देश (ऑर्काइव)
अजन्मे बच्चे की मौत पर मुआवजा देने का हाईकोर्ट ने दिया आदेश
17 Aug, 2023 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अजन्मे बच्चे की मौत पर भी मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने एक सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाली 27 वर्षीय गर्भवती महिला (पुलिस कांस्टेबल) के पति को 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि व्यक्ति, महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण के खोने के लिए भी मुआवजे का हकदार है। हादसे के समय, महिला के गर्भ में पल रहा भ्रूण आठ महीने का था और महिला यूपी में पुलिस कांस्टेबल थी। जस्टिस नवीन चावला ने कहा कि भ्रूण एक महिला के अंदर एक और जीवन होता है और इसे गंवाना असल में जन्म लेने वाली संतान को खो देना है और मृतका के पति ने हादसे में अपने पूरे परिवार को खो दिया। बता दें कि यूपी पुलिस कांस्टेबल की जुलाई 2013 में उस समय मौत हो गई थी जब तेज गति से आ रहे एक ट्रक ने एक मोटरसाइकिल को पीछे से टक्कर मार दी थी। इस मोटरसाइकिल पर महिला कांस्टेबल अपने सहकर्मी के साथ सवार थी।
इस मामले में अदालत ने कहा कि पति उचित मुआवजे का हकदार है। आठ माह के अजन्मे बच्चे की मौत के लिए 2.5 लाख रुपये मुआवजा देने का मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण का फैसला पर्याप्त नहीं है। न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि बीमाकर्ता द्वारा मुआवजे की बढ़ाई गई राशि पांच लाख रुपये अदा की जाए। अदालत ने हाल के एक आदेश में कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता मुआवजे का हकदार है। वर्तमान मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, मुझे लगता है कि न्यायाधिकरण द्वारा दिया गया 2,50,000 रुपये का मुआवजा अपर्याप्त है। इसे बढ़ाकर 5,00,000 रुपये किया जाएगा।
10 साल बाद जेल से निकलते ही पांच साल की दूसरी बच्ची से फिर किया रेप
17 Aug, 2023 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सतना । बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के बाद सेंट्रल जेल में 10 साल की सज़ा काटने वाले आरोपी ने जेल से निकलते ही फिर वही दरिंदगी को अंजाम दिया है। जानकारी के अनुसार आरोपी सज़ा पूरी करने के बाद जब जेल से बाहर आया तो उसने एक बार फिर दूसरी मासूम से दरिंदगी की। पांच वर्षीय पीड़िता दलित समाज से आती है। यह घटना विंध्य की औद्योगिक नगरी सतना से सामने आई है। मध्य प्रदेश के सतना शहर के सिटी कोतवाली थाना इलाके में बुधवार की शाम पांच बजे जगतदेव तालाब के पास भिक्षावृत्ति कर अपना पेट पालने वाले एक परिवार की पांच वर्षीय बेटी जब कहीं दिखाई नहीं दी, तो बच्ची की दादी ने उसको ढूंढना शुरू कर दिया। क्योंकि बच्ची के माता-पिता कटनी गए थे। कुछ ही दूर में बेटी लहूलुहान हालात में मिली। मिली जानकारी के अनुसार शाम करीब साढ़े पांच बजे राकेश वर्मा उर्फ रक्कू निवासी जीवन ज्योति कॉलोनी, घूमते हुए जगतदेव तालाब पहुंचा और बच्ची को देखकर दुलारने लगा, कुछ देर बाद टॉफी दिलाने के बहाने गोद में उठाकर चल दिया। यह देखकर दादी ने रोकने की कोशिश की, मगर आरोपी भागकर ऑटो में बैठ गया और कृष्णनगर की तरफ चला गया।
बुजुर्ग महिला के शोर मचाने पर आसपास के लोग उसका पीछा करने लगे, और वहीं कंट्रोल रूम में भी शिकायत दर्ज करा दी। खबर लगते ही सिटी कोतवाल शंखधर द्विवेदी टीम के साथ मौके पर पहुंचकर बच्ची की तलाश में जुट गए। लगभग दो घंटे की खोजबीन के बाद मासूम बच्ची अस्त-व्यस्त हालत में दादी को मिल गई। गंभीर हालत में बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां प्राथमिक उपचार देने के बाद रीवा के संजय गांधी मेडिकल हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस तुरंत हरकत में आई और फरार होने से पहले आरोपी राकेश वर्मन को दबोच लिया।
