मध्य प्रदेश (ऑर्काइव)
भाजपाः ग्वालियर पूर्व से माया सिंह व दक्षिण से नारायण का नाम लगभग तय
19 Oct, 2023 12:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्वालियर । खबर आ रही है कि ग्वालियर की पूर्व सीट से फिर से श्रीमती माया सिंह को भाजपा मैदान में उतार सकती हैं। माया सिंह पहले इसी सीट से विधायक व मंत्री रही हैं। हालांकि माया सिंह इस बार टिकट से बच रही थी और अपने पुत्र पीताम्बर सिंह पीतू के लिये उम्मीदवारी चाहती थी, लेकिन पूर्व सीट पर भाजपा में चल रहे विवाद के चलते आलाकमान ने पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम फाइनल कर दिया है। इसी प्रकार दक्षिण में भी भाजपा नेताओं में विवाद के चलते पूर्व मंत्री नारायण सिंह कुशवाह का नाम फाइनल होने की खबर है। यह भी जानकारी लग रही है कि भाजपा सूची देर रात्रि या सुबह जारी हो सकती हैं।
अभी कपड़े फाड़ने की कह रहे, सोचो सरकार बनाने पर क्या करेंगे
19 Oct, 2023 12:27 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्वालियर । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा उनकी पार्टी के सहयोगी दिग्विजय सिंह पर "कपड़े फाड़ने" वाले तंज की आलोचना करते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि अभी इस तरह की भाषा कांग्रेस के नेता प्रयोग कर रहे हैं, सोचो यदि सत्ता में आ गए तो क्या करेंगे, हालांकि राज्य की जनता ऐसे नेताओं को पावर में आने ही नहीं देगी। सिंधिया बुधवार को ग्वालियर प्रवास के दौरान पत्रकारों के सवाल का जवाब दे रहे थे। सिंधिया ने कहा कि कांग्रेस हर चीज को नष्ट करना चाहती है, उनके नेताओं की भाषा में भी यह झलक रहा है।
सिंधिया ने कांग्रेस द्वारा हाल ही में जारी वचन पत्र को झूठ का पुलिंदा करार दिया। कहा कि विपक्षी पार्टी के घोषणापत्र में वादों की एक लंबी सूची है, लेकिन उनमें से कोई भी पूरा नहीं होने वाला है, क्योंकि कांग्रेस का घोषणा पत्र नहीं होता बल्कि झूठ का पुलिंदा होता है। भाजपा के राज्यसभा सांसद ने कहा कि उनकी अपनी सोच लोगों के विकास के लिए काम करना है। लोग विपक्षी दल और उसके दो वरिष्ठ नेताओं (दिग्विजय सिंह और नाथ) को माफ नहीं करेंगे। अपने गृह क्षेत्र ग्वालियर से चुनाव लड़ने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह पार्टी के निर्देशों का पालन करते हैं।
भाजपा की पहचान पोलिंग बूथ सेनापतियों व कार्यकर्ताओं से
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भाजपा की पहचान पोलिंग बूथ सेनापतियों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से है। उन्होंने कहा कि वह इन कार्यकर्ताओं से मिलकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं। सिंधिया बुधवार को ग्वालियर में भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित कर रहे थे। सिंधिया ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और इन कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत से ही पार्टी को सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में विकास और उन्नति की एक रेखा खींची गई है। भाजपा सत्ताधारी पार्टी है आगामी चुनाव की तैयारी कर रही है। यहां बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 41.5 फीसद वोट शेयर के साथ 114 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 41.6 फीसद वोट शेयर के साथ 109 सीटें मिलीं।
डबरा और भितरवार मैं सिंधिया के मुख्य अतिथि में आयोजित हुआ बूथ सम्मेलन
भारतीय जनता पार्टी का विधानसभा क्षेत्र डबरा और भितरवार में बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद रहे। उन्होंने प्रत्येक बूथ से भाजपा को जिताने का मंत्र दिया। भितरवार में सिंधिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता, कार्यकर्ता ही नहीं वह सेनापति है और वह अपनी लड़ाई को मजबूती के साथ अपनी पोलिंग पर लड़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी ने बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन डबरा विधानसभा क्षेत्र के पिछोर और डबरा में किया गया। इसमें मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बूथ प्रभारियों को प्रचंड बूथ विजय की प्रतिज्ञा दिलाई। भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री इमरती देवी सुमन ने डबरा को जिला बनाने की मांग की।
सपा ने पृथ्वीपुर व निवाड़ी से चुनाव मैदान में उतारा मां-बेटी को
19 Oct, 2023 12:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
निवाड़ी । समाजवादी पार्टी ने पृथ्वीपुर व निवाड़ी विधानसभा सीटों से मां-बेटी को चुनाव में उतारा है। ये दोनों प्रत्याशी गरोठा के पूर्व विधायक दीपनारायण यादव की पत्नी मीरा यादव व पुत्री शिवांगी यादव हैं। दोनों ही प्रत्याशी मूलरूप से उत्तरप्रदेश से हैं। समाजवादी पार्टी ने निवाड़ी विधानसभा सीट से मीरा यादव व पृथ्वीपुर सीट से उनकी बेटी शिवांगी यादव को प्रत्याशी बनाया है। निवाड़ी जिले की दो विधानसभा सीटों पर उत्तरप्रदेश की राजनीति चमक रही है, जहां पर समाजवादी पार्टी ने तो मूल रूप से उप्र के निवासी का टिकट ही घोषित कर दिया है। निवाड़ी से समाजवादी पार्टी द्वारा गरोठा के पूर्व विधायक दीपनारायण यादव की पत्नी मीरा यादव को आगामी विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। जो 2008 में निवाड़ी से समाजवादी पार्टी से विधायक रहीं, जो 2008 के चुनाव में 15174 वोटों से विजयी हुईं थीं। अब फिर सपा ने मीरा यादव का टिकट घोषित कर दिया। जबकि कांग्रेस-भाजपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए। शिवांगी यादव को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां का चुनाव अब रोचक होने वाला है।
यादव बहुल्य क्षेत्र होने से सपा की रहती है नजर
