मध्य प्रदेश (ऑर्काइव)
भोपाल नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट की फटकार,जुर्माना माफ कराने गए थे
5 Dec, 2023 12:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । नगर निगम को एनजीटी द्वारा लगाए गए 1.80 करोड़ रुपये के जुर्माने को माफ कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना महंगा पड़ गया। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए न केवल मामला वापस कर दिया, साथ ही यह भी कहा कि आप दो महीने में साबित करें कि आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में सब ठीक है, वरना हम पता लगवा लेंगे। कोर्ट ने कहा कि इसके साथ ही यह भी तय किया जाएगा कि कितना जुर्माना लगाना है।
सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी
बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 31 जुलाई को लगाई गई 1.80 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति (जुर्माने) पर स्टे लेने के लिए निगम ने 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसकी सुनवाई तीन अक्टूबर को हुई। इसमें एनजीटी में याचिका लगाने वाले पर्यावरणविद डा. सुभाष सी पांडे भी शामिल हुए।
निगम ने सुनवाई में रखा अपना पक्ष
सुनवाई में निगम ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि आदमपुर छावनी लैंडफिल साइट में करीब सात लाख टन कचरा डंप था। वर्तमान में एक लाख टन कचरा ही बचा है। ऐसे में उन्हें एनजीटी द्वारा लगाए गए जुमार्ने पर स्टे दिया जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निगम से सवाल किया कि पहले ये बताएं कि लैंडफिल साइट में सालिड वेस्ट मैंनेजमेंट करने पर एसवीएम रूल्स 2016 का पालन किया गया है या नहीं। इस पर निगम कोई जवाब नहीं दे सका। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले आप जवाब दें कि आपने नियमों का पालन किया है या नहीं, उसके बाद स्टे की मांग पर विचार किया जाएगा।
अपना हलफनामा पेश किया निगम ने
नगर निगम ने एक दिसंबर 2023 को हुई सुनवाई में अपना हलफनामा पेश किया, लेकिन कोर्ट ने कहा कि हलफनामे से स्पष्ट होता है कि आपने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का पालन नहीं किया है। लैंडफिल साइट में जितना कचरा पहुंच रहा है, उसका प्रतिदिन निष्पादन नहीं हो पा रहा है। निगम का तर्क था कि वह बेहतर हलफनामा पेश कर सकता है, जिसके लिए और समय चाहिए। इस पर कोर्ट ने दो महीने का समय देते हुए कहा कि ये आखिरी मौका है।
विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस अब परिणामों की समीक्षा करेगी, सभी निर्वाचित और हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है
5 Dec, 2023 11:55 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस अब परिणामों की समीक्षा मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने सभी निर्वाचित और हारे हुए प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। बैठक प्रारंभ हो गई है। बैठक में विधानसभा में दल के नेता के नाम पर भी चर्चा हो सकती है। विंध्य से अजय सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह, चंबल से रामनिवास रावत और निमाड़ से बाला बच्चन को प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। चुनाव परिणाम आने के बाद से कांग्रेस के भीतर यह चर्चा शुरू हो गई है कि प्रबंधन और रणनीति दोनों स्तर पर चूक हुई है। न तो चुनाव अभियान प्रभावी रूप से संचालित हुआ और न ही बड़े नेता अपने क्षेत्रों के बाहर निकले। जबकि, भाजपा के अधिकतर वरिष्ठ नेता लगातार दौरे करके कार्यकर्ताओं को न केवल प्रोत्साहित कर रहे थे, बल्कि यह संदेश देने में भी सफल हो रहे थे कि पार्टी सत्ता में बनी रहेगी। जबकि, कांग्रेस इसमें विफल रही। कार्यकर्ता और उम्मीदवार अति आत्मविश्वास में आए, जिससे नुकसान हुआ।
भाजपा के नेताओं की घेराबंदी की बात करते-करते नेता स्वयं ही घिर गए। वहीं, भितरघात ने भी बड़ा नुकसान पहुंचाया। कई सीटों पर तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने खुलकर भाजपा का काम किया। समीक्षा में इन सभी मुद्दों पर चर्चा होगी। उधर, विधायक दल के नेता को लेकर भी निर्वाचित प्रतिनिधियों से रायशुमारी की जा सकती है। दरअसल, कमल नाथ ने पहले भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया था। उन्होंने वरिष्ठ नेता डा. गोविंद सिंह को यह दायित्व सौंपा था, लेकिन वे चुनाव हार चुके हैं। जो 66 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं, उनमें अधिकतर नए हैं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए विस्तृत समीक्षा आवश्यक है। माना जाता है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह, विधायक दल के सचेतक रह चुके रामनिवास रावत और आदिवासी वर्ग से आने वाले बाला बच्चन के नाम पर विचार किया जा सकता है।
शिवराज के 12 मंत्रियों की पराजय का कारण, व्यवहार, भ्रष्टाचार जैसे कारण बने
4 Dec, 2023 09:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । सत्ता विरोधी रुझान(एंटी इनकंबेंसी) प्रदेश में कितनी असरकारी रही, यह बात भले प्रचंड जीत के शोर में सुनाई न दे रही हो, लेकिन शिवराज कैबिनेट के 12 मंत्रियों की पराजय यह साबित करती है कि उन्हें खिलाफ जनता में नाराजगी थी। मंत्रियों की पराजय का कारण उनका व्यवहार, मनमानी और भ्रष्टाचार की शिकायतें बताई जा रही हैं। कुछ की हार का कारण बेनामी संपत्ति अर्जित करना भी रहा। कुछ मंत्रियों का अतिआत्मविश्वास और बड़बोलापन उन्हें ले डूबा।