बता दें कि मासूम के परिजन जगतदेव तालाब स्थित शिवमंदिर में भिक्षावृत्ति करते हैं। सिटी कोतवाली पुलिस ने मामले में आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला रजिस्टर्ड किया है। नगर पुलिस अधीक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आरोपी वर्ष 2012 में पहले भी कोलगवां थाना क्षेत्र में साढ़े चार साल की बच्ची से दुष्कर्म कर चुका है। अदालत से उसे 10 वर्ष की सज़ा मिली थी। मगर जेल में अच्छे चाल-चलन के आधार पर तीन साल की सजा माफ हो गई और 18 महीने पहले वह जेल से बाहर आ गया था।
हिमाचल में काल बनाकर आई आसमानी आफत......अब तक 327 लोगों की मौत
17 Aug, 2023 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिमला । हिमाचल में 24 जून से लेकर अब तक 327 लोगों की मौत हो चुकी है। इन आपदाओं में 318 लोग घायल हो चुके हैं। इस बार 41 साल बाद राज्य में बादल आफत बनकर बरसे हैं। राज्य में अभी तक कुल 113 लैंड स्लाइड और 58 फ्लैश फ्लड की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कांगड़ा में 17 अगस्त को भी संकट के काले बादल छाए हुए हैं। स्थानीय प्रशासन ने सुबह साढ़े 7 बजे से ही रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। लोगों की मदद से प्रशासन राशन की किट्स तैयार की हैं। ये किट्स मंड में फंसे लोगों तक हेलीकॉप्टर से भेजी जाएगी। ताकि, बीते चार दिनों से बाढ़ग्रस्त इलाके में बचे लोगों की भूख से मरने की नौबत न आए।
दूसरी ओर, 16 अगस्त को आई प्राकृतिक आपदा के पीड़ित लोगों ने आपबीती सुनाई। उन्हें प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से रेस्क्यू किया था। उन्होंने बताया कि घर का सारा राशन पानी में भीग गया था। इसकारण पेड़ों पर लगे फलफूल खाकर गुजारा करना पड़ा। गौरतलब है कि, प्रशासन ने अब तक 1 हजार 731 लोगों को रेस्कयू किया है। प्रशासन ने 739 लोगों को हेलीकॉप्टर से रेस्कयू किया है। 780 लोगों को बोट के माध्यम से रेस्कयू किया गया है। जबकि, 212 लोगों को ट्रैक्टर और ट्रॉली के जरिये सुरक्षित बाहर निकाला गया। इंदौरा के मण्ड से 1 हजार 344 लोगों को सुरक्षित निकाला गया। यहां 564 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया, वहीं 780 लोगों को बोट से बाहर निकाला गया।
इस तरह फतेहपुर में 387 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। प्रशासन ने 175 लोगों को हेलीकॉप्टर से, 212 लोगों को बोट से बाहर निकाला। बता दें, इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायुसेना के दो मिग-17 हेलीकॉप्टर लगातार जुटे हुए हैं।
गोवा में नहीं चलता शरीयत कानून, शादी को लेकर इस समुदाय को मिलता है फायदा
17 Aug, 2023 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में आईपीसी एक है, सीआरपीसी एक है, एविडेंस एक्ट एक है तो देश के सभी नागरिकों के लिए एक तरह का कानून क्यों नहीं?
पीएम मोदी के इस बयान के बाद इस बात की अटकलें भी तेज हो गई थी कि जल्द ही देश के संसद में मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल का प्रस्ताव भी पेश कर सकती है। वहीं, देश के विपक्षी नेताओं सहित कई लोगों का मानना है कि यह कानून इस देश के लिए सही नहीं है।
यूसीसी को लेकर देश में हो रहे जुबानी जंग के बीच आपको यह बता दें कि इस देश में एक ऐसा भी राज्य है, जहां 1867 से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (गोवा सिविल कोड) लागू है।इतिहास के पन्नों पर जरा नजर डालें तो 1510 से पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्जा करने की शुरुआत कर दी। इस राज्य में 451 सालों तक पुर्तगालियों का शासन रहा। इस दौरान पुर्तगाली शासन ने गोवा में कई कानूनों को लागू किए, जिनमें एक कानून, पुर्तगाल सिविल कोड भी है। इस कानून की रूपरेखा गोवा में नहीं, बल्कि पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के अजूडा नेशनल पैलेस में तैयार की गई थी।
पहाड़ों पर बसी आबादी पर मंडरा रहा खतरा
17 Aug, 2023 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिमाचल और उत्तराखंड में लैंडस्लाइड और बादल फटने से बिगड़े हालात, पहाड़ों से नीचे खिसक सकते हैं शिमला, कुल्लू और सोलन जैसे शहर!
