मध्य प्रदेश
खंडवा लोकसभा सीट पर रहता है महाराष्ट्र की राजनीति का असर
17 Jan, 2024 11:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी अपनी जीत को साथ लेकर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है, तो कांग्रेस भी हार के सबक लेकर लोकसभा चुनाव में नई तैयारियों के साथ जुटी है। गौरतलब है कि प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें आती हैं, 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने एकतरफा 28 सीटें जीती थी, जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीती थी। अब बीजेपी का लक्ष्य पूरी 29 सीटों पर हैं, तो वहीं कांग्रेस भी अपने प्रदर्शन को सुधारने के प्रयास में लगी है। बात अगर प्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट की जाए तो यह सीट बीजेपी और कांग्रेस के लिए बेहद अहम मानी जाती है।
खंडवा लोकसभा सीट राज्य में निमाड़ की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है। खंडवा लोकसभा सीट सामान्य के लिए आरक्षित है। ये सीट महाराष्ट्र के इलाकों से सटी हैं, ऐसे में इस सीट पर महाराष्ट्र की सियासत का भी असर दिखता है। खास बात यह है कि यह सीट मध्य प्रदेश में बीजेपी का मजबूत किला मानी जाती है, जहां बीजेपी लगातार जीत हासिल कर रही है। इस सीट से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष स्व। कुशाभाऊ ठाकरे, स्व। नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अरुण यादव प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से इस बार भी यहां कांग्रेस की राह मुश्किलों भरी होगी। इस खबर में हम आपको खंडवा लोकसभा सीट के समीकरणों के बारे में बताएंगे।
दरअसल, है कि खंडवा सीट से सबसे ज्यादा नंदू भैया यानि नंद कुमार सिंह चौहान सबसे ज्यादा जीतने वाले सांसद रह चुके हैं। यहां की आम जनता ने उन्हें 6 बार चुनकर संसद भवन तक पहुंचाया था। खंडवा लोकसभा सीट पर सबसे पहले 1962 में चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस के महेश दत्ता ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1967 और 1971 में भी कांग्रेस ने सीट संभाल कर रखी। लेकिन साल 1977 में खंडवा की जनता ने भारतीय लोकदल को यहां से जीता दिया। हालांकि 1980 में यहां फिर कांग्रेस का पंजा उठा और शिवकुमार नवल सिंह सांसद चुने गए। 1984 में फिर कांग्रेस से कालीचरण रामरतन जीते लेकिन पहली बार 1989 में यहां से बीजेपी ने जीत हासिल की। हालांकि बीजेपी ज्यादा दिन यहां पैर नहीं जमा पाई, और साल 1991 में कांग्रेस फिर कांग्रेस आ गई।
बीजेपी के यहां पहली बार 1996 में कमल खिलाया। 1996 में लोकसभा चुनाव में पार्टी ने नंदकुमार सिंह चौहान को मैदान में उतारा, और नंदू भैया ने यहां कमल खिला दिया। इसके बाद वे अगले 3 चुनाव भी जीतने में कामयाब रहे लेकिन 2009 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के अरूण यादव ने हरा दिया। लेकिन साल 2014 की मोदी लहर में नंदू भैया फिर खंडवा से सांसद बनते हैं, और साल 2019 तक वो इस सीट को अपने कब्जे में रखते है। लेकिन उनके निधन के बाद यह सीट होती है और फिर यहां से बीजेपी ही जीत हासिल करती रही है। 2022 में नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने जीत हासिल की थी।
खंडवा लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें खंडवा, बुरहानपुर, नेपानगर, पंधाना, मांधाता, बड़वाह, भीकनगांव और बागली शामिल हैं। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव 2023 में इन 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर बीजेपी, 1 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया हुआ है। यहां आने वाली सिर्फ एक विधानसभा सीट भीकनगांव पर कांग्रेस को जीत मिली है बाकी सभी सातों सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस तरह सीटों के समीकरण के हिसाब से ऊपरी तौर पर इस लोकसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा नजर आ रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव के हिसाब से खंडवा लोकसभा सीट पर कुल 19 लाख 59 हजार 436 वोटर हैं। इनमें से 9 लाख 89 हजार 451 पुरुष और 9 लाख 49 हजार 862 महिला वोटर हैं। 2019 लोकसभा चुनाव में खंडवा सीट बीजेपी के खाते में गई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर नंदकुमार सिंह चौहान ने करीब 2 लाख 73 हजार मतों से कांग्रेस के अरुण यादव को हराया था। नंदकुमार सिंह तो कुल 8 लाख 38 हजार से ज्यादा मत मिले। लेकिन नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के बाद यहां साल 2021 में उपचुनाव हुए। जिसमें भी बीजेपी को बंपर जीत मिली। खंडवा लोकसभा सीट बीजेपी प्रत्याशी ज्ञानेश्वर पाटिल ने 82140 वोटों से जीती। यहां से 632455 वोट ज्ञानेश्वर पाटिल को मिले, जबकि 550315 वोट कांग्रेस के राज नारायण सिंह को मिले।
खंडवा लोकसभा के जातीय समीकरण की अगर बात की जाए तो यहां अनुसूचित जाति और जनजाति का खासा दबदबा है। 2019 लोकसभा के मुताबिक यहां एससी-एसटी वर्ग के 7 लाख 68 हजार 320 मतदाता हैं। 4 लाख 76 हजार 280 ओबीसी के, अल्पसंख्यक 2 लाख 86 हजार 160 और सामान्य वर्ग के 3 लाख 62 हजार 600 मतदाता हैं। इसके अलावा अन्य की संख्या 1500 है। इस सीट पर आदिवासी और अल्पसंख्यक वोट बैंक को निर्णायक माना जा रहा है।