1. नरोत्तम मिश्रा, गृहमंत्री
जहां से पहले जीते, वहीं की नाराजगी ले डूबी
नरोत्तम मिश्रा का दतिया के ग्रामीण क्षेत्रों में तगड़ा विरोध था, जिसके विभिन्न कारण थे। जैसे राजनीतिक रंजिश के चलते ग्रामीणों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज होना आदि प्रमुख कारण बताया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में कानून व्यवस्था और जुआ-सट्टा से लोगों के परेशान होने की बात भी हार का कारण बनी।
2. भारत सिंह कुशवाह, राज्यमंत्री
खराब व्यवहार और जातीय समीकरण आड़े आया
ग्वालियर ग्रामीण में राज्यमंत्री भारत सिंह कुशवाह का रूखा व्यवहार लोगों के पसंद नहीं आ रहा था,उनके भ्रष्टाचार की बातें भी सामने आ रही थीं। ब्राह्मण बहुल कई गांवों में जबरदस्त विरोध था। काम नहीं मिलने से कार्यकर्ता भी नाराज थे। अति आत्मविश्वास के शिकार हुए।
3. सुरेश राठखेड़ा, राज्यमंत्री
व्यवहार इतना खराब था कि लोगों ने प्रचार से भी खदेड़ा
ज्योदिरादित्य सिंधिया समर्थक राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा की छवि पोहरी (शिवपुरी) में इतनी खराब थी कि चुनाव प्रचार के दौरान एक ग्रामीण ने उनका अंगूठा चबा लिया था। वहीं एक स्थान से उन्हें खदेड़ दिया गया था। कई जगह वह रोए, लोगों के पैर पकड़ते हुए वीडियो बहुप्रसारित हुए।
4. अरविंद भदौरिया, सहकारिता मंत्री दद्दा
टैक्स बना हार का कारण
अटेर के लोग अपारदर्शी कार्यप्रणाली से त्रस्त थे। बताते हैं कि उनके बड़े भाई दद्दा टैक्स के कारण बदनाम थे, जिसका असर चुनाव पर भी देखने को मिला। कांग्रेस ने यहां से ब्राह्मण प्रत्याशी हेमंत कटारे को उतारा था। भदौरिया को नाराज ब्राह्मणों का वोट नहीं मिला।
-5. महेंद्र सिंह सिसौदिया, मंत्री
मूल पार्टी से बना ली थी दूरी
महेंद्र सिंह सिसौदिया का कार्यकर्ताओं से व्यवहार भी संतोषजनक नहीं था, जिसके बाद से लोगों के साथ साथ उनकी पार्टी से भी दूरी बढ़ती गई। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे। स्थानीय भाजपा से तालमेल नहीं बना पा रहे थे। कई तरह के आरोप भी लगे।
6 कमल पटेल- कृषि मंत्री
परिजन और बड़बोलापन ले डृबा
कमल पटेल को उनके परिजन और खासतौर से बेटे का व्यवहार और उनका बड़बोलापन ले डूबा। डैमेज कंट्रोल में भी भाजपा नाकाम रहे। दोस्त सुरेंद्र जैन ने भाजपा छोङकर कांग्रेस का दामन थाम लिया। चुनाव के दौरान भी कई बार अहंकार के प्रकटीकरण ने नुकसान पहुंचाया।
7 राजवर्धन सिंह दत्तीगांव- औद्योगिक विकास मंत्री
भितरघात और परिवारवाद बना हार की वजह
चुनाव से पहले प्रचारित एक वीडियों के कारण छवि बिगड़ी। जातिगत समीकरण भी अनुकूल न होने की वजह से राजवर्धन की मुश्किलें बढ़ती गईं। कुछ समय पहले दो समाजों के व्यक्तियों के मामलों को लेकर समाजों में भी दत्तीगांव के विरुद्ध माहौल तैयार किया था।
8 प्रेमसिंह पटेल- पशुपालन मंत्री
परिवारवाद ने जीत को हार में बदला
भितरघात,परिवारवाद,क्षेत्र के मतदाताओं से सतत संपर्क में कमजोरी जैसे कारणों से चुनाव हार गए। बहू बड़वानी नगरपालिका की अध्यक्ष हैं जबकि बेटी भी दो बार पलसूद नगरपालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं। खराब व्यवहार भी हार की वजह बना।
9 गौरीशंकर बिसेन - पीएचई मंत्री
परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोप
बड़बोलापन, भ्रष्टाचार, कर्मचारी- अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार जैसे आरोप। परिवारवाद के चलते पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया, अब बेटी को टिकट दिलाना चाहते थे। बेनामी सम्पत्ति जैसे आरोपों ने भी छवि बिगाड़ी।
10 रामकिशोर कावरे- राज्य मंत्री
अवैध खनन, अवैध शराब में लग बदमाशों को संरक्षण। ऐसे कारोबारियों के साथ मित्रवत संबंध और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा जैसे कारण पराजय की वजह बने। जातिगत समीकरणों से भी नुकसान चहुंचा।
11 रामखेलावन पटेल- राज्य मंत्री
निष्क्रियता ही भारी पड़ी
जातिगत समीकरण अनुकूल होने के बाद भी निष्क्रियता के कारण पराजय मिली। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने भी वोट काटे। मंत्री होने के बावजूद लोगों को संतुष्ट न कर पाना भी बड़ी वजह बना।
12 राहुल लोधी- राज्य मंत्री
जातिवाद और मंत्रीपद ने हराया
राहुल लोधी ऐसे नेता हैं, जो चुनाव से पहले मंत्री बनाए जाने के कारण हार गए। उमा भारती के भतीजे होने और दंबंग की छवि ने भी नुकसान पहुंचाया । अन्य जातियों के साथ संबंध ठीक न होना भारी पड़ा।
तीसरी लाइन के कारण ट्रेनें निरस्त, यात्री हो रहे है परेशान
4 Dec, 2023 08:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । भोपाल-इटारसी रेल खंड पर बुधनी-बरखेड़ा (घाट सेक्शन) के बीच तीसरी लाइन कार्य के चलते रेलवे ने छिंदवाड़ा से होकर इंदौर जाने वाली पेंचवैली एक्सप्रेस और फिरोजपुर तक जाने वाली पातालकोट एक्सप्रेस निरस्त हो गई है। अब दस दिसंबर तक इन ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जाएगा। जिसके चलते यात्रियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। ट्रेनें निरस्त होने के कारण यात्रियों को बस से सफर करना पड़ रहा है, जिसके कारण अधिक किराया देकर सफर करना पड़ रहा है। रेलवे ने कार्य के चलते इंदौर-सिवनी पेंचवेली एक्सप्रेस (19343) नौ दिसंबर तक वहीं, छिंदवाड़ा-इंदौर पेंचवेली एक्सप्रेस(19344) दस दिसंबर तक निरस्त रहेगी। इसके अलावा फिरोजपुर से सिवनी पातालकोट एक्सप्रेस (14624) नौ दिसंबर तक तथा सिवनी-फिरोजपुर पातालकोट एक्सप्रेस (14623) को दस दिसंबर तक निरस्त किया गया है।