गौरतलब है कि वैसे तो बुंदेलखंड क्षेत्र में मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के कई जिले आते हैं। जहां बुंदेली भाषा बोलना और बुंदेली संस्कृति को सहेजना चलता रहता है। लेकिन अब बुंदेलखंड के निवाड़ी में उत्तरप्रदेश के राजनेताओं की एंट्री हुई है, जिसमें उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे हुए क्षेत्रों में सपा प्रत्याशी उतार रही है। वहीं यादव बाहुल्य क्षेत्रों पर समाजवादी पार्टी ने नजर रखी है। सीमा से लगे हुए निवाड़ी जिले में दो विधानसभा सीटों पर इसका असर देखने को मिल रहा है। इस बार फिर साइकिल कांग्रेस और भाजपा के वोट में सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। निवाड़ी में उत्तरप्रदेश के प्रत्याशी और दावेदार पहुंचने के बाद स्थानीय पदाधिकारियों और लोगों में रोष भी देखा जाता है।
भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को सता रहा डर
19 Oct, 2023 11:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मप्र में जब भी विधानसभा चुनाव होते हैं उस समय त्योहारों का मौसम होता है। इस बार भी दिवाली के पांच दिन बाद मतदान होना है। उससे पहल विजयादशमी और छठ पर्व है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियों और नेताओं को डर सता रहा है कि तीज-त्योहार के कारण कार्यकर्ता तो व्यस्त रहेंगे ही मतदाता भी पूजा-पाठ में लीन रहेंगे। ऐसे में प्रत्याशी चुनाव प्रचार कैसे कर पाएंगे। ऐसे में चुनाव के नजदीक आने के साथ ही टिकट के दावेदारों और प्रत्याशियों की धडक़नें बढऩे लगी हैं। इसकी वजह चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों को वक्त कम मिलना है।
गौरतलब है कि नामांकन की आखिरी तारीख (30 अक्टूबर) के बाद नेता और प्रत्याशी धुआंधार प्रचार करेंगे। चुनाव प्रचार के लिए समय कम मिलने की दो मुख्य वजह हैं। पहली, चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद पिछली बार के मुकाबले इस बार 14 दिन पहले वोटिंग हो रही है। पिछली बार चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को चुनाव की तारीखों की घोषणा की थी और 28 नवंबर को वोटिंग हुई थी। इस तरह पिछली बार चुनाव की घोषणा के 53 दिन बाद वोटिंग हुई थी। इस बार 9 अक्टूबर को चुनाव की तारीखों की घोषणा हुई और वोटिंग 17 नवंबर को होगी । इस तरह चुनाव की घोषणा के 39 दिन बाद वोटिंग होगी। दूसरा, चुनाव से पहले बड़े त्योहार पडऩे के कारण प्रत्याशियों को प्रचार के लिए कार्यकर्ता मिलना मुश्किल हो जाएंगे। दर्गा अष्टमी से दशहरा तक और मतदान की तारीख से ठीक पहले धनतेरस से भाईदूज तक चुनाव प्रचार एक तरह से ठप रहेगा। इससे पहले नामांकन भरने आद में समय जाया होगा। यही वजह है कि प्रत्याशियों ने अभी से प्रचार में ताकत झोंक दी है, लेकिन जिन सीटों पर अब तक टिकट फायनल नहीं हुआ है, उन सीटों से टिकट के दावेदार अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। वे अभी खुलकर प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि कई ऐसे नेता हैं, जिन्हें टिकट दिए जाने का आश्वासन दिए जाने के बाद वे साल भर से फील्ड में सक्रिय हैं, फिर भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
चुनावी दौर में त्योहारों की धूम
मप्र के विधानसभा चुनाव और त्योहारों का गहरा नाता रहा है। इस बार भी दिवाली के पांच दिन बाद मतदान होना है। विजयादशमी, दिवाली और छठ के जश्न के बीच नेता प्रचार करते नजर आएंगे। चुनाव आयोग ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मतदान की तारीख को बदला है। 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन राज्य में मतदान होना था। देवउठनी एकादशी को विवाह अधिक होते हैं। इस बात को मद्देनजर रखकर अब मतदान 25 नवंबर को होगा। भारत एक त्योहार प्रधान देश है, पूरे वर्ष भर किसी न किसी तिथि का एक विशेष महत्व है। आजादी के बाद ज्यादातर चुनाव फरवरी माह में हुए, तो उस माह में बसंत पंचमी या शिवरात्रि किसी न किसी तारीख को रहती ही है, यदि मार्च माह में हों तो होली, रंगपंचमी या लोहड़ी पर्व रहते हैं, जाहिर भारत की सांस्कृतिक विरासत इन पर्वों से जुडी है। मध्य प्रदेश के चुनावों का भी त्योहारों से गहरा नाता रहा है। देश में चुनावों में धर्मगुरुओं के मठों पर, मंदिरों में दर्शन को जाना और हवन पूजन करवाना हर उम्मीदवार चाहता है। बगुलामुखी नलखेड़ा हो या दतिया की पीतांबरा पीठ वहां नेताओं का जमावड़ा आरंभ हो गया है। नवरात्रि में गरबा हो या माता पूजन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार जुड़ा रहेगा और प्रचार करता रहेगा। यह एक फायदा होता है पर्वों का। विजयादशमी भी चुनाव से पूर्व है, इस बीच घर-घर संपर्क करना एक तरह से विजयादशमी मिलन हो जाएगा। मध्य प्रदेश में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के नागरिकों ने छठ पूजा का उल्लेख कर तारीखों में बदलाव की बात कही है। इसके बाद भी मध्य प्रदेश में यह कोई पहला मौका नहीं है, जब त्योहार के वक्त चुनाव हो रहे हैं।
कांग्रेस नेता सिद्धार्थ तिवारी और फुन्दर चौधरी भाजपा में हुए शामिल