बता दें कि यहां होने वाले लोकसभा चुनाव में हमेशा खंडवा बनाम बुरहानपुर का मुद्दा हमेशा लोगों की जुबां पर रहा है। इसकी वजह ये है कि यहां बीजेपी पिछले 12 चुनावों से लगातार बुरहानपुर से कैंडिडेट उतार रही है। जबिक कांग्रेस ने पिछले चुनाव में खंडवा से प्रत्याशी उतारा था। खंडवा शहर के लोग इस बात से हमेशा बीजेपी से नाराज आते हैं। बीजेपी ने सिर्फ 4 बार लोकल उम्मीदवार उतारा है, वहीं कांग्रेस ने भी 4 उम्मीदर लोकल उतारें हैं।
खंडवा लोकसभा सीट निमाड़ अंचल का केंद्र मानी जाती है, ऐसे में बीजेपी यहां पूरा जोर लगाएगी, जबकि कांग्रेस भी इस बार कोई मौका नहीं छोडऩा चाहती है। खंडवा लोकसभा सीट पर अब भी कई समस्याएं हैं, बुरहानपुर में केला की खेती, खंडवा में किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा और पर्यटन की दृष्टि से इस क्षेत्र में बहुत काम होना बाकी है।
लोकसभा चुनाव में माइक्रो मैनेजमेंट प्लान पर काम करेगी भाजपा
17 Jan, 2024 10:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा विधानसभा चुनाव की तरह ही बूथ प्रबंधन पर जोर देगी। इसके लिए पार्टी माइक्रो मैनेजमेंट प्लान पर काम करेंगी। इस संदर्भ में 11 जनवरी को प्रदेश स्तरीय बैठक हो चुकी हैं। अब प्रत्येक लोकसभा की बैठक की जाएगी। संभागवार और जिलेवार बैठकोंं के माध्यम से सभी 29 लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी तैयारी की जाएगी। मप्र में संभाग और जिलेवार बैठकें कर भाजपा लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी। पार्टी वरिष्ठ पदाधिकारियों को संभाग प्रभारी बनाएगी। यह प्रभारी संभाग की बैठकें करेंगे और हारे हुए विधानसभा क्षेत्र में बूथवार समीक्षा की जाएगी। वहीं भाजपा को जिन बूथों पर अधिक वोट मिले है वहां 10 प्रतिशत अतिरिक्त वोट प्रतिशत बढ़ाने पर जोड़ दिया जाएगा। संभाग के बाद जिलेवार बैठकें होगी और भाजपा शीर्ष नेतृत्व के माइक्रो मैनेजमेंट प्लान के अनुरूप कार्ययोजना बनाकर पार्टी कार्यकर्ता केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से आमजन के बीच जाएंगे।
दिसंबर माह में दिल्ली में हुईं भाजपा की दो दिवसीय राष्ट्रीय पदाधिकारी बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नई रणनीति के तहत लोकसभा चुनाव में जुटने की बात कही थी। इसी नई रणनीति के अनुरूप मध्य प्रदेश भाजपा चुनावी तैयारी में जुटेगी। बता दें कि शाह ने मध्य प्रदेश के नवाचारों की सराहना भी की थी। मध्य प्रदेश में भाजपा की बंपर जीत में प्रदेश के बूथ माडल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में वोट शेयर बढ़ाने के लिए बूथ प्रबंधन पर जोर दिया जाएगा।
भाजपा का जोर इस बात पर खास तौर है कि रणनीति केवल चुनाव जीतना नहीं, बल्कि उद्देश्य यह हो कि पार्टी को हर वर्ग तक पहुंचना है, जिससे कि दशकों तक भाजपा को कोई हिला न सके। पार्टी का फोकस उन जाति वर्गों की तरफ भी है, जो किसी दल के नेतृत्व से अधिक जुड़ाव रखते हैं और भाजपा को उनकी तुलना में उस वर्ग का कम वोट मिलता है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का पहाड़
17 Jan, 2024 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी मात के बाद आलाकमान ने जीतू पटवारी को प्रदेश की कमान सौंप दी है। उधर, प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद से ही पटवारी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। विधानसभा चुनाव की परीक्षा में फेल रही कांग्रेस के सामने अब लोकसभा का टेस्ट है। इस टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए पटवारी ने पूरी तरह कमर कस तो ली है, लेकिन उनके सामने चुनौतियां भी कम नहीं हैं। सबसे बड़ी चुनौती नए और पुराने नेताओं में बैलेंस बनाना है, वहीं जिताऊ प्रत्याशी खोजना भी बड़ा चैलेंज है।
मप्र में कांग्रेस के लिए गुटबाजी सबसे बड़ी समस्या रही है। विधानसभा चुनाव में भी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की तल्खी खुलकर सामने आई थी। विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कमलनाथ की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी। सूबे में संगठन की कमान जीतू पटवारी को सौंप दी। जीतू पटवारी की इमेज ऐसे नेता की है जो किसी गुट के नहीं हैं। जीतू की गिनती पार्टी के युवा नेताओं में होती है। पार्टी में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह, अजय सिंह राहुल, अरुण यादव जैसे पुराने कद्दावर भी हैं। ऐसे में नए और पुराने नेताओं के बीच बैलेंस बनाना भी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी।
कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती 29 लोकसभा सीटों वाले सूबे में सीटों की संख्या दो अंकों में ले जाने की है। पार्टी 2014 में जहां दो सीटें ही जीत सकी थी। वहीं, 2019 में महज एक सीट पर सिमट गई। कांग्रेस 2019 के चुनाव में छिंदवाड़ा सीट ही जीत सकी थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे देखें तो कांग्रेस को 66 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। लोकसभा सीट के लिहाज से देखें तो कांग्रेस करीब 10 लोकसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाने में सफल रही थी। अब पार्टी के सामने लोकसभा चुनाव में यह बढ़त बनाए रखने की चुनौती होगी लेकिन सबसे अधिक मुश्किल टास्क कार्यकर्ताओं में जोश भरने को माना जा रहा है। विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरने का चैलेंज पार्टी के सामने होगा, साथ ही ऐसे मुद्दों की तलाश भी करनी होगी जो प्रभावी सिद्ध हो सके। जिस तरह से पीएम मोदी का नाम आगे कर भाजपा ने विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की है, जब चुनाव खुद मोदी से जुड़ा है तब कांग्रेस के लिए जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश भी आसान नहीं। कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन के लिए कमेटी बना दी है। कमेटी हर सीट से चार उम्मीदवारों के नाम तय करेगी और इसे शीर्ष नेतृत्व को भेजेगी। कहा जा रहा है कि इन्हीं चार में से किसी एक को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया जाएगा।
मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहता है। पिछले यानी 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने 58.5 फीसदी वोट शेयर के साथ सूबे की 29 में से 28 सीटें जीती थीं। वहीं, कांग्रेस 34.8 फीसदी वोट शेयर के साथ एक सीट ही जीत सकी थी। कांग्रेस और भाजपा के बीच करीब 24 फीसदी वोट का अंतर है। कांग्रेस के सामने वोट शेयर के लिहाज से ये बड़ा गैप भरने की चुनौती होगी ही, हर लोकसभा चुनाव में वोट शेयर गिरने का ट्रेंड बदलने का चैलेंज भी होगा। मध्य प्रदेश में पिछले 32 साल का चुनावी अतीत देखें तो कांग्रेस वोट शेयर के लिहाज से भाजपा के मुकाबले पिछड़ रही है। साल 1991 में कांग्रेस का वोट शेयर भाजपा के मुकाबले अधिक रहा था। तब कांग्रेस को 45 फीसदी वोट मिला था। भाजपा कांग्रेस के मुकाबले करीब तीन फीसदी कम 42 फीसदी वोट तक ही पहुंच सकी थी। यह गिरावट तब भी जारी रही जब सूबे में कांग्रेस की सरकार रही। 1996, 1998, 1999 और 2019 लोकसभा चुनाव के समय सूबे की सत्ता पर कांग्रेस ही काबिज थी लेकिन फिर भी भाजपा वोट शेयर के मामले में कहीं आगे रही थी।
बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की तैयारी में सरकार!
17 Jan, 2024 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । प्रदेश की मोहन सरकार नए सिरे से प्रशासनिक जमावट करने जा रही है। मंत्रालय से लेकर जिलों में पदस्थ अफसरों के तबादले किए जाएंगे। इसके लिए सूचियां तैयार कर ली गई हैं। सूत्रों को कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के दिशा निर्देश पर तैयार की गई तबादले की सूचियां जल्द जारी की जाएंगी। गौरतलब है कि प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद से अभी तक कुछ जरूरी अफसरों के ही तबादले किए गए हैं। अब बड़े स्तर पर तबादले होंगे। इसमें 31 जिलों के कलेक्टर और इतने ही पुलिस अधीक्षक, 3 संभागायुक्त, रेंज आईजी, भोपाल-इंदौर के पुलिस आयुक्त बदले जा सकते हैं। इसके अलावा मंत्रालय एवं विभागाध्यक्ष कार्यालयों प्रमुखों को भी बदले जाना है। इसको लेकर मंत्रालय स्तर पर बड़ी तैयारी हो चुकी है।
मंत्रालयीन सूत्रों के अनुसार, डॉ. मोहन यादव सरकार ने मंत्रालय के 6 अतिरिक्त मुख्य सचिव, 8 प्रमुख सचिव और कुछ सचिव के नामों की लिस्ट तैयार करा ली है। बस इस लिस्ट को अंतिम रूप देकर अफसरों को यहां से वहां किए जाने के आदेश जारी होना ही बाकी है। इसके साथ ही प्रदेश के 15 ऐसे कलेक्टरों की दूसरी लिस्ट बनवाई गई है जो कि शिवराज सरकार के कार्यकाल में मुख्य सचिव और उनके ओएसडी के खास रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश पर अफसरों की तबादला लिस्ट बनाए जाने को प्रक्रिया आरंभ भी हो चुकी है। इसका नतीजा बड़ी प्रशासनिक सर्जरी के रूप में जल्द ही सामने आ सकता है।
बताया जा रहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने पुरानी सरकार के मुख्य सचिव व उनके ओएसडी के खास अधिकारियों की लिस्ट बनाई है। इसी तरह से तीसरी लिस्ट भी तैयार हो रही है, जिसमें प्रदेश के 4 संभागीय कमिश्नर और लगभग आधा दर्जन कार्पोरेशन के एमडी, 3 नगर निगम के आयुक्त के नाम दर्ज हैं। इनका तबादला किए जाने के आदेश शीघ्र जारी हो सकते हैं। इनके अलावा चौथी लिस्ट मध्य प्रदेश पुलिस विभाग के 4 आईजी, 1 डीआईजी और 17 पुलिस अधीक्षकों की है, जिनका स्थानांतरण होना लगभग तय हो गया है। सूत्र बताते हैं कि वरिष्ठ अफसरों को मंत्रालय से ट्रांसफर लिस्ट जल्द जारी होने की खबर लग चुकी है। इसलिए ये अफसर अब मंत्रालय के सोएस कार्यालय, सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने में जुटे हैं। इस दौरानं कुछ अफसर अपने मौजूदा कार्यालय से कॉल करके या कुछ अफसर अपना विभागीय कार्य होना बताकर मंत्रालय तक आना-जाना भी कर रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंजूरी मिलने के बाद ही वरिष्ठ अफसरों के तबादले की सभी चारों लिस्ट जारी की जाएंगी, जिसमें कुछ समय भी लग सकता है।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार अफसरों की सूची पर मुख्यमंत्री की अंतिम मुहर लगना बाकी है। बताया गया कि पिछले एक हफ्ते से सामान्य प्रशासन विभाग (कार्मिक) में देर रात तक नई प्रशासनिक जमावट को लेकर बेहद गोपनीय ढंग से काम चला है। तबादला सूची एक साथ न आकर टुकड़ों में भी आ सकती हैं। शासन ने 40 से ज्यादा कलेक्टरों को बदलने की तैयारी की, जिनमें से 9 जिले बैतूल, उज्जैन, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, शाजापुर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, और गुना कलेक्टर बदले जा चुके हैं। इनमें 3 को मंत्रालय बुलाया है, जबकि 4 को दूसरे जिले का कलेक्टर बनाया दिया है। तबादलों में देरी की वजह राजनीतिक चर्चा को बताया जा रहा है।