निरस्त की जाने वाली ट्रेनें
- ट्रेन 12923 डा. अंबेडकर नगर–नागपुर एक्सप्रेस पांच दिसंबर को तथा ट्रेन 12924 नागपुर-डा. अम्बेडकर नगर एक्सप्रेस छह दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 12153 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-रानी कमलापति एक्सप्रेस सात दिसंबर को तथा ट्रेन 12154 रानी कमलापति-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस आठ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 11079 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर एक्सप्रेस सात दिसंबर को तथा ट्रेन 11080 गोरखपुर-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस नौ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 22175 नागपुर-जयपुर एक्सप्रेस सात दिसंबर को तथा ट्रेन 22176 जयपुर-नागपुर एक्सप्रेस आठ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 12161 लोकमान्य तिलक टर्मिनस-आगरा कैंट एक्सप्रेस आठ दिसंबर को तथा ट्रेन 12162 आगरा कैंट-लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस नौ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 01431 पुणे-गोरखपुर एक्सप्रेस स्पेशल आठ दिसंबर को तथा ट्रेन 01432 गोरखपुर-एक्सप्रेस स्पेशल नौ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 01025 दादर-बलिया एक्सप्रेस स्पेशल छह दिसंबर एवं आठ दिसंबर को तथा ट्रेन 01026 बलिया-दादर एक्सप्रेस स्पेशल आठ दिसंबर एवं दस दिसंबर को निरस्त रहेगी।
- ट्रेन 01027 दादर-गोरखपुर एक्सप्रेस स्पेशल सात दिसंबर को तथा ट्रेन 01028 गोरखपुर-दादर एक्सप्रेस स्पेशल नौ दिसंबर को निरस्त रहेगी।
परिवर्तित मार्ग से चलाई जाने वाली ट्रेनें
- ट्रेन 11463-64 जबलपुर-वेरावल सोमनाथ एक्सप्रेस पांच, छह, सात और नौ दिसंबर को अपने निर्धारित मार्ग के बजाय परिवर्तित मार्ग वाया जबलपुर-कटनी मुडवारा-बीना-भोपाल होकर गंतव्य को जाएगी।
- ट्रेन 18233-34 बिलासपुर-इंदौर नर्मदा एक्सप्रेस नौ दिसंबर तक अपने निर्धारित मार्ग के बजाय परिवर्तित मार्ग वाया न्यू कटनी जंक्शन-कटनी मुड़वारा-बीना-भोपाल होकर गंतव्य को जाएगी।
- ट्रेन 22191-92 जबलपुर-इंदौर एक्सप्रेस सात दिसंबर से नौ दिसंबर तक अपने निर्धारित मार्ग के बजाय परिवर्तित मार्ग वाया जबलपुर-कटनी मुडवारा-बीना-भोपाल होते हुए गंतव्य को जाएगी।
MP Election Result: चुनाव मैदान में उतरे शिवराज के 32 में से 12 मंत्री हार गए
4 Dec, 2023 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
MP Election Result: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना करीब-करीब पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 32 मंत्री मैदान में उतरे थे। जिनमें 12 की हार हुई, वहीं 20 ने जीत दर्ज की है। हालांकि, दतिया में प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा हार गए हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार तो तय हो गई है, लेकिन टीम शिवराज के बड़े चेहरे नरोत्तम मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह कई बड़े मंत्री दस दौर की मतगणना के बाद भी पिछड़ गए हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती से 8800 से ज्यादा वोटों से परास्त
MP के गृहमंत्री और बीजेपी प्रत्याशी नरोत्तम मिश्रा अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती से 8800 से ज्यादा वोटों से परास्त हो गए। हरदा से कृषि मंत्री कमल पटेल, पोहरी से मंत्री सुरेश धाकड़ राठखेड़ा, बमोरी से मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया, बड़वानी से प्रेम सिंह पटेल, अटेर अरविंद सिंह भदौरिया, बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और पोहरी से सुरेश धाकड़ ने भी अपनी-अपनी सीट गंवा दी। इनमें से सुरेश धाकड़, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसौदिया को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थक माना जाता है।
कौन कैबिनेट मंत्री हारा और कौन जीता
दतिया से डॉ. नरोत्तम मिश्रा- हार
रहली से गोपाल भार्गव- जीते
सांवेर से तुलसीराम सिलावट- जीते
हरसूद से विजय शाह- जीते
मल्हारगढ़ से जगदीश देवड़ा- जीते
अनूपपुर से बिसाहूलाल साहू- जीते
खुरई से भूपेंद्र सिंह- जीते
मानपुर से कु. मीना सिंह मांडवे- जीतीं
हरदा से कमल पटेल- हारे
सुरखी गोविंद सिंह राजपूत- जीते
पन्ना से बृजेंद्र प्रताप सिंह- जीते
नरेला से विश्वास सारंग- जीते
सांची से प्रभुराम चौधरी- जीते
बमोरी से महेंद्र सिंह सिसौदिया- हारे
ग्वालियर से प्रद्म्न सिंह तोमर- जीते
बड़वानी से प्रेम सिंह पटेल- हारे
जावद से ओम प्रकाश सखलेचा- जीते
महू से उषा ठाकुर- जीतीं
अटेर अरविंद सिंह भदौरिया- हारे
उज्जैन दक्षिण मोहन यादव- जीते
सुवासरा से हरदीप सिंह डंग- जीते
बदनावर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव- हारे
रीवा से राजेंद्र शुक्ला- जीते
बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन- हारे
शिवराज सरकार के राज्यमंत्री
ग्वालियर ग्रामीण से भारत सिंह कुशवाह- हारे
शाजापुर से इंदर सिंह परमार- जीते
अमरपाटन से रामखेलावन पटेल- हारे
पारसवाड़ा से राम किशारे नानो कांवरे- हारे
मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव- जीते
पोहरी से सुरेश धाकड़- हारे
खरगापुर से राहुल सिंह लोधी- हारे
2018 में नतीजे क्या रहे थे?