19 Oct, 2023 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा के समक्ष बुधवार को भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय में काग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी के पौत्र व काग्रेस के नेता स्वर्गीय सुंदर लाल तिवारी के पुत्र सिद्धार्थ तिवारी एवं कांग्रेस के गुनौर विधानसभा के पूर्व विधायक फुन्दर चौधरी ने कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति को नकारते हुए और भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार के कामों से प्रभावित होकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश अध्यक्ष शर्मा ने सिद्धार्थ तिवारी और फुन्दर चौधरी को पार्टी का अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत किया ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश के युवा नेता सिद्धार्थ तिवारी जिनके पीछे एक राजनीतिक विरासत है, वें एक उर्जावान युवा हैं। उनके साथ ही अनुभव की भट्टी में तपे बुंदेलखंड के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक फुन्दर चौधरी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। भाजपा परिवार में उनका ह््रदय से स्वागत करता हूँ। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के काम को आगे बढ़ाने में सिद्धार्थ तिवारी और फुन्दर चौधरी की निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी ।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि विन्ध्य क्षेत्र के युवा नेता सिद्धार्थ तिवारी और कांग्रेस सरकार में अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य रहे, बुंदेलखंड के बड़े दलित चेहरा फुंदर चौधरी का भारतीय जनता पार्टी परिवार में शामिल होने पर स्वागत करता हूँ। आज बुंदेलखंड और विंध्य दोनों का संयोग बना है। हम सब मिलकर भारतीय जनता पार्टी के काम को आगे बढ़ाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की आगामी चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत के साथ प्रचंड जीत हासिल करने में हम सबकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
कांग्रेस में दिग्गज नेताओं का कद छोटा!
19 Oct, 2023 09:52 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस में जारी भाई-भतीजावाद का चेहरा खुलकर सामने आ गया है। वचन पत्र के झूठे वादे के बाद ताजा मामला वचन पत्र में दिग्गज नेताओं की तस्वीर का है। जिसमें पार्टी ने मनमोहन सिंह की फोटो गायब कर दी है। इसके साथ ही कांग्रेस की नींव रखने वाले पुराने नेता जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, वीवी गिरि, बाबू जगजीवन राम आदि की फोटो वचन पत्र से गायब है, जबकि वर्ष 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में इन सभी नेताओं को प्रमुखता से शामिल किया गया था।
कांग्रेस पार्टी की भीतरी कलह मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता में सामने आ ही गई थी, अब पार्टी में पोस्टर को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। वचन पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की फोटो गायब है, दिग्गविजय सिंह से बड़ी फोटो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की हो गई है, वचन पत्र में राहुल गांधी का कद भी घटा दिया गया है। कवर पेज पर से इंदिरा गांधी सहित पार्टी में अहम योगदान देने वाले वरिष्ठ नेताओं को हटा दिया गया है। जबकि वर्ष 2018 के वचन पत्र में सबसे बड़ी तस्वीर पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी की थी। इस बार कवर पेज पर सबसे बड़ी तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की है, पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे कवर पर सबसे ऊपरी हिस्से पर दिख रहे हैं, पार्टी अध्यक्ष की तस्वीर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समकक्ष दिख रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो नये वचन पत्र में दिग्विजय सिंह की पुरानी फोटो ही ली गई है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वित्तीय नीतियों की तारीफ करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पहले ही दूरी बना ली थी, अब वचन पत्र से फोटो भी हटा दिया गया है
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनमानी पर आमदा, कमलनाथ की तस्वीर बड़ी
19 Oct, 2023 09:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस में जारी भाई-भतीजावाद का चेहरा खुलकर सामने आ गया है। वचन पत्र के झूठे वादे के बाद ताजा मामला वचन पत्र में दिग्गज नेताओं की तस्वीर का है। जिसमें पार्टी ने मनमोहन सिंह की फोटो गायब कर दी है। इसके साथ ही कांग्रेस की नींव रखने वाले पुराने नेता जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, वीवी गिरि, बाबू जगजीवन राम आदि की फोटो वचन पत्र से गायब है, जबकि वर्ष 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में इन सभी नेताओं को प्रमुखता से शामिल किया गया था।
कांग्रेस पार्टी की भीतरी कलह मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता में सामने आ ही गई थी, अब पार्टी में पोस्टर को लेकर नया विवाद छिड़ गया है। वचन पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की फोटो गायब है, दिग्गविजय सिंह से बड़ी फोटो पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की हो गई है, वचन पत्र में राहुल गांधी का कद भी घटा दिया गया है। कवर पेज पर से इंदिरा गांधी सहित पार्टी में अहम योगदान देने वाले वरिष्ठ नेताओं को हटा दिया गया है। जबकि वर्ष 2018 के वचन पत्र में सबसे बड़ी तस्वीर पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी की थी। इस बार कवर पेज पर सबसे बड़ी तस्वीर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की है, पार्टी अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे कवर पर सबसे ऊपरी हिस्से पर दिख रहे हैं, पार्टी अध्यक्ष की तस्वीर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के समकक्ष दिख रही है। पार्टी सूत्रों की मानें तो नये वचन पत्र में दिग्विजय सिंह की पुरानी फोटो ही ली गई है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वित्तीय नीतियों की तारीफ करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पहले ही दूरी बना ली थी, अब वचन पत्र से फोटो भी हटा दिया गया है
वंचितों के दिल में है भाजपा, मध्य प्रदेश में नई हलचल