नई प्रशासनिक जमावट में चारों बड़े जिले इंदौर, भोपाल, जबलपुर और उज्जैन के कलेक्टर बदले जा चुके हैं। जबकि ग्वालियर, शहडोल, पन्ना, भिंड, शिवपुरी, श्योपुर, छिंदवाड़ा, विदिशा, नीमच, सीहोर, सतना, रीवा, बड़वानी, सागर, रायसेन, सिंगरौली, धार, हरदा, खंडवा, राजगढ़, छतरपुर, बालाघाट, डिंडौरी, कटनी, सीधी, निवाड़ी, देवास, मुरैना, बुरहानपुर, अलीराजपुर जिले भी प्रभावित हो सकते हैं।
संभागायुक्त में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर बदले जा सकते हैं। रीवा संभागायुक्त को हटाया जाज चुका है। भोपाल संभागायुक्त पवन शर्मा प्रमुुख सचिव बन चुके हैं। उन्हें मंत्रालय में बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है। उन्हें मजबूत पृष्टभूमि वाले अधिकारियों में गिना जाता है।
पुलिस महकमे में भी बड़े बदलाव पर मंथन हो चुका है। जिसमें पुलिस मुख्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों की अदला बदली होगी। इंदौर, भोपाल पुलिस आयुक्त बदले जाना हैं। साथ ही रेंज आईजी एवं डीआईजी भी प्रभावित होंगे। 31 से ज्यादा जिलों के एसपी बदले जाने की तैयारी हैं। यह संख्या ज्यादा भी हो समती है।
भोपाल गैस पीड़ितों के मामले में पूर्व CS बैंस समेत 9 अधिकारी अवमानना का नोटिस, कल से होगी सुनवाई
16 Jan, 2024 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के जस्टिस शील नागू और जस्टिस देवनारायण मिश्र की ने केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार के 9 उच्च अधिकारियों को अवमानना मामले में नोटिस जारी किया गया है। यह नोटिस 20 दिसंबर 2023 को जारी किए गए। हालांकि यह सामने अभी आए है। इस नोटिस में 16 जनवरी तक अधिकारियों को जवाब देने को कहा गया था। अब मामले में बुधवार यानी 17 जनवरी से सुनवाई शुरू होगी। आदेश में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को भोपाल गैस पीड़ितों को सही इलाज एवं शोध व्यवस्था ना प्रदान कर पाने और सुप्रीम कोर्ट के भोपाल गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य के मामले में 9 अगस्त 2012 के आदेश की लगातार अवमानना का दोषी पाया है। इसको लेकर कोर्ट ने अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने एवं न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा-2 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।
इन अधिकारियों को पाया दोषी
इसमें केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के पूर्व सचिव राजेश भूषण, केंद्र सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की पूर्व सचिव आरती आहूजा, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर की पूर्व डायरेक्टर डॉ. प्रभा देसिकान, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एनवायर्नमेंटल हेल्थ, आईसीएमआरएस के संचालक डॉ. आरआर तिवारी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक् मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान, आईएनसी के राज्य सूचना अधिकारी अमर कुमार सिंहा, आईएनसीएसआई विनोद कुमार विश्वकर्मा, आईसीएमआर की पूर्व सीनियर डिप्टी संचालक आर रामा कृष्णन शामिल है।
आपने पीआईएल की अवधारणा को मजाक बना दिया
कोर्ट ने इन सभी अधिकारियों पर लगाए गए चार्ज में लिखा है "सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित निगरानी समिति के जुलाई 2023 की रिपोर्ट निगरानी समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि 10.5 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बावजूद आप सभी प्रतिवादियों ने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ इस न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में कोई तत्परता या ईमानदारी नहीं दिखाई है। गैस पीड़ितों को अधर में छोड़ दिया जा रहा है। आप सभी प्रतिवादियों ने इन आदेश के अनुपालन की प्रक्रिया में इतनी ढिलाई बरती कि आप सभी ने (पीआईएल) की अवधारणा को एक मजाक बना दिया है। इस न्यायालय को गैस पीड़ितों के प्रति आपकी असंवेदनशीलता को छोड़कर आपके उत्तरदाताओं की ओर से ढिलाई के पीछे कोई अच्छा कारण नहीं दिखता है।"
दोषी अधिकारियों की सजा मिसाल बनना चाहिए
भोपाल ग्रुप फॉर इनफार्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा ने बताया कि न्यायपालिका के इस आदेश का हम सभी गैस पीड़ित संगठन स्वागत करते है और इस आदेश को मिसाल बनाना चाहिए, ताकि जिन अधिकारियों के वजह से गैस पीड़ितों की स्वास्थ्य व्यवस्था की यह हालत बनी है। उन सभी अधिकारियों को मिसाल दायक सजा भी मिलनी चाहिए। इस मामले में कोर्ट ने सभी अधिकारियों को 16 जनवरी तक आदेश देने को कहा था। अब बुधवार से मामले की सुनवाई शुरू होगी।