मध्यप्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव कई मायनों में बेहद रोमांचक रहा था। 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को बहुमत से दो कम 114 सीटें मिलीं थीं। वहीं, भाजपा 109 सीटों पर आ गई। हालांकि, यह भी दिलचस्प था कि भाजपा को 41% वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 40.9% वोट मिला था। बसपा को दो जबकि अन्य को पांच सीटें मिलीं। नतीजों के बाद कांग्रेस ने बसपा, सपा और अन्य के साथ मिलकर सरकार बनाई। इस तरह से राज्य में 15 साल बाद कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनी और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि लगभग 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके खेमे के मंत्रियों ने बगावत कर दी, इससे कांग्रेस की सरकार गिर गई। सिंधिया ने समर्थकों के साथ भाजपा जॉइन कर ली थी। भाजपा फिर सत्ता में लौट आई थी।
विधानसभा चुनाव परिणाम: कल हार की समीक्षा करेगी कांग्रेस, कमलनाथ के निवास पर विधायकों के साथ हारे हुए प्रत्याशी जुटेंगे
4 Dec, 2023 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। मध्यप्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली प्रचंड जीत और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को मिली करारी हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हार के कारणों की तलाश के लिए कल यानी मंगलवार पांच दिसंबर को सभी हारे हुए 164 कांग्रेस प्रत्याशियों को भोपाल बुलाया है। कल श्यामला हिल्स स्थित कमलनाथ के निवास पर आयोजित बैठक में जीते हुए उम्मीदवारों के साथ हारे हुए प्रत्याशियों को भी आमंत्रित किया गया है। कमलनाथ का फोकस इस पर रहेगा कि आखिर इतनी बड़ी तैयारी, तीन-तीन सर्वे के बाद टिकटों का वितरण किया गया था, फिर भी कांग्रेस को इतनी करारी हार क्यों मिली।
प्रत्याशी बताएंगे क्यों हारे
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला कल मंगलवार को कमलनाथ के निवास पर विधानसभा का चुनाव हारे कांग्रेस के सभी 164 उम्मीदवारों से पूछेंगे कि आखिर किन कारणों से विधानसभा में हार मिली। कांगे्रस प्रत्याशी जनता के मूड, मौजूदा परिस्थितियों, पार्टी के नेताओं के सहयोग, भितरघाट, भाजपा की लहर सहित अन्य मुद्दों को लेकर अपना पक्ष कमलनाथ और सुरजेवला के समक्ष रखेंगे।
विश्वास नहीं हो रहा ऐसी हार क्यों हुए
कांग्रेस पार्टी के अंदरखाने की मानें तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक को भी यह भरोसा नहीं हो रहा कि मध्यप्रदेश में इतनी बड़ी हार पार्टी की हुई है। कांग्रेस मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त थी। कांगे्रस पार्टी यह मानकर चल रही थी कि छत्तीसगढ़ के साथ मध्यप्रदेश में उसकी सरकार बनने जा रही है। मध्यप्रदेश में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर पोस्टर तक लगा दिए गए थे, लेकिन पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस के बड़े-बड़े दिग्गज चुनाव हारे
गौरतलब है कि कमलनाथ की सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, सज्जन सिंह वर्मा, कमलेश्वर पटेल, विजय लक्ष्मी साधौ, पीसी शर्मा, सुखदेव पांसे जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी चुनाव हार गए हैं। कांग्रेस के अधिकांश पूर्व मंत्रियों को ऐसे नेताओं ने चुनाव हराय है जो पहले कोई बड़ा चुनाव नहीं जीते थे। पीसी शर्मा और कमलेश्वर पटेल को तो हराने वाले पहली बार विधायक बन रहे हैं।
कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष रहेंगे या नहीं स्पष्ट नहीं
इधर कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बने रहने पर फिलहाल संशय बना हुआ है। हालांकि सूत्रों की मानें तो आगामी छह माह के अंदर देश में लोकसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए कमलनाथ लोकसभा चुनाव तक प्रदेश अध्यक्ष बने रह सकते हैं। हालांकि अब नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाएगा इसको लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। कांग्रेस के वर्तमान नेता प्रतिपक्ष चुनाव हार गए हैं, लेकिन दो बाद नेता प्रतिपक्ष रह चुके पूर्व मंत्री अजय सिंह राहुल भैया चुनाव जीत गए हैं।वहीं पूर्व मंत्री और पूर्व उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन भी चुनाव जीत गए हैं।
सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने सीएम हाउस पहुंचे
4 Dec, 2023 02:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मप्र विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद सोमवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने सीएम हाउस पहुंचे। सीएम शिवराज ने मुस्कराकर कमल नाथ का स्वागत की। कमल नाथ ने शिवराज को विधानसभा चुनाव में जीत की बधाई दी। इस दौरान कमल नाथ के सुपुत्र और छिंदवाड़ा सांसद नकुल नाथ भी उनके साथ थे।
विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का पहला बयान
4 Dec, 2023 01:46 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दतिया । विधानसभा चुनाव में दतिया से भाजपा प्रत्याशी और शिवराज सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं सोमवार को मिश्रा ने हार के बाद पहला बयान दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि किसी भ्रम में मत रहना, मै लौटकर आऊंआ। नरोत्तम मिश्रा ने इस दौरान यह भी कहा कि कार्यकर्ता मेरे लिए प्राणों से प्यारा है। चिंता मत करना सरकार आपकी है। जनता के लिए उन्हें करने दो। कार्यकर्ताओं के लिए मै करूंगा। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के विकास की चिंता मेरी है।गौरतलब है कि दतिया विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार जीत दर्ज कराने वाले गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा को अपने कांग्रेसी प्रतिद्वंदी राजेंद्र भारती से हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें अपनी ही पार्टी के लोगों का भीतरघात भी भारी पड़ा।