19 Oct, 2023 08:57 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वंचितों और उपेक्षितों को अधिकार दिलाने काम किया है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड-चंबल-विंध्य क्षेत्र की करीब 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन सीटों पर दलित वोट निर्णायक की भूमिका में हैं। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में इस क्षेत्र में बहुजन समाजवादी पार्टी कमजोर हुई है। इन क्षेत्रों में भाजपा की डबल इंजन सरकार का लाभ लोगों को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संत रविदास के प्रति जो अनुराग दिखा है, उसका लाभ भाजपा को मध्य प्रदेश चुनाव में मिल सकता है।
बसपा का वोट भाजपा की ओर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अपना खासा वजूद रखने वाली बसपा लगातार कमजोर होती जा रही है। भाजपा की केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों का लाभ दलितों और वंचितों को मिला है। उत्तर प्रदेश में इसी कारण बसपा का राजनीतिक वजूद संकट में है और उसका वोट बैंक भाजपा में आ गया है। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति दिख रही है। उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों में जनता को उत्तर प्रदेश सरकार का काम काज भी दिख रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कामकाज से भी दलित महिलाओं में खासा उत्साह जागा है। लाडली बहना योजना का लाभ दलित महिलाओं को खूब मिला है।
भाजपा सरकार ने दिया संत रविदास को मान-सम्मान
12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सागर में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में एक सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी स्मारक की आधारशिला रखना, 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार होने वाली दो सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ और 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है। संत रविदास का यह स्मारक 'समरसता' की भावना से ओतप्रोत है, क्योंकि इसमें 20 हजार से अधिक गांवों और 300 नदियों की मिट्टी का उपयोग किया गया है। मध्य प्रदेश के अनेक परिवारों ने 'समरसता भोज' के लिए अनाज भेजा है और पांच यात्राएं भी सागर में संपन्न हुईं। ये यात्राएं सामाजिक सद्भाव के नए युग का प्रतीक हैं।
दलित-आदिवासी पर सरकार का अधिक फोकस
15 नवंबर, 2022 को राज्य सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पेसा एक्ट लागू होने के बाद राज्य में आदिवासियों के अधिकारों में वृद्धि हुई है। इस एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों को ताकत दी गई है। पेसा एक्ट के बाद ग्राम सभाओं की ताकत बढ़ी है। जल, जंगल, जमीन और संसाधन पर आदिवासियों के अधिकार को महत्ता दी गई है। राज्य में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की करीब 17 से 18 फीसदी है। बताया जाता है कि प्रदेश में दलित वर्ग के लगभग 64 लाख मतदाता मध्य प्रदेश में हैं।
सरकार की प्राथमिकता में शुमार
2020 में राज्य की सत्ता में वापसी करने के बाद भाजपा ने सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी और दलितों पर किया है। शिवराज मंत्रिमंडल में दलित और आदिवासी मंत्रियों को कोटा बढ़ाया। शिवराज सिंह चौहान ने अपने 4 कार्यकाल में इस बार सबसे ज्यादा 25 फीसदी ओबीसी नेताओं को मंत्री बनाया। राज्य में 8 मंत्री ओबीसी कोटे के हैं। 3 एससी और 4 एसटी कोटे के मंत्री बनाए गए हैं। 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें हैं।
वंचितों के दिल में है भाजपा, मध्य प्रदेश में नई हलचल
19 Oct, 2023 08:39 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर वंचितों और उपेक्षितों को अधिकार दिलाने काम किया है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड-चंबल-विंध्य क्षेत्र की करीब 40 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन सीटों पर दलित वोट निर्णायक की भूमिका में हैं। बदलते राजनीतिक घटनाक्रम में इस क्षेत्र में बहुजन समाजवादी पार्टी कमजोर हुई है। इन क्षेत्रों में भाजपा की डबल इंजन सरकार का लाभ लोगों को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संत रविदास के प्रति जो अनुराग दिखा है, उसका लाभ भाजपा को मध्य प्रदेश चुनाव में मिल सकता है।
बसपा का वोट भाजपा की ओर
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अपना खासा वजूद रखने वाली बसपा लगातार कमजोर होती जा रही है। भाजपा की केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सरकार की नीतियों का लाभ दलितों और वंचितों को मिला है। उत्तर प्रदेश में इसी कारण बसपा का राजनीतिक वजूद संकट में है और उसका वोट बैंक भाजपा में आ गया है। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति दिख रही है। उत्तर प्रदेश से सटे इलाकों में जनता को उत्तर प्रदेश सरकार का काम काज भी दिख रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कामकाज से भी दलित महिलाओं में खासा उत्साह जागा है। लाडली बहना योजना का लाभ दलित महिलाओं को खूब मिला है।
भाजपा सरकार ने दिया संत रविदास को मान-सम्मान
12 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सागर में कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में एक सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास जी स्मारक की आधारशिला रखना, 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार होने वाली दो सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ और 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है। संत रविदास का यह स्मारक 'समरसता' की भावना से ओतप्रोत है, क्योंकि इसमें 20 हजार से अधिक गांवों और 300 नदियों की मिट्टी का उपयोग किया गया है। मध्य प्रदेश के अनेक परिवारों ने 'समरसता भोज' के लिए अनाज भेजा है और पांच यात्राएं भी सागर में संपन्न हुईं। ये यात्राएं सामाजिक सद्भाव के नए युग का प्रतीक हैं।