एमपी को BJP ने सात क्लस्टर में बांटा, नरोत्तम को बड़ी जिम्मेदारी, कैलाश-सारंग और पटेल को मिला ये काम
16 Jan, 2024 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा ने तैयारियां करनी शुरू कर दी हैं। मंगलवार को चुनावी तैयारियों को लेकर एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह शामिल रहे। इस बैठक में मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को 7 क्लस्टरों में बांटा गया है। हर क्लस्टर में औसतन तीन से चार लोकसभा सीटें होंगी। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विश्वास सारंग और प्रहलाद पटेल भी शामिल हुए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना और रणनीतियों को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। पार्टी ने प्रदेश को सात क्लस्टर में बांटा है। इनमें ग्वालियर संभाग, भोपाल संभाग, उज्जैन संभाग, इंदौर संभाग, जबलपुर संभाग और रीवा-शहडोल संभाग, सागर संभाग शामिल हैं। इन सभी क्लस्टर्स का प्रभारी मंत्रियों को बनाया गया है। सूत्रों के मुताबिक, ग्वालियर संभाग की जिम्मेदारी पूर्व मंत्री और विधायक का चुनाव हारे डॉ. नरोत्तम मिश्रा को दी गई है। जबकि भोपाल संभाग की जिम्मेदारी मंत्री विश्वास सारंग, उज्जैन संभाग की जिम्मेदारी मंत्री जगदीश देवड़ा, रीवा-शहडोल की जिम्मेदारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला, इंदौर संभाग की जिम्मेदारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जबलपुर संभाग की जिम्मेदारी मंत्री प्रहलाद पटेल और सागर संभाग का प्रभारी विधायक भूपेंद्र सिंह को बनाया गया है। पार्टी ने सभी लोकसभा चुनाव के प्रभारियों और संयोजकों के नाम तय कर लिए गए हैं, शीघ्र इनकी घोषणा की जाएगी।
एमपी में शुरू हुआ लोकसभा चुनाव अभियान
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने सोमवार से अपने लोकसभा चुनाव अभियान का श्रीगणेश भी कर दिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली में “एक बार फिर से मोदी सरकार” के संकल्प के साथ देशभर में दीवार लेखन के कार्यक्रम की शुरुआत की है। वहीं प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भोपाल में वार्ड क्रमांक-45 के बूथ क्रमांक-159 पर दीवार लेखन कर पार्टी का चुनाव-चिन्ह कमल बनाकर मध्यप्रदेश में भी दीवार लेखन अभियान की शुरुआत की है।
कांग्रेस MLA जंडेल गायों को लेकर पहुंचे कलेक्ट्रेट, कहा- मांग नहीं मानी गई तो CM हाउस जाऊंगा
16 Jan, 2024 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्योपुर । अपने अजब-गजब अंदाज के लिए सुर्खियों में रहने वाले श्योपुर कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल शनिवार को किसानों के साथ हाथ में डंडा लिए आवारा गौवंश को शहर से जंगल की ओर हांकते नजर आए। उन्होंने यह कदम आवारा गौवंश की वजह से हो रहे सड़क हादसों और जिले की बंद पड़ी गौशालाओं के विरोध में उठाया है। कांग्रेस विधायक ने चेतावनी देते हुए कहा, अगर बंद पड़ी गौशालाओं को प्रशासन जल्द शुरू नहीं किया तो आने वाले दिनों में गौवंश को कलेक्ट्रेट के अंदर घुसा दूंगा और इस मुद्दे को विधानसभा में भी उठाऊंगा। हाथों में डंडा और गले में गमछा डाले हुए कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल ने सड़क पर घूम रहे गौवंश को लेकर नए अंदाज में विरोध जताते हुए नजर आए। शहर के बंजारा डैम से लेकर पटेल चौक, रामतलाई मंदिर और नैरोगेज रेलवे स्टेशन होते हुए पूरे शहर में गौवंश को किसानों के साथ हांककर कलेक्ट्रेट के सामने से होकर जंगल तक ले जाया गया। कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन करते हुए विधायक ने कहा कि कमलनाथ सरकार के समय प्रदेश भर के साथ श्योपुर जिले में भी कई गौशालाओं का निर्माण कराया गया। लेकिन, कुछ महीनों के बाद बीजेपी जैसे ही सत्ता में आई, वैसे ही गौशालाओं को बंद कर दिया गया। विधायक का आरोप है कि गाय और धर्म के नाम पर भाजपा राजनीति करती है। लेकिन हकीकत यह है कि जिस गौमाता के शरीर में देवी देवताओं का निवास है। उन्हें सड़कों पर बेसहारा छोड़ रखा है।
बेसहारा मवेशियों की वजह से आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। कई युवा बेमौत मर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन के अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अधिकारी बेसहारा गौवंश को गौशालाओं में भिजवा दें और बंद पड़ी गौशालाओं को जल्द शुरू कर दें, नहीं तो आने वाले दिनों में वह गौवंश को कलेक्ट्रेट में घुसा देंगे और इस मामले को विधानसभा में भी उठाएंगे। कांग्रेस विधायक का कहना है कि बीजेपी धर्म और गायों की नाम पर राजनीति तो करती है। लेकिन सड़कों पर निराश्रित घूम रही हजारों गायों पर बीजेपी का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। कमलनाथ की सरकार के समय कई गौशालाओं का निर्माण कराया गया। लेकिन बीजेपी ने सत्ता में आते ही उन्हें बंद कर दिया। अब निराश्रित गोवंश सड़कों पर भटक रहे हैं, जिसकी वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। कई बेगुनाह नौजवानों की हादसों में जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी किसान और धर्म विरोधी है, गायों की हत्यारी है। अधिकारी बंद गौशालाओं को तत्काल चालू करवाकर गायों को गौशालाओं में भिजवा दें।