नई दिल्ली । हिमाचल और उत्तराखंड में बीते 3 दिनों से बारिश जारी है। 24 घंटे में दोनों राज्यों में लैंडस्लाइड और बादल फटने से जुड़ी घटनाओं में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में यहां तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है। बीते कुछ दिनों से दोनों राज्यों में हो रही बारिश ने एक बहुत बड़े खतरे की ओर बड़ा कदम बढ़ा दिया है। यह खतरा पहाड़ों पर बसे बड़े शहरों के नीचे की मिट्टी में आई नमी की वजह से बना है। मौसम विभाग के मुताबिक, लगातार हो रही बारिश से यहां के पहाड़ों के भीतर की मिट्टी में इतनी नमी आ गई है। इससे लैंडस्लाइड, मड स्लाइड समेत बड़े-बड़े पेड़ों वाले जंगलों के नीचे की मिट्टी खिसक रही है।
उत्तराखंड के जोशीमठ के पास लैंडस्लाइड में एक घर ढह गया। इसमें दो व्यक्ति की मौत हो गई। यह घटना मंगलवार देर शाम पीपलकोटी और जोशीमठ के बीच बद्रीनाथ राजमार्ग पर हेलंग गांव में हुई। चमोली पुलिस के अनुसार, चमोली जिले के पीपलकोटी, गडोरा, नवोदय विद्यालय पीपलकोटी, गुलाबकोटी, पागलनाला और विष्णुप्रयाग इलाके में हाईवे को नुकसान पहुंचा है। राज्य में पिछले तीन दिनों में भारी बारिश, लैंडस्लाइड व बादल फटने से जुड़ी घटनाओं में 55 की मौत हो चुकी है। 950 से ज्यादा सडक़ें जगह-जगह बंद पड़ी हैं
वैज्ञानिकों को अब इस बात का डर सता रहा है कि चार जुलाई से हो रही तेज बारिश और नमी का असर अगले कुछ महीनो में पहाड़ों पर बसे शहरों के खिसकने के तौर पर भी सामने आ सकता है। इन शहरों में हिमाचल प्रदेश की राजधानी समेत कई बड़े जिले भी शामिल हैं। फिलहाल हिमाचल प्रदेश का मौसम विभाग केंद्रीय जांच एजेंसियों से पहाड़ों की इन नमी का आकलन करवाने की बात कही है, ताकि पता चल सके कि हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों के भीतर नमी कितनी है और कितने पहाड़ अब सुरक्षित बचे हैं।
मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि बीते कुछ दिनों में जिस तरीके से हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से तबाही मचनी शुरू हुई है उससे अब यह कहा जा सकता है की हालात फिलहाल खतरनाक हो गए हैं। वह कहते हैं जिस तरीके से पहाड़ों पर बने हुए घर खिसक रहे हैं उससे साबित होता है कि पहाड़ों की मिट्टी में नमी का स्तर बहुत ज्यादा हो गया है। नतीजतन वह अपने ऊपर के भार को संभाल नहीं पा रहे हैं और नीचे की ओर खिसक रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मौसम विभाग का मानना है कि यहां के ज्यादातर पहाड़ मिट्टी के हैं और बड़े-बड़े शहर उन्हीं पहाड़ों के ऊपर बसे हुए हैं। इसलिए न सिर्फ खतरा बढ़ा है बल्कि उसको रोकने के उपाय भी बेहद जरूरी हो गए हैं। वह कहते हैं पहाड़ों पर बसे जंगलो के पेड़ अपना अस्तित्व छोड़ कर नीचे गिर रहे हैं। उससे यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये जंगल और पेड़ भी बारिश के पानी को संचयित नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए पहाड़ों पर बसे शहरों और यहां की आबादी के लिए बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
लगातार हो रही बारिश से मौसम विभाग को सबसे ज्यादा खतरा हिमाचल प्रदेश के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों को लेकर बना हुआ है। निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि जिन शहरों में लगातार हो रही बारिश से लैंडस्लाइडिंग और मड स्लाइडिंग का खतरा बना हुआ है उसमें शिमला, सोलन, मंडी, कुल्लू, बिलासपुर और सिरमौर समेत कई प्रमुख जिले और उनके शहर शामिल हैं। दरअसल, पहाड़ों पर बसे इन शहरों की आबादी न सिर्फ लगातार बढ़ती रही, बल्कि यहां पर बेतरतीब तरीके से निर्माण का काम भी किया जाता रहा। इसके अलावा मौसम विभाग को चिंता इस बात की भी सबसे ज्यादा है कि हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर बांध और बैराज फुल हो चुके हैं। इस वजह से पहाड़ों का जलस्तर भी ऊपर बढ़ गया है। जलस्तर के बढऩे से पहाड़ों की मिट्टी में न सिर्फ नमी बढ़ रही होगी बल्कि वह कमजोर भी हो सकते हैं।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में हुई 7 से 11 जुलाई की बारिश में हिमाचल प्रदेश के ऊपरी हिस्सों में सबसे ज्यादा बारिश हुई और बाढ़ से नुकसान हुआ। 11 से 14 जुलाई के बीच बारिश ने व्यास और सतलुज नदी के इलाकों में तबाही मचानी शुरू की। मौसम विभाग के निदेशक सुरेंद्र पाल कहते हैं कि अब हुई बारिश से ज्यादा चिंता बढऩी शुरू हो गई है। इस बार होने वाली बारिश न सिर्फ कम ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी तेज गति से हो रही है, बल्कि पश्चिमी विक्षोभ और मानसून उनके आपस में मिलने की वजह से हालात हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कठिन हो गए हैं। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल हिमाचल प्रदेश में अगले पांच दिनों तक मौसम कुछ सामान्य रहने वाला है। हालांकि, 19 अगस्त से प्रदेश में एक बार फिर से मौसम के बिगडऩे का अनुमान लगाया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में मौसम की वजह से होने वाले नुकसान और लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए काम कर रही एजेंसियों का कहना है कि मौसम विभाग के आकलन के मुताबिक ही उनकी पूरी तैयारियां चल रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय भी लगातार हिमाचल प्रदेश में बदहाल हुए मौसम और उससे होने वाले नुकसान से बचाव के बाबत लगातार संपर्क में बना हुआ है।
जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि बीते एक दशक में तैयार की गई उनकी रिपोर्ट बताती है कि पहाड़ के ज्यादातर आबादी वाले हिस्से के इलाके एक खोखले टीले पर बसे हुए हैं। वह कहते हैं कि जिस तरीके की मूसलाधार बारिश पहाड़ों पर जमकर हो रही है और तेजी से पिघलते ग्लेशियर से निकलता पानी तेजी से नदियों के माध्यम से उन पहाड़ों के भीतर जाकर उनकी जड़ों को और खोखला कर रहा है। चक्रवर्ती अंदेशा जताते हैं कि जिस तरीके से बीते दो दिनों में बारिश हुई है वह पहाड़ी इलाकों के लिए सबसे खतरनाक साबित हो सकती है। चक्रवर्ती कहते हैं कि सबसे बड़ा खतरा पहाड़ों के खिसकने का है। उनका उनका कहना है कि इस वक्त सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में बारिश कहर बरपा रही है। खोखले हो चुके पहाड़ों पर बसी आबादी और खतरनाक पहाड़ों पर बने मकानों और उनके ठिकानों के खिसकने का खतरा बना हुआ है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से बारिश हुई है अगर इसी तरीके की बारिश इस मानसून में एक दो बार और हो जाती है तो बेहद चिंता की बात होगी।
पहाड़ों पर बसी आबादी को लेकर एक बहुत बड़ा खतरा सामने आ रहा है। भूवैज्ञानिकों का कहना है पहाड़ों का गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह से खिसकने लगा है। लगातार हो रहे बेतरतीब तरीके के निर्माण कार्य से आबादी वाले पहाड़ खोखले भी होने लगे हैं। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि आने वाले दिनों में पहाड़ों के खिसकने की घटनाएं न सिर्फ हिमाचल और उत्तराखंड में बढ़ेंगी, बल्कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में बसे पहाड़ी इलाकों और नेपाल, भूटान, तिब्बत जैसे देशों में भी ऐसी घटनाओं के बढऩे की संभावना ज्यादा है। इसमें बारिश की वजह से और बड़ी घटनाओं के होने की आशंका बनी हुई है। वह कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पहाड़ों के खिसकने का सिलसिला लगातार जारी है। पहाड़ों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण से पहाड़ों का पूरा गुरुत्वाकर्षण केंद्र अव्यवस्थित हो गया है। पहाड़ों की टो कटिंग और बेतरतीब तरीके से हो रहे निर्माण की वजह से ऐसे हालात बने हैं। उनका कहना है कोई भी पहाड़ तभी तक टिका रह सकता है जब उसका गुरुत्वाकर्षण केंद्र स्थिर हो। पहाड़ों की तोडफ़ोड़ और पहाड़ों पर बेवजह के बोझ से उसका स्थिर रखने वाला गुरुत्वाकर्षण केंद्र अपनी जगह छोड़ देता है। ऐसे में जब तेज बारिश होती है और नदियों का बहाव अपने वेग के साथ पहाड़ी इलाकों में बहता है, तो पहाड़ों की खोखली हो रही नीव को गिराने की क्षमता भी रखते हैं। यही परिस्थितियां सबसे खतरनाक होती हैं।
रैगिंग केस में 6 और अरेस्ट
17 Aug, 2023 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता । कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में रैगिंग से परेशान स्टूडेंट की मौत मामले में पुलिस ने बुधवार सुबह छह और युवकों को गिरफ्तार किया। इनमें से तीन इसी यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग के छात्र हैं, जबकि तीन पूर्व छात्र हैं। अब तक इस केस में 9 गिरफ्तारियां हो चुकी है। कोलकाता पुलिस ने बताया कि आरोपियों में सिविल इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर का स्टूडेंट मोहम्मद आरिफ, अंकन सरदार और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के फोर्थ ईयर का स्टूडेंट मोहम्मद आसिफ अजमल शामिल है। इसके अलावा असित सरदार, सप्तक कामिल्या और सुमन नस्कर भी अरेस्ट हुए हैं, ये यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र है। तीनों कोलकाता से भाग गए थे। मंगलवार की रात पूर्बो मेदिनीपुर और साउथ 24 परगना के विभिन्न इलाकों में छापेमारी के बाद पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया।