दलित-आदिवासी पर सरकार का अधिक फोकस
15 नवंबर, 2022 को राज्य सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी बाहुल्य शहडोल जिले में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पेसा एक्ट लागू होने के बाद राज्य में आदिवासियों के अधिकारों में वृद्धि हुई है। इस एक्ट के तहत ग्राम पंचायतों को ताकत दी गई है। पेसा एक्ट के बाद ग्राम सभाओं की ताकत बढ़ी है। जल, जंगल, जमीन और संसाधन पर आदिवासियों के अधिकार को महत्ता दी गई है। राज्य में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की करीब 17 से 18 फीसदी है। बताया जाता है कि प्रदेश में दलित वर्ग के लगभग 64 लाख मतदाता मध्य प्रदेश में हैं।
सरकार की प्राथमिकता में शुमार
2020 में राज्य की सत्ता में वापसी करने के बाद भाजपा ने सबसे ज्यादा फोकस आदिवासी और दलितों पर किया है। शिवराज मंत्रिमंडल में दलित और आदिवासी मंत्रियों को कोटा बढ़ाया। शिवराज सिंह चौहान ने अपने 4 कार्यकाल में इस बार सबसे ज्यादा 25 फीसदी ओबीसी नेताओं को मंत्री बनाया। राज्य में 8 मंत्री ओबीसी कोटे के हैं। 3 एससी और 4 एसटी कोटे के मंत्री बनाए गए हैं। 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कांग्रेस से पूछा- क्या गांधी परिवार, मल्लिकार्जुन से ऊपर हो गए हैं नकुलनाथ
19 Oct, 2023 08:29 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। कांग्रेस परिवारवाद की गारंटी है, यह तो सुना था। ऐसी पार्टियों में नेताओं के बेटों को टिकट मिलना भी आम बात है। लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जब किसी नेता के बेटे ने ही टिकट बांट दिए हों। मध्यप्रदेश में कमलनाथ कांग्रेस ने यह अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। कांग्रेस पार्टी द्वारा अधिकृत उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने से पहले ही जिस तरह से नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में टिकट बांटे हैं, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या नकुलनाथ गांधी परिवार, मल्लिकार्जुन खड़गे और सीडब्लूसी से भी ऊपर हो गए हैं? यह बात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने बुधवार को प्रदेश मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा ने कहा कि छिंदवाड़ा में जिस तरह से नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं, उससे कांग्रेस पार्टी के वजूद पर ही सवालिया निशान लग गया है। आखिर कांग्रेस पार्टी कितनी है और किसकी है, यही आज सबसे बड़ा सवाल बन गया है। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सोनिया गांधी-राहुल गांधी की कांग्रेस से कमलनाथ-नकुलनाथ की कांग्रेस अलग हो। श्री शर्मा ने कहा कि मंगलवार सुबह कमलनाथ पार्टी का वचन पत्र जारी कर रहे थे और शाम तक उनके बेटे ने उम्मीदवार घोषित कर दिए। कमलनाथ इधर दिग्विजय सिंह के कपड़े फटवाते रहे और उधर बेटे से टिकट बंटवाते रहे। इससे हर किसी के मन में यह संदेह पैदा होना स्वाभाविक है कि या तो नकुलनाथ टिकट ब्लैकिया बन गए हैं, या फिर कमलनाथ और नकुलनाथ मिलकर कांग्रेस में कुछ अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं।
कांग्रेस के नए नाथ बन गए नकुलनाथ
श्री शर्मा ने कहा कि जिस तरह से कमलनाथ की शह पर नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं और 10 जनपथ सोता रहा, उससे कांग्रेस का अंदरूनी सर्वे मजाक बनकर रह गया है। पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा कहा गया था कि सर्वे और जमीनी कार्यकर्ताओं के आंकलन के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। लेकिन नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में जो खेल खेला है, उससे साबित हो गया है कि कोई सर्वे नहीं, कांग्रेस में नकुलनाथ ही सर्वे-सर्वा बन गए हैं। पार्टी नेतृत्व को दरकिनार करते हुए जिस तरह से नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं, उससे ऐसा लगता है कि अब कांग्रेस के नए नाथ नकुलनाथ ही हैं। अगर ऐसा है, तो फिर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह का क्या होगा? ऐसे समय में जबकि दिल्ली में बैठी कांग्रेस फेल होती जा रही है, नकुलनाथ की नकेल कौन कसेगा? श्री शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कई बार मध्यप्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं, परंतु पार्टी उम्मीदवारों की सूची नहीं लाए। लेकिन जिस तरह से नकुलनाथ ने पांढुर्ना में नीलेश उइके को प्रत्याशी घोषित करते हुए टिकट बांटे हैं, उससे यह आभास होता है कि नकुलनाथ कांग्रेस और उसकी सूची को जेब में लेकर चलते हैं।
गालियों की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ दिग्विजय को, तो भ्रष्टाचार की किसे
श्नी शर्मा ने कहा कि पीसीसी में जब मंगलवार को कपड़ा फाड़ू एपीसोड चल रहा था, तब कमलनाथ ने कहा था कि उन्होंने अपनी तरफ से गालियां खाने की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ दिग्विजय सिंह को दे रखी है। कमलनाथ जी, ये भी बताएं कि भ्रष्टाचार की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ किस के पास है? श्री शर्मा ने कहा कि 15 महीने की कांग्रेस सरकार ने वल्लभ भवन को लूट का अड्डा बना दिया था। उस समय मुख्यमंत्री कमलनाथ के पीए के घर पर जब छापा पड़ा था, तो करोड़ों की संपत्ति मिली थी। श्री शर्मा ने कहा प्रदेश की जनता कमलनाथ जी से यह जानना चाहती है कि इस भ्रष्टाचार की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ आप ने किसे दे रखी है़़? श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ इसका जवाब दें या न दें, लेकिन प्रदेश की जनता को सब पता है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार की गारंटी है।
क्या अब कांग्रेस के नए नाथ नकुलनाथ हैं?