कृषि मंत्री कंषाना ने आत्मा प्रोजेक्ट के संविदा कर्मियों के मानदेय बढ़ाने के दिए निर्देश
16 Jan, 2024 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने आत्मा प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे संविदा कर्मियों को मकर संक्रांति पर सौगात दी है। उन्होंने संविदा कर्मियों के मानदेय में वृद्धि किए जाने निर्देश दिए है। मंत्री ने तत्काल आदेश जारी करने को कहा है। कृषि मंत्री ने बताया है कि वर्ष 2023-24 के लिए आत्मा प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे सहायक अमले के मानदेय में वृद्धि को सहमति प्रदान कर दी गई है। इससे सहायक अमले के वेतन में 1270 रुपए से लेकर लगभग 2333 रुपए तक की वृद्धि होगी। आत्मा प्रोजेक्ट के सहायक अमले में कार्य कर रहे हैं कंप्यूटर प्रोग्रामर के वेतन में 1270 रुपए, लेखापाल सह लिपिक को 1731 रुपए, असिस्टेंट टेक्नोलॉजी मैनेजर को 1910 रुपए और ब्लॉक टेक्नोलॉजी मैनेजर को 2333 रुपए का लाभ होगा।
विदिशा के लटेरी स्वास्थ्य केंद्र में धमाके से मची अफरा-तफरी, स्टोर रूम रखे फ्रीज में हुआ ब्लास्ट
16 Jan, 2024 12:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विदिशा । लटेरी स्वास्थ्य केंद्र में बने स्टोर रूम के फ्रीज में अचानक ब्लास्ट होने से अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। बताया जा रहा है कि देर शाम लगभग पांच बजे लटेरी स्वास्थ्य केंद्र के स्टोर रूम में रखे एक फ्रीज में ब्लास्ट होने की वजह से आग लग गई। फ्रीज में लगातार ब्लास्ट होने की वजह से भयंकर धुएं के गुबार उठने लगे। अस्पताल में भर्ती मरीजों को इस धुएं से परेशानी का सामना करना पड़ा। धमाका किस वजह से हुआ है, इसका पता नहीं चला है। फिलहाल घटना की जांच की जा रही है। अस्पताल में डिलीवरी कराने आई महिलाओं के बच्चों को लेकर परिजन तत्काल जच्चा वार्ड से बाहर आ गए। बताया जा रहा है कि ब्लास्ट स्टोर रूम के रखे फ्रीज में हुआ। लगभग आधे घंटे से लटेरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रत्येक कमरे में धुआं भरा हुआ था, जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
शिवपुरी के बदरवास क्षेत्र में गुना से लौट रही एक अर्टिगा कार डिवायडर से टकरा गई, जिससे चार लोगों की मौत
16 Jan, 2024 11:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिवपुरी । शिवपुरी के बदरवास क्षेत्र में गुना से लौट रही एक अर्टिगा कार डिवायडर से टकरा गई। जिससे उसमें बैठे चार लोगों की मौत हो गई। सभी लोग अशोक नगर के बताए जा रहे हैं। घटनाक्रम के मुताबिक अशोक नगर के रहने वाले लोग अर्टिगा कार से गुना से ग्वालियर की ओर जा रहे थे। बदरवास के पास अर्टिगा कार की गति तेज होने से वह अनियंत्रित हो गई और डिवायडर से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि उसमें बैठे तीन लोगों की मौत मौके पर हो गई। घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई है। हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि अर्टिगा में कुल कितने लोग थे और कितने घायल हुए हैं। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। घटना के बाद आसपास के लोग एकत्रित हो गए और अर्टिगा में बैठे लोगों को बचाने लगे।
घटना में मरने वालों में शिवजी यादव पुत्र ब्रजेश यादव उम्र 28 वर्ष निवासी वरवटपूरा गुना, गोलू परिहार, प्रदीप पुत्र रंजीत परिहार उम्र 27 वर्ष निवासी छपराई जिला अशोकनगर, केशपाल पुत्र इन्द्रभाम परिहार उम्र 26 वर्ष निबासी छपराई जिला अशोकनगर शामिल हैं। घटना में समंदर पुत्र मदनलाल सेलर उम्र 38 वर्ष निवासी वरवट पूरा कुसमोदा जिला गुना, जसवंत पुत्र धन्नालाल गोर उम्र30, निबासी गांधी बोकेशनल कालोनी गुना, कल्याण केवट निबासी वरवट पूरा जिला गुना है। इन सभी को गुना अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
शासकीय माध्यमिक शाला में निरीक्षण करने पहुंचे थे जिला पंचायत उपाध्यक्ष,निरीक्षण के दौरान शाला से गायब मिली शिक्षिका
16 Jan, 2024 11:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । जिले की ग्राम पंचायतों में शासकीय स्कूलों के हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। यहां पर विद्यार्थी तो समय पर पहुंच जाते हैं, लेकिन शिक्षक लेटलतीफ ही पहुंच रहे हैं। इस वजह से उनकी पढ़ाई पिछड़ती जा रही है। जब जिला पंचायत के उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने सोमवार को दोपहर तीन बजे फंदा की ग्राम पंचायत कलखेड़ा के शासकीय स्कूल का निरीक्षण किया तो कुछ ऐसे ही हालात नजर आए। यहां शिक्षक को अनुपस्थित पाकर वह नाराज हो गए और उन्होंने उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी से मामले की शिकायत करते हुए कार्रवाई करने के लिए कहा है।