भारत को मिलेंगे 6 अपाचे हेलिकॉप्टर
17 Aug, 2023 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । अमेरिकी एयरक्रॉफ्ट मेकर कंपनी बोइंग ने भारतीय सेना के लिए 6 अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स का प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। बोइंग ने साल 2020 में इंडियन एयर फोर्स को एएच-64ई मॉडल के 22 अपाचे हेलिकॉप्टर डिलीवर किए थे। इसके बाद भारतीय सेना ने बोइंग कंपनी से छह अतिरिक्त हेलिकॉप्टर बनाने का समझौता किया। इसमें पहले अपाचे हेलिकॉप्टर का प्रोडक्शन शुरू हो गया है। सभी हेलिकॉप्टर की डिलीवरी 2024 तक होनी है। इन हेलिकॉप्टर्स का निर्माण अमेरिका के एरिजोना में हो रहा है। एएच 64ई अपाचे दुनिया के सबसे एडवांस मल्टी काम्बैट हेलिकाप्टर हैं। इनमें हाईक्वालिटी नाइट विजन सिस्टम है, जिससे दुश्मन को अंधेरे में भी ढूंढा जा सकेगा। यह मिसाइल से लैस हैं और एक मिनट में 128 लक्ष्यों पर निशाना साधा जा सकता है। भारी मात्रा में हथियार ले जाने की क्षमता है। 280 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है।
अदालतों में प्रॉस्टिट्यूट-मिस्ट्रेस जैसे शब्द इस्तेमाल नहीं होंगे
17 Aug, 2023 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए इस्तेमाल होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक लॉन्च कर दी है।
8 मार्च को महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए इवेंट में कहा था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल रुकेगा, जल्द डिक्शनरी भी आएगी। बुधवार 16 अगस्त को हैंडबुक जारी करते हुए ष्टछ्वढ्ढ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इससे जजों और वकीलों को ये समझने में आसानी होगी कि कौन से शब्द रूढि़वादी हैं और उनसे कैसे बचा जा सकता है।
जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक में क्या है
सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की लिस्ट है और उसकी जगह इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द और वाक्य बताए गए हैं। इन्हें कोर्ट में दलीलें देने, आदेश देने और उसकी कॉपी तैयार करने में यूज किया जा सकता है। यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है। इस हैंडबुक में वे शब्द हैं, जिन्हें पहले की अदालतों ने यूज किया है। शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं, इसके बारे में भी बताया गया है।
शब्द रिप्लेसमेंट
अफेयर शादी के इतर रिश्ता
प्रॉस्टिट्यूट/हुकर (पतुरिया) सेक्स वर्कर
अनवेड मदर (बिनब्याही मां) मां
चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूड तस्करी करके लाया बच्चा
बास्टर्ड ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता ने शादी न की हो
ईव टीजिंग स्ट्रीट सेक्शुअल हैरेसमेंट
प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस (भडक़ाऊ कपड़े) क्लोदिंग/ड्रेस
एफेमिनेट (जनाना) इसकी जगह जेंडर न्यूट्रल शब्दों का प्रयोग
गुड वाइफ वाइफ (पत्नी)
कॉन्क्युबाइन/कीप (रखैल) ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो।
हैंडबुक जागरूक करने बनाई
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इस हैंडबुक को तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं, बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढि़वादिता की परंपरा चली आ रही है। कोर्ट का उद्देश्य यह बताना है कि रूढि़वादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है, ताकि कोर्ट महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल से बच सकें। इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा।
कलकत्ता हाईकोर्ट की टीम ने तैयार की शब्दावली
सीजेआई चंद्रचूड़ ने जिस कानूनी शब्दावली के बारे में बताया है, उसे कलकत्ता हाईकोर्ट की जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली समिति ने तैयार किया है। इस समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रभा श्रीदेवन और जस्टिस गीता मित्तल और प्रोफेसर झूमा सेन शामिल थीं, जो फिलहाल कोलकाता में वेस्ट बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज में फैकल्टी मेम्बर हैं।
चंद्रयान-3 ने चौथी बार बदली ऑर्बिट