गृह मंत्री पद इस बार हुआ अशुभ साबित
दतिया जिले में गृह मंत्री पद को हमेशा अशुभ माने जाने का अपवाद रहा है। दतिया के स्थानीय निवासियों के मुताबिक कांग्रेस सरकार में पहली बार वर्ष 1998 में महेंद्र बौद्ध गृह मंत्री बनाए गए थे। इस कार्यकाल को पूरा करने के बाद से महेंद्र बौद्ध के राजनीतिक सितारे हमेशा गर्दिश में रहे। इसके बाद वह फिर चुनाव नहीं जीत सके।
इस बार भी यह अपवाद सही साबित हुआ जब विधायकी का अभी तक कोई चुनाव न हारने वाले गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा को पहली बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। जबकि पूरे प्रदेश में लाडली बहना की हवा चल रही थी। उनकी इस हार के बाद ही 15 वर्ष बाद कांग्रेस को एक बार फिर दतिया में मौका मिल सका।
मप्र विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों में से एक हारा, चार सांसदों में से एक हारा
4 Dec, 2023 01:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । इस बार भाजपा ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के मैदान में उतारा तो इसका लाभ भी पार्टी को मिला। हालांकि एक केंद्रीय मंत्री और एक सांसद चुनाव नहीं जीत पाए। केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते 9723 वोटों से हार गए।सतना से सांसद गणेश सिंह भी चुनाव नहीं जीत पाए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को मुरैना जिले की दिमनी सीट से चुनाव में उतारने का परिणाम यह हुआ कि ग्वालियर-चंबल में भाजपा ने बड़ी सफलता पाई। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने जीत तो दर्ज की ही, नरसिंहपुर जिले को कांग्रेस मुक्त कर दिया। सांसद राकेश सिंह ने जबलपुर पश्चिम सीट से कांग्रेस के तरुण भनोत को हराया। सांसद रीती पाठक ने सीधी और राव उदयप्रताप सिंह ने गाडरवारा सीट से जीत दर्ज की। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी इंदौर- 1 विधानसभा सीट पर विजयी रहे।
भाजपा ने रविवार देर रात विजय जुलूस निकालकर जीत का जश्न मनाया
4 Dec, 2023 12:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । हुजूर विधानसभा क्षेत्र में शामिल बैरागढ़ में कांग्रेस का संगठन लगातार कमजोर होता जा रहा है। इस विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इस क्षेत्र के तीन नेताओं को प्रदेश सचिव बनाया। एक प्रदेश प्रवक्ता भी इसी ब्लाक से हैं, लेकिन कोई भी अपनी पार्टी के उम्मीदवार को अपने बूथ से नहीं जिता सका।
सभी वार्डों में कांग्रेस पस्त
हुजूर क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाने वाले बैरागढ़ जोन क्षेत्र में नगर निगम के छह वार्ड हैं। यह पहला मौका है, जब सभी छह वार्डो में कांग्रेस को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है। वार्ड पांच में जहां से ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष अशोक मारण पार्षद हैं। वे अपने वार्ड से भी पार्टी के उम्मीदवार नरेश ज्ञानचंदानी को नहीं जिता पाए। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को बढ़त मिली थी, इस बार पार्टी को बुरी तरह पिछड़ना पड़ा।
प्रदेश सचिव कुछ नहीं कर सके
तीन-तीन प्रदेश सचिव अपने इलाके में पार्टी उम्मीदवार के लिए कुछ खास नहीं कर सके। प्रदेश प्रवक्ता भी वोट नहीं दिला सके। गांधीनगर जैसे कांग्रेस के वर्चस्व वाले क्षेत्र में भी पार्टी को इस बार अपेक्षित वोट नहीं मिल सके हैं। इसके विपरीत भाजपा के बड़े से छोटे कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर रणनीति बनाकर अपने उम्मीदवार रामेश्वर शर्मा की तीसरी बार जीत सुनिश्चित कर दी।
भाजपा ने मनाया जश्न
भाजपा ने रविवार देर रात विजय जुलूस निकालकर जीत का जश्न मनाया। जिला उपाध्यक्ष राम बंसल एवं मंडल अध्यक्ष कमल वीधानी ने इस जीत का श्रेय रामेश्वर के विकास कार्य एवं कार्यकर्ताओं के परिश्रम को दिया। भाजपा ने इस बार बूथ प्रभारियों के साथ ही प्रत्येक बूथ पर पेज प्रभारी भी बनाया। प्रत्येक मतदाता के घर तक पहुंचने की रणनीति कामयाब रही। इसके विपरीत कांग्रेसी घर-घर पर्ची वितरण भी नहीं कर सके।
भाजपा ने आदिवासी वर्ग के लिए काफी कुछ किया, द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाया, बिरसा मुंडा जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिवस के रूप में मनाया
4 Dec, 2023 12:37 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश में आदिवासी और दलित वर्ग ने करवट ली तो फिर भाजपा के हाथों में सत्ता लौट आई। इस चुनाव में आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 सीटों में भाजपा को 25, कांग्रेस को 21 व भारत आदिवासी पार्टी को एक सीट मिली।
पिछली बार हुआ था ऐसा
पिछले चुनाव 2018 में भाजपा का साथ छोड़कर आदिवासी वर्ग कांग्रेस के साथ चला गया था, इस कारण सुरक्षित 47 सीटों में कांग्रेस को 30, भाजपा को 16 और अन्य को एक सीट मिली थी। यह संख्या वर्ष 2013 की तुलना में आधी थी। 2013 में भाजपा को 31 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 15। एक अन्य निर्दलीय जीता था, जो भाजपा का ही बागी था।
तब निकला था यह निष्कर्ष