जानकारी के अनुसार फंदा की ग्राम पंचायत कलखेड़ा के शासकीय माध्यमिक शाला स्कूल का शिक्षा समिति के अध्यक्ष, जिला पंचायत उपाध्यक्ष मोहन सिंह जाट ने औचक निरीक्षण किया। यहां पहुंचकर उन्हें पता चला कि विज्ञान विषय की शिक्षिका वृंदा शर्मा एक महीने से अधिक समय से बिना सूचना के स्कूल से गायब हैं। स्कूल में 130 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिनका भविष्य अंधकार में है। उपाध्यक्ष ने बताया कि स्कूल में आठ शिक्षक पढ़ाने के लिए आते हैं, जब उपस्थिति रजिस्टर देखा तो उसमें से एक शिक्षिका वृंदा शर्मा अनुपस्थित थी। शाला प्रभारी संदीप भार्गव से पूछताछ की तो बताया कि शिक्षिका कहां हैं, कोई जानकारी नहीं है। इस पर उपाध्यक्ष ने जिला शिक्षा अधिकारी को फोन कर शिक्षिका पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
छतरपुर में संचालित शराब फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की मौत से अब तक पर्दा नहीं उठ सका
16 Jan, 2024 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
छतरपुर । छतरपुर जिले के नौगांव में संचालित शराब फैक्ट्री जैकपिन ब्रैवरेज प्रालि में मजदूरों की मौत का मामला जांच रिपोर्ट और अधिकारियों की अनदेखी में उलझकर रह गया है। दो मजदूरों की मौत हो गई और तीन मजदूर गंभीर हुए थे। यह वो मजदूर थे जो करीब एक महीने पहले शराब फैक्ट्री में काम करने आए थे। जिनको कंपनी की और से 15 हजार रुपये महीना दिया जाता था। खतरनाक हालातों में काम कराने वाली शराब फैक्ट्री संचालक ने इन मजदूरों को सुरक्षा उपकरण और बेहतर व्यवस्थाएं तक देना जरूरी नहीं समझा। बंद कमरे में दम घुटने से मौत हुई या गेट पर छटपटाकर किस कारण मजदूरों की मौत हो गई इसकी हकीकत अभी तक सामने नहीं आ सकी है। झूठ पर झूठ बोलने वाले जिम्मेदार लाेग घटना पर पर्दा डालते रहे हैं। अब विसरा रिपोर्ट आनी बाकी है। यह रिपोर्ट मजदूरों की मौत की हकीकत बयां करेगी। लेकिन मजदूरों की छटपटाहट, नौगांव के डाक्टरों की दम घुटने वाली रिपोर्ट और जिला अस्पताल के डाक्टरों ने करंट लगना बताया। एक घटना के तीन एंगल सामने आने से मामला संदिग्ध ही बना हुआ है। मजदूरों के स्वजनों को क्या राहत दी गई या उनको खाली हाल डरा धमकाकर चलता कर दिया यह जानने के लिए फैक्ट्री संचालक निखिल बंसल को उनके फोन पर काल किया गया लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया।
आबकारी अधिकारी बोले वो मजदूरी नहीं करते थे
शराब फैक्ट्री में मजदूरों की मौत के मामले में शराब फैक्ट्री मालिक पर कार्रवाई करने की अपेक्षा उनका कहना है कि जिन मजदूरों के साथ हादसा हुआ था वह तो तत्काल में बुलाए गए थे वह मजदूरी नहीं करते थे। जबकि मजदूरों ने साफ कहा है कि वह यहां नौकरी करते हैं। इधर फैक्ट्री में होने वाले हादसे को लेकर फैक्ट्री मालिक ने जुबान तक नहीं खोली है। वह मीडिया से बच रहे हैं। इधर स्वजनों का कहना है कि फैक्ट्री में आए दिन होने वाले हादसों को लेकर प्रशासन को चुप्पी की जगह ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
मजदूरों के लिए शौचालय तक की व्यवस्थाएं नहीं
फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को ठेकेदारों के माध्यम से यूपी, बिहार सहित अन्य शहरों से बुला लिया जाता है। फिर उनके साथ बंधुआ मजदूरों की तरह व्यवहार किया जाता है। कंपनी के गेट हमेशा बंद रहते हैं। मजदूरों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है। जबकि कानूनी रूप से फैक्ट्री में काम कराने वाले मजदूरों का बीमा कराना, जान जोखिम वाली काम में सुरक्षा संसाधन देना, रहने की बेहतर व्यवस्थाएं उपलब्ध कराना श्रम अधिनियम की गाइड लाइन में शामिल है। लेकिन फैक्ट्री संचालक इन बातों पर ध्यान तक नहीं देता।
श्रम विभाग ने फैक्ट्री संचालक से मांगी जानकारी
फैक्ट्री में मजदूरों की मौत के मामले में श्रम विभाग ने फैक्ट्री संचालक को नोटिस भेजकर कर्मचारियों के बीमा, पीएफ आदि दस्तावेज जांच के लिए मांगे गए हैं। क्योंकि लगातार आ रही शिकायतों के बाद श्रम विभाग ने कर्मचारियों को दी जाने वाली सुविधाएं जो नहीं मिल पाती उन पर फोकस किया है।
एफआइआर कराने पहुंचे स्वजन तो नौगांव पुलिस ने निभाया अपना रोल
घटना के बाद स्वजन एसडीएम के साथ नौगांव थाने पहुंचे थे। जहां देर तक वह बैठे रहे लेकिन तत्काल पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। एफआइआर दर्ज नहीं हुई तो स्वजन धरने पर बैठ गए। बाद में मामले का मर्ग कायम कर लिया गया है।
इनका कहना है
पीएम रिपोर्ट में दम घुटने से मौत होना सामने आया है। स्वजन जब एफआइआर दर्ज कराने के लिए थाने गए थे तब मैं भी साथ थी। बाद में स्वजनाें ने एफआइआर दर्ज नहीं कराई। इस मामले की जांच पड़ताल की जा रही है। इसके लिए श्रम और पाल्युशन बोर्ड को भी हमने लिखा है।
-विशा माधवानी, एसडीएम, नौगांव
जिन मजदूरों के साथ हादसा हुआ था वह नौकरी नहीं करते थे उनको तत्काल काम कराने के लिए बुलाया गया था। ऐसे लोगों के बीमा कहां होते हैं।बीआर वैद्य, जिला आबकारी अधिकारी, छतरपुरफैक्ट्री में इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन हमें कंपनी की ओर से किसी ने सूचना तक नहीं दी थी। जब हमने फोल लगाया तो पुलिस ने उठाया और हमको बुलाया।
-रामप्रसाद, मजदूरों के स्वजन
भारतीय उपलब्धियों पर गर्व का भाव जागृत कर ज्ञान परम्परा को समझें : उच्च शिक्षा मंत्री परमार