17 Aug, 2023 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बेंगलुरु । इसरो ने बुधवार को चौथी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट बदली। यान अब चंद्रमा की 153 किमी & 163 किमी की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया है। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने सुबह करीब 08:30 बजे यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए। इससे पहले चंद्रयान 150 किमी & 177 किमी की ऑर्बिट में था। 153 किमी & 163 किमी की ऑर्बिट का मतलब है कि चंद्रयान ऐसी कक्षा में घूम रहा है जिसमें उसकी चंद्रमा से सबसे कम दूरी 153 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 163 किलोमीटर है। अब 17 अगस्त चंद्रयान के लिए काफी अहम दिन है। इस दिन इसरो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा। 23 अगस्त को लैंडिंग होगी।
चंद्रयान में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। लैंडर और रोवर चांद पर पानी की खोज करेंगे।
ईडी ने रॉबर्ट वाड्रा को धनशोधन मामले में दी गई अग्रिम जमानत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी
17 Aug, 2023 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रॉबर्ट वाड्रा को एक धनशोधन मामले में दी गई अग्रिम जमानत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
ईडी के वकील ने कहा कि वह एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करेंगे जिसमें यह दर्शाया जाएगा कि वाड्रा ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया है। उन्होंने इसे अदालत के समक्ष रखने के लिए कुछ समय मांगा।
न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन ने ईडी को अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। मामले में अगली सुनवाई सितंबर में होगी। इससे पहले, ईडी ने उच्च न्यायालय से कहा था कि वह वाड्रा को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि मामले में ‘‘पैसे के लेन-देन की कड़ी सीधे तौर पर उनसे जुड़ी हुई है। उसने यह भी दावा किया था कि वाड्रा जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।
वाड्रा पर लंदन में 12, ब्रायनस्टन स्क्वायर पर करीब 19 लाख पाउंड (17 करोड़ रुपये से अधिक) की एक संपत्ति की खरीद में धनशोधन का आरोप है। इस मामले की जांच धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की जा रही है। वाड्रा के वकील ने ईडी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किल ने जांच में सहयोग किया और जब भी बुलाया गया, वह जांच एजेंसी के सामने पेश हुए।
उच्च न्यायालय एक अप्रैल, 2019 को निचली अदालत द्वारा वाड्रा को दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। वाड्रा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उनके द्वारा सहयोग नहीं करने का एक भी उदाहरण नहीं है।
उन्होंने कहा था कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का कोई जोखिम नहीं है क्योंकि एजेंसी ने मामले से संबंधित सभी दस्तावेज पहले ही जब्त कर लिये हैं। निचली अदालत ने वाद्रा को अग्रिम जमानत देते हुए उन्हें बिना पूर्व-अनुमति के देश से बाहर नहीं जाने और अधिकारी द्वारा बुलाए जाने पर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था।
ट्रक और ऑटो-रिक्शा की भिडंत में पांच लोगों की मौत, दो घायल
16 Aug, 2023 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हैदराबाद । तेलंगाना के वारंगल जिले में बुधवार को एक ट्रक और ऑटो-रिक्शा के बीच टक्कर में पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि दो लोग घायल हो गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार यह दुर्घटना वर्धन्नापेट मंडल के येलांडा गांव के पास हुई। जिसमें ऑटोरिक्शा में सवार पांच लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया। दोनों घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार ऑटोरिक्शा वारंगल से थोरूर की ओर जा रहा था, तभी विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक से उसकी टक्कर हो गई। पुलिस को संदेह है कि ट्रक चालक शराब के नशे में था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। पुलिस ने राजस्थान के रहने वाले ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है।
बारिश व भूस्खलन से हिमाचल-उत्तराखंड में मची भारी तबाही, अब तक 66 लोगों की मौत
