमावस्या तिथि पितृ पूजन के लिए शुभ दिन है। इस दिन सामी मूर्तियों के लिए पूजा की वस्तुएं जैसे पाटी, कपूर, संपिरानी, फूल, कपड़े खरीदने से बचना चाहिए। इसके विपरीत यदि आप इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करते हैं तो इससे पुण्य मिलेगा और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।
अपूर्णता से पूर्णता की ओर
16 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मनुष्य का बाह्य जीवन वस्तुत: उसके आंतरिक स्वरूप का प्रतिबिम्ब मात्र होता है। जैसे ड्राइवर मोटर की दिशा में मनचाहा बदलाव कर सकता है। उसी प्रकार, जीवन के बाहरी ढर्रे में भारी और आश्चर्यकारी परिवर्तन हो सकता है। वाल्मीकि और अंगुलिमाल जैसे भयंकर डाकू क्षण भर में परिवर्तित होकर इतिहास प्रसिद्ध संत बन गये। गणिका और आम्रपाली जैसी वीरांगनाओं को सती-साध्वी का प्रात: स्मरणीय स्वरूप ग्रहण करते देर न लगी। वामित्र और भतृहरि जैसे विलासी राजा उच्च कोटि के योगी बन गये। नृशंस अशोक बौद्ध धर्म का महान प्रचारक बना। तुलसीदास की कामुकता का भक्ति भावना में परिणत हो जाना प्रसिद्ध है। ऐसे असंख्य चरित्र इतिहास में पढ़े जा सकते हैं। छोटी श्रेणी में छोटे-मोटे आश्चर्यजनक परिवर्तन नित्य ही देखने को मिल सकते हैं। इससे स्पष्ट है कि जीवन का बाहरी ढर्रा जो चिर प्रयत्न से बना हुआ होता है, विचारों में भावनाओं में परिवर्तन आते ही बदल जाता है। मित्र को शत्रु बनते, शत्रु को मित्र रूप में परिणत होते, दुष्ट को संत बनते, संत को दुष्टता पर उतरते, कंजूस को उदार, उदार को कंजूस, विषयी को तपस्वी, तपस्वी को विषयी बनते देर नहीं लगती। आलसी उद्योगी बनते हैं और उद्योगी आलस्यग्रस्त होकर दिन बिताते हैं। दुगरुणियों में सद्गुण बढ़ते और सद्गुणी में दुगरुण उपजते देर नहीं लगती। इसका एकमात्र कारण इतना ही है कि उनकी विचारधारा बदल गई, भावनाओं में परिवर्तन हो गया।
संसार का जो भी भला-बुरा स्वरूप हमें दृष्टिगोचर हो रहा है, समाज में जो कुछ भी शुभ-अशुभ दिखाई पड़ रहा है, व्यक्ति के जीवन में जो कुछ उत्कृष्ट-निकृष्ट है, उसका मूल कारण उसकी अंत:स्थिति ही होती है। धनी-निर्धन, रोग-नीरोग, अकाल मृत्यु-दीर्घ जीवन, मूर्ख-विद्वान, घृणित-प्रतिष्ठत और सफल-असफल का बाहरी अंतर देखकर उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जाता है। यह बाहरी भली-बुरी परिस्थितियां मनुष्य के मनोबल, आस्था और अंत:प्रेरणाओं की प्रतीक हैं।
भाग्य यदि कभी कुछ करता होगा तो निश्चय ही उसे पहले मनुष्य की मनोरुचि में ही प्रवेश करना पड़ता होगा, जिसकी अंत:गतिविधियां सही दिशा में चलने लगीं हैं। किंतु जिसका मानसिक स्तर चंचलता, अवसाद, अवास, आलस्य, आवेश, दैन्य आदि से दूषित हो रहा है, उसके लिए अच्छी परिस्थितियां और अच्छे साधन उपलब्ध होने पर भी दुर्गति का ही सामना करना पड़ेगा।