15 Jan, 2024 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : शिक्षा मात्र शारीरिक ही नहीं बल्कि व्यक्ति का समग्र विकास करती है। शिक्षा पद्धति में भारतीय मान्यताओं और परम्पराओं का समावेश कर उत्कृष्ट समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए देश की उपलब्धियों पर गर्व का भाव जागृत कर भारतीय ज्ञान परम्परा को समझने की आवश्यकता है। अपनी भाषा, संस्कृति, इतिहास, नायक एवं उपलब्धियों आदि पर स्वाभिमान का भाव स्वयं में जागृत करें। युगानुकुल परिवर्तन के संकल्प के साथ भारतीय परम्पराओं, मान्यताओं और लोक व्यवहार पर शोध कर विज्ञान के समन्वय से नव सृजन किया जा सकता है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने सोमवार को भोपाल स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भवभूति प्रेक्षागृह में "भारतीय शिक्षा-मनोविज्ञान" विषय पर आधारित छः दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर कही।
परमार ने भारतीय ज्ञान परम्परा अनुरूप मनोविज्ञान के नवसृजन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत भाषा भारत की प्राचीनतम भाषा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। परमार ने विद्यार्थियों के बेहतर प्रशिक्षण के लिए देश के उत्कृष्ट संस्थानों के मध्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान करने की प्रबंध योजना बनाने की बात कही। मंत्री परमार ने "भारतीय शिक्षा-मनोविज्ञान" विषयक विचार-विमर्श पर कार्यशाला आयोजन के लिए विश्वविद्यालय परिवार को शुभकामनाएं भी दीं।
विश्वविद्यालय परिवार ने विधानसभा सदन में संस्कृत में शपथ लेकर संस्कृत भाषा के प्रति सम्मान के लिए मंत्री परमार का संस्कृत साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में पुणे की प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ माधवी गोडबोले, विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, निदेशक प्रो. रमाकांत पांडेय, शोध केंद्र समन्वयक प्रो. नीलाभ तिवारी, विविध राज्यों के सहभागी शिक्षाविद् सहित प्राध्यापक एवं विद्यार्थीगण उपस्थित थे।
पीएम किसान योजना में छूटे पात्र हितग्राहियों को जोड़ें
15 Jan, 2024 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने मंत्रालय के एनआईसी कक्ष से वर्चुअली राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और मैदानी अमले को राजस्व महाअभियान के सफल संचालन सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिये तय की गई समय-सीमा में प्रकरण निराकरण करना सुनिश्चित करें। नामांतरण प्रकरणों को 30 दिवस, आविवादित बंटवारा प्रकरणों को 45 दिवस में निराकृत करना सुनिश्चित करें। लंबित राजस्व प्रकरणों का शत-प्रतिशत निराकरण सुनिश्चित किया जाये। सीमांकन, नामांकन और बंटवारा आदि के प्रकरणों का तय समय-सीमा में निराकरण नहीं करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जाये।
राजस्व मंत्री वर्मा ने कहा कि सीमांकन का आवेदन प्राप्त होने पर संबंधित भूमि का सीमांकन करने की कार्यवाही तुरंत की जाये। सीमांकन के समय पड़ोसी किसान को सूचित किया जाये और उनकी उपस्थिति में सीमांकन की कार्यवाही पूर्ण हो। पटवारी द्वारा किये गये सीमांकन की जाँच तहसीलदार अपने स्तर से करायें और यदि सीमांकन में कोई त्रुटि हो, तो संबंधित पटवारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग आम नागरिकों की सेवा के लिये है। आम जनता से राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को न्याय करने के साथ विनम्र व्यवहार करें।
राजस्व मंत्री वर्मा ने कहा कि महाअभियान के दौरान बी-1 का वाचन कर फौती नामांतरण अथवा अन्य कोई समस्या हो, उसका निराकरण किया जाये। पीएम किसान योजना में छूटे हुए पात्र हितग्राहियों को जोड़ा जाये। खसरा एवं नक्शा में एकरूपता लाने के लिये आवश्यक है कि खसरा अनुसार बटांकन का कार्य नक्शा में पूरा किया जाये।
राजस्व मंत्री वर्मा ने कहा कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिये। सभी अधिकारी जनता की सेवा करें और भ्रष्टाचारमुक्त कार्यवाही सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जनता के सम्मान से ही विभाग का सम्मान होगा। विभाग की गरिमा को बढ़ाना हम सबका दायित्व है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर और कमिश्नर अपने क्षेत्र में भ्रमण करें और मैदानी अमले द्वारा महाअभियान में किये जा रहे कार्य की मॉनीटरिंग करें। मंत्री वर्मा ने कहा कि वह स्वयं भी संभाग और जिलों का दौरा करेंगे और उनके भ्रमण के दौरान लापरवाही मिलने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।
प्रमुख सचिव राजस्व निकुंज श्रीवास्तव ने राजस्व महाअभियान के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि 15 जनवरी से शुरू हुआ राजस्व महाअभियान 29 फरवरी तक संचालित होगा। अभियान की समीक्षा में प्रमुख राजस्व आयुक्त विवेक पोरवाल, सभी जिलों के कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), तहसीलदार आदि उपस्थित रहे।
उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री सिंधिया से सौजन्य भेंट की
15 Jan, 2024 09:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने आज नई दिल्ली में केंद्रीय नागरिक विमानन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से सौजन्य भेंट की। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने रीवा में निर्माणाधीन विमानतल के कार्य के संबंध में विस्तृत चर्चा की।