इस दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा को आदिवासियों ने ही सत्ता से बाहर किया था। पिछले चार वर्ष में भाजपा ने आदिवासी वर्ग के लिए काफी कुछ किया। द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाया, बिरसा मुंडा जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर गौरव दिवस के रूप में मनाया, जबलपुर में बलिदानी शंकर शाह-रघुनाथ शाह का स्मारक बनवाया। ऐसे अनेक कार्य करवाए कि आदिवासी वर्ग ने मप्र में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। उधर, अनुसूचित जाति (अजा) वर्ग के लिए सुरक्षित 35 सीटों में से भाजपा ने 25 सीटें जीतकर फिर विश्वास हासिल किया है। हालांकि, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य गोहद से चुनाव हार गए।
अनुसूचित जनजाति (अजजा) के लिए सुरक्षित विधानसभा सीट-47
विधानसभा के परिणाम 2013-2018-2023
भाजपा--31--16--25
कांग्रेस--15--30--21
निर्दलीय- 1--1-- भारत आदिवासी पार्टी 1
अनुसूचित जाति (अजा) के लिए सुरक्षित सीटें- 3
विधानसभा के परिणाम 2013-2018-2023
भाजपा--28--18--25
कांग्रेस-- 4-- 17--10
बसपा-0-3- 0
गोविंदपुरा क्षेत्र में बाबूलाल गौर की आठ बार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए कृष्णा गौर ने दर्ज की लगातार दूसरी जीत
4 Dec, 2023 11:49 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । जिले की सात विधानसभा सीटों में भाजपा का सबसे पुराना गढ़ गोविंदपुरा एक बार फिर पूरी ताकत से उभरकर सामने आया है। देश की नवरत्न कंपनी भेल और गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र में श्रमिक नेता से उभरकर मुख्यमंत्री तक पहुंचने वाले बाबूलाल गौर ने रिकार्ड आठ बार विजयश्री हासिल करके जो मजबूत नींव बनाई थी, उसे उनकी बहू कृष्णा गौर ने न केवल बरकरार रखा, बल्कि एक लाख से अधिक मतों से जीतकर इसकी मजबूती में कोई कमी नहीं आने दी है।
पांच दशक से भाजपा का कब्जा
इस सीट पर जिले में सबसे ज्यादा तीन लाख 93 हजार 213 मतदाता हैं, इस मतदान में दो लाख 47 हजार 854 मतदाताओं अर्थात 63.03 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था। इस सीट पर पांच दशकों से भाजपा की मजबूत पकड़ है। गौर परिवार की सीट पर इस बार कांग्रेस मैदान में मजबूती से खड़ी भी नहीं हो पाई। कृष्णा गौर की टक्कर में कांग्रेस प्रत्याशी रवींद्र साहू झूमरवाला की अपने क्षेत्र में पहले से सक्रियता नहीं रही थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने क्षेत्र को नापने की कोशिश तो की, लेकिन बड़े इलाके में सब तक पहुंच नहीं पाए।
क्षेत्र में अच्छी पकड़
राजधानी की महापौर भी रह चुकी कृष्णा गौर की अपने विधानसभा क्षेत्र में गजब की पकड़ है। छोटे-छोटे आयोजनों में बुलाए जाने पर भी वे उपस्थिति जरूर दर्ज कराती हैं। महिलाओं से उनका बहनापा है तो पुरुष मतदाता की बहन, बेटी, बुआ बनकर रिश्ता जोड़ लेती हैं। एक बार के महापौर रहने के बाद विधानसभा चुनावों में लगातार दूसरी जीत दर्ज करने से वरिष्ठता और महिला कोटे से मंत्री पद की दावेदार भी बन गई हैं।
भोपाल जिले में सबसे बड़ी जीत
जिले की गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कृष्णा गौर ने एक लाख छह हजार 668 मतों से प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी जीत हासिल की है।जबकि भोपाल जिले में पहली सबसे बड़ी जीत उन्होंने प्राप्त की है। वहीं हुजूर से रामेश्वर शर्मा ने भोपाल जिले में दूसरी बड़ी जीत कुल 97 हजार 910 मतों से प्राप्त की है। पिछले 2018 चुनाव की अपेक्षा कृष्णा गौर को 60 हजार 309 और रामेश्वर शर्मा को 82 हजार 185 अधिक मत मिले हैं।
सातों विधानसभा क्षेत्र में जीत का अंतर
विधानसभा क्षेत्र - प्रत्याशी - अधिक मत मिले
बैरसिया - विष्णु खत्री - 25397
उत्तर - आतिफ अकील - 26987
नरेला - विश्वास सारंग - 24569
दक्षिण-पश्चिम - भगवानदास सबनानी - 15833
मध्य - आरिफ मसूद - 15891
हुजूर - रामेश्वर शर्मा - 97910
गोविंदपुरा - कृष्णा गौर - 106668
गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र में ढाई हजार मतदाताओं ने दबाया नोटा
जिले की सात विधानसभा क्षेत्र में से सबसे अधिक गोविंदपुरा में ढाई हजार मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है। जबकि सातों विधानसभा क्षेत्र में कुल 10 हजार 485 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया है। जो कि पिछले विधानसभा चुनाव वर्ष 2018 से एक हजार 146 कम हैं। पिछले चुनाव में सातों विधानसभा क्षेत्र में कुल 11 हजार 631 मतदाताताओं ने नोटा पर अपना मत दिया था।
विधानसभा चुनाव 2023 में नोटा
विधानसभा क्षेत्र - नोटा मत
बैरसिया -1829
उत्तर - 766
हुजूर - 2135
मध्य - 1151
गोविंदपुरा - 2561
नरेला - 878
दक्षिण -पश्चिम - 1189
कुल - 10485
MP में बीजेपी के जीत की 5 बड़ी वजहें, शिवराज की ये बड़ी घोषणा
3 Dec, 2023 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
MP Election Results: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रचंड जीत दर्ज करती दिखाई दे रही है। बीजेपी ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए रुझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। बीजेपी की जीत से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह है तो वहीं कांग्रेस खेमे में मायूसी है। तमाम चुनावी विश्लेषणों को धता बताते हुए भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश का विधानसभा चुनाव जीत लिया है। अब सवाल ये है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही रहेंगे या फिर उनकी जगह कोई और लेगा। लेकिन इस सवाल से पहले उन वजहों को तलाशने की कोशिश करते हैं, जिन्होंने मध्यप्रदेश में हार रही बीजेपी को बड़ी जीत दिलाई है। आइए जानते हैं कि बीजेपी की इस प्रचंड जीत के वो पांच कारण कौन से हैं।