19 Oct, 2023 08:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । कांग्रेस परिवारवाद की गारंटी है, यह तो सुना था। ऐसी पार्टियों में नेताओं के बेटों को टिकट मिलना भी आम बात है। लेकिन ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है जब किसी नेता के बेटे ने ही टिकट बांट दिए हों। मध्यप्रदेश में कमलनाथ कांग्रेस ने यह अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है। कांग्रेस पार्टी द्वारा अधिकृत उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने से पहले ही जिस तरह से नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में टिकट बांटे हैं, उससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं और जनता के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या नकुलनाथ गांधी परिवार, मल्लिकार्जुन खड़गे और सीडब्लूसी से भी ऊपर हो गए हैं? यह बात भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने बुधवार को प्रदेश मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि छिंदवाड़ा में जिस तरह से नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं, उससे कांग्रेस पार्टी के वजूद पर ही सवालिया निशान लग गया है। आखिर कांग्रेस पार्टी कितनी है और किसकी है, यही आज सबसे बड़ा सवाल बन गया है। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सोनिया गांधी-राहुल गांधी की कांग्रेस से कमलनाथ-नकुलनाथ की कांग्रेस अलग हो। श्री शर्मा ने कहा कि मंगलवार सुबह कमलनाथ पार्टी का वचन पत्र जारी कर रहे थे और शाम तक उनके बेटे ने उम्मीदवार घोषित कर दिए। कमलनाथ इधर दिग्विजय सिंह के कपड़े फटवाते रहे और उधर बेटे से टिकट बंटवाते रहे। इससे हर किसी के मन में यह संदेह पैदा होना स्वाभाविक है कि या तो नकुलनाथ टिकट ब्लैकिया बन गए हैं, या फिर कमलनाथ और नकुलनाथ मिलकर कांग्रेस में कुछ अलग ही खिचड़ी पका रहे हैं।
श्री शर्मा ने कहा कि जिस तरह से कमलनाथ की शह पर नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं और 10 जनपथ सोता रहा, उससे कांग्रेस का अंदरूनी सर्वे मजाक बनकर रह गया है। पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा कहा गया था कि सर्वे और जमीनी कार्यकर्ताओं के आंकलन के आधार पर ही टिकट दिए जाएंगे। लेकिन नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में जो खेल खेला है, उससे साबित हो गया है कि कोई सर्वे नहीं, कांग्रेस में नकुलनाथ ही सर्वे-सर्वा बन गए हैं। पार्टी नेतृत्व को दरकिनार करते हुए जिस तरह से नकुलनाथ ने टिकट बांटे हैं, उससे ऐसा लगता है कि अब कांग्रेस के नए नाथ नकुलनाथ ही हैं। अगर ऐसा है, तो फिर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह का क्या होगा? ऐसे समय में जबकि दिल्ली में बैठी कांग्रेस फेल होती जा रही है, नकुलनाथ की नकेल कौन कसेगा? श्री शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कई बार मध्यप्रदेश के दौरे पर आ चुके हैं, परंतु पार्टी उम्मीदवारों की सूची नहीं लाए। लेकिन जिस तरह से नकुलनाथ ने पांढुर्ना में नीलेश उइके को प्रत्याशी घोषित करते हुए टिकट बांटे हैं, उससे यह आभास होता है कि नकुलनाथ कांग्रेस और उसकी सूची को जेब में लेकर चलते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि पीसीसी में जब मंगलवार को कपड़ा फाड़ू एपीसोड चल रहा था, तब कमलनाथ ने कहा था कि उन्होंने अपनी तरफ से गालियां खाने की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ दिग्विजय सिंह को दे रखी है। कमलनाथ जी, ये भी बताएं कि भ्रष्टाचार की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ किस के पास है? श्री शर्मा ने कहा कि 15 महीने की कांग्रेस सरकार ने वल्लभ भवन को लूट का अड्डा बना दिया था। उस समय मुख्यमंत्री कमलनाथ के पीए के घर पर जब छापा पड़ा था, तो करोड़ों की संपत्ति मिली थी। श्री शर्मा ने कहा प्रदेश की जनता कमलनाथ जी से यह जानना चाहती है कि इस भ्रष्टाचार की ’पॉवर ऑफ अटार्नी’ आप ने किसे दे रखी है़़? श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ इसका जवाब दें या न दें, लेकिन प्रदेश की जनता को सब पता है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी भ्रष्टाचार की गारंटी है।
जलती चिताओं के बीच श्मशान में तांत्रिक क्रिया
19 Oct, 2023 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आता जा रहा है, विधानसभा चुनाव में जीत-हार की तस्वीर भले ही स्पष्ट ना हो, परंतु कांग्रेस पार्टी में एक तरफ जहां बगावत की स्थिति के साथ शीर्ष नेतृत्व में कपड़ा फाड़ राजनीति का दौरा सार्वजनिक हो चला है वहीं दूसरी ओर एक और अजीबोगरीब तस्वीर मध्य प्रदेश के कुछ श्मशान घाटों से अज्ञात लोगों के द्वारा पूजा अर्चना करते हुए सामने आ रही है । इस तस्वीर में कुछ ऐसे रहस्यमयी लोग पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के उद्देश्य से चिताओं के बीच तंत्र-मंत्र करते दिखाई दे रहे हैं जिनका राजनीति से दूर-दूर तक नाता नहीं है, लेकिन उज्जैन के साथ प्रदेश के अन्य श्मशान घाटों से प्राप्त जानकारी एवं तस्वीरों के अनुसार राजनीतिक लोगों के द्वारा इस तरह के अनुष्ठान कराए जा रहे हैं ।
कमलनाथ की तस्वीर के साथ तांत्रिक क्रियाओं के भयानक दृश्य
महाकाल नगरी उज्जैन से सामने आई तस्वीर में उज्जैन शहर से दूर शमशान घाट में चिताओं के बीच उज्जैन के एक तांत्रिक भय्यू महाराज अपने छह साथियों के साथ इस अनुष्ठान की क्रिया को संपन्न कर रहे हैं ।
शराब की बोतल, कपड़े के पुतले, नींबू, मांस के टुकड़े सहित अन्य सामग्री के साथ यह अनुष्ठान 9 दिन तक नवदुर्गा में चलेगा ।