16 Aug, 2023 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिमला । लगातार हो रही बारिश ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। यहां बारिश के साथ हुए भूस्खलन से 66 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई स्थानों पर मकान ढहने की जानकारी मिली है। बचावकर्मियों द्वारा घायलों को बचाने और मलबे से शव निकालने के लिए अभियान तेज किया गया है। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ज्यादातर मौतें हिमाचल प्रदेश में हुईं, जहां 13 अगस्त को भारी बारिश शुरू होने के बाद से 60 लोगों की मौत हो गई है। मौसम कार्यालय ने अगले दो दिनों में हिमाचल प्रदेश में और अगले चार दिनों में उत्तराखंड में छिटपुट लेकिन भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। हालांकि मंगलवार को बचावकर्मियों ने भूस्खलन के कारण मलबे से तीन शव बरामद किये। शिमला में ढहे शिव मंदिर के मलबे से एक शव निकाला गया, जबकि शहर में ताजा भूस्खलन में दो लोगों की मौत हो गई। शिमला के कृष्णानगर इलाके में भूस्खलन के बाद छह अस्थायी सहित कम से कम आठ घर ढह गए और एक बूचड़खाना मलबे में दब गया।
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य में मौजूदा स्थिति की समीक्षा के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की और इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल सरकार प्राथमिकता के आधार पर बहाली के प्रयासों में तेजी लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने अधिकारियों को पिछले कुछ दिनों में मूसलाधार बारिश से प्रभावित बिजली और जल आपूर्ति योजनाओं को तेजी से बहाल करने का भी निर्देश दिया। बुधवार सुबह एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा कि पोंग बांध में जल स्तर बढ़ने के कारण कांगड़ा के निचले इलाकों में 800 से अधिक लोगों को उनके गांवों से निकाला गया। बचावकर्मियों द्वारा लगातार निकासी अभियान अभी भी जारी है क्योंकि अधिक लोगों को बाहर निकाला जा रहा है।
उधर पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में, बारिश से संबंधित घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर छह हो गई, क्योंकि दो और शव मिले, जबकि सात अभी भी लापता हैं। यहां भी सोमवार से भारी बारिश हो रही है। देहरादून में आपदा नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तरकाशी जिले के आराकोट क्षेत्र के गांवों में उफनती हुई पवार नदी का पानी घुसने के बाद लापता हुई एक महिला का शव मंगलवार को मिला। 14 वर्षीय लड़की तेजस्विनी का एक और शव ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला क्षेत्र में एक बरसाती नाले से बरामद किया गया। उसके बाकी परिजनों का पता लगाया जा रहा है। आईएमडी ने 19 अगस्त तक अगले चार दिनों के लिए उत्तराखंड में कई जगहों पर येलो अलर्ट जारी किया गया है।
भूस्खलन प्रभावित जोशीमठ के पास हेलंग में एक इमारत ढह जाने के बाद तीन लोगों को बचाया गया और कुछ अन्य लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। इस साल की शुरुआत में जोशीमठ में जमीन धंसने से कई घर क्षतिग्रस्त हो गए थे और यह समस्या काफी हद तक बढ़ गई है।
पौंग बांध से पानी छोड़ने के कारण गांवों में घुसा बाढ़ का पानी
16 Aug, 2023 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुरदासपुर । पौंग बांध से लगभग 1 लाख 50 हजार क्यूसिक पानी छोड़ने के कारण ब्यास दरिया में स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। वहीं धुस्सी बांध में बढ़े जल स्तर से धुस्सी बांध के क्षतिग्रस्त होने से पानी गांवों में प्रवेश कर गया। पानी कब गांवों में आ गया लोगों को पता ही नहीं चला। स्थिति को देखकर लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकालने के लिए जिला प्रशासन की मदद से एनडीआरएफकी टीमें भी जिला गुरदासपुर के बाढ़ प्रभावित इलाके में पहुंच गई है। धार्मिक स्थानों से भी लगातार लोगों को गांवों से बाहर सुरक्षित स्थानों पर चलने को कहा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार जगतपुर कलां के पास से धुस्सी बांध टूट जाने के कारण दरिया का पानी धुस्सी के पास इलाकों में पहुंच गया है। हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों हुई भारी बारिश के कारण मंगलवार को पौंग बांध से 1.50 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जगतपुरा टांडा, भैणी पसवाल के ऊपरी इलाकों में ब्यास दरिया उफान पर आ गई है। तटबंध में दरार आ गई है, जिसके कारण निचले इलाकों में बाढ़ आ गई है। जिला प्रशासन ने गांवों के निवासियों को तुरंत सुरक्षित/ऊंचे स्थानों पर जाने के लिए कहा है। सुबह से लेकर रात तक उपायुक्त डॉ.हिमांशु अग्रवाल पुराना शाला, दाओवाल पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। जिला प्रशासन की बचाव एवं राहत टीमें मंगलवार से ही बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। इस बीच मंगलवार की रात एनडीआरएफ की टीमें भी पहुंच गई हैं, उन्होंने बुधवार सुबह से बचाव कार्य शुरू कर दिया है। इसके अलावा भारतीय सेना और बीएसएफ की टीमें भी बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