पीएम मोदी का आक्रामक प्रचार
मध्यप्रदेश चुनाव में बीजेपी ने बड़े जोर-शोर से इस नारे को उछाला था। और ये नारा काम कर गया। शुरुआती चुनावी प्रचार में बीजेपी पिछड़ती हुई दिख रही थी, लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताबड़तोड़ रैलियां शुरू हुईं, गेम पलट गया। पीएम मोदी ने भी चुनाव के दौरान आक्रामक प्रचार किया। जनता ने पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा किया। वहीं, कांग्रेस का चुनाव प्रचार पूरी तरह से दिशाहीन नजर आयाऔर जो साइलेंट वोटर था, जो शिवराज सिंह चौहान या फिर स्थानीय विधायक-मंत्री से नाराज था, उसने भी पीएम मोदी के चेहरे पर भरोसा जताया और नतीजा सबके सामने है। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सीएम फेस घोषित नहीं किया बल्कि पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा जो सही साबित हुआ। कांग्रेस जनता तक अपने वादों को पहुंचाने में असफल रही।
लाड़ली बहना योजना
मध्यप्रदेश में बीजेपी की जीत की वजह बतानी हो तो शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना ने पूरे मध्यप्रदेश में कांग्रेस को दरकिनार कर बीजेपी के हाथ में सत्ता दे दी है। यही वो योजना है, जिसके जरिए एमपी के माम शिवराज सिंह चौहान ने 1250 रुपये सीधे महिलाओं के खाते में ट्रांसफर कर एक नया लाभार्थी वोट बैंक बनाया। इन लाभार्थियों की संख्या करीब 1 करोड़ 30 लाख के पार थी, जिनके वोट शिवराज बीजेपी के पाले तक खींचकर लाए।
बीजेपी का हिंदुत्व कार्ड
मध्यप्रदेश में बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड चलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बात चाहे उज्जैन महाकाल लोक निर्माण की हो या फिर अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की, बीजेपी ने इसे अपने व्यक्तिगत काम के तौर पर प्रचारित किया। 230 विधानसभा सीटों वाले एमपी में एक भी मुस्लिम को टिकट न देकर बीजेपी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए। और नतीजा ये हुआ कि बीजेपी एमपी में अपने इतिहास की सबसे बड़ी जीत की ओर बढ़ गई।
बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग
बीजेपी भले ही जाति जनगणना का विरोध करे, लेकिन चुनाव में उसे जातियों का इस्तेमाल करना बखूबी आता है। सामाजिक विज्ञान या राजनीतिक विज्ञान की किताबों में इसे सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है. तो बीजेपी ने एमपी में भी सोशल इंजीनियरिंग की। सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतारते वक्त उनकी जाति और उनके वोट का ध्यान रखा। 33 फीसदी महिला आरक्षण का दांव संसद से चला ही जा चुका था। लिहाजा जब नतीजे आए, तो कांग्रेस के पक्ष में बताए जा रहे तमाम समीकरण ध्वस्त हो गए।
शाह की तैयारी
टिकट बंटवारे के बाद जो लोग कांग्रेस की जीत का ऐलान कर रहे थे, उनकी निगाहें बीजेपी के बागियों पर टिकी थीं। टिकट कटने से नाराज बीजेपी नेताओं ने खुले तौर पर बगावत की थी। लेकिन अंतिम वक्त में गृहमंत्री अमित शाह ने कमान संभाली। बागियों को मनाया। 7 सांसदों को विधानसभा का चुनाव लड़वाया, जिनमें तीन मंत्री थे। कैलाश विजयवर्गीय जैसे कद्दावर नेता को इंदौर संभालने की जिम्मेदारी दे दी। भूपेंद्र यादव पल-पल की रिपोर्ट लेते र। वॉर रूम में अश्विनी वैष्णव की हमेशा मौजूदगी रही। हर एक पेच जो थोड़ा ढीला पड़ रहा था, अमित शाह ने खुद उसे कसा। और अब उसका आखिरी रिजल्ट सामने आ गया है।
Election Result 2023: मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान में BJP की बंपर जीत, तेलंगाना में कांग्रेस ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार किया, MP में मामा को मिला ‘लाडली बहनों’ का प्यार और आशीर्वाद
3 Dec, 2023 04:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Assembly Election Result: छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना का चुनाव रिजल्ट लगभग साफ हो चुका है। इसमें से सिर्फ तेलंगाना में कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े को पार करते हुए दिख रही है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुका है, चुनावी परिणाम भी सामने आ गए और अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री चेहरे पर टिकी हुई हैं। हालांकि, भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री चेहरे का एलान नहीं किया है। मध्य प्रदेश में एक बार फिर से भाजपा की सरकार बन रही है। ऐसे में अब सवाल मुख्यमंत्री चेहरे पर आकर रुकता है। क्या शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे? या फिर किसी अन्य चेहरे पर आलाकमान दांव लगाएगा।
चुनाव रिजल्ट से कांग्रेस को झटका
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जाने वाले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के चुनाव रिजल्ट में कांग्रेस को झटका लगता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी बंपर जीत की ओर आगे बढ़ रही है। वहीं मध्य प्रदेश में बीजेपी पर फिर से लोग विश्वास जताते हुए दिख रहे हैं। इसके अलावा तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव (KCR) की भारत राष्ट्र समिति को लोग नकाराते हुए दिख रहे हैं। यहां कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े को पार करते हुए दिख रही है।
बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रही है
चुनाव आयोग के दोपहर तीन बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 90 सीटों में बीजेपी 54 सीटों पर आगे हैं। वहीं कांग्रेस 33 सीटों पर सिमटती दिख रही है। इसके अलावा अन्य के उम्मीदवार 3 सीटों पर आगे चल रहे हैं। मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी प्रचंड बहुमत की ओर बढ़ रही है। बीजेपी 230 सीटों में 159 पर आगे चल रही है तो एक सीट जीत चुकी है। वहीं कांग्रेस 68 सीटों पर आगे हैं। इसके अलावा अन्य के उम्मीदवार दो सीटों पर आगे चल रहे हैं। राजस्थान की 199 सीटों पर हुए चुनाव में से बीजेपी 103 सीटों पर आगे और 12 सीटें जीत चुकी है। वहीं कांग्रेस 66 पर आगे तो तीन सीट जीत चुकी है। वहीं अन्य के उम्मीदवार 15 पर आगे चल रहे हैं। इसके अलावा तेलंगाना की 119 सीटों में से कांग्रेस 62 सीटों पर आगे और 2 सीटें जीत चुकी है।
MP Elections : MP में शिवराज के साथ-साथ यह भी CM पद के दावेदार, मेल-मुलाकातों का दौर शुरू
3 Dec, 2023 03:04 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
MP Elections : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल नतीजे (exit poll results) सामने आने के बाद आज मतगणना भी शुरू हो गई है। इस बार मध्य प्रदेश में प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। वोटों की गिनती के साथ ही साफ होगा कि जनता जनार्दन किसके साथ है। लेकिन हम नजर डालते हैं, मध्य प्रदेश की उन दस वीवीआईपी सीटों पर, जिसका नतीजा जानने के लिए ना केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लोग बेताब होंगे। ऐसी ही दस वीवीआईपी विधानसभा सीटों पर नजर डालते हैं, जहां से केंद्रीय मंत्री, सांसद से लेकर मुख्यमंत्री पद के दावेदार चुनावी मैदान में हैं।
भाजपा की सरकार का चेहरा कौन
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ है कि भाजपा को बहुमत मिल रहा है। यह सवाल अब भी कायम है कि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार का चेहरा कौन होगा? क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कुर्सी सुरक्षित रहेगी या उनकी जगह किसी और को बिठाया जाएगा। नरसिंहपुर में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और दिमनी (मुरैना) में नरेंद्र सिंह तोमर भी इस समय आगे चल रहे हैं। उनकी जीत भी तय लग रही है। इंदौर-1 में कैलाश विजयवर्गीय भी आगे निकल गए हैं। ऐसे में इनके नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं। एग्जिट पोल्स के बाद ही मेल-मुलाकातों का दौर शुरू हो गया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ग्वालियर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी।
शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज से भी ग्वालियर में एक दिसंबर को जब यह सवाल किया गया कि जब आप पांचवी बार मुख्यमंत्री बनेंगे? तो वे भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद कहते हुए आगे निकल गए। इसका मतलब साफ है कि अभी भी उनके नाम पर संशय बरकरार है। ऐसे में दूसरे दावेदारों के नाम की चर्चा शुरू हो गई है।
प्रह्लाद सिंह पटेल
सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम पर है। शिवराज के बाद प्रदेश में भाजपा के ओबीसी वर्ग के सबसे बड़े चेहरों में प्रह्लाद पटेल का नाम सबसे आगे है। मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। भाजपा चेहरा बदलती है तो उनकी दावेदारी मजबूत होगी।
फग्गन सिंह कुलस्ते
इसके बाद आदिवासियों के सबसे बड़े नेता भाजपा में फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी चर्चा में है। मंडला जिले की निवास विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। नतीजे कुलस्ते और भाजपा के पक्ष में आते हैं तो पार्टी प्रयोग के तौर पर आदिवासी चेहरे को मौका दे सकती है।
नरोत्तम मिश्रा
दतिया विधानसभा सीट पर एक बार फिर भाजपा के दिग्गज डॉ. नरोत्तम मिश्रा का मुकाबला यहां कांग्रेस पार्टी से होना है। साल 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को यहां आसान जीत नहीं मिल पाई थी। लिहाजा इस बार के चुनाव के रोचक होने के कयास लगाए जा रहे हैं। 2018 में भाजपा उम्मीदवार डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दतिया विधानसभा सीट से मात्र 2600 से कुछ अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी।
नरेंद्र सिंह तोमर
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मुख्यमंत्री पद के तगड़े दावेदार माने जा रहे हैं। चुनाव के शुरुआती दिनों में वे फ्रंटफुट पर बैटिंग कर रहे थे। चुनाव की बड़ी जिम्मेदारियां उनके कंधों पर थी। बेटे के कथित लेनदेन के वीडियो आने के बाद साइलेंट हो गए हैं।
वीडी शर्मा
इसके साथ ही भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा होती है। इन संभावनाओं को बल तब मिला, जब चुनाव प्रचार के दौरान के पीएम मोदी का प्यार इन पर खूब उमड़ा था। चुनावी रैली के दौरान मंच से पीएम इनकी पीठ थपथपाते नजर आए थे। साथ ही इंदौर की रैली में पीएम मोदी के साथ रोड शो में वीडी शर्मा अकेले थे। प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर भी इनका कार्यकाल खत्म होने के बाद दूसरी बार मौका मिला।
कैलाश विजयवर्गीय
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की दावेदारी भी है। चुनाव प्रचार के दोरान कैलाश यह संकेत देते रहे हैं कि हम विधायक बनने नहीं आए हैं। विजयवर्गीय ने पश्चिम बंगाल में पार्टी को मजबूती दी है। केंद्रीय नेतृत्व से उनकी नजदीकी उन्हें प्रदेश का मुखिया बना सकती है।