साधक का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए विजय अनुष्ठान किया जा रहा है। बीते चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद भी विधायकों की खरीद फरोख्त हो गई थी, इस बार ऐसा न हो इसलिए पूजन कराया जा रहा है। नवरात्र के पहले दिन इंदौर के विधायक संजय शुक्ला की जीत के लिए भी अनुष्ठान किया गया था।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन तंत्र साधकों को बड़ा केंद्र है। यहां देश भर से तांत्रिक आकर तंत्र क्रिया करते हैं। फिलहाल नवरात्र चल रहे हैं, ऐसे में तंत्र साधक नौ दिनों तक साधना और अनुष्ठान करने में जुटे हुए हैं। अब यह तो आने वाला समय बताएगा कि तंत्र-मंत्र और अनुष्ठान से सरकार बन पाएगी अथवा नहीं, परंतु इस तरह के दृश्य राजनीति की एक नई दिशा एवं दशा को दर्शा रहे हैं।।
कांग्रेस पार्टी के पास इसके अलावा कुछ नहीं बचा - भारतीय जनता पार्टी
मध्य प्रदेश के दो से तीन श्मशान घाट से कमलनाथ को सीएम बनाने के उद्देश्य से की जा रही तांत्रिक क्रियाओं की तस्वीरें मीडिया के सामने आने के बाद भाजपा के प्रवक्ता ने तंज कसते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी अथवा नहीं, यह तो जनता को तय करना है। परंतु कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा एवं पार्टी के लोगों के द्वारा जिस तरह से श्मशान घाट के अंदर तांत्रिक अनुष्ठान कराए जा रहे हैं उनसे इतना स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से अंधविश्वास एवं विश्वास के बीच फंस चुकी है।
इस संबंध में पूर्व कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण सिंह का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को इस तरह से कार्य नहीं करना चाहिए, जिनका असर सीधे-सीधे सामाजिक स्तर पर विपरीत प्रभाव के रूप में दिखाई देता है।
परिवारवाद पहुंचा सकता है मप्र चुनाव में नुकसान
19 Oct, 2023 08:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सारे पत्ते धीरे धीरे खुल रहे हैं। कल तक पार्टी को नये शिखर पर पहुंचाने का दावा करने वाले आलाकमान कांग्रेसी नेता मौका मिलते ही अपने-अपने बेटों को सेट करने में जुट गए। परिवारवाद के पाश में फंसी कांग्रेस के नेताओं का परिवार से मोह कम नहीं हो रहा है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को एमपी के चुनाव की कमान क्या संभालने के लिए दी गई, दोनों नेताओं के लिए पार्टी हित से ऊपर पुत्र हित हो गया। अब तक दोनों नेता बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में थे, लेकिन टिकट बंटवारे और सीएम पद की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में चल रही आंतरिक गुटबाजी जग जाहिर हो गई है।
चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस मध्य प्रदेश में 18 साल से विपक्ष में बैठी है। इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन नहीं बदली तो कांग्रेस की 'गुटबाजी'। पुत्र मोह में नेता इतने 'अंधे' हो चुके हैं कि पूरा कांग्रेस हाई कमान उनके आगे बौना दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जहां छिंदवाड़ा की सभी 6 सीटें बेटे नकुल नाथ से ऐलान करवा रहे हैं, वहीं टिकट वितरण में भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का दखल तेजी से बढ़ रहा है। वचन पत्र के विमोचन के मौके पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तू—तू, मैं—मैं सबने देखी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दूसरे के हमसफर दो दिग्गज नेता आपस में भिड़े हैं।
हाशिए पर कांग्रेस के अन्य नेता
मौका देखते ही कमलनाथ ने अपने बेटे नकुल नाथ को मजबूत करना शुरू कर दिया है, वहीं दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को बड़ा नेता बनाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुख्यधारा के बड़े नेता सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, विवेक तनखा अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
चुनाव में कांग्रेस को हो सकता है भारी नुकसान
मतदान की तारीख के पूरे एक महीने पहले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का यह विवाद पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ को देना नेतृत्व को सीधी चुनौती है, वहीं नकुल नाथ भी पार्टी लाइन को धता बता कर केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय से पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान असहाय नजर आ रही है। प्रदेश के नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वेसर्वा नेता सोनिया गांधी से भी की है। अंदरखाने की मानें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी है कि हालात नहीं सुधरे तो वे मध्यप्रदेश से दूरी बना सकते हैं।
तस्वीर, कपड़े के पुतले, मांस के टुकड़े और शराब से संपन्न हो रहा है अनुष्ठान
19 Oct, 2023 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आता जा रहा है, विधानसभा चुनाव में जीत-हार की तस्वीर भले ही स्पष्ट ना हो, परंतु कांग्रेस पार्टी में एक तरफ जहां बगावत की स्थिति के साथ शीर्ष नेतृत्व में कपड़ा फाड़ राजनीति का दौरा सार्वजनिक हो चला है वहीं दूसरी ओर एक और अजीबोगरीब तस्वीर मध्य प्रदेश के कुछ श्मशान घाटों से अज्ञात लोगों के द्वारा पूजा अर्चना करते हुए सामने आ रही है । इस तस्वीर में कुछ ऐसे रहस्यमयी लोग पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के उद्देश्य से चिताओं के बीच तंत्र-मंत्र करते दिखाई दे रहे हैं जिनका राजनीति से दूर-दूर तक नाता नहीं है, लेकिन उज्जैन के साथ प्रदेश के अन्य श्मशान घाटों से प्राप्त जानकारी एवं तस्वीरों के अनुसार राजनीतिक लोगों के द्वारा इस तरह के अनुष्ठान कराए जा रहे हैं ।