उन्होंने लोगों से बचाव दल के साथ सहयोग करने की अपील की है। उपायुक्त डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ब्यास नदी के कारण उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए टीम पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने बताया कि गुरदासपुर-मुकेरियां मार्ग पर भी पानी आने के कारण एहतियात के तौर पर मुकेरियां पुल को बंद किया गया है। इतना ही नहीं गुरदासपुर-मुकेरियां यातायात को दीनानगर राजमार्ग पर मोड़ दिया गया है। उपायुक्त ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाके से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है और पूरी स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि पौंग बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम कर दी गई है। जिससे ब्यास नदी में जल स्तर कम हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पुराना शाला के स्कूल में एक राहत शिविर स्थापित किया गया है और चिकित्सा और पशु चिकित्सा विभाग सहित सभी टीमें पूरी तरह से तैयार हैं और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं।
एक बार फिर यमुना का जलस्तर खतरे से ऊपर, दिल्ली में हाई अलर्ट
16 Aug, 2023 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । एक बार फिर यमुना का जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है, इसलिए दिल्लीवासियों को अलर्ट रहने को कहा गया है। पिछले दो दिनों की बारिश ने एक बार फिर यह स्थिति ला दी है। यही वजह है कि दिल्ली से बहने वाली यमुना नदी एक बार फिर खतरे की घंटी बजाने लगी है। गौरतलब है कि यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में गत दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से दिल्ली में नदी का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर गया। केंद्रीय जल आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, पुराने रेलवे ब्रिज के पास यमुना का जल स्तर मंगलवार अपराह्न तीन बजे चेतावनी के निशान 204.50 मीटर को पार कर गया और रात 10 बजे तेजी से बढ़कर यह 205.39 मीटर तक पहुंच गया। उन्होंने बताया कि सुबह पांच बजे तक जलस्तर 205.50 मीटर तक पहुंचने और दिन में इसके और बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, दिल्ली में नदी का जलस्तर निकासी अभियान शुरू करने के स्तर 206.00 मीटर तक नहीं बढ़ेगा, बशर्ते पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक बारिश न हो। हरियाणा के यमुनानगर जिला स्थित हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह देर रात नौ बजे लगभग 27,000 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया जो मानसून के मौसम के दौरान मध्यम माना जाता है।
इधर दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नदी के किनारे कुछ स्थानों पर निचले स्तर की बाढ़ आ सकती है लेकिन गंभीर स्थिति की आशंका नहीं है। उधर हिमाचल प्रदेश में भी भारी बारिश का दौर चल रहा है। जिससे दिल्ली को जुलाई के मध्य में अभूतपूर्व जलभराव और बाढ़ से जूझना पड़ा था। इतना ही नहीं, यमुना का जल 13 जुलाई को 208.66 मीटर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। दिल्ली में बाढ़ के कारण 27,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था।
चंद्रमा के और करीब पहुंचा चंद्रयान-3
16 Aug, 2023 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बेंगलुरु । इसरो ने तीसरी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई। अब चंद्रयान 150 किमी & 177 किमी की ऑर्बिट में आ गया है। यानी चंद्रयान-3 चंद्रमा की ऐसी कक्षा में घूम रहा है, जिसमें उसकी चांद से सबसे कम दूरी 150 किमी और सबसे ज्यादा दूरी 177 किमी है। ऑर्बिट घटाने के लिए यान के इंजन कुछ देर चालू किए गए। अब चंद्रयान का ऑर्बिट सर्कुलराइजेशन फेज शुरू हो गया है। यानी चंद्रयान अंडाकार कक्षा से गोलाकार कक्षा में आना शुरू हो गया है। इसरो अब 16 अगस्त को सुबह 08:30 बजे अगला ऑपरेशन परफॉर्म करेगा। इसमें इसरो के बेंगलुरु स्थित हेडक्वार्टर से वैज्ञानिक चंद्रयान के थ्रस्टर फायर कर उसे 100 किमी & 100 किमी की गोलाकार कक्षा में लाएंगे।