कमलनाथ की तस्वीर के साथ तांत्रिक क्रियाओं के भयानक दृश्य
महाकाल नगरी उज्जैन से सामने आई तस्वीर में उज्जैन शहर से दूर शमशान घाट में चिताओं के बीच उज्जैन के एक तांत्रिक भय्यू महाराज अपने छह साथियों के साथ इस अनुष्ठान की क्रिया को संपन्न कर रहे हैं ।
शराब की बोतल, कपड़े के पुतले, नींबू, मांस के टुकड़े सहित अन्य सामग्री के साथ यह अनुष्ठान 9 दिन तक नवदुर्गा में चलेगा ।
साधक का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए विजय अनुष्ठान किया जा रहा है। बीते चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद भी विधायकों की खरीद फरोख्त हो गई थी, इस बार ऐसा न हो इसलिए पूजन कराया जा रहा है। नवरात्र के पहले दिन इंदौर के विधायक संजय शुक्ला की जीत के लिए भी अनुष्ठान किया गया था।
बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन तंत्र साधकों को बड़ा केंद्र है। यहां देश भर से तांत्रिक आकर तंत्र क्रिया करते हैं। फिलहाल नवरात्र चल रहे हैं, ऐसे में तंत्र साधक नौ दिनों तक साधना और अनुष्ठान करने में जुटे हुए हैं। अब यह तो आने वाला समय बताएगा कि तंत्र-मंत्र और अनुष्ठान से सरकार बन पाएगी अथवा नहीं, परंतु इस तरह के दृश्य राजनीति की एक नई दिशा एवं दशा को दर्शा रहे हैं।।
कांग्रेस पार्टी के पास इसके अलावा कुछ नहीं बचा - भारतीय जनता पार्टी
मध्य प्रदेश के दो से तीन श्मशान घाट से कमलनाथ को सीएम बनाने के उद्देश्य से की जा रही तांत्रिक क्रियाओं की तस्वीरें मीडिया के सामने आने के बाद भाजपा के प्रवक्ता ने तंज कसते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार आएगी अथवा नहीं, यह तो जनता को तय करना है। परंतु कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के द्वारा एवं पार्टी के लोगों के द्वारा जिस तरह से श्मशान घाट के अंदर तांत्रिक अनुष्ठान कराए जा रहे हैं उनसे इतना स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से अंधविश्वास एवं विश्वास के बीच फंस चुकी है।
इस संबंध में पूर्व कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण सिंह का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को इस तरह से कार्य नहीं करना चाहिए, जिनका असर सीधे-सीधे सामाजिक स्तर पर विपरीत प्रभाव के रूप में दिखाई देता है।
परिवारवाद पहुंचा सकता है मप्र चुनाव में नुकसान
19 Oct, 2023 07:25 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सारे पत्ते धीरे धीरे खुल रहे हैं। कल तक पार्टी को नये शिखर पर पहुंचाने का दावा करने वाले आलाकमान कांग्रेसी नेता मौका मिलते ही अपने-अपने बेटों को सेट करने में जुट गए। परिवारवाद के पाश में फंसी कांग्रेस के नेताओं का परिवार से मोह कम नहीं हो रहा है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह को एमपी के चुनाव की कमान क्या संभालने के लिए दी गई, दोनों नेताओं के लिए पार्टी हित से ऊपर पुत्र हित हो गया। अब तक दोनों नेता बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका में थे, लेकिन टिकट बंटवारे और सीएम पद की कुर्सी को लेकर कांग्रेस में चल रही आंतरिक गुटबाजी जग जाहिर हो गई है।
चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस मध्य प्रदेश में 18 साल से विपक्ष में बैठी है। इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन नहीं बदली तो कांग्रेस की 'गुटबाजी'। पुत्र मोह में नेता इतने 'अंधे' हो चुके हैं कि पूरा कांग्रेस हाई कमान उनके आगे बौना दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जहां छिंदवाड़ा की सभी 6 सीटें बेटे नकुल नाथ से ऐलान करवा रहे हैं, वहीं टिकट वितरण में भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह का दखल तेजी से बढ़ रहा है। वचन पत्र के विमोचन के मौके पर कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच तू—तू, मैं—मैं सबने देखी है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब एक दूसरे के हमसफर दो दिग्गज नेता आपस में भिड़े हैं।
हाशिए पर कांग्रेस के अन्य नेता
मौका देखते ही कमलनाथ ने अपने बेटे नकुल नाथ को मजबूत करना शुरू कर दिया है, वहीं दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह को बड़ा नेता बनाना चाहते हैं। ऐसे में कांग्रेस की मुख्यधारा के बड़े नेता सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, विवेक तनखा अपने आपको उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
चुनाव में कांग्रेस को हो सकता है भारी नुकसान
मतदान की तारीख के पूरे एक महीने पहले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का यह विवाद पार्टी को तगड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि छिन्दवाड़ा की 6 सीट पर प्रत्याशी घोषित करने का अधिकार नकुल नाथ को देना नेतृत्व को सीधी चुनौती है, वहीं नकुल नाथ भी पार्टी लाइन को धता बता कर केंद्रीय चुनाव समिति के निर्णय से पहले अपने प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान असहाय नजर आ रही है। प्रदेश के नेताओं ने इसकी शिकायत कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सर्वेसर्वा नेता सोनिया गांधी से भी की है। अंदरखाने की मानें तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने चेतावनी दी है कि हालात नहीं सुधरे तो वे मध्यप्रदेश से दूरी बना सकते